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भाई बहन सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मामा की जवान बेटी ऐसी सेक्सी माल है. कि मैं उसे खा जाऊँ. पर वो मेरी बहन थी. मुझे उसकी एक सहेली पसंद थी तो …
दोस्तो, मेरा नाम लकी है. मुझे अन्तर्वासना की हिंदी देसी सेक्स कहानी पढ़ना बहुत पसंद हैं … तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी आप सबके सामने पेश करूं.
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली भाई बहन सेक्स स्टोरी है.
सबसे पहले तो मैं आप सबको अपने बारे में बताना चाहूंगा. मैं दिखने में ठीक-ठाक हूँ. मेरी हाईट 5 फ़ीट 10 इंच है. मेरे लंड का साइज 7 इंच है. मोटाई का पता नहीं, हां मगर इतना मोटा है कि किसी की भी चूत में जाने के लिए वो खुद ही चूत को चौड़ी करता हुआ जाता है.
अब मैं आपको अपनी बहन रूबी के बारे में बताता हूँ. रूबी मेरे मामा की बेटी है, उसका रंग न ही ज्यादा गोरा है … ना ही काला है.
उस वक़्त रूबी जवान हुई हुई थी. उसके 36 इंच के चुचे 30 की कमर और 36 इंच की गांड बड़ी ही मादक थी. वो एकदम भरे पूरे शरीर की मालकिन थी. जब वो चलती थी, तो उसकी थिरकती गांड को देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए!
और उसके चुचे देख कर तो मेरा दिल करता कि इसको नंगी करके चूचे खा जाऊं. मगर मैं ऐसा नहीं कर सकता था … क्योंकि वो मेरी बहन थी.
मगर मुझे उसकी सहेली रानी बहुत पसंद थी. रानी एकदम पतली सी थी, उसका चेहरा बिल्कुल करिश्मा कपूर जैसा था.
मुझे उससे दोस्ती करनी थी और मैं सीधे सीधे उसको कुछ बोल नहीं सकता था. तो मैंने सोचा क्यों न रूबी से ही बोल दूँ, वो खुद ही उसको बोल देगी. इसमें खतरा भी कम रहेगा और काम भी हो जाएगा.
हालांकि मैं रानी से बातें कर लेता था … मगर मेरी फटती थी कि कहीं रानी ने मुझे कुछ कह सुन दिया, तो मेरा काम लग जाएगा.
फिर एक दिन मैंने सही मौका देख कर रूबी से अपनी बात कही.
मैं- रूबी मुझे तेरे से एक बात करनी है. रूबी- क्या?
मैं- मगर डर भी लग रहा है कि तू इस बात को किसी से बता ही न दे. रूबी- तू बावला है … मैं क्यों बताऊँगी और ऐसी क्या बात है?
मैं- चल छोड़ मुझे डर लग रहा है. पता नहीं तू मेरा काम करेगी भी या नहीं! रूबी- अब बता तो सही!
मैं- पहले तू मेरी कसम खा कि तू किसी को बताएगी नहीं. रूबी- हां तेरी कसम, नहीं बताऊंगी … चल अब बता क्या बात है?
मैं- वो रानी है ना … वो मुझे बहुत ज्यादा पसंद है. रूबी- ठीक … तो मैं क्या करूं?
मैं- तू उससे मेरी दोस्ती करवा दे. रूबी- मैं किस तरह से करवा दूँ … मुझे खुद ही इन बातों से डर लगता है.
मैं- वो तेरी तो दोस्त है … बातों बातों में बोल दिओ यार … तेरी बात का तो वो बुरा भी नहीं मानेगी … प्लीज़. रूबी- चल ठीक है, मैं उसको बोल दूंगी. आगे जो वो बोलेगी … वो तेरी किस्मत!
मुझे क्या पता था कि मेरी किस्मत में तो रूबी की चूत मारना लिखा है, जो न उसने सोचा था … न ही मैंने सोचा था.
