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न्यू सेक्सी स्टोरी में पढ़ें कि मकानमालिक की बेटी की चुदाई करते समय उसकी बड़ी बहन ने देख लिया. उसने मुझे घर से निकलवा दिया. उसके बाद क्या हुआ?
दोस्तो, मैं रॉकी आपका दोस्त अपनी पिछली कहानी बारिश की बूंदें और वो से आगे की कहानी लेकर आया हूँ. जिसके पहले भाग में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने नेहा की चुदाई की.
इस कहानी को अपने बहुत सराहा और मुझे आप सबके ढेर सारे ईमेल मिले. इसके लिए मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ.
अब आगे न्यू सेक्सी स्टोरी का मजा लें.
नेहा की चुदाई करते समय उसकी बहन देविका खिड़की से झांक के देख रही थी, इस बात को हम दोनों जान गए थे.
अगले दिन सुबह जब मैं अपनी ड्यूटी जा रहा था तो मेरी मकान मालक़िन अपनी लड़की नेहा को कुछ बोल रही थीं. मैं सुन तो नहीं पाया, पर समझ गया था कि क्या बात हो रही होगी.
शाम को जब मैं ड्यूटी से वापस आया, तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा कलेजा हलक से निकलने वाला है.
मकान मालकिन ने मुझे बुलाया. मैं गया तो उन्होंने मुझसे कुछ कहा तो नहीं मगर उनकी बात सुनकर मेरी गांड फट कर हाथ में आ गयी. उन्होंने सपाट स्वर में बस इतना कहा कि तुम हमारा घर ख़ाली कर दो.
मैंने भी कुछ नहीं कहा. बस मैं तो उनकी चूचियों को देखे जा रहा था.
मेरी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. मैं बस उन्हें घूरे जा रहा. उन्होंने कोई अच्छी वाली ब्रा पहन रखी थी, ये मैं उसकी दिख रही स्ट्रिप से कल्पना कर सकता था.
मेरे सामने नेहा और देविका खड़ी थीं.
वो तेज़ आवाज़ में बोली- तुम सुन भी रहे हो कि मैं क्या कह रही हूँ?
मैंने एकदम से अपनी कल्पना से बाहर निकल कर जवाब दिया- हां मैं समझ गया … कल आपका घर ख़ाली हो जाएगा. इतना बोलकर मैं चल दिया.
नेहा कुछ उदास लग रही थी, पर देविका के तो मन की हो रही थी. क्योंकि वो तो यही चाहती थी.
अगले दिन मैंने उनका कमरा ख़ाली कर दिया और मैं अपने जान पहचान के एक दोस्त के यहां तब तक के लिए रुक गया, जब तक कि मुझे कोई दूसरा रूम नहीं मिल जाता.
दो दिन कड़ी मेहनत करने के बाद भी रूम की व्यवस्था नहीं हो पाने की वजह से मैं व्यथित और थोड़ा ध्यानमग्न था कि मेरा फोन रिंग हुआ.
कोई अपरिचित नंबर था.
आमतौर पर मैं अपरिचित नंबर लेता नहीं हूँ … लेकिन उस संकट की घड़ी में किसी का भी फोन हो सकता था.
मैंने फ़ोन उठा लिया और हैलो किया तो वो देविका थी.
मेरी किसी बिन बुलाये मेहमान के आ जाने थोड़ा गुस्सा होने वाली हालत थी. लेकिन अब फोन उठा लिया था, तो बात तो करनी ही थी.
देविका- कैसे हो? मैं- बस ठीक ही हूँ.
मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे इससे क्या कहना चाहिए था.
देविका- क्यों … ऐसे क्यों बोल रहे हो? मैं- जाने दो … घर से निकलवा देने के बाद भी तुम मुझे कॉल कर रही हो. अब क्या कर दिया मैंने?
उस समय जैसे मेरे दिमाग में कई सारे ख्याल आ गए थे.
देविका- मैं बस पूछना चाहती थी कि तुमको रूम मिला या नहीं? मैं- नहीं … पूछने के लिए धन्यवाद. देविका- तुम कहो तो मुझे एक घर पता है … तुम्हें आसानी से मिल भी जाएगा.
