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मेरा नाम राजीव है.. मैं अभी नवी मुंबई में रहता हूँ। मैं 32 साल का हूँ और सेक्स में बहुत रूचि रखता हूँ। मेरा मानना है कि सेक्स अगर स्त्री और पुरुष की मरजी से हो.. तो मज़ा आता है।
मैंने अन्तर्वासना पर प्रकाशित अभी तक की सारी कहानियाँ पढ़ ली हैं.. आज मैं आपके सामने अपनी एक रियल सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ।
बात सन 2001 की है.. जब मैं 12वीं में पढ़ा करता था। तब मैं यूपी में रहता था। मुझे सेक्स करने का बहुत मन होता था.. पर डर लगता था। मेरे घर में में मेरी विधवा चाची और मेरे बूढ़े बाबा रहते थे। मेरी चाची की उम्र करीब 29 साल की होगी। बाबा घर के बाहर बरामदे में सोते थे.. मैं और मेरी चाची दोनों छत पर सोते थे। मैं कभी चाची के बारे में ग़लत नहीं सोचता था..
गर्मी की रात थी.. पर उस रात को जाने क्या हुआ.. मुझे नींद नहीं आ रही थी। बार-बार मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। आधी रात को मैं उठा और पेशाब करने चला गया और जब वापस आया तो देखा कि चाची सो रही थीं.. पर उनका पल्लू सीने से हटा हुआ था।
मैं वहीं चाची की छाती के पास बैठ गया और चाची का सीना देखने लगा। मन कर रहा था कि छू कर देखूँ.. पर डर लग रहा था। चाची की चूचियाँ 34 इंच के नाप की होगीं। मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं कुछ करूँ और मन मार कर वहीं साथ में लेट गया.. पर नींद नहीं आ रही थी।
मैंने हिम्मत करके धीरे से उनके मम्मों पर हाथ रखा। चाची सो रही थीं.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई या हवस का नशा था.. जो सही-ग़लत नहीं समझ रहा था। मैं धीरे-धीरे उनके ब्लाउज का बटन खोलने लगा। वो अभी भी सो रही थीं.. जैसे-तैसे मैंने चार बटन खोले और अपना हाथ धीरे से उनके ब्लाउज में डाल कर एक चूची को आज़ाद किया।
चाची ब्रा नहीं पहने हुई थीं। अब मैं उसे धीरे-धीरे मसल रहा था.. तभी चाची ने दूसरे तरफ करवट ली। मैंने डर कर हाथ हटा लिया। मेरा लण्ड खड़ा था और उस में दर्द हो रहा था.. लग रहा था कि फट जाएगा।
मैं कुछ देर दसेक मिनट रुका और फिर चालू हो गया। मैंने सोचा कि जो होगा देखा जाएगा.. पर आज अपने लण्ड का पानी चाची की चूत में ज़रूर निकालूँगा। मैं फिर से चूची धीरे-धीरे मसलने लगा।
तभी मेरी चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और चूची से हटा दिया.. पर कुछ बोला नहीं। मैं कहाँ मानने वाला था.. मैं फिर से चूची सहलाने लगा। अब मुझे लग रहा था कि चाची जाग रही हैं.. पर वो सोने का नाटक कर रही हैं।
अब मैंने हिम्मत करके दूसरा चूचा भी आज़ाद कर दिया.. चाची ने करवट ली और मेरे तरफ मुँह कर लिया। अचानक चाची बोलीं- क्या चाहिए..? नींद नहीं आ रही है क्या.. सो जाओ चुपचाप।
मैं धीरे से बोला- चाची एक बार सेक्स करने दो ना.. बहुत मन कर रहा है.. प्लीज़.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा। चाची- नहीं.. ये नहीं हो सकता.. तुम सो जाओ।
मैं- मेरा लण्ड मुझे सोने नहीं दे रहा.. प्लीज़ मेरी मदद करो.. ये बहुत देर से खड़ा है.. और इसमें दर्द हो रहा है। चाची- मुट्ठ मार कर सो जाओ।
मैं- मुझे मुट्ठ मारना नहीं आता.. आप ही मार दो। चाची- तुम नहीं मानोगे.. बहुत जिद्दी हो.. चलो नीचे कमरे में.. मैं तुम्हें बताती हूँ कि मुट्ठ कैसे मारी जाती है.. इतना बड़ा हो गया और मुट्ठ मारना नहीं आता.. पर आज के बाद मुझे परेशन नहीं करना। मैं- ठीक है.. चलो नीचे कमरे में चलते हैं।
फिर चाची नीचे जाने के लिए उठीं और अपने ब्लाउज का बटन बंद करने लगीं। मैंने उनका हाथ पकड़ा- रहने दो ना.. बहुत मेहनत से आज़ाद किया है.. चलो नीचे कमरे में चलते हैं न!
