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अभी हम चाट चाट कर मज़े ले ही रही थी कि गर्शिया आया और उसने सोनल को मेरे ऊपर से उठा दिया और सीधा करके मेरे ऊपर लेटा दिया। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसती इससे पहले ही…
दोनों मर्दों ने अपने अपने लंड हमारे मुँह में ठूंस दिये। एक दूसरे के ऊपर लेटने से हम दोनों लड़कियों चूतें एक दूसरे से जुड़ गई। मगर यह क्या गर्शिया तो हम दोनों की चूत चाटने लगा, ऊपर सोनल की चूत से अपनी जीभ फिराता वो नीचे मेरी चूत तक लेकर आता।
चाहे मैंने और सोनल ने भी एक दूसरे की चूत चाटी थी, मगर मर्द चाटने की बात ही कुछ और है, उसके चाटने से तो चूत के अंदर बिजलियाँ सी दौड़ रही थी। हम दोनों उस की चटाई से तड़प रही थी।
और फिर सोनल के मुँह से एक लंबी सी ‘आह…’ निकली… वो इसलिए कि गर्शिया ने अपना लंड सोनल की चूत में डाल दिया और उसे चोदने लगा। जब गर्शिया सोनल को चोद रहा था तो उसके बड़े बड़े आण्ड मेरी चूत से टकरा रहे थे। मैंने यह भी महसूस किया कि सोनल की चूत से टपक रहा रस मेरी चूत को भी भिगो रहा था।
और सिर्फ 5 मिनट में ही सोनल झड़ गई, झड़ते वक़्त सोनल ने अपने मुँह से राज का लंड निकाला और मेरे मुँह में दे दिया। दोनों लंड मेरे मुँह में थे और ऊपर से सोनल ने अपना मुँह भी मेरे मुँह से जोड़ दिया। हे भगवान, कितनी तड़प कर झड़ी सोनल! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसके झड़ने के बाद गर्शिया ने उसे मेरे ऊपर से उतार दिया और मेरी टाँगें खोली। मैंने सोच रही थी, ‘हे भगवान, अब मेरा क्या होगा, इतना बड़ा लंड मैं कैसे लूँगी।’ मगर देखो, उसने मेरी चूत पर लंड रख दिया और अंदर को धकेला। एक बार तो मेरी आँखें ही जैसे बाहर को निकल आई। कितना मोटा था, जैसे किसी ने अपनी पूरी बाज़ू ही मेरी चूत में डाल दी हो।
सच में धीरे धीरे करके उसने कितना सारा लंड मेरी चूत में घुसा दिया मगर उसका पूरा लंड फिर भी मेरी चूत में नहीं घुस पाया। जितना भी गया बस उसी ने ही मेरी तसल्ली करवा दी।
उसने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखी और मेरी दोनों बाजुओं को पकड़ लिया, पूरी तरह से मुझे काबू में करके उसने ताबड़तोड़ मेरी चुदाई शुरू की। जितना मैंने सोचा था, वो उससे भी कहीं ज़्यादा ताकतवर था, इतनी रफ्तार और और इतनी ताकत!! सच में साले हब्शी ने मज़ा ला दिया।
मैं तो चाहती थी कि वो ऐसे ही मुझे चोदता रहे, मगर उसकी अद्भुत ताकत के आगे मैं हार गई। उधर दोनों मर्द सोनल को आगे पीछे से चोदने में लगे थे। मगर अब किसी और की परवाह ही किसे थी।
मेरे जिस्म का एक एक अंजर पंजर उसने ढीला कर दिया, मेरे मुँह से बस ‘आ…अ..अ… आ..ह… अम्म… अह…ह…ह..ह’ ही निकल पा रहा था। मेरी हालत यह थी कि झड़ने के वक़्त मैं अपनी कमर भी नहीं हिला पा रही थी और उस जिन्न के नीचे लेटी मैं बेबस सी झड़ गई। मेरा पानी छूटा तो गर्शिया ने मुझे छोड़ा और फिर से जाकर सोनल को पकड़ लिया।
राज और उस आदमी ने मुझे पकड़ लिया, राज मुझे चोदने लगे और दूसरा आदमी ने पीछे से मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया। मगर अब इन साधारण से लंडों से कहाँ मुझे तसल्ली होने वाली थी। वो अपनी तसल्ली करके अपना अपना पानी मेरी चूत और गांड में छुड़वा कर चले गए। मगर जो गर्शिया ने किया उसका तो कोई जवाब ही नहीं था।
