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दोस्तो, मेरा नाम जयसिंह है.. मेरी उम्र 20 साल है। अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। आज मैं आपको मेरे जीवन की सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। मैं जयपुर के पास के एक गाँव में रहता हूँ। हमारा गाँव में घर अभी पुरानी हालत में है पर ये बहुत बड़ा भी है।
मैं अपने गाँव से दसवीं की पढ़ाई पूरी करके शहर आ गया। शहर में मैंने 11 वीं भी 12 वीं करके फर्स्ट इयर की पूरी की और अब मेरी छुट्टियाँ चल रही थीं.. तो मैंने सोचा बहुत दिनों से अपने गाँव नहीं गया.. चलो गाँव जाकर आ जाऊँ और पुराने दोस्तों से भी मिल आऊँ। मैंने अपना बैग पैक किया और निकल गया और गाँव पहुँच गया।
गाँव पहुँचते तक दोपहर के 3 बज गए, पता लगा कि घर से सब शादी में गए हुए हैं। मैं थक गया था तो मैंने स्नान किया और खाना खाकर सो गया। शाम को अपने दोस्तों से मिलने निकल गया।
जैसे ही मैं अपने मोहल्ले की गली में निकला.. तो मेरे पड़ोस के अंकल और आंटियाँ मुझे देख कर काफ़ी खुश हुए। सब पूछने लगे- कैसे हो.. कितने दिनों के लिए आए हो.. आदि।
मैं भी बात करने लगा और बताया मैं अच्छे से हूँ। तभी मेरी नज़र मेरे घर से 2 घर आगे रहने वाली आंटी के घर के बाहर खड़ी एक लड़की पर पड़ी। क्या मस्त लड़की थी.. उसकी लंबाई 5 फिट 2 इंच.. रंग गोरा.. उसका फिगर का साइज़ 34-28-34 देख कर ही उसे चोदने का मन किया।
तभी गली में मेरा दोस्त रमेश आया.. वो मेरे पड़ोस में ही रहता है तो मैं उसके साथ उसके घर में उसके कमरे में गया और बातें करने लगा और पूछा- यार, वो विमला आंटी के घर के बाहर लड़की कौन है? तो वो बोला- अरे तूने उसे नहीं पहचाना वो विमला आंटी की लड़की है.. अर्चना (बदला हुआ)। मैं- यार, ये वहीं अर्चना है.. पतली सी छोटी वाली.. जो मेरे पास पढ़ने आती थी.. अभी कहीं बाहर पढ़ रही थी न.. तीन साल में क्या माल बन गई है यार.. अब तो चोदने लायक हो गई होगी।
मेरा दोस्त बोला- हाँ, लेकिन बहुत गुस्से वाली है, पटाने में नहीं आएगी। मैं- फिर तो यार इसको पटाना पड़ेगा। दोस्त बोला- देखना भी नहीं उसकी तरफ.. कोई लड़का उससे बात करने की हिम्मत नहीं करता, पूरे गाँव में किसी को भाव नहीं देती है। मैं- मैं तो इसको पटा कर रहूँगा.. अच्छा अब चलता हूँ और मैं बाहर आ गया।
मैं विमला आंटी के घर गया, आंटी मुझे देख कर खुश हुईं और बोलीं- आओ बेटा कैसे हो और घर पर सब कैसे हैं। मैं बोला- सब अच्छे हैं.. एक शादी में गए हैं।
विमला आंटी मेरे लिए कुर्सी लाईं और मैं बैठ कर बातें करने लगा। मैंने देखा अर्चना आँगन में बैठ कर कुछ पढ़ रही थी, मैंने आंटी से पूछा- ये कौन है? ‘अरे तुमने इसे नहीं पहचाना.. ये अर्चना है..’ आंटी बोलीं। मैं- अरे.. अर्चना.. इतनी बड़ी हो गई.. आखिरी वक्त देखा था तो बहुत छोटी थी।
तभी अर्चना हमारे पास आई और बोली- हमेशा छोटी ही रहती क्या? मैं बोला- ऐसी बात नहीं है।
फिर हमने थोड़ी देर बातें की.. पर कोई ऐसी-वैसी बात नहीं की। फिर मैं वहाँ से शाम के लगभग 6 बजे मैं वापस आया.. घर पर तो देखा पीने के लिए पानी तो था ही नहीं.. फिर आईडिया आया.. तो मैं अर्चना के एक 5 लीटर का केन लेकर घर गया।
वहाँ अर्चना थी.. तो मैं बोला- मेरे यहाँ पानी नहीं है.. मिलेगा क्या? उसने पानी दे दिया और मैं वापस आ गया।
दोस्तो, से मिल कर आते वक़्त मैं सब्जी लेते आया था.. चूंकि कोई भी नहीं था तो खाना मुझे ही बनाना था। सब्जी बना ली और आटा लगा के रोटी बनाने लगा।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो मैंने दरवाजा खोला। वहाँ अर्चना थी.. बोली- माँ ने कहा है कि खाना हमारे यहाँ खा लेना। तो मैं बोला- मैंने सब्जी बना ली है और अभी रोटी बना रहा हूँ.. आंटी से बोल देना कि परेशान ना हों।
अर्चना चली गई और मैं फिर से रोटी बनाने लग गया। दो मिनट बाद अर्चना वापस आई.. मैंने पूछा- अब क्या हुआ? तो बोली माँ ने कहा- तुम्हारी मदद कर दूँ। मैंने भी कह दिया- ओके..
