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इस हिंदी सेक्स स्टोरी के पहले भाग कमसिन लड़की और चूत की भूख-1 अब तक आपने पढ़ा..
जब वो नहीं आई.. तो मुझसे रहा नहीं गया.. और मैं अपनी भाभी के यहाँ चला गया.. ये देखने के लिए कि वो क्यों नहीं आई। उधर जा कर देखा.. तो वो भाभी वाले कमरे में एक लड़के के साथ बैठी थी और वो लड़का मेरे भाभी का भाई था।
वो दोनों बड़े हँस-हँस कर बातें कर रहे थे और वहीं बगल में भाभी भी बैठी थीं.. मुझे लगा कि शायद उसकी सैटिंग भाभी ने करवा दी है.. मुझे ये देख कर बहुत गुस्सा आया और मैं अन्दर ही बैठ गया।
अब आगे..
मेरे आते ही वो दोनों उठ कर दूसरे कमरे में मतलब कि उस लड़की के कमरे में चले गए.. वो अपने पापा के साथ रहती थी और उसके पापा भी ड्राइवर थे और इस वक्त उसके कमरे में कोई नहीं था।
मैं वहाँ थोड़ी देर बैठा रहा और फिर वहाँ से उठ कर सीधा साइबर कैफे चला गया और वहाँ अन्तर्वासना खोल कर.. एक-दो हॉट स्टोरी पढ़ डालीं.. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं खड़े लण्ड पर खोटी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
मुझे गुस्सा उस लड़के पर भी आ रहा था.. वो इसलिए क्योंकि अगर उस लड़के ने किसी और दिन उसकी चूत मार ली होती.. या क़िसी और दिन मारता.. तो मुझे कोई गम नहीं था.. पर जिस दिन मुझे चूत मिलने वाली थी.. भैन का लौड़ा उसी दिन माँ चुदाने आ गया।
मैंने जैसे-तैसे अपने लण्ड को मुठ मार कर समझाया और कड़वा घूँट पी कर उस शाम को छत पर आ गया। छत पर वो भी आ गई.. मैं उससे नॉर्मली बातें करने लगा, मैंने उसको यह अहसास नहीं होने दिया कि मैं गुस्सा हूँ।
उसके साथ बातों ही बातों में मैंने उससे कहा- आज तो आपने का प्रॉमिस किया था.. पर आप तो आई ही नहीं? उसने बोला- हाँ यार.. मैं भूल गई थी..
मुझे पता था कि वो भूली नहीं.. उसकी माँ चुदी थी.. पर क्या करता.. चुप रहा और कहा- अच्छा कल जरूर आना। वो बोली- कल नहीं आ सकती.. क्योंकि कल सनडे है और मेरे पापा घर पर होंगे।
मैं चुप था।
वो फिर बोली- परसों पक्का आऊँगी.. मैंने बोला- ठीक है पर परसों 10 बज़े पक्के में आना। उसने बोला- ओके..
फिर हम अपने-अपने कमरों में चले गए।
मैंने वो रविवार बड़ी मुश्किल से काटा और जैसे ही सोमवार का दिन आया.. मैं उसका इन्तजार करने लगा, मुझे डर था कि कहीं वो लड़का आज फिर ना आ जाए.. और मेरा प्रोग्राम फिर से मिस ना हो जाए।
पर आज लक मेरे साथ था और ठीक 10 बजे मेरे मोबाइल की घन्टी बजी और दूसरी तरफ से स्वीट सी आवाज में वो बोली- हैलो.. मैंने बोला- हाँ जी.. वो बोली- कैसे आऊँ.. नीचे आपके गेट के पास बहुत सारे लोग हैं।
मैंने बोला- कोई बात नहीं आप ऊपर से अपनी छत से आ जाओ.. मैं नीचे अपनी फ्लोर पर सीड़ियों में खड़ा रहूँगा। उसने बोला- ठीक है।
मेरा रूम फर्स्ट फ्लोर पर था.. और जैसे ही वो आई.. मैंने उसे अपने कमरे में अन्दर कर लिया। वो मेरे बिस्तर पर बैठ गई। कोई 2 मिनट तक नॉर्मली बातें करने के बाद मैंने कहा- आप अपनी चप्पल उतार दो और आराम से बैठ जाओ न..
तो उसने उतार दीं और बिस्तर पर आराम से बैठ गई। मैं भी उसके बगल में बैठ गया और उससे बातें करने लगा।
बातों ही बातों में मैंने बोला- अपना हाथ दिखाओ.. उसने अपना हाथ बढ़ाया.. और मैं उसका हाथ देखने लगा। मैंने उससे बोला- तुम्हारी किस्मत तो बड़ी अच्छी है.. तुम्हें बड़ा सुंदर दूल्हा मिलेगा..