उसके मुँह से ये सुनकर मुझे ऐसा लगा, जैसे बिना मौसम के बरसात होने लगी हो.
मैंने पूछा- कहां है? देविका- कॉफी पिलाओ … तो बताऊंगी.
मैंने- ठीक है आ जाओ. ठीक 20 मिनट में पास के सीसीडी में मिलो. देविका- ओके.
मैं अपने अनकहे ख्यालों को साथ लेकर निकल पड़ा. मेरे मन में तमाम ख्याल पल रहे थे … शायद देविका भी यही सोच कर मेरी मदद कर रही थी.
हम 20 मिनट बाद सीसीडी में मिले. उसे देख कर पहले ऐसा कभी नहीं लगा था. आज वो मुझे कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी.
काफी गहरे टॉप में से उसकी उन्नत दूधघाटी बेपर्दा होकर मेरी उत्तेजना को अपने शिखर पर ला रही थी.
अपने इन उन्मादी ख्यालों के साथ मैं अपने लंड का उभार अपनी पैंट में महसूस कर सकता था.
हम दोनों ने कॉफी पी और वो मुझे रूम दिखाने ले गयी.
मैं उसके पीछे चल रहा था. उसके 36 इंच हिप्स चलते हुये मटक रहे थे … उन्हें थिरकते देख कर अपने ऊपर कंट्रोल कर पाना, किसी के लिए भी कठिन हो सकता था.
उस घर में कोई नहीं रहता था. मकान मालिक मुंबई में रहते थे. वो मकान देविका की एक सहेली का था. अब वो मुंबई में शिफ्ट हो चुकी थी.
हमने फोन पर बात करके घर रेंट पर ले लिया और मैं देविका को थैंक्स कहने के लिए जैसे ही पीछे घूमा, वो ठीक मेरे पीछे ही खड़ी थी.
हमारी नज़रें मिल गयी थी और वो मुझे एकटक देख रही थी. लग रहा था … जैसे उसकी नजरें मेरी आंखों के पार देखना चाह रही थीं और मैं भी उसको देखे जा रहा था.
तभी मैंने अपने होंठ उसको सौंप दिए और वो किसी भूखे भेड़िये की भाति मेरे होंठों को नौचने को आतुर हो गई थीं
मैंने भी अपना एक हाथ उसके टॉप में घुसा दिया और उसके मम्मों को आटे की तरह गूंथना शुरू कर दिया. उसके मम्मे रुई की भाति सॉफ्ट थे.
मैं अपने एक हाथ से उनको मसल रहा था, तो मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे मुझे हवा मुझे कहीं उड़ाए लिए जा रही है.
मेरी हर एक मसलन पर वो ‘आह … हुम्म … आहा … किए जा रही थी.
इसी बीच मैंने अपना एक हाथ उसके लहंगेनुमा लम्बे स्कर्ट में घुसा दिया. अन्दर पैन्टी नदारद थी. मेरा हाथ सीधा जन्नत के गेट से जा लगा.
उसकी चुत पर जैसे बालों का अंबार लगा हुआ था.
मैंने महसूस किया कि उसकी चुत गीली हो चुकी थी.
मेरे हाथ लगते ही वो थोड़ा रुक सी गयी … शायद उसको अच्छा नहीं लगा था. वो जानती थी कि उसकी चुत पर ढेर सारे बाल हैं. वो रुक गयी और हम दोनों अलग हो गए.
उसने मुझसे कहा- आज नहीं … फिर कभी. ये कह कर वो जाने लगी.
देविका- आज तुम अपना सामान शिफ्ट कर लो, मैं तुमसे कल मिलने आऊंगी. मैं- ठीक है.
मैंने अपना सामान शिफ्ट किया और उस रात मुझे बड़ी ही मुश्किल से नींद आई. शायद नयी जगह और देविका की चुत चोदने के मिले झूठे ख्याल मुझे परेशान कर रहे थे.
अगले दिन मैं ऑफिस गया और शाम को वापस आया, तो पूरा भीगा हुआ था. उस दिन दोपहर से बारिश होने लगी थी. इस कारण से आज चुत चोदने की मेरी मंशा अब धुंधली पड़ने लगी थी.