इसके बाद रूबी अपनी सहेली रानी से मिली. उससे बातें हुईं और वो ये सब मुझे बताना चाहती थी … मगर घर में सबके होते हुए नहीं बता पाई.
मैंने उससे पूछा भी तो वो बोली- शाम को छत पर बैठ कर बात करेंगे.
मैं शाम का इंतजार करने लगा. मुझे नहीं पता था कि आज मेरी बहन मुझे क्या कहेगी. मैं रानी की ख़ुशी में जल्दी छत पर चला गया और अपने बिस्तर बिछा कर लेट गया.
मैं रूबी के आने का इंतजार करने लगा.
वो करीब 8 बजे आयी और आकर मेरे बराबर में लेट गयी. पहले भी हम दोनों ऐसे ही लेटे रहते थे.
वो मुझे बताने लगी कि रानी बोल रही थी कि मुझे भी लकी अच्छा लगता है. मगर बात प्यार की है … तो मुझे ज़रा सोच लेने दे. मैं उसकी बात सुनकर खुश हो गया.
अब मैं रूबी से रानी को लेकर और चर्चा करने लगा. वो मुझसे रानी के लिए पूछने लगी कि तुझे रानी में ऐसा क्या पसंद आ गया जो उस पर मर मिटा.
मैंने रूबी से रानी के लिए सब बताया. इसके अलावा रूबी से मेरी और भी बहुत सी बातें हुईं. मैंने रूबी से रानी को बहुत प्यार करने का कहा.
वो मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुयी थी और मेरा मुँह आसमान की तरफ था.
फिर रूबी मुझसे कहने लगी- क्या करें … यह प्यार व्यार मुझे तो समझ में ही नहीं आता.
रूबी की बात सुनकर मेरा दिल तो किया कि इससे पूछ लूं कि साली तुझे प्यार की क्या जरूरत तू तो सीधे लंड चुत के मिल्न में ही भरोसा करती है. कुतिया अपनी चूत में तू कितने लंड घुसवा चुकी है … मगर कुछ बोल नहीं पाया.
मैं उसको उसकी बात का जवाब देने लगा- इस प्यार वाली बात में ऐसा नशा होता है … ऐसा मजा आता है कि दुनिया की सारी खुशियां एक तरफ … और प्यार एक तरफ.
मैंने मुँह उसकी तरफ कर लिया और न जाने क्यों कुछ ऐसी पोजीशन बनी कि मेरे पलटते ही हमारे होंठ टच हो गए.
मैं एक पल के लिए चौंका और हटने की सोचने लगा. मगर उसने मुँह पीछे नहीं किया, तो मैं भी उसी स्थिति में बना रहा. मैं ऐसे ही बोलता रहा और बार बार हम दोनों के होंठ टच हो रहे थे.
जब उसने मुँह पीछे नहीं किया तो मैं उसे किस करने लगा. उसने आंखें बंद कर लीं और मैंने भी.
मैं बस उसके होंठ चूसता रहा … चूसता रहा.
फिर जब चुदास भड़कने लगी, तो मैं अपना एक हाथ उसके चुचे पर ले गया. आज रूबी के वो मदभरे चुचे मेरे हाथ में थे, जिनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था. मैं इन्हीं चुचों की सोच कर मुठ मार लेता था.
मैं उस समय लंड हिलाते हुए सोचता था कि कोई तो इसके चुचे चूसता होगा, कोई तो इसको इतनी मोटी गांड मारता होगा. इसकी चूत न जाने कितने लड़कों ने चोद ली होगी.
इस समय मेरे दिमाग में फिर से वो सब घूमने लगा और मैंने तुरंत रूबी की कमीज ऊपर उठा दी. मेरे हाथ से उसकी ब्रा टकराई तो मैंने एक आंख को हल्के से खोल दिया. मेरी नजर के सामने उसके गोरे मम्मों पर काली ब्रा कसी थी. मैंने उसकी ब्रा को भी ऊपर कर दी.