वो और उत्सुक होकर मेरी बातें सुनने लगी।
मैंने भी बहुत कुछ अच्छी-अच्छी बातें की.. फिर मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ से उसके हाथ को सहलाना शुरू कर दिया। पर इस तरह मैं कुछ मजा नहीं ले पा रहा था.. क्योंकि मुझे तो उसे चोदना था और वहाँ से चुदाई का कोई एंगल नहीं बन रहा था।
सो मैंने बोला- बिस्तर पर तकिया लगा कर अच्छे से बैठते हैं.. फिर तुम्हारी पूरी खोलूँगा.. बोली- क्या? मैंने कहा- किस्मत.. उसने बोला- ठीक है..
मैंने तकिया बिस्तर के सिरहाने रख दिया.. और जहाँ से बिस्तर शुरू होता है.. वहाँ बिस्तर का एक हिस्सा ऊपर को होता है.. मैंने बिस्तर में वहीं तकिया टिका दिया और आराम से बैठ गया।
उसका हाथ पकड़े रहा। दोस्तों क़िसी लड़की के साथ सेक्स करना भी एक आर्ट है और यह सबके बस की बात नहीं होती।
क्योंकि किसी के हाथ पकड़ने में और नाड़ा खोलने में बहुत अन्तर होता है.. मैंने अब तक जितनी भी कहानियां पढ़ी हैं.. उसमें हमेशा ही लड़की चुदाई के लिए तैयार रहती है.. पर मुझे रियल में ऐसा नहीं लगता है.. क्योंकि मैंने अभी तक जितनी भी चुदाईयाँ की हैं.. मेरा दिल जानता है कि मैंने उन चूतों को कैसे राज़ी किया है।
मैं अपना हाथ उसके बाजू में धीरे-धीरे फेरने लगा और अपनी बातें भी चालू रखीं.. ताकि उसे ज़रा भी यह अहसास ना हो कि मेरी नियत ठीक नहीं है.. क्योंकि मुझे मालूम है कि लड़कियां चुदाई के मामले में बड़ी सेन्सिटिव होती हैं। उनके मन में क्या चल रहा है क़िसी को कुछ पता नहीं चलता.. और पता कर पाना भी मुश्किल काम होता है।
मैंने उसकी गर्दन पर हाथ रखते हुए अपना हाथ उसके मम्मों के पास ले गया जो कि बातों ही बातों में बीच-बीच में मैं उसके मम्मों को कपड़ों के बाहर से ही टच कर रहा था।
जब उसका कोई विरोध नहीं हुआ तो थोड़ी देर मैं मैंने अपनी हरकतें तेज़ कर दीं और उसके मम्मों को प्रेस करने लगा और बातें भी करता रहा.. जैसे कि मुझे नहीं ही पता कि मेरा हाथ क्या कर रहा है।
उसने थोड़ी देर में कहना शुरू कर दिया- आप यह क्या कर रहे हो? मैंने बोला- सॉरी मुझे पता ही नहीं चला.. और आप हो ही इतनी सुंदर कि शायद मेरे हाथ की नियत खराब हो गई हो.. इसमें मेरी कोई ग़लती नहीं है।
फिर उसने कुछ नहीं कहा और मैं फिर से शुरू हो गया।
बातों के साथ अपने ऑपरेशन में अभी कोई दस मिनट के बाद मैंने अपना हाथ उसके गले की तरफ से अन्दर डालने की कोशिश की और कुछ हद तक सफलता भी पा ली.. पर उसने फिर से कहना शुरू कर दिया- मत करो न.. पर मैंने फिर से ‘सॉरी’ बोल कर बातों के साथ अपना काम चालू रखा।
मुझे एक बात का अहसास हो गया था कि लौन्डिया गरम तो हो चली है.. पर अभी पूरा खोलने में कुछ देर और लगेगी।
अब जब वो मना करती.. तो कुछ पल के लिए रुक जाता.. और फिर धीरे-धीरे शुरू हो जाता। इसी बीच उसने मेरी तरफ नजर भर कर देखा और शर्म से अपनी नजरें नीचे झुका लीं.. मैंने उसी पल उसे कस कर अपनी छाती से लगा लिया और इससे उसका सीना मेरे मुँह के पास सट गया था।
मैंने उसके सिर के ऊपरी हिस्से में उसके बालों में किस किया.. और उसकी महक को सूँघने लगा.. ज़ोर-ज़ोर से साँसें लेने लगा। उसके बाद जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने खुल्लम-खुल्ला उसके रसीले मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही मसकना चालू कर दिया।
फिर मैंने उसको स्मूच किया.. तो वो मेरा साथ देने लगी। अब हम दोनों के लिप्स एक-दूसरे से टकरा कर जीभों को महसूस कर रहे थे और हम दोनों ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं।
यह सिलसिला 5 मिनट तक चला.. फिर मैं उसके यहाँ-वहाँ चुम्बन करने लगा.. कभी गर्दन पर.. कभी गालों पर.. कभी कान की लौ पर.. कभी उसके माथे पर.. तो कभी मैं उसके मम्मों के ऊपर से ही अपने जीभ को लगा कर उसके निप्पल को चूसने की कोशिश करने लगा..
