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दोस्तो, मेरा नाम सागर है.. मैं इंदौर से हूँ, मुझे सेक्स में बहुत रूचि है।
मैं आपको अपनी आपबीती के बारे में बता रहा हूँ.. मेरे पड़ोस में एक कपल रहते हैं.. मैं उन्हें भैया-भाभी कहता हूँ। भैया एक कंपनी में जॉब करते हैं और अक्सर बाहर ही रहने आए थे।
भाभी क्या ग़ज़ब की सेक्सी हैं.. उनका नाम शीतल है। उनकी मदमस्त जवानी को कोई भी देख कर पागल हो जाए.. एकदम गोरा रंग.. बड़े-बड़े मम्मे.. और बलखाती कमर तो इतनी लाजवाब थी बस बिना मुठ्ठ मारे नींद ही नहीं आती थी। कुछ ही दिन में वो हमसे काफ़ी घुल मिल गए।
यह बात 2 महीने बाद की है.. मैं पढ़ रहा था कि तभी भाभी ने मुझे बुलाया। मैं गया.. तो उन्होंने कहा- मेरी सासू माँ की तबियत खराब है और तुम्हारे भैया दो दिन के लिए बाहर गए हैं.. तो क्या तुम मुझे उज्जैन तक तक बाइक से छोड़ दोगे? तो मैंने कहा- हाँ ठीक है.. चलिए।
उस दिन तो मुझे ऐसा लगा कि जन्नत ही मिल गई है। उन्होंने कहा- मैं 5 मिनट में रेडी होकर आती हूँ! और जब वो आईं तो मैंने पूछा- चलें? उन्होंने कहा- ठीक है चलो..
वो मेरे पीछे बैठ गईं.. तो हम लोग चल दिए वहाँ जाने का रास्ता बहुत अच्छा था तो मैंने गाड़ी की स्पीड तेज कर दी.. तो भाभी ने मुझे पकड़ लिया और अपने मम्मों को मेरी पीठ से सटा दिया, मेरी तो हालत खराब होने लगी।
हम लोग बातें करते हुए जा रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा- सागर तुम बहुत स्मार्ट हो.. तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड तो होगी ही। मैंने कहा- हाँ भाभी मेरी गर्लफ्रेंड है.. फिर उन्होंने मुझसे कहा- अच्छा.. तुमने उसके साथ कभी सेक्स किया है? मैंने कहा- हाँ भाभी किया है.. हफ्ते में कम से कम 2 बार तो कर ही लेता हूँ.. पर आप क्यों पूछ रही हो? तो उन्होंने कहा- बस ऐसे ही..
कुछ दूर जाने के बाद उन्होंने कहा- सागर मुझे पेशाब लगी है.. मैंने गाड़ी रोक दी.. वहीं खेत था तो मैंने उनसे कहा- आप झाड़ियों में जाकर कर लो। उन्होंने कहा- नहीं.. मुझे झाड़ियों में डर लगता है.. तुम भी साथ चलो..
मैंने पहले कुछ सोचा.. फिर मैं उनके साथ गया.. तो उन्होंने कहा- तुम अपना मुँह उधर को करो। मैंने कहा- क्यों भाभी, शर्म आ रही है क्या? वो बोली- हाँ, तुमसे थोड़ी शर्म आ रही है।
मैंने पूछा- फिर कैसे होगा? तो कहने लगी- सब्र करो.. सब्र का फल मीठा होता है।
फिर मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.. पर मैं कनखियों से देखता रहा। भाभी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और नीचे की.. फिर अपनी गुलाबी पैन्टी नीचे की। उनकी जाँघें देख कर तो ऐसा लगा कि अभी जा कर उसे चूम लूँ।
भाभी अब मूतने लगी थीं.. मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैं चोरी से उन्हें देखने लगा। उनके गोरे-गोरे चूतड़ों को देख कर मेरा लण्ड कड़क हो गया। उनका ध्यान मेरी तरफ ही था.. वो मूत रही थीं तो धार काफ़ी दूर तक जा रही थी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया और सोचने लगा कि जा कर उनकी चूत में अपना मुँह लगा दूँ।
जब वो उठीं.. तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा। हम फिर से चलने लगे। तभी उन्होंने कहा- तुम क्या देख रहे थे? मैंने बोला- कुछ नहीं भाभी..
