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दोस्तो, जैसा कि मैं पहली कहानी में बता चुका हूं कि मौसी के लड़के आकाश का दोस्त रवि मुझे बहुत भा गया था और उसके नशे की हालत का फायदा उठाकर उसी रात मैंने उसका 8.5 इंच का लंड चूसा था.. तो कहानी को आगे बढ़ाते हुए मैं आपको बताता हूं कि आगे क्या हुआ..
वह रात मेरे लिए जैसे सपनों की रात थी.. मेरी पसंद का जवान लड़का जो एक असली मर्द था, मुझे उसके साथ सोने का मौका मिला था और उसके वीर्य को चखने का सौभाग्य भी..
तो दोस्तो, उस रात की सुबह मेरे लिए असमंजस भरी थी, समझ नहीं आ रहा था कि रवि से नज़रें कैसे मिलाऊँगा.. वो मेरे बारे में क्या सोचेगा.. कहीं उसने आकाश या मौसी को बता दिया तो मेरे घर वालों की शादी में क्या इज्जत रह जाएगी!
मैंने हवस के नशे में उसक लंड चूस तो लिया लेकिन अब बहुत पछता रहा था.. इसलिए मैं चुपचाप सुबह जल्दी उठकर नीचे आ गया था रवि को ऊपर सोता हुआ छोड़कर..
एक घंटे बाद रवि नीचे आया.. हमेशा की तरह उसके चेहरे पर वही हल्की सी मुस्कान थी जिसे देखकर मैं उस पर लट्टू हो गया था लेकिन अबकी बार मैं उसे निहारने की बजाय उससे नजरे चुराने लगा.. मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि उसके सामने खड़ा रह सकूँ, मैं अंदर चला गया और वो फ्रेश होकर यहाँ वहाँ काम में लग गया। मैं भी 12-1 बजे तक उसके सामने नहीं आया..
फिर सब लोग घुड़चढ़ी के लिए तैयार होने लगे.. आकाश को 2 बजे तक तैयार करके घोड़ी पर बिठा दिया गया। मैं जैसे ही बाहर आया, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं..
सामने रवि खड़ा था.. उसने स्काई ब्लू रंग की हाफ बाजू की शर्ट पहन रखी थी जो उसकी छाती पर खिंची हुई थी और कसे हुए डोलों के साथ उसके हाथों पर मर्दाना बाल बड़े मस्त लग रहे थे.. उसने सफेद रंग की कॉटन की पैंट पहन रखी थी जो काफी पतले फेबरिक की थी और उसमें से उसकी काली फ्रेंची उसकी जांघों पर कसी हुई साफ नजर आ रही थी जो जिप के पास जाकर एक बड़ा उभार बना रही थी।
मैंने एक नजर उसको देखा और फिर चुपचाप बगल में से निकल गया।
वो कुछ नहीं बोला और कुछ देर बाद सब ढोल के आगे नाचने लगे.. रवि भी आ गया.. लेकिन कल की तरह उसने आज भी पी ली थी और वो मस्ती में नाच रहा था। मेरे लिए भी अच्छा मौका उसको जी भर कर देखने का..
आधे रास्ते जाने के बाद वो भीड़ से बाहर निकला और थोड़ा अलग सा जाकर फोन पर बात करने लगा.. और हंसने लगा.. फिर उसने अपना लंड खुजलाया और चेहरे के भाव थोडे शरारती हो गए.. शायद उसकी गर्लफ्रेंड का फोन था.. कुछ सेकेंड बाद मैंने देखा उसका बल्ज(जिप का उभार) धीरे धीरे बढ़ रहा है.. शायद लड़की की बातों का असर था।
देखते देखते उसकी सफेद पैंट में एक उसकी चैन के एक तरफ 9 इंच का मोटा सा गोल डंडा नजर आने लगा जो चलते हुए उसकी पेंट में बाहर निकलने को हो रहा था। उसने फोन जेब में रख लिया और एक कोने में पेशाब करने जाने लगा..
मैं ये सब छुपकर देख रहा था.. वो पास में एक कोने में गया और टांगें चौड़ी खोल कर मूतने लगा.. क्या मर्द लग रहा था वो मूतते समय..
