प्रशंसिका ने दिल खोल कर चूत चुदवाई-7

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उसके कहने से मैंने एक दारू की बोतल खरीद ली और तब तक उसने खाना पैक करा लिया और मेरे बांहों में अपनी बांहों को डाले चले आ रहे थे कि घर के पास पहुँचते-पहुँचते बहुत जोर से बारिश होने लगी जिससे हम लोग काफी भीग गये।

कमरे पर पहुँच कर हम लोगों का पहला और सिर्फ पहला काम कपड़े उतार कर नंगे होने का था और वो हम दोनों ने तुरन्त ही किया। फिर रचना ने तौलिया लेकर मेरे और अपने जिस्म को पौंछा, उसके बाद उसने अपना बैग खोला, उसमें से उसने दो काफी मंहगे शीशे के गिलास निकाले और पानी के लिये दो बोतल एक मग निकाला, पानी को उसने मग में निकाला। फिर खाने का पैकेट खोला तो उसमें केवल चिकन और सलाद के अलावा कुछ नहीं था।

मैंने उससे तरफ देखा तो बोली- आज केवल मांस की जगह है और किसी चीज की नहीं। उसके बाद उसने वो किया, जिसको देखने के बाद मेरा गुमान गायब हो गया। मुझे लगता था कि मैं ही काफी गंदे तरीके से सेक्स करता हूँ पर वो तो मेरी भी गुरू निकली।

उसने खाली बोतल उठाई और अपनी एक टांग को पास पड़ी हुई कुर्सी पर रखी और बोतल को अपनी चूत में लगा कर मूतने लगी। फिर उसी बोतल को मेरे लंड के नीचे लगाया और लंड को सहलाने लगी, उसके इस तरह मेरे लंड को सहलाने से मैं अपने आपको मूतने से न रोक सका और मेरी पेशाब की धार छूट कर सीधे उस बोतल में गिरने लगी। बाहर बारिश होने के बावजूद अन्दर उसकी इस हरकत से गर्मी हो रही थी।

दोनों के उस बोतल में मूतने से बोतल लगभग भर चुकी थी। बोतल को एक किनारे रखकर उसने मेरे लंड के सुपाड़े को अपने जीभ की टिप से चाटा और फिर बुर की फांक को फैलाते हुए मुझे भी चाटने को बोली। मेरे पास उसके चूत को चाटने के सिवा कोई रास्ता नहीं था और मैं यह भी जानता हूँ कि चूत को चाटते समय भी कहीं न कहीं पेशाब की बूँद टपक जाती है।

हालाँकि मैं यह पूरे विश्वास नहीं कह सकता हूँ, लेकिन कभी-कभी मैंने अनुभव भी उस कसैलेपन का किया है इसलिये मैंने उसकी चूत चाटी। मैं अब यह भी समझ चुका था कि वो बोतल में क्यों मूती और मुझे क्यों मुतवाया। इसलिये अब मैंने भी निर्णय ले लिया था कि उसे जो भी पसंद होगा मैं वो सब करूँगा।

मैंने शराब की बोतल उसके हाथ में दी और उसके गालों को चूमते हुए बोला- रचना, पहले पहल मुझे तुम्हारी ये हरकत अच्छी नहीं लगी, लेकिन अब अगर तुम्हें जो भी पसंद होगा वो मैं करूंगा। कहकर मैं उसके पीछे आया और उसकी चूचियों को दबाने लगा।

तभी रचना बोली- मुझे शराब बनानी नहीं आती, तुम बनाओ। मैंने बोतल खोली और दोनों गिलास में उड़ेलने लगा। इधर मैं पैग बना रहा था उधर वो मेरे पीछे आ गई और अपने हाथों से मेरे निप्पल को मसलने लगी।

शराब को गिलास में डालने के बाद मैंने रचना से पूछा- अब क्या करना है? तो रचना मेरे निप्पल को और जोर से मसलते हुए बोली- दोनों पानी मिला दो। मैंने बोतल और जग के पदार्थ को शराब में मिला दिया और रचना को अपनी तरफ खींचते हुए एक गिलास उसको देते हुए बोला- चियर्स! तुम्हारी गांड चुदाई के नाम!