कमरे में पहुँचते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और चाची को किस करने लगा। चाची ने कुछ नहीं बोला.. मैं उनकी दोनों चूचियों पर टूट पड़ा। चाची- धीरे-धीरे करो.. चार साल बाद कोई मेरी चूचियाँ छू रहा है.. दर्द होता है। मैंने कुछ नहीं कहा.. बस मम्मे मसलता रहा.. चाची भी गनगना उठीं।
चाची- तुमने पहले कभी सेक्स किया है? मैं- नहीं.. आज करूँगा। चाची- तुम चाहो तो मुझसे खेलो.. चूसो.. चाटो.. मगर मैं सेक्स नहीं करूँगी। मैं- क्यों? आप ऐसा क्यों बोल रही हैं.. मुझे सेक्स करना है.. चाची- चल अपना पैंट खोल.. मैं मुट्ठ मार देती हूँ.. जल्दी कर।
मैंने पैंट खोला.. अब मैं अंडरवियर में था, चाची बहुत गौर से देख रही थीं.. मेरा लण्ड खड़ा था। चाची ने खुद ही अन्दर हाथ डाल दिया और तुरंत लण्ड बाहर निकाल लिया।
चाची- क्या है ये? मैं- लण्ड.. चाची- बाप रे.. इतना मोटा.. बड़ा.. मैं नहीं ले पाऊँगी। मैं- क्यों चाचा का नहीं लिया था क्या.? चाची- लिया था.. पर उनका तुमसे बहुत छोटा था।
मैं- कुछ करो ना.. बहुत दर्द हो रहा है.. लगता है.. फट जाएगा। वो मस्ती से मेरा लौड़ा हिला रही थीं। फिर क्या था.. मैं समझ गया कि ये अब अपनी चूत दे देगीं।
चाची ने लण्ड को लॉलीपॉप जैसे चूसना चालू कर दिया। मेरे लण्ड का पूरा सुपारा उनके मुँह में था। मेरा मन कर रहा था कि धक्का मार कर पूरा लण्ड मुँह में डाल दूँ.. पर लण्ड का सुपारा ही मुँह में जा पा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था.. मेरे मुँह से ‘आहह.. अह..’ निकल रहा था। अभी 5 मिनट ही हुआ था कि मेरा माल निकल गया.. मैं उनके मुँह में ही झड़ गया।
चाची चटखारे लेते हुए बोलीं- बहुत गाढ़ा माल है.. आह्ह.. मज़ा आ गया.. पर मेरा क्या होगा.. मैं- सॉरी चाची.. मैं जल्दी झड़ गया.. क्या करूँ.. कंट्रोल ही नहीं हुआ। चाची- पहली बार है.. तुम्हारे चाचा का लण्ड तो हाथ लगाते ही झड़ गया था.. चल आ जा.. और मेरा भी माल निकाल दे.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा। मैं- कैसे करूँ?