पर उसके मम्मों के पास उसके कमीज़ का हिस्सा मुझे मेरी जीभ को उसके अंगूरों को चूसने से रोक रहा था.. जो कि अब मेरी जीभ को मंजूर नहीं था.. पर मैंने बहुत कोशिश की.. कि मेरी जीभ उसे अपनी ग्रिप में ले ले.. पर ये संभव नहीं था.. सो मैंने उसके मम्मों का वो हिस्सा.. जिसे मैं चूस सकता था उसे मैं चूमता और चूसता रहा, बीच में उसको लव बाईट भी करता रहा।
फिर जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी कुर्ती में नीचे से अन्दर डाल कर उसकी ब्रा खोलनी चाही.. तो जैसे ही मेरा हाथ उसकी नाभि के पास पहुँचा.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। वो मेरे हाथ को छोड़ ही नहीं रही थी। मैं बड़ी मुश्किल से अपने दूसरे हाथ से रास्ता बना कर उसकी ब्रा तक पहुँचा और उसके हुक को खोल दिया.. पर उसने मुझे अपनी ब्रा पूरी तरह से खोलने नहीं दी।
मैंने भी जबरदस्ती करना छोड़ दिया क्योंकि मैं जानता था कि मेरा आधा काम हो गया है।
सो मैंने फिर से उससे बातें करनी शुरू कर दीं और बीच-बीच में स्मूच और किस का सिलसिला चलता रहा और मम्मों भी बाहर से प्रेस करता रहा। इसी बीच मैंने मैंने फिर से अपना हाथ अन्दर डाला और मुँह से ऊपर की तरफ से मम्मों का जो हिस्सा मेरे मुँह को मिला.. उसे मैं चूसता रहा।
अब ब्रा तो कुछ ढीली थी ही.. तो मेरे मुँह ने कुछ हद तक निप्पल्स को मुँह में डालने की विजय पा ली और अब उन्हें मैं चूसने लगा.. पर फिर भी वो वाला मज़ा नहीं आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसकी कमीज मुझे दिक्कत कर रही थी.. पर क्या करता.. अभी बाज़ी पूरी तरह से मेरे हाथ में नहीं आई थी.. सो मैंने सब काम धीरे-धीरे जारी रखा।
आपको यह बता देना चाहूँगा कि वो यह सब काम मुझे आसानी से नहीं करने दे रही थी।
उसके मुँह में अब भी ‘ना’ ही था.. वो बार-बार ‘ना’ ही कर रही थी.. उसके दिल में अभी भी ‘हाँ’ और मुँह में ‘ना’ वाला सिलसिला था.. जैसा कि बनाने वाले ने लड़कियों को ‘हाँ’ की सोचते हुए भी ‘ना’ करने का वरदान दे दिया होता है..।
मैं अबकी बार कमीज़ के अन्दर.. नीचे से पेट की तरफ से अपना हाथ डाल कर उसके मम्मों को प्रेस करने लगा.. और ऊपर गर्दन की तरफ से लेफ्ट चूचे को चूस रहा था और नीचे पीठ की तरफ़ से हाथ डाल कर अन्दर से उसके मम्मों को मसक रहा था।
इससे शायद वो अच्छा महसूस करने लगी थी… इसलिए मैंने उसकी ब्रा को पूरी तरह से अलग करके पूरी कमीज़ को ऊपर गर्दन के पास कर दी और खुद उसकी टाँगों की तरफ से उसके ऊपर चढ़ कर उसके दोनों मम्मों को एक-एक करके चूसने लगा। बीच-बीच में मैं उसे किस भी कर रहा था और स्मूच भी.. कभी गर्दन पर पेट पर और मम्मों की चुसाई भी चालू थी।
यह सिलसिला एक घन्टे तक चला.. फिर मैंने अपना हाथ उसकी सलवार के अन्दर डालना चाहा.. पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
साथियो.. इस चूत की भूख जिसमें दोनों बातें छिपी हैं एक तरफ तो चूत को लण्ड की भूख छिपी होती है और दूसरी तरफ लण्ड को चूत की भूख लगी होती है.. इसलिए आपको इस सच्ची घटना के कामरस की धार से सराबोर करके पूरा मजा देने की कोशिश करूँगा। कहानी जारी है।
हिंदी सेक्स स्टोरी का अगला भाग : कमसिन लड़की और चूत की भूख -3
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