वो कुछ भी विरोध नहीं कर रही थी और मैं नहीं चाहता था कि ये मौका हाथ से निकल जाए.
क्या बताऊं … इतने मोटे मोटे चुचे देख कर मन और लंड दोनों ही झूम उठे थे. उसके चूचों पर एकदम कड़क हो चुके काले रंग के निप्पल बहुत छोटे छोटे से थे.
मैंने उसके दोनों चुचे पकड़ लिए और बारी बारी से दोनों को चूसने लगा. पागलों की तरह मैं रूबी के चूचों को काटने लगा. मेरे दांतों के निशान रूबी के दोनों चूचों पर पड़ गए थे. वो मादक आवाज करते हुए सीत्कार रही थी.
एक पल बाद रूबी बोलने लगी- उई माँ क्या कर रहे हो … आराम से करो न … मुझे दर्द हो रहा है.
उसकी कामुक आवाज सुनकर मैंने चूचों पर जीभ फिराई और आंख खोल कर उसे देखने लगा. उसने भी अपनी आंखें खोल दी थीं.
हम दोनों की नजरें मिलीं, तो वो वासना से मेरी आंखों में झांकने लगी और अचानक से उसने मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मों पर खींच लिया. एक बार फिर से मैं उसके दूध चूसने लगा. इस बार रूबी खुद मुझे दूध पिला रही थी.
उसके हाथ में उसका एक दूध था और वो मेरे सर को अपनी तरफ खींच कर निप्पल मेरे मुँह में देते हुए हल्के हल्के से सिसियाते हुए कह रही थी- आह चूस लो … बड़ा मजा आ रहा है. पी लो पूरा दूध चूस लो.
उसकी चुदास देख कर मैंने अपने हाथ को नीचे किया और खुद ही अपना लंड जींस से बाहर निकाल कर रूबी का दूसरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया.
रूबी ने झट से मेरा लंड अपने हाथ में कसके पकड़ लिया और हिलाने लगी.
मैं बता नहीं सकता … मुझे उस वक़्त कितना मजा आ रहा था. मैं उसके चूचों को फ़िर से चूसने लगा … काटने लगा.
वो बस मादक सिसकारियां ले रही थी- अअअहह … मुम्म्म्म बस लकी … बस कर … कोई आ जाएगा … अब हट जा … आई काट मत साले … मेरी तो जान निकली जा रही है.
उसके निप्पल को मैंने दांत से काटा, तो रूबी मेरे लंड को पूरी ताकत से खींचने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था … जैसे वो मेरे लंड को जड़ से ही उखाड़ लेगी. मेरे मुँह से भी आह निकल गई.
मैंने कहा- आराम से कर मेरी जान! उसकी लंड से पकड़ कुछ ढीली हो गई.
अब मैंने हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. सलवार को पैरों की मदद से नीचे को कर दी और हाथ अन्दर डाल दिया.
आह … उसने पैंटी नहीं पहनी थी. मेरा हाथ सीधा उसकी चूत पर जा लगा था. रूबी की चूत इतनी ज्यादा गर्म थी … जैसे कोई तपती भट्टी हो.
मैं- तेरी चूत तो बहुत गर्म हो रही है. रूबी- अब और कुछ न कर … कोई आ गया … तो क्या होगा!
मैं- चोद तो लेने दे … अभी तक पता नहीं कितने लोल्ले लिए होंगे तूने इस चूत में … आज मेरा लौड़ा भी घुस जाएगा तो क्या फर्क पड़ने वाला.
वो हंस दी, तो मैंने नीचे सरक कर रूबी की चूत चाटनी आरम्भ कर दी.
मैंने चुत पर जीभ फेरी और पूछा- आह साली … कितने लंड घुसवा चुकी है इसमें बता न? रूबी- आहहहह मआआ आआ सस्शस क्या मतलब … मैंने आज तक किसी को टच भी नहीं करने दिया … लंड अन्दर जाने की बात बहुत दूर की है.