उन्होंने बोला- मैं सब समझती हूँ। मैंने पूछा- आप क्या समझीं? तो वो चुप हो गईं और उनकी नज़र मेरे लण्ड पर टिक गई। वे मेरे खड़े लौड़े को काफ़ी गौर से देख रही थीं। वो बोलीं- क्यों गर्लफ्रेंड की याद आ गई क्या?
मैं कुछ नहीं बोला.. कुछ ही देर में हम अपने गंतव्य पर पहुँच गए.. अब तक शाम हो गई थी। उन्होंने कहा- तुम आज यहीं रुक जाओ कल सुबह चले जाना।
मैं तो यही चाहता था.. जब से मैंने भाभी के चूतड़ों को देखा था.. तभी से सोच लिया था कि आज तो इन्हें अपना लण्ड चुसवा कर ही रहूँगा। मैंने बोला- ठीक है.. मैं घर पर कह देता हूँ कि मैं आज नहीं आ सकता।
रात को खाना खाने के बाद मैं छत पर खड़ा अपने लण्ड को सहला रहा था.. कि अचानक से भाभी आ गईं। मैं जल्दी से उठा- अरे आप.. तो उन्होंने हँसते हुए कहा- क्या कर रहे थे? तो मैं बोला- कुछ नहीं भाभी.. गर्लफ्रेंड की याद आ रही है। ‘ह्म्म..’
वो मेरे बगल में आ कर बैठ गईं और कहा- तुम अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कहाँ सेक्स करते हो? घर पर तो तुम किसी को ला नहीं सकते.. तो मैंने कहा- भाभी उसका रूम है.. वो बाहर से पढ़ने आई है.. तो मैं वहाँ जा कर करता हूँ। ‘जरा मुझे उसके बारे में कुछ तो बताओ?’
फिर मैंने उन्हें अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में बताया। वो बोलीं- सागर तुम तो बड़े छुपे-रुस्तम हो। मैंने कहा- भाभी.. बहुत दिनों से मैंने सेक्स भी नहीं किया.. पर आज जब से आपको पेशाब करते देखा है.. मैं पागल हो गया हूँ.. मैं आपको आपकी चूत को चूसना चाहता हूँ.. उसके रस में नहाना चाहता हूँ.. क्या आप मेरी इच्छा पूरी करेंगी?
वो कुछ नहीं बोलीं और मेरी आँखों में देखने लगीं, उनकी आँखों में हवस साफ दिख रही थी। फिर उन्होंने मुझे पकड़ा और मेरे होंठ चूसने लगीं, किस करते-करते मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, उनके मुँह से ‘आअहह..’ निकल गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब भाभी भी गरम हो गईं और मेरे लण्ड को ऊपर से ही सहलाने लगीं। मुझे बहुत मज़ा आया। भाभी ने कहा- तुम बेडरूम में चलो, मैं आती हूँ। मैंने पूछा- कहाँ जा रही हो? तो कहने लगीं- पेशाब करने.. मैंने कहा- मैं भी चलूँगा..
फिर मैं उनके साथ गया। जैसे ही उन्होंने अपनी सलवार और पैन्टी नीचे की.. मैंने मुँह नीचे करके उनकी चूत पर पर होंठ रख दिए। वो पूछने लगीं- ये क्या कर रहे हो? तो मैंने कहा- आप बस मूत दो..
