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मेरा नाम अखिल है.. मैं 37 साल का शादीशुदा.. औसत कद-काठी का मर्द हूँ। मैंने अपने शरीर को कसरत कर-करके बहुत फिट रखा हुआ है। मेरे औजार (लंड) की लंबाई और मोटाई अन्तर्वासना के और पाठकों के जैसी ही है.. पर मेरे अन्दर सेक्स कूट-कूट कर भरा हुआ है।
मैं पुणे की एक प्राइवेट कंपनी में मैंनेजर हूँ और अन्तर्वासना का बहुत ही पुराना पाठक हूँ।
मेरी यह कहानी मेरी आपबीती और एक सच्ची कहानी है.. जोकि मेरे और मेरे एक क्लाइंट की पत्नी.. जिसका नाम आरती (बदला हुआ) है.. के बीच में 3 महीने पहले घटी थी।
हुआ यूँ कि मेरे एक बहुत पुराने क्लाइंट जोकि मेरी कंपनी से और मेरे से कई सालों से डील कर रहे हैं.. एक दिन मेरे ऑफिस में अपनी पत्नी आरती के साथ आए।
उनकी पत्नी क्या माल औरत है.. मुझे तो पता ही नहीं था। एकदम गोरी.. लंबे काले बाल.. फिगर तकरीबन 34-30-36.. उठे हुए कड़क मम्मे.. गदराया हुआ मादक जिस्म.. उम्र लगभग 36-37 वर्ष.. एकदम हँसमुख और एक्टिव औरत है।
बातें करते-करते उसने मेरा मोबाइल नंबर माँगा और मैंने दे दिया.. क्योंकि उसे कुछ बिजनेस के बारे जानकारी लेनी थी। वो लोग तकरीबन 1.5 घंटे मेरे ऑफिस में रुके और मैं बातें करते-करते पूरे समय यही सोचता रहा कि काश यह औरत एक बार मेरे साथ सेक्स के लिए राज़ी हो जाए.. जिन्दगी में मज़ा आ जाए..
और शायद किस्मत को भी यही मंजूर था।
तकरीबन 6-7 दिन के बाद मेरे पास उसका फोन आया और उसने बिजनेस को ले कर काफ़ी लंबी बातें कीं.. और बोली- क्यों न हम लोग मिलें और मिल कर बाकी का कम निपटा लें? मैंने थोड़ा सा सोचा कि मिलने में कोई बुराई नहीं है।
उसने मुझे अगले दिन अपने घर आने का न्योता दे दिया मुझे तो लगा कि मेरी मुराद पूरी हो गई।
मैं बताए हुए पते पर बिल्कुल टाइम पर पहुँच गया और साथ में लाल गुलाबों का एक गुलदस्ता ले गया। घंटी बजाते ही उसने दरवाजा खोला.. यूँ लगा मानो मेरा ही इंतज़ार कर रही हो।
मैं भी दरवाजा खुलते ही उसको देखता रह गया.. लाल रंग की केप्री और सफेद रंग का टॉप.. जिसका गला बहुत बड़ा था और उसके आधे से ज़्यादा मम्मे तो उसमें से बाहर ही दिख रहे थे.. ऊपर से उसका कपड़ा भी थोड़ा पतला सा ही था.. उस ड्रेस में वो क्या पटाखा माल लग रही थी।
आरती के ‘हैलो’ बोलने पर.. मैं जैसे नींद से जागा और मैं भी ‘हैलो..’ बोला। वो मेरे इस भाव को समझ गई और थोड़ा मुस्कराते हुए तुरंत बोली- अन्दर भी आएंगे.. या बाहर ही खड़े रहेंगे।
मैं भी जैसे नींद से जागा और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया और उसको फूलों का गुलदस्ता देते हुए सोफा पर बैठ गया। उसने बड़ी अदा से बड़ी सी मुस्कान के साथ गुलदस्ता लिया और फूलों को सूँघा।
मैंने चारों तरफ आँखें घुमा के देखा तो.. मुझे उसके घर पर कोई नजर नहीं आया। मैंने पूछा- भाभी जी, घर पर कोई नहीं है क्या?