मेरा दिल मचल गया कि भाग कर उसके पास जाऊँ और उसके खड़े लंड को मुंह में भर लूं.. लेकिन किसी तरह काबू करके रह गया.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
घुडचढ़ी कुछ देर बाद खत्म हुई और बारात की तैयारी होने लगी। सब लोग अपनी गाड़ियों में बैठ गए और बाराती जाने लगे.. बचा मैं और पड़ोस का एक लड़का.. मौसा जी ने रवि को बुलाया और कहा कि तू अंश को अपने साथ ले जा दूसरे लड़के को हम बस में भेज देंगे।
ये सुनकर मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई.. मैंने टाल मटोल करने की कोशिश की लेकिन मौसा जी नहीं माने.. मैं डरते हुए रवि की गाड़ी में पिछली सीट पर बैठ गया..
रवि बोला- आगे आ जाओ.. मैंने खुद से कहा- मर गया बेटा अब तो तू.. और मैं जाकर आगे वाली सीट पर उसकी बगल में बैठ गया।
गाड़ी चली और उसने गाने लगा दिए.. हम आधे रास्ते में थे और मैं अपनी उधेड़़बुन में लगा हुआ था कि अचानक एक भारी भरकम आवाज से मेरे ख्याल टूटे- अंश..!! मैंने संभलकर बोला- हाँ रवि भैया? ‘रात को तुम क्या कर रहे थे..’
मेरी आधी सांस ऊपर और आधी नीचे.. मैंने कहा- भैया वो… मेरी गर्दन शर्म के मारे गड़ गई और मुंह उतर गया..
‘अरे बोल यार ..बता तो सही?’ ‘भैया, आप डांटोगे तो नहीं?’ ‘नहीं डांटूंगा… बता तो सही?’
‘भैया मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ..’
‘हा हा हा हा..’ वो ठहाका मारकर हंसा पड़ा और बोला- क्यूं.. मैं क्या लड़की हूं जो तू मुझे पसंद करता है? ‘नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था!’ ‘भैया पता नहीं लेकिन आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो!’
‘अच्छा.. क्या अच्छा लगता है मुझमें?’ ‘आपकी आवाज़.. आपका मुस्कुराना.. आपका चलना..’ वो और जोर से हंसने लगा और बोला- ठीक है..
मैं उसके रिएक्शन का इंतजार करता रहा लेकिन वो कुछ नहीं बोला। फिर मैंने धीरे से पूछा- भैया आप मुझसे नाराज तो नहीं हो ना? वो बोला- बिल्कुल नहीं! ‘मुझे लगा आप मुझे मारोगे.. पीटोगे और मम्मी को बता दोगे!’ ‘नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. मैं तुम्हारी फीलिंग समझ सकता हूँ।’
‘लेकिन पहले मैं तुम जैसों को गंडवा ही समझता था क्योंकि मुझे पहले भी एक बार तुम जैसा ही लड़का मिला था जिसने मेरे लंड को बस में छूने की कोशिश की थी तो मैंने उसको सबके सामने भरी बस में थप्पड़ मार दिया था और उसको खूब गाली दी और गंडवा कहकर बस से बाहर निकाल दिया था.. लेकिन बाद में मुझे पता चला कि वो हमारे ही आस पास के एरिया का था और उसने बेइज्जती होने के कारण नहर में कूद कर आत्म हत्या कर ली थी..’
‘लेकिन तेरी भाभी ज्योति से मैंने जब इस बारे में बात की तो उसने मुझे समझाया कि आजकल लड़के भी लड़कों को पसंद करते हैं.. जो लड़के मर्दों को पसंद करते हैं उनकी फीलिंग बिल्कुल लड़कियों वाली होती है। वो भी किसी लड़के को ऐसे ही पसंद करते हैं जैसे हम लड़कियाँ करती हैं और दूसरी तरह के समलैंगिक गांड मारने में रुचि रखते हैं.. और तीसरी तरह के बायसेक्सुएल होते हैं जो लड़की और लड़का दोनों के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते हैं..’