वो अन्दर आ गई और रोटी बनाने लगी। वो सूट पहने हुई थी.. तो रोटी बनाते हुए उसने अपनी चुनरी बगल में रख दी। मैं वहीं दूसरी तरफ खड़ा था.. बिना दुपट्टे में उसके मम्मों का आकार अच्छे से दिख रहा था। उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा.. वो तो अच्छा था कि मैंने जींस पहनी थी.. तो लौड़ा जींस में दबा रहा।
तभी मेरे मोबाइल पर किसी का मिस कॉल आया.. जो मेरे दोस्त का था। तो मैं रसोई से बाहर आकर बात करने लगा और फिर वापस रसोई में आ गया। तभी अर्चना बोली- गर्लफ्रेंड का फोन था क्या? मैं- नहीं दोस्त का था। अर्चना- झूठ मत बोलो..
मैं- नहीं.. मेरी कोई ‘जुगाड़’ है ही नहीं.. और वैसे भी मुझे अभी तक कोई अच्छी लड़की मिली नहीं। अर्चना इठला कर बोली- ओह.. तो कैसी ‘जुगाड़’ लेना पसंद करोगे। मैं भी मचल कर बोला- तुम्हारी तरह नमकीन सी.. वो थोड़ा मुस्कुराई और बोली- मेरे जैसी..
मुझे समझ में आ गया कि यह सैट हो सकती है तो मैं बोला- हाँ.. तुम स्वीट हो.. सुन्दर हो.. बातें भी अच्छी करती हो और मेरी मदद भी कर रही हो.. तो मुझे तुम्हारी जैसी ही लड़की पसन्द आएगी। अर्चना- किस्मत में होगी.. तो ज़रूर मिल जाएगी।
मैं- अच्छा.. तुम्हारा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड है? अर्चना- नहीं.. मैं- क्यों तुम जैसी सुन्दर लड़की को कोई लड़का पसंद नहीं आया? अर्चना- पसंद तो है… पर कभी कहा नहीं उससे.. मैं- क्यों? अर्चना- बस ऐसे ही। रोटी बन गई.. मैं चलती हूँ।
और वो चली गई। मैंने सोचा अब तो कुछ नहीं हो सकता.. वो तो किसी और को पसंद करती है। मैंने खाना खाया और कुछ देर फ़ेसबुक पर चैट की और सो गया। सुबह उठा और नहाने के बाद दूध लेने गया।
दूध लाने के बाद उसे गर्म कर ही रहा था कि गैस चूल्हे में कोई दिक्कत आ गई, वो बार-बार बंद हो रहा था। तो मैंने सोचा शायद कचरा आ गया होगा.. पर रात में तो सही था। फिर मैंने उसे चैक किया और थोड़ी सफाई की.. तो सही हो गया, फिर चाय बनाई और पीने लगा..
तभी अर्चना आई और बोली- नाश्ता हमारे यहाँ करना। मैंने कहा- ओके.. फिर वो चली गई। मैं उसके घर गया.. नाश्ता किया और वापस आ गया।
अर्चना मेरे घर आ गई। मैंने पूछा- कैसे आना हुआ? तो बोली- पापा और माँ बाहर गए हैं.. तो मैं अकेली बोर हो रही थी.. बस आ गई। फिर