तभी वो चहकी और मेरे से बोली- वो कहावत तो सुनी ही होगी, जब बकरे को हलाल किया जाता है तो उसकी भी मुराद पूछी जाती है? ‘मतलब अब तुमने कुछ नया सोचा है?’ ‘बिल्कुल!’ ‘अच्छा एक बात बताओ, इतना तुम जानती कैसे हो? सुबह तक कुछ नहीं जानती थी।’ लेकिन तुमने जो पोर्न साईट बताई थी उसी को देखती रही। तभी मुझे तुम्हारी बात याद आई कि सेक्स में मजा तब तक नहीं है जब तक उसे वाईल्ड तरीके से सॉरी गन्दे तरीके से ना किया जाये। उन क्लिप को देखकर जिसमें एक लड़की लड़के के मुँह पर खड़े होकर पेशाब कर रही थी और उसी तरह एक दूसरी क्लिप में कुछ लड़के एक लड़की के मुँह में अपनी मूत भर देते है और अपनी पेशाब की धार से उस लड़की को नहला देते है। तभी मैंने भी सोचा देखूँ तो मिस्टर शरद जो सेक्स की कहानियाँ लिखते हैं और बताते हैं कि ऐसे किया और वैसे किया और मुझे गन्दे तरीके का ही सेक्स पसद हैं, कर पाते हैं कि नही।

‘फिर क्या देखा?’ ‘यहीं आकर फेल हो गये।’ ‘हाँ यह तो मैं भी मानता हूँ… उसका कारण यह है कि तुमसे पहले किसी लड़की ने इस तरह का मेरा टेस्ट नहीं लिया। पर बाकी मेरे साथ कैसा लगा?

‘वैसे तो तुमने मुझे सन्तुष्ट कर दिया। नहीं तो मैं सोचती रहती कि मेरी जैसे बेडौल मोटी लड़की का साथ कौन चाहेगा।’ ‘यही तो… मुझे सिर्फ ऐसा पार्टनर पसंद है जो मेरे साथ खुल कर मजा ले जैसा कि तुमने लिया है। और सही कहूँ तो तुमने तो मुझे भी मात कर दिया है। तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो तो मुझे याद करना।’ ‘अच्छा य बताओ कि तुमने नया क्या सोचा है?’

हम लोग बात करते-करते एक पैग खत्म कर गये थे। अबकी दूसरा पैग रचना ने बनाया और इस बार उसने पानी का भी प्रयोग नहीं किया और मुझे गिलास देते हुए बोली- तुम मेरी गांड मारना चाहते हो तो शराब पीने का मजा मेरी गांड चाट कर लो। ‘उससे क्या है, वैसे भी मैंने तुम्हारी गांड चाटी है।’ ‘हाँ अब एक सिप लेने के बाद मेरी गांड में यय मसाला लगाओगे और फिर इसे चाटोगे। इस तरह तुम मेरे साथ करोगे और मैं तुम्हारे साथ!’

इतना कहने के साथ वो उठी और टेबल पर झुक गई। मैंने चिकन का मसाला उठाया और उसकी गांड में लगा दिया और जिस तरह वो मुझसे चाह रही थी, सिप लेने के साथ मैं उसकी गांड और वो मेरी गांड चाट रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इस तरह से उसने मेरी गांड चाट चाट कर गीली कर दी थी और मैंने उसकी। दारू और खाना खत्म करते करते मेरा लंड टाईट हो चुका था। रचना की टाईट होती चूची बता रही थी कि वो भी मस्त हो चुकी है।

बाहर हो रही बारिश अभी भी नहीं थमी थी। दारू पीने के कारण उसको काफी नशा हो चुका था, मैंने पलंग से गद्दे उठाकर जमीन पर बिछाया और रचना को सहारा देकर उस गद्दे पर पट लेटा दिया। शराब के नशे में ही रचना बोली- जानू जिस तरह से तुमने प्यार से मेरी चूत चोदी थी, उसी प्यार से मेरी गांड का भी ध्यान रखना। दोस्तो, अच्छा हुआ कि मेरे मन में कमरा लेने की बात आ गई। यदि होटल में ही रहते तो इतना खुल कर न तो रचना और न ही मैं इस खेल को कर पाते।

रचना की बात सुनकर मेरा जोश दुगुना हो गया। मैंने क्रीम निकाल कर अपने पास रख ली और रचना के चूतड़ फैला कर उसके गांड के गुलाबी छेद को थूक से भर दिया और फिर एक उँगली से उस थूक को उसकी चूतड़ के अन्दर करने लगा। रचना बीच-बीच में उंह ओह करती।