मैंने उसकी बात सुनी तो मेरे ऊपर मस्ती चढ़ गई. मैंने 69 की पोज़िशन में आते हुए पूछा- अभी पता चल जाएगा साली.
अपना खड़ा लंड मैंने उसके मुँह में घुसा दिया और मैं खुद उसकी चूत पर टूट पड़ा. मैं कभी चुत चाट रहा था … तो कभी काट रहा था.
रूबी- जान से ही मारेगा क्या? मैं- नहीं बस तेरी चूत मारूंगा कुतिया.
रूबी- तो आराम से ही कर ले न भोसड़ी के. मैं- ओके चल साली रांड सीधी होकर लेट जा.
रूबी- आराम से करिये … मेरा पहली बार है तेरी कसम! मैं- मुझे तो ऐसा लगे था कि पता नहीं साली तूने कितनों से चुदवा लिया होगा.
रूबी- नहीं यार … मैंने तो आज तक किसी से बात भी नहीं की. तुझे तो मेरे बारे में सब कुछ पता है. मैं- चल अब बातें मत चोद … सीधी होकर लेट जा.
वो सीधी हुई तो मैंने उसकी चूत पर लंड सैट कर दिया. उसने लंड की गर्मी पाकर अपनी टांगें फैला दीं और लंड चुत की फांकों में सैट हो गया.
मैंने धक्का मारा तो लंड का सुपारा चुत के अन्दर घुस गया. रूबी सुपारे की मोटाई से तड़फ उठी और बुरी तरह से कराहने लगी- आह उम्म आई … फट गई मेरी चूत … निकाल ले साले मुझे नहीं चुदवाना … आह बहुत दर्द हो रहा है. मैं- साली नाटक मत कर … अभी तो लंड चुत में घुसा भी नहीं है.
रूबी- लकी सच में बहुत दर्द हो रहा है. तू इसे बाहर निकाल ले … आह मर गई … तेरी कसम चुत में बहुत दर्द हो रहा है. मैं- बस रुक जा … जाने वाला है.
उसकी चूत सच में बहुत ज्यादा टाइट थी. मुझे खुद मेरा लंड छिलता सा महसूस होने लगा था.
फिर मैंने दांत भींचे और पूरी ताकत से धक्का दे मारा. मेरा लंड रूबी की चूत में तो अन्दर घुस गया … मगर वो ऐसे तड़प रही थी, जैसे बिना पानी के मछली हो.
रूबी- आह … मादरचोद … मैं मर गयी साले कुत्ते … आह बस एक बार तो निकाल ले … फिर डाल लिए भैन के लंड. मैं- बस हो गया कुतिया … शुरू शुरू में तो दर्द होवे ही … फिर मजा ही मजा आवे.
मैं उसको किस करते हुए हल्के हल्के धक्के मार रहा था. उसके चूचों को मसल रहा था.
कुछ देर बाद रूबी का दर्द कम हो गया और मैं तेज तेज़ धक्के मारने लगा. रूबी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसकी गांड भी नीचे से उठते हुए लंड लीलने लगी थी.
हम दोनों में खूब मस्त चुदाई हुई. मैंने रूबी की 20 मिनट तक धकापेल चुदाई की. इसके बाद में रूबी की चूत में ही झड़ गया. रूबी भी झड़ गयी थी.
मैं उससे जब अलग हुआ तो मैंने अपना लंड साफ किया. लंड पर मेरा और रूबी का माल लगा था और लंड खून में भी सन रहा था.
मैंने कंफर्म करने के लिए मोबाइल की टॉर्च ऑन की और रूबी की चूत देखी. उसकी चूत से भी खून निकल रहा था. तब मुझे बहुत हैरानी हुई कि रूबी अब तक वर्जिन कैसे थी.
फिर हमने किस किया और वो दस मिनट बाद कपड़े पहन कर नीचे चली गयी.
बहन की सहेली की चुत चुदाई का क्या हुआ … वो मैं आप सबको अगले अगली बार की सेक्स कहानी में बताऊंगा.
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