ज्योति ने मुझे समझाया कि मान लो अगर तुम किसी लड़की को पसंद करते हो तो तुम भी कोशिश करोगे उसके करीब जाने की.. उसको टच करने की.. ऐसा ही समलैंगिक! तब जाकर मुझे अपने गुस्से पर अफसोस हुआ कि मैंने बिना सोच-विचार के उस अनजाने लड़के की भावना को समझे बिना ही उसको थप्पड़ मार दिया जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली.. इसलिए मुझे तुम पर बिल्कुल गुस्सा नहीं है।
रवि की ये बातें सुनकर मेरी आंखों से आंसू गिरने लगे थे.. उसने मेरी तरफ देखा, सिर पर हाथ फेरा और मुझे अपनी गोद में लिटा लिया और गाड़ी चलाता रहा।
मैं अंदर से भाव विभोर था और रवि से प्यार करने लग गया था… लेकिन साथ ही उसकी मर्दाना जांघों पर सिर रखे हुए मेरी वासना भी जागने लगी थी और मेरे होंठ बिल्कुल उसकी जिप के सामने आ गए थे लेकिन वो आराम से गाड़ी चला रहा था।
फिर उसने पूछा- और क्या पंसद करते हो तुम मुझमें? ‘सब कुछ भैया…आपकी हर चीज़ आपकी बॉडी.. आपकी चेस्ट.. चेस्ट के बाल.. आपकी थाईज़…’
वो मेरा मुंह अपनी जिप में घुसाते हुए बोला- और ये? मैं मुस्करा दिया और हाँ बोला। मेरे हाँ कहते ही उसने अपने बाएं हाथ से मेरे सिर को आगे धकेलते हुए मेरा मुँह अपने आंडों में घुसा दिया और ऐसे ही सिर को पकड़ के आगे पीछे करते हुए जिप के उभार पर मारता रहा।
और कुछ ही सेकेंड्स में उसकी सफेद पैंट में से दिख रही काली फ्रेंची में एक सख्त रॉड सी साइड में आकर झटके मारने लगी। मैंने अब खुद ही उसको हाथ में दबाकर उसका जायजा लिया और जिप को खोलकर हाथ अंदर डाल दिया, उसकी टांगें सीट पर और चौड़ी फैल गईं और मैंने फ्रेंची के ऊपर से लंड को हाथ में ले लिया।
मेरा मुंह उसने अपनी फ्रेंची में घुसा दिया, पसीने और लंड की खुशबू लिए उसकी अंडरवियर को मैंने जीभ से चाट लिया जिससे उसके लौड़े ने जोर से ऊपर की ओर सलामी मार दी।
अब उसने खुद ही अंडरवियर हटाकर अपना 8.5 इंच का प्रीकम छोड़ रहा लौड़ा मेरे मुंह में दे दिया और गांड उठाकर मुंह को चोदने लगा। एक हाथ स्टेयरिंग पर और एक मेरे सिर पर.. वो मस्ती से मेरा मुंह चोदे जा रहा था और मैं उसके लंड को अपने गर्म मुंह में लेता हुआ मस्ती से चूसे जा रहा था।
एका एक उसने गाड़ी साइड में रोक दी और दोनों हाथों से मेरे सिर पकड़कर गले तक लंड को उतारने लगा.. मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था।
फिर उसने अपनी पैंट को घुटनों तक नीचे सरका दिया और फ्रेंची को जांघों पर ले आया जिससे उसके मोटे मोटे आंड आजाद हो गए.. उसकी जांघों के बाल और काले झाटों में उसका 9 इंच का लंड देखकर मैं भी पागल हो रहा था, उसके आंड मुंह में समा भी नहीं पा रहे थे लेकिन मैं भी रवि की कमर को बाहों में भरकर जीभ से उसके आंडों को आनंदित करने लगा।
उसने सीट पीछे की और आराम से लेटकर आंड चुसवाने लगा। मैंने उसकी शर्ट को ऊपर छाती तक उठा दिया जिससे उसका सेक्सी बदन आधा नंगा हो गया और मैं उस पर हाथ फेरता हुआ उसकी जांघों की चुम्मी लेने लगा जिससे उसका नशा और बढ़ गया।
मैं उसके आंड और लंड को बारी बारी से चूसने लगा। अब उसका लौड़ा भी काफी कड़ा हो गया था और उसका जोश भी बढ़ गया था.. उसने लंड की स्किन को नीचे किया और बोला- जरा टोपा चूस दे..
मैं लॉलीपोप की तरह उसके मोटे लाल सुपारे को चूसने लगा और वो मदहोश होने लगा.. उसका नमकीन प्रीकम बूंद बूंद करके बाहर आ रहा था जिसे मैं बार बार जीभ से चाट रहा था। वो चर्म पर पहुंचने वाला था और उसने फिर से सिर को लोड़े में घुसाया और दो झटकों में उसके वीर्य की गर्म गर्म पिचकारी मेरे गले में लगने लगी जिसे मैं प्यार से पी गया और उसका लौड़ा चाट चाट कर साफ किया।
वो उठा.. पैंट ऊपर की और उसी कातिल मुस्कान से मुस्कराया। हमने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की वालों के घर की तरफ गाडी दौड़ा दी।
कहानी अभी बाकी है दोस्तो.. आप अपनी राय देना न भूलें! जल्दी ही तीसरे भाग के साथ आपके बीच लौटूंगा.. [email protected]
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