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अन्तर्वासना परिवार को मेरी शुभ कामनाएँ!
मैं बचपन से ही सेक्स के लिए बड़ी लस्टी रही हूँ। दरअसल मैंने बचपन से ही काफी सेक्स देखा और महसूस किया है, अगर डिटेल बताऊंगी तो काफी लम्बा हो जायेगा।
धीरे-धीरे आपको मेरी कहानियों से अंदाज हो जाएगा। मैं जो कुछ भी बताऊँगी वो कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि मेरा अपना अनुभव है जो मैंने बचपन से आज तक महसूस किया है। आज मैं आपको अपना सब से पहला सेक्स अनुभव सुनना चाहती हूँ।
हम लोग मुंबई में एक रूम के फ्लैट में रहते हैं। मैं 12 साल की उम्र तक अपने मम्मी-पापा के साथ ही सोती थी, काफी कुछ मैंने देखा उन दोनों के बीच। मेरा एक 3 साल बड़ा भाई है।
एक बार हमारी पूरी फैमिली नैनीताल घूमने के लिए गई थी। बड़ी मुश्किल से डैडी ने एक रूम ढूँढा जिस के बीच में कपड़े का एक पार्टीशन था बस। परदे के उस पार मॉम और डैड और परदे के इस पार मैं और मेरा भाई।
रात को कोई एक बजे की बात है। मुझे मम्मी के कराहने की आवाज़ आई। मैं उठ गई। मेरे लिए जानी पहचानी आवाज़ थी। मैं समझ गई कि मम्मी की चुदाई हो रही है। मैंने हिम्मत करके हाथ से थोड़ा सा पर्दा हिलाया और देखने लगी। मेरी उम्र उस समय कोई 18 साल की होगी।
यह नज़ारा देखते ही मेरी चूत में खुजली सी होने लगी। ऐसा लगा मानो मेरा दिल मेरे सीने से बाहर आ जायेगा।
तभी मेरे पीछे से मेरा भाई भी उचक के वो नज़ारा देखने लगा। भाई को देख कर मैं डर गई और पर्दा छोड़ दिया। मेरे भाई ने मुझ से धीरे से मेरे कान में कहा- प्लीज़ देखने दे न किसी को पता नहीं चलेगा। और हम लोग चुदाई का वो नज़ारा देखने लगे।
तभी पीछे से मेरी गांड की तरफ कुछ चुभता सा महसूस हुआ। दरअसल मेरे भाई का लंड खड़ा हो गया था। और वो उसे मेरे चूतड़ों की गहराई में लगा रहा था। मैं थोड़ा सा कसमसाई। ज्यादा जोर से बोल भी नहीं सकती थी। अपने हाथ से भाई को धकेलने की कोशिश की पर उसने मुझे मेरे पीछे से और कसकर पकड़ लिया, मेरी गर्दन पैर अपनी ज़बान फिराने लगा और किस करने लगा।
मैं कुछ नहीं कर पा रही थी। उसने मेरी शर्ट में हाथ डाल दिया और मेरी चूची सहलाने लगा। मेरी चूची एकदम टाईट हो गईं। सच बताऊँ तो मुझको भी मज़ा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
धीरे-धीरे वो अपना हाथ मेरे पजामे में मेरी चूत तक ले आया, फिर तो जैसे मैं पागल हो गई। उसने मुझको अपनी तरफ घुमा लिया और अपनी अंडरविअर नीचे कर दी और मुझ से कहा कि मैं अपना पजामा उतार दूँ। मुझको डर लग रहा था। उसने कहा- कुछ नहीं होगा। तू वैसा ही कर जैसा मैं बोल रहा हूँ।
मैंने बिना आवाज़ किये अपना पजामा उतार दिया। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। उसने मुझसे कहा कि धीरे-धीरे मैं उसे सहलाऊँ। मैं उसका लंड सहलाती रही और वो मेरी चूत में ऊँगली करता रहा।
पीछे से मम्मी के कराहने की और पलंग की चिर्र-चिर्र की आवाजें आ रही थीं। कोई 15 मिनट बाद में डिस्चार्ज हो गई और वो भी। ऐसा था मेरा पहला सेक्स अनुभव आगे के अनुभव मैं अपनी चुदाई की कहानियों में सुनाऊँगी। अब विदा लेती हूँ। [email protected]
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