मैंने अपने लिए कॉफी बनाई और बारिश को देखते हुये कॉफी पीने लगा.
तभी देविका का कॉल आया. उसने कहा कि मैं आ रही हूँ … लेकिन मैं पूरी भीग चुकी हूँ.
उसके फोन से मेरे मन में उमंग की एक लहर दौड़ गयी.
थोड़ी देर बाद उसने दरवाज़ा खटखटाया. मैंने खोला तो देखा वो पूरी भीगी हुई थी.
मैंने उसको अन्दर लेकर दरवाजा बंद किया और उसे एक तौलिया दे दिया.
वो मुझे देखते हुए अपने बाल सुखाने लगी. उसने बिना किसी झिझक के मेरे सामने अपना टॉप उतारा, तो उसके शरीर पर पड़ी एक एक बूंद ऐसे चमक रही थी … जैसे समुद्र में पड़ा सीप के मोती हों.
मैं उसके नंगे बदन को देखे जा रहा था. मुझे देख कर देविका बोली- मैं मम्मी को बोल कर आई हूँ कि आज घर नहीं आ पाऊंगी अपनी सहेली के घर रुकी हूँ.
मैंने उसकी बातें सुनते हुए तौलिया अपने हाथ में ले लिया और उसकी पीठ का हिस्सा पौंछने लगा. तौलिए के हिस्से से बाहर निकली मेरी उंगलियां उसकी पीठ पर ऐसे महसूस हो रही थीं, जैसे किसी खरगोश की बाल वाली पीठ पर हाथ फेरना लगता है.
इतना मक्खन सा मुलायम शरीर मैंने किसी लड़की का नहीं देखा था. यहां तक कि नेहा का बदन भी इतना सॉफ्ट नहीं था.
आगे तौलिया से उसकी ब्रा के ऊपर से पानी को साफ करना कितना उत्तेजक हो सकता है … शायद आप समझ सकते हो.
उसके 34 बी नाप के चूचे पहाड़ों की चोटी की याद दिला रहे थे. उसकी ब्रा से पानी अभी भी टपक रहा था. मैंने तौलिया को अपने हाथों से नीचे सरक जाने दिया और अपने कामपीड़ित हाथों से उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मदमस्त 34 बी साइज़ के मम्मों को मसलने लगा.
देविका मेरे हाथों का मादक स्पर्श पाकर कामुक सिसकारियां लेती जा रही थी.
देविका- तुम आज मेरी हर एक ख्वाहिश को पूरा कर दो, मुझे मज़ा आ रहा है … ऐसे ही करते रहो.
वो अपना सर ऊपर किए इस सबका मज़ा ले रही थी और वासना से ग्रसित हुए सिसकारियां लेती जा रही थी. उसकी ये सिस्कारियां मेरे कमरे को और कामुक बना रही थीं.
मैंने अचानक से अपने मुँह को उसकी नाभि से चिपका दिया और अगले ही पल उसके मुँह से ‘आहहा हाह ..’ निकल गयी. शायद उसके लिए ये आनन्दमयी अहसास था.
दस मिनट तक मैं उसके मम्मों और नाभि से खेलता रहा.
फिर मैं अपने पंजों पर खड़ा हो गया. क्योंकि देविका की लंबाई मेरे कद से अधिक थी. मैंने उसको किस करना आरंभ किया और अपने एक हाथ को उसकी जींस में जाने दिया.
आज वो अपनी चुत के बाल साफ करके आई थी. मैं उसकी चुत को रगड़ने लगा और अपनी एक उंगली उसकी चुत में घुसा दी.
मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे किसी तपती भट्टी में अपनी उंगली पेल दी हो.
मेरी उंगली की हरकत से वो थोड़ा ऊपर को उचक गयी और एक लंबी आहह के साथ मचल उठी.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला. वो मेरे लोवर को नीचे खींचने लगी. मैंने उसकी जींस उसकी पैंटी के साथ निकाल दी और वो मेरे लंड को बिना बाहर की हवा लगे सीधे अपने मुखपाश में ले गयी, जिससे मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया.
मैं बस खड़ा खड़ा उसके मम्मों से खेलता रहा.