थोड़ी देर में गर्शिया सोनल की चूत को अपने वीर्य से भर कर आ गया। मैंने देखा कि सोनल की चूत लाल सुर्ख हो रखी थी, जब अपनी देखी तो मेरा भी वही हाल था।
उसके बाद सब एक साथ बाथरूम में नहाये और बाद में हमने खाना खाया, हम सभी नंगे ही थे। खाना खाने के बाद गर्शिया बोला- अगर ये दोनों लेडीज़ चाहें तो मैं इनमे से किसी एक की गांड मारना चाहता हूँ।
सोनल ने तभी हाथ खड़े कर दिये- नहीं, मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती, मैं तो बस वापिस जाना चाहती हूँ। तो राज ने दूसरे आदमी को सोनल को छोड़ने के लिए भेज दिया। इसका मतलब यह था कि अब मेरी गांड भी फटने वाली थी।
पहले तो गर्शिया ने मेरी गांड को बहुत प्यार से चाटा। फिर जब उसने अपना लंड मेरी गांड पे रखा तो मैंने उसे कहा- ध्यान से गर्शिया! वो बोला- चिंता मत करो, तुमसे पूछ कर ही सब करूंगा। और फिर उसका मोटा लंड मेरी गांड से लगा और गर्शिया ने ढेर सारा थूक भी लगाया, अपना लंड अंदर को धकेला।
मेरे मुँह से चीख निकल गई, मगर उसने मुझ पर कोई दया नहीं की और अपने लंड को धकेलता ही रहा और अपने लंड का टोपा उसने मेरी गांड में घुसेड़ दिया। बे इंतेहा दर्द हुआ, मैंने दर्द से तड़पते हुये गर्शिया से पूछा- क्या खून निकल रहा है? गर्शिया ने कहा- हाँ थोड़ा सा!
मगर इसके बावजूद भी वो रुका नहीं धीरे धीरे मुझे ‘बेबी… बेबी…’ कह कर लगा रहा और जितना लंड वो डाल सकता था, उसने मेरी गांड में डाल ही दिया। और उसके बाद चुदाई। मगर जब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकी तो मैंने गर्शिया को मना कर दिया।
उसने मेरी गांड से लंड निकाल कर चूत में डाल दिया। मैं उल्टी लेटी थी वो पीछे से ही मुझे चोदने लगा। मैं उसके वज़न के नीचे दबी पड़ी थी और वो राक्षस मुझे चोदता रहा। मैं निरीह हिरनी एक शेर की चुंगल में तड़प रही थी।
मगर इस बार तो उसने और भी ज़्यादा समय लगाया। मैं दो बार झड़ गई, मगर वो तो लगा ही रहा। मैंने उससे विनती की- मुझे छोड़ दो, अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती!
उसने अपना लंड निकाल लिया तो मैंने अपनी चूत पकड़ ली। यह बिल्कुल वैसा ही एहसास था, जैसा पहली बार लंड लेकर अपना कौमार्य खोने का था। तब भी मुझे इतना दर्द नहीं हुआ था, जितना आज हुआ था। मैं लेटी रही।
राज बोले- जानती हो सीमा, जब गर्शिया ने मेरी पत्नी के साथ सेक्स किया था तो उसकी भी चूत और गांड दोनों सूज गई थी, तीन दिन वो पोट्टी नहीं कर पाई, बहुत दर्द झेला बेचारी ने, यह आदमी नहीं वहशी है वहशी! सच में वो वहशी ही था।
दो दिन और दो रात में मैं 12 बार चुदी, मगर इतनी तसल्ली मुझे 10 बार और लोगों से चुद कर नहीं हुई, जितनी दो बार में इस हब्शी ने करवा दी।
अपनी सूजी हुई चूत और गांड लेकर अगले दिन मैं वापिस अपने घर वापिस आ गई। और सच कहती हूँ, अगले पूरे हफ्ते मेरे दिमाग में सेक्स का विचार तक नहीं आया।
आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मेरी ई मेल आई डी पर मेल भेज कर अपनी राय दें। बस अपनी छोटी मोटी लुल्ली की झूठी तारीफ मत करना, जिसने 11 इंच का लिया हो उसे 6-7 इंच का भारतीय लंड कुछ नहीं लगता। [email protected]
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