उसने बताया कि उसके पति 2-3 दिन के लिए पुणे से बाहर गए हुए हैं और उसका बेटा अपने नाना के घर गया हुआ है। वो बोली- आप क्या लेंगे पीने के लिए? मैंने बोला- जो आप पीएंगी.. मैं भी वो ही पी लूँगा।
तो वो हँसने लगी और बोली- सोच लो.. कहीं बाद में मना न कर देना।
इतना कह कर वो अपनी बड़ी से पिछवाड़ी (चूतड़) मटकाते हुए रसोई में चली गई। उसके मटकते कूल्हे देख कर और सोच कर कि वो घर पर अकेली है.. मेरे अन्दर झनझनाहट हो गई.. पर मैं चुपचाप बैठा रहा और उसके आने का इंतज़ार करने लगा।
कोई 5 मिनट के बाद वो आई.. साथ में दो कप चाए ले कर आई और मेरे बिल्कुल पास सोफे पर बैठ गई।
मैंने पूछा- भाभी जी अब बताइए और क्या चल रहा है.. तो वो बड़ी उदास होकर बोली- हमारी जिन्दगी में तो उदासी ही है.. और क्या चलेगा। मैंने पूछा- ऐसा भी क्या हो गया कि आप इतनी उदास हो। तो वो बोली- यह तो मेरी किस्मत ही खराब है.. और कोई कुछ भी नहीं कर सकता है।
ये कहते हुए उसकी आँखों से आँसू आने लगे।
तो मैंने सहानुभूति जताते हुए पूछा- प्लीज़.. बताओ कि क्या बात है.. उससे आपका बोझ कम हो जाएगा। पर वो तो और सुबक़-सुबक़ कर आँसू बहाने लगी.. तो मैंने उसके कन्धे पर हाथ रखा और सांत्वना देते हुए अपने रुमाल से आँसू पोंछने लगा।
ऐसा करते ही उसने अपना सर मेरे कन्धे पर रख दिया और मैंने उसके गालों से आँसू पोंछे।
तभी मेरी कोहनी उसके मम्मों पर टच होने लगी और मैंने महसूस किया कि उसने कोई एतराज़ नहीं किया। मैंने पक्का यकीन करने के किए जानबूझ कर थोड़ा ज़ोर से कोहनी को दबाया.. पर उसने अब भी कोई एतराज़ नहीं किया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो बोली- आप इतना ज़ोर दे रहे हो.. तो बताती हूँ कि उदासी की वजह क्या है। उसने बताया कि प्राइवेट कंपनियों में काम का बोझ तो बहुत होता ही है.. इसलिए उसके पति को हर वक़्त अपने काम की चिंता रहती है। इसी वजह से इस उम्र में ही उसकी सेक्स लाइफ में काफी ठहराव सा आ गया है।
मैं सुनता रहा।
उसने आगे बताया- अब मेरे पति में वो पहले जैसा जोश या ताकत भी नहीं रही है.. कई बार तो मैं काफ़ी देर उनके उसको (लंड) अपने मुँह में लेकर चूसती रहती हूँ.. मगर उनमें जोश ही नहीं आता। कभी-कभी उनका वो थोड़ा बहुत सर उठाता भी है.. मगर कड़क नहीं होता और वैसे ही ढीला का ढीला पड़ा रहता है.. और चूसने से ही स्खलित होकर ढीला हो जाता है.. और मैं मन ही मन में रोकर रह जाती हूँ।
मैं सुने जा रहा था।
उसने आगे बताया- यूँ समझो कि मुझे संतुष्ट हुए (चुद कर स्खलित हुए) तो अरसा बीत गया है.. मेरी बहुत सी सेक्सी इच्छाएँ (फंटेसीज) हैं.. जोकि मेरे पति पूरा नहीं कर पाते हैं।
उसकी ये बातें सुनते ही मैंने उसका सर अपने कन्धे से हटाना चाहा.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- आप चाहें तो मेरी उदासी दूर कर सकते हैं।
मैंने कहा- नहीं.. यह ठीक नहीं है.. क्योंकि मैं एक शादी-शुदा और एक अच्छे घर का आदमी हूँ.. ना कि कोई जिगोलो या प्रोफेशनल सेक्स वर्कर हूँ।
तो उसने सुबकते हुए कहा- मैं यह जानती हूँ.. मैं भी कोई ऐसी-वैसी औरत नहीं हूँ.. जोकि हर मर्द के साथ सो जाऊँ.. वो तो मैं अपने तन की आग में जल रही हूँ और इसके बावजूद भी मैंने कभी बाहर मुँह नहीं मारा। मुझे पता है कि बहुत से मर्द मुझ पर लाइन मारते हैं। कई बार मैंने सोचा भी कि चलो ये वाला अच्छा है.. सुंदर है.. जवान है.. ये मेरे तन की आग बुझा सकता है.. मगर नहीं.. फिर सोचा कि अगर कल को बाहर पता चल गया.. तो बदनामी होगी और मेरा घर भी टूट सकता है।
तभी मैंने पूछा- फिर तुम मेरे साथ यह सब करने को क्यों और कैसे तैयार हो गईं? उसने बताया- मेरे पति मुझसे आपके बारे में बहुत बातें करते हैं कि आप एक बहुत ही शरीफ और भरोसेमंद इंसान हैं। जब मैं आपसे पहली बार मिली थी.. तो मैं आपको देख कर चकित रह गई थी और तभी मैंने यह सोच लिया था कि मैं अपनी प्यास आप से ही बुझवाऊँगी।
इतना कह कर वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ मना मत करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैं उसकी बातें सुन ही रहा था कि उसने फिर से गिड़गिड़ाते हुए कहा- तुम्हारा क्या जाएगा.. और मेरा भला हो जाएगा.. और मुझे जीने का मकसद मिल जाएगा.. मेरी सूखी जिन्दगी में बहार आ जाएगी।
मैं कुछ बोलता.. इससे पहले वो मुझसे कसकर लिपट गई और मेरे होंठों को बेतहाशा चूसने लगी। पहले पहल तो मेरी बुद्धि भक्क से उड़ गई.. मैं सोच रहा था कि इसको कैसे पटाऊँ और ये तो पटा-पटाया माल निकला।
दोस्तो.. आगे इस रसीली दास्तान को जानने के लिए मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए.. बस कल मिलते हैं। तब तक के लिए नमस्कार.. आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा। आपका अखिल.. [email protected]
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