चाची- ले मेरी चूत चाट.. मैं- नहीं.. मुझे गंदा लग रहा है.. भला कोई चूत भी चाटता है? चाची- चाट कर देख.. बहुत मज़ा आएगा.. चल जल्दी चाट.. देखता क्या है.. अब तो रोज ही देखना है.. आजा मेरे राजा।
ज्यूँ ही मैंने उनकी चूत पर जीभ लगाई.. वो और मचलने लगीं। मैं चूत चाटने लगा.. धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगने लगा। उन्होंने मुझे अपनी टाँगों से जकड़ लिया, फिर चाची ने 69 पोज़िशन लेने का इशारा किया, वो भी मेरे लण्ड से खेलने लगीं।
अब मुझे मज़ा आने लगा और मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैं भी ज़ोर से चूत चाटने लगा.. कभी-कभी जीभ की नोक से दाना रगड़ देता। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अचानक चाची अकड़ गईं- चो..दो.. मुझे.. जा..न.. खा.. जाओ.. चो..दो.. मुझे लण्ड चाहिए.. पूरा डाल दो। मैंने चूसना छोड़ दिया और अपना खड़ा लण्ड चूत के मुँह पर लगा दिया। एक ज़ोरदार धक्का मारा.. पर मेरा लण्ड चूत में नहीं गया। मैंने फिर से ट्राई किया.. पर फिर से फिसल गया।
फिर चाची ने मेरा लण्ड पकड़ कर चूत पर लगाया और बोलीं- धीरे से मेरे राजा.. मैंने धीरे से धक्का लगाया और चूत में सुपारा घुस गया। दूसरा धक्का लगाया और चाची चिल्लाने लगीं- छोड़ हरामी.. मुझे नहीं करना.. निकाल जल्दी.. फाड़ दी चूत.. निकाल बाहर..
मैं रुक गया और चूचियाँ चूसने लगा.. गर्दन पर किस करने लगा। कुछ देर बाद चाची कमर हिलाने लगीं.. मैं भी धीरे-धीरे धक्का लगाने लगा। अभी भी चाची की आँखों से आँसू निकल रहे थे।
मैं- बहुत दर्द हो रहा है.. तो मैं निकाल लूँ? चाची- नहीं.. अब मज़ा आ रहा है.. तेज करो.. आ..आहह..
मैं भी जल्दी-जल्दी धक्का लगाने लगा, पूरा कमरे में ‘फ़चाफ़च..’ की आवाजें गूंजने लगीं, अब चाची भी कमर उठा-उठा कर मेरा पूरा लण्ड ले रही थीं- चोद.. मुझे.. फ़ाड़ दे मेरी चूत को.. ऊम्म्म्मम.. चार साल से प्यासी हूँ.. और ज़ोर से.. आहह.. क्या मस्त चोद रहा है.. आहह.. तेरा लण्ड बहुत मस्त है.. ओह..आहह.. मेरे राजा मैं आने वाली हूँ.. ज़ोर से धक्का लगाओ.. आह्ह..
करीब 15-20 मिनट चुदाई करने के बाद अचानक से उनका पूरा शरीर अकड़ने लगा और वो ‘आ.. ऊऊऊ.. आ आ आह.. ह.. अई ह..’ सिसियाती हुई झड़ गईं। उसके तुरंत बाद ही मेरा निकलने को हुआ.. मैंने लण्ड निकाल कर उनके मुँह में दे दिया.. और उनके मुँह में ही झड़ गया।
हम दोनों कुछ देर यूँ ही निढाल पड़े रहे.. फिर चाची मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोलीं- मज़ा आया मेरे राजा? मैं तो तीन बार झड़ गई.. मैं- अभी तो शुरू किया है.. आज पूरी रात आपकी चूत लूँगा। चाची- अभी सो जा.. अब कल लेना..
उसके बाद मैंने तीन साल तक चाची की चुदाई की और फिर दिल्ली चला गया। अभी मैं एक साल से नवी मुंबई में रहता हूँ.. पर आज तक चाची जैसी मज़ा लेने-देने वाली कोई नहीं मिली। मेरी रियल सेक्स स्टोरी कैसी लगी? अपने विचार मेल करें। [email protected]
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