पहले उसके छेद में मैंने अपनी एक उंगली डाली और छेद को थोड़ा टाईट किया और जब एक उंगली आराम से आने जानी लगी तो दो उंगलियाँ उसकी गांड में डाल दी। कुछ ही समय में दोनो उंगलियाँ उसके गांड के छेद में अराम से आने जाने लगी तो मैंने क्रीम निकाली और छेद के अन्दर भरपूर भर दिया और अपने लंड में भी लगा ली।

लंड के उसके छेद में सेट किया, पर फिसल गया। दो तीन बार ऐसा हो चुका था कि लंड उसके गांड के अन्दर जा ही नहीं रहा था, जाता भी कैसे… मेरे दोनों हाथ उसके हिप को फैलाये हुए थे ताकि उसकी गांड का छेद सही तरीके से खुल सके। अन्त में मुझे रचना से बोलना पड़ा, फिर उसने खुद अपने चूतड़ फैलाए और तब जाकर मैं अपने लंड को पकड़ कर उसके गांड के अन्दर ठेल पाया, इतना मेहनत करने के उपरान्त केवल मेरा सुपारा ही अन्दर जा सका और रचना हल्की सी चीखी और बोली- यार, आराम से करो न।

उसकी बात को अनसुना करके एक बार फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और अबकी थोड़ी सी ताकत लगाते हुए अन्दर की तरफ ठेला।

दोस्तो, रचना की बात प्यार से गांड मारने वाली बात को अनसुना करना पड़ा क्योंकि अगर मैं ऐसा न करता तो मेरा लंड भी जवाब देने लगा था और कंट्रोल भी मैं अपने आप पर नहीं कर पा रहा था क्योंकि मेरा वीर्य कभी भी निकल सकता था। इसलिये मुझे थोड़ी ताकत लगाना पड़ा जिसके फलस्वरूप मेरा आधा लंड उसकी गांड में जाकर पेवस्त हो गया।

मेरे लंड के सुपारे में भी जलन सी हो रही थी या कहूँ कि जैसे खरोंच लगने पर टीस सी उठती है, वैसा ही अहसास मुझे भी हो रहा था। हाँ, बीच-बीच में आउच आउच की आवाज आ जाती बाकी वो शिथिल सी पड़ी हुई थी।

मैं अन्दर ही अन्दर अपने को कंट्रोल किये जा रहा था क्योंकि मैं कभी भी खलास हो सकता था। मैंने थोड़ा लंड को बाहर निकाला और फिर अंदर किया और जितनी बार मैं लंड को बाहर निकलाता उतनी बार मैं लंड में क्रीम लगा लेता, इसका फायदा यह हुआ कि लंड अब रचना की गांड में आसानी से जाता।

इस तरह की दो तीन कोशिश में मेरा लंड रचना की गांड में पूरा घुस चुका था और लंड ने अपनी जगह बना ली थी, अब केवल उसकी घिसाई करनी थी। मैंने लंड को धक्के देने शुरू किया, केवल 20-25 धक्के में ही मेरा माल निकल गया और मैं सुस्त होकर रचना के ही ऊपर लेट गया। और शायद रचना भी सुस्त हो चुकी थी।

मेरा लंड उसकी गांड में ही फंसा था, लंड सिकुड़ते-सिकुड़ते गांड के बाहर आ गया और मैं निढाल होकर रचना के बगल में लेट गया। रचना ने पट ही अवस्था में अपना हाथ मेरी छाती पर रखा, एक टांग मेरे पैर पर चढ़ाई और बोली- मार ली मेरी गांड? मैंने मुस्कुराते हुए उसे आँख मार दी।

हम दोनों ही ज्यादा थक गये थे, दो दिन से हम लोग चुदम चुदाई के खेल ही खेल रहे थे और दूसरा नशा भी हावी था कि अपनी जगह से हिला नहीं जा रहा था और मुझे पेशाब भी लगी थी। मैंने रचना से कहा- यार मुझे पेशाब लगी है, क्या तुम मुझे ले चल सकती हो?

रचना इससे पहले कुछ बोलती, मुझे मेरे नीचे कुछ गीला सा लगा, मुझे लगा कि कहीं बरसात का पानी अंदर तो नहीं आ गया क्योंकि बाहर अभी भी मूसलाधार बारिश हो रही थी। तभी वो बोली- मुझे तो चक्कर आ रहा है और मैंने यही कर दी है।

मैं खिसयाते हुए बोला- यार, तुम तो बहुत कमाल हो? तभी वो बोली- तुम्हें भी करना हो तो कर दो। मैं उठने की कोशिश कर रहा था मगर न उठ पाया तो मैं भी वही शुरू हो गया और उसके बाद हम दोनों वहीं सो गये।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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