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दोस्तो, मैं संजय उ.प्र. से हूँ। मेरी उम्र 22 साल की है और मैं आज आप लोगों को अपनी जिंदगी की हसीन दास्तान सुनने जा रहा हूँ।
बात तब की है.. जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था और मैं अपने मामी के गाँव गया हुया था, मेरे दो ममेरे भाई हैं, वहाँ पर मेरे ममेरे बड़े भाई की बेटी की शादी थी। छोटे वाले भाई अक्सर बाहर रहते हैं.. तो भाभी घर में अकेले ही रहती हैं।
मैं जब वहाँ पहुँचा.. तो सबसे पहले मैंने छोटी भाभी को देखा और देखता ही रह गया.. क्या मस्त माल लग रही थीं वो.. एकदम मस्त पटाखा.. उन्हें देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। मगर मैंने अपने आपको संभाला और उन्हें नमस्ते कह कर अन्दर आ गया।
शादी के माहौल में सभी बिज़ी थे.. तो मैंने भाभी से बात करने का सोचा और धीरे-धीरे हम एक-दूसरे से काफ़ी घुल-मिल गए।
ऐसे बातचीत करते करते 2-3 दिन तो यूँ ही निकल गए.. मगर कुछ काम नहीं बना। फिर मैंने सोचा कि मुझे ही शुरूआत करनी पड़ेगी। मैंने ही एक दिन उनसे पूछा- भाभी शादी से पहले की कुछ बातें बताइए।
तो उन्होंने बताया.. फिर जब शादी के बाद के बारे में पूछा.. तो वो रोने लगीं। मैंने उनसे कारण पूछा.. तो वो बिना कुछ कहे ही वहाँ से चली गईं। मुझे लगा कि मुझे उनसे सॉरी बोलना चाहिए।
जब सब रात में सोने की तैयारी कर रहे थे तो मैं चुपचाप जाकर हॉल में भाभी के बगल वाले बिस्तर पर लेट गया.. मगर मैं यही सोच रहा था कि कैसे भाभी से ‘सॉरी’ बोलूँ.. फिर हिम्मत करके मैंने जैसे ही बोलना चाहा.. वैसे ही भाभी ने मेरे होंठों पर अपने हाथ रख दिए।
इससे पहले मैं कुछ समझ पाता.. भाभी बोलीं- मैं तुमसे एक हेल्प चाहती हूँ। तो मैंने पूछा- कैसी हेल्प? वो बोलीं- तुम्हारे भैया तो कई दिनों तक बाहर रहते हैं और मैं यहाँ तड़पती रह जाती हूँ.. मगर मैं किसी को बता भी नहीं सकती.. इसलिए मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी प्यास बुझा दो.. प्लीज़ संजय..
फिर क्या.. मुझे तो बिन माँगे ही सब कुछ जैसे मिल गया हो। यारों मैं बता नहीं सकता कि उस समय मैं कैसा महसूस कर रहा था। मैंने कहा- ठीक है भाभी.. जैसा आप चाहो।
फिर हम दोनों सबसे छुप कर बेडरूम में गए, जाकर मैंने तुरंत दरवाजा बन्द किया और झट से भाभी को अपने बाँहों में ले लिया। हाय.. क्या मस्त चूचियाँ थीं उनकी.. ऐसा लगा जैसे उन्हें निचोड़ कर पी जाऊँ।
फिर हम दोनों एक-दूसरे में समाते चले गए, मैंने उनके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और वो बस लंबी-लंबी साँसें भर रही थीं। हम दोनों अब नंगे हो चुके थे और फिर मैंने धीरे-धीरे ऊपर से लेकर नीचे तक उन्हें खूब किस किया।
तभी मेरी नज़र उन दो फाकों पर गई.. जो गरम पावरोटी की तरह जल कर लाल हो गई थीं। मैंने उनका रस पीने के लिए अपनी जीभ को उनकी चूत में डाला.. वाह.. मुझे क्या आनन्द मिला.. जैसे मैं कोई पुरानी शराब पी रहा हूँ.. भाभी की चूत में ठीक वैसा ही नशा था।
अब उनसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था.. वो बार-बार मुझसे कह रही थीं- प्लीज़ पेल दो.. डाल दो.. मैंने भी देर ना की.. अपना 7″ का लौड़ा हाथ में लेकर हिलाया.. और धीरे से चूत पर सैट किया.. और फिर एक ज़ोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा सीधा उनकी चूत में उतार दिया।
भाभी ने पूरा दर्द बर्दाश्त कर लिया उनकी आँखों में आँसू आ गए थे। कुछ ही देर में उन्हें भी चुदाई का मज़ा आने लगा, वो मज़े लेकर चूत चुदवाने लगीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
करीब 20 मिनट तक धकापेल चोदने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तभी मैंने लौड़ा निकाल कर भाभी के मुँह में डाल दिया और थोड़ी ही देर में मेरा माल निकल गया, भाभी ने मेरा पूरा माल बड़े प्यार से पी लिया।
फिर हम दोनों वैसे ही बिना कपड़ों के ही पड़े रहे। थोड़ी देर के बाद मैंने उनकी दोनों दूध की टँकियों को चूस कर सारा रस पीकर खाली कर दिया।
दोस्तो.. मुझे चूचियों से खेलना और उन्हें पीना बहुत पसंद है और सबसे ज्यादा भाभियों को चोदना।
यह थी मेरी पहली सेक्स की दास्तान.. आप लोगों को कैसी लगी.. ज़रूर बताईएगा। मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]
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