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यह कहानी मेरे भाई प्रवीण की है.. जो उसने मुझे बताई थी। उसने जैसा कहा.. वैसा ही मैं यहाँ पेश कर रही हूँ।
एक रात मेरी ट्रेन लेट हो जाने के कारण मुझे बीना रुकना पड़ा.. तब राजेश मुझे उसके घर ले गया था। हम दोनों दो अलग बिस्तरों पर सो कर बातें कर रहे थे.. उसी वक्त मेरा दिल उस पर आ गया और मैं उसके बेड पर चला गया। उसने भी मुझे जगह दे दी और हम फिर से बातें करने लगे।
बातों-बातों में मैंने कहा- न जाने क्यों मेरी निक्कर लूज हो गई है। उसने कहा- देखूँ तो.. और उसने मेरी निक्कर का इलास्टिक खींच कर उसे थोड़ा नीचे किया। मेरी निक्कर वाकयी लूज थी इसलिए वह तुरंत मेरे गोल कूल्हों से नीचे खिसक गई। मैंने भी उसे ऊपर नहीं किया.. बल्कि राजेश के निक्कर की इलास्टिक में हाथ डाला और धीरे से उसकी झाँटों को सहलाया। उस वक्त मेरी उंगलियाँ उसके लौड़े से टच कर गईं और बस उसका लौड़ा सख्त होने लगा।
राजेश भी अब मेरे गोल-गोल कूल्हे सहला रहा था। लेकिन हम दोनों में से कोई भी और आगे बढ़ने का साहस जुटा नहीं पाया और बात वहीं पर रुक गई।
लेकिन अब राजेश जब झाँसी आया.. तब मैंने उसे हमारे यहाँ ठहरने के लिए बुलाया। मैं यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। मैं घर पर अकेला था और राजेश कम से कम 15 -20 दिन तो रहने ही वाला था। इस दरम्यान मैं उससे अपनी गाण्ड मरवाना चाहता था, उसके लौड़े का सख्त और मोटा रूप मेरे मन में बस गया था और मेरी गाण्ड उसे अन्दर लेने के लिए तरस रही थी।
फिर वह शाम आ गई। हम दोनों खाने के बाद दो पलंगों पर अगल-बगल लेटे हुए थे। बातों-बातों में मैंने राजेश को कहा- आप मेरे बिस्तर पर आओगे क्या? उसने कहा- क्यों नहीं..
वह तुरंत मेरे पलंग पर आ गया और मेरे बगल में लेट गया। हम दोनों ने बस लुंगी पहनी हुई थी। मैं उससे चिपक गया.. तो वह मुझे प्यार से सहलाने लगा। मैं पलटा और उसकी तरफ पीठ करके लेट गया। धीरे से मैंने अपने कूल्हे उससे सटा दिए। उसने मुझे बाँहों में भर लिया और मुझे सहलाने लगा। मैंने धीरे से अपनी लुंगी ऊपर को की.. ताकि मेरे कूल्हे उसके बदन को छू सकें।
उसने भी मेरा इशारा समझ कर अपनी लुंगी ऊपर की और अपना लौड़ा मेरी गाण्ड की फाँक में हल्के से घुसाया और वह मेरे कूल्हे दबाने लगा। उसके लौड़े का स्पर्श होते ही मेरी गाण्ड का छेद सरसराया और मुझे थोड़ा डर भी लगा.. क्योंकि उसका लौड़ा बहुत ही मोटा और लम्बा था।
मैंने धीरे से कहा- मैं इसे चूमना चाहता हूँ। उसने कहा- ठीक है.. लेकिन एक शर्त पर। मैंने कहा- क्या? उसने कहा- मेरे लण्ड को तुम्हें मुँह में लेना होगा और चूसना भी पड़ेगा। मैंने कहा- मेरा तो खुद यही इरादा था..
उसने कहा- तो लो.. पहले मेरा लण्ड मुँह में लो.. फिर उसे अपनी गोल गदराई गाण्ड में अन्दर तक लेना पड़ेगा। मैं मुस्कुरा दिया।
वह खड़ा हो गया और मैंने उसका लौड़ा अपने मुँह में लिया और धीरे से चूसने लगा.. बहुत मज़ा आने लगा। राजेश ने मेरे बाल हल्के से पकड़ कर मेरे मुँह को अपने लौड़े पर खींच लिया.. ताकि उसका लौड़ा पूरा का पूरा मेरे हलक तक पहुँच जाए। फिर उसने हल्के-हल्के झटके लगाने शुरू किए और मेरा मुँह चोदने लगा।
मैं तो उसकी झाँटों के पास से आ रही मर्दानी खुशबू से ही पागल हो रहा था। मैं प्यार से उसके अँड़ुए सहलाने लगा और उसके कूल्हे पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचने लगा। वो बुदबुदाया- आह्ह..रानी.. मैं अब बस झड़ने ही वाला हूँ.. क्या करूँ..?
मैंने अपना मुँह और ज्यादा दबा कर उसे इशारे से समझाया- हाँ.. चलेगा.. मैं तुम्हारे वीर्य का स्वाद चखना चाहता हूँ। मेरा इशारा पाते ही उसने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए और थोड़ी सी देर में उसने अपना ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में उतार दिया। उसने मेरा सर जोर से पकड़ रखा था इसलिए मुझे उसका वीर्य गटक जाना ही पड़ा।
उसका नमकीन स्वाद मुझे अच्छा लगा.. लेकिन राजेश इतनी ज्यादा मात्रा में झड़ गया था कि उसका बहुत सा वीर्य मेरे मुँह से बाहर आकर मेरी ठोड़ी पर फैल गया और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसे भी चाट लिया।
मैं अपनी हवस से खुद आश्चर्यचकित हो गया था। मैंने कहा- मेरा मुँह तो भर गया.. लेकिन मेरे दूसरे नीचे वाले मुँह की प्यास अभी बाकी है।
राजेश का ढीला लंड अब बाहर आ गया था और किसी बच्चे जैसा दिखाई दे रहा था, उसने उसे सहलाते हुए कहा- मेरी रानी.. वह प्यास तो मैं जरूर बुझाऊँगा.. लेकिन ये महाशय अपना सारा माल तुम्हारे अन्दर डाल कर जरा लुल्ल से हो गए हैं.. इन्हें तुम चूसती रहो.. तुम्हारे चूसने में जो जादू है.. उससे ये फिर से तन्ना जाएंगे.. लो.. ले लो इन्हें फिर से अपने प्यारे से मुँह में..
मैंने कहा- ठीक है.. मेरे राजा.. तुम लेट जाओ.. मैं तुम्हारा लण्ड चूसती हूँ। उसने कहा- हाँ ये हुई ना बात.. तुम बस खुद को लड़की समझ कर ही मुझसे बातें किया करो.. क्योंकि मेरे लिए तुम एक लड़की ही हो। तुम मेरा लौड़ा चूसो और मैं तुम्हारी गाण्ड की चुम्मियाँ लूँगा.. तुम अपनी गाण्ड मेरे मुँह पर रखो।
हम दोनों अब 69 की पोजीशन में आ गए.. मैं उसका लौड़ा चूसने लगी और वो मेरे कूल्हे चाटने लगा। इससे मैं और ज्यादा मस्ती में आ गई, बिल्कुल किसी कुतिया जैसी.. मुझे तो शॉक उस वक्त लगा.. जब राजेश अपनी जीभ से मेरी गाण्ड का छेद चाटने लगा।
मैंने हाँफते हुए कहा- यह क्या कर रहे हो? उसने कहा- अपनी जीभ से भी तुम्हारी गाण्ड मारना चाहता हूँ। मैंने कहा- लेकिन वह जगह तो गन्दी होती है।
उसने कहा- बिल्कुल नहीं.. मुझे तो बहुत अच्छी लग रही है और ऐसा मैं पहली बार कर रहा हूँ.. क्योंकि मैं तुमसे और तुम्हारी हर चीज से बहुत प्यार करता हूँ.. इसीलिए तुम्हारी हर चीज मुझे बेहद पसंद है.. ख़ास कर ये तुम्हारी गाण्ड और इसका ये प्यारा सा छेद..! सच कहूँ तो मुझे वाक़यी यहाँ से एक ऐसी महक आ रही है.. जैसी मेरे बीवी की चूत से आती है।
मैंने हैरान हो कर कहा- क्या तुम सच कह रहे हो..? सिर्फ मेरा दिल रखने के लिए तो नहीं ना.? उसने कहा- नहीं.. मेरी रानी.. मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ और अब मुझे यकीन हो गया है कि तुम आधी लड़की ही हो.. और भगवान ने तुम्हें चूत की जग़ह यह गदराई गाण्ड दी है.. वह भी मेरे लिए।
वो सचमुच मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा.. मेरे बदन में तो जैसे बिजली का करंट दौड़ गया और मेरी गाण्ड का छेद सिहरने लगा।
राजेश ने अपनी जीभ धीरे से उस छेद के अन्दर घुसाई। मेरी साँस अपने आप रुक गई.. लेकिन उसने अपनी जीभ और भी अन्दर घुसाई.. और बाँहें निकाल कर बोला- अरे.. मेरी जीभ भी तुम्हारी गाण्ड में आसानी से जाती है और तुम्हारी गाण्ड तो अन्दर से साफ हैं.. मुझे कोई घिन नहीं आ रही है न ही मुझे कोई बदबू आ रही है। अब यह स्पष्ट हो गया कि गाण्ड के छेद के अन्दर जीभ डालने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन ये क्या.. तुम्हारा लौड़ा तो झड़ने लगा..!
उसके लौड़े से होंठ हटा कर मैंने कहा- हाँ.. भगवान ने मुझे लौड़ा भी तो दिया है.. मेरी पत्नी की चूत के लिए। पता नहीं भगवान ने मुझे ऐसा दोहरा क्यों बनाया है।
राजेश ने मेरी गाण्ड के छेद की चुम्मी लेते हुए कहा- ताकि मेरे जैसे गाण्ड के दीवानों का काम बन जाए। मैं तो बस अब सिर्फ तुम्हारी गाण्ड मारने के लिए ही अपना लौड़ा यूज करूँगा। मैंने कहा- मैं भी अब बस तुमसे ही अपनी गाण्ड मरवाऊँगी.. लेकिन तुम्हारी बीवी का क्या होगा?
उसने कहा- वह काफी अच्छी है और खूब गरम भी है। फिर भी मुझे उसके साथ सेक्स में कोई ख़ास मजा नहीं आता और मैं जल्दी झड़ जाता हूँ। तुम चाहो तो मेरी बीवी को चोद सकते हो।
मैंने हैरानी से कहा- यह तुम क्या कह रहे हो.?
दोस्तो, मैं इस कहानी को आगे बिल्कुल उसी तर्ज पर लिख रही हूँ.. जैसा घटा था।
कहानी जारी है। मेरा भाई गान्डू है, दोस्त का लन्ड लेता है -2 मेरा भाई गान्डू है, दोस्त का लन्ड लेता है -2
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