दस मिनट की गर्मजोशी के बाद देविका बोली- अब मुझसे रहा नहीं जाता … मुझे चोद दो. वो मेरे शरीर पर अपने नाखून से प्रहार करने लगी.
मैंने उसको वहीं पड़ी एक टेबल पर झुका दिया और अपने लंड को उसकी चुत पर रगड़ने लगा.
कुछ देर तक लंड रगड़ने के बाद उसकी चुत से योनिरस का तेज़ प्रवाह होने लगा, जिसे मैं चखता चला गया. ये एक असीम अनुभूति का प्रमाण था, जो मुझ पर न्यौछावर था.
मैंने अपने लंड का मुँह उसके नितम्बों की घाटी से होते हुये उसे अपने गंतव्य स्थान तक ले गया.
मेरी लंबाई कम थी, तो मेरे लिए ये आसान था कि मैं उस कामुक स्थान तक आसानी से पहुंच सका. उसकी चुत के छेद पर अपने लंड को लगा कर मैंने एक हल्का सा झटका दिया, जो उसकी चुत के लिए कारगर साबित हुआ.
मेरे लंड का 3 इंच हिस्सा उसकी चुत में घुस गया था. वो इस झटके से कराहते हुए कुछ आगे को हो गयी, जिससे मेरा लंड उसकी चुत से बाहर आ गया.
उसने अपने हाथ से अपनी चुत के छेद को ढक लिया. मैंने बिना कुछ कहे, हाथ हटा कर अपने लंड को फिर से उसमें घुसाने की कोशिश की … और लंड अन्दर चला गया.
देविका कराहने लगी- आह नहीं … मुझे नहीं चुदना … आह दर्द हो रहा है … निकालो इसे बाहर! वो इधर उधर सर हिलाने लगी.
मैंने उसे समझाया- कुछ नहीं होगा, बस थोड़ा रुक जाओ. तुमको बहुत मज़ा आएगा.
मेरे बहुत समझने पर वो मानी, तब तक उसकी चुत का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था.
मैंने फिर से अपने लंड को जोर दिया और अन्दर बाहर करने लगा. इससे देविका को मज़ा आने लगा था.
अब मैं उसको उठा कर अपने बेड पर ले गया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर जम कर चोदने लगा.
वो चिल्लाए जा रही थी और मेरा लंड उसकी चुत को भेद रहा था. ऐसा लग रहा था कि कोई मेरे लंड को अन्दर से छील रहा था.
फिलहाल इस नए घर में उसकी तेज़ आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.
बीस मिनट की धकापेल चुदाई में वो 2 बार चरम सुख को प्राप्त कर चुकी थी.
बाद में मैंने उससे पूछा- माहवारी कब आई थी? उसने सिसकी भरी आवाज में कहा- चार पांच दिन बाद आने वाली है.
मैंने कहा- मेरा होने वाला है. उसने कहा- अन्दर ही निकालो. मैं ये सब महसूस करना चाहती हूँ.
मैं बंद होती पानी की मोटर की तरह शिथिल होता चला गया और मेरे वीर्य का प्रवाह तेज गति से कम होता चला गया. मेरे वीर्य की हर एक बूंद उसकी चुत में समा गयी और मैं उसके मम्मों को मसलते हुए निढाल हो गया.
देविका के चहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी. उसने मुझे किस किया और मेरे मुरझाए लंड से खेलने लगी.
रात के दस बज चुके थे. बारिश अभी भी अपने तेजी पर थी.
उस रात हमने 3 बार और चुदाई की … और ये सिलसिला आज भी चल रहा है.
यह न्यू सेक्सी स्टोरी पिछले साल की है. मैं कोई भी सेक्स कहानी तभी लिखता हूँ जब मेरे साथ कोई मादक घटना घटित होती है.
दोस्तो, न्यू सेक्सी स्टोरी कैसी लगी, जरूर बताइएगा. कोई कमी लगी हो, तब भी अपना कीमती सुझाव मुझ तक मेल से जरूर भेजें. ताकि अगली बार उसको ध्यान में रख कर सेक्स कहानी लिख सकूं. [email protected] धन्यवाद
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