फिर उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपनी चूत में दबा दिया और मूतने लगीं। उनका मूत गरम था और वो मेरे पूरे चेहरे पर मूत रही थीं। मैं उनकी चूत को और कस कर चूसने लगा। वो बोलीं- सागर आज मुझे अच्छी तरह चोदना।
फिर मैं उनके साथ उनके बेडरूम में गया। मैंने उनका गाउन उतारा.. वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी। मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, उन्होंने मुझे नंगा होने को कहा.. तो मैंने भी कपड़े उतार दिए और अब अंडरवियर में था.. फिर उन्होंने चुदास के नशे में कहा- आज से तू मेरा कुत्ता है.. चल अब कुत्ते की तरह नीचे बैठ जा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल.. मैंने वैसा ही किया।
फिर वो बोलीं- आ.. अब अपनी मालकिन की चूत को एक कुत्ते की तरह चाट.. मैं भाभी के पास कुत्ते की तरह ही गया और फिर उनकी चूत को चाटने लगा। वो चूत फैला कर चुसवाने लगीं। फिर भाभी ने मुझे सीधा लेटा दिया और मेरे मुँह पर आकर अपनी चूत लगा कर ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगीं.. मैं उनकी गान्ड में भी उंगली डाल रहा था.. वो मस्त हो रही थीं।
‘उन्न्ह.. सागर्रर..र..र कुत्ते.. खा जा.. मेरी चूत को.. ले पी ले.. मेरी चूत का पानी.. कुत्ते डाल अपनी ज़ुबान.. मेरी चूत में..’ उधर मेरा लण्ड लोहे हो गया था और उन्होंने मेरा कड़क लौड़ा देखते हुए कहा- वाह्ह.. राजा.. इतना बड़ा कैसे? मैंने कहा- लौंडिया चोद-चोद कर बड़ा किया है। मैंने उन्हें धक्का देकर बिस्तर पर चित्त लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया और उनके होंठ चूसने लगा। मैं उनकी चूत को भी सहला रहा था।
भाभी कसमसाने लगीं और उन्होंने कहा- आह्ह.. कुत्ते.. तू तो बड़ा हरामी है। मैं फिर से उनकी चूत चाटने लगा और जीभ उनके चूत में पेलने लगा।
वो ‘आआहह…आआहह…आ’ की आवाज़ें निकाल रही थीं, वो बोलीं- कुत्ते आ.. अब अपनी मालकिन को चोद दे.. उसके बाद मैंने उनके टाँगों को फैलाया और अपना लण्ड उनके चूत पर रख के ज़ोर का धक्का मारा। वो चीखीं और बोलीं- आराम से मादरचोद.. साले हरामी कुत्ते.. आराम से डाल.. मार देगा क्या..?
मैंने ‘सॉरी’ कहा और फिर आराम से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा और उनके मम्मों को चूसने लगा। वो लगातार सीत्कार कर रही थीं।
‘आआहह…आ ओहाआहह…आ ओह.. साले कुत्ते मादरचोद.. डाल ज़ोर से.. तू मेरा कुत्ता है… आअहह उउन्न्नह.. ज़ोर से सागर.. फाड़ दे मेरी चूत को.. उउउ आअहह आआ आआ..’ मुझे और जोश आ रहा था.. मैं और ज़ोर से धक्के लगाने लगा।
अब वो झड़ने वाली थीं.. मैंने लण्ड बाहर किया और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर अपनी ज़ुबान अन्दर-बाहर करने लगा। उसने भी मेरा सिर पकड़ा और चूत पर दबा दिया।
वो चरम पर थीं.. चिल्लाने लगीं- आअहह उउउहह.. सागर.. पी ले अपनी रांड की चूत का रस.. वो भलभला पड़ीं.. और मैं पूरा रस पी गया..
फिर वो मेरा लण्ड मुँह में लेने लगीं और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। मैं भी छूटने को था.. मैंने अपना पूरा माल उनके मुँह में भर दिया, भाभी उसे पूरा पी गईं.. बोलीं- सागर आज मुझे बहुत दिनों के बाद चुद कर अच्छा लग रहा है। आज से मैं तुम्हारी हुई और तुम हमेशा मेरे पालतू कुत्ते की तरह चुदाई करना। इस तरह मैं अपनी पड़ोसन भाभी का चोदू कुत्ता बन गया।
मित्रो.. आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो मुझे मेल करें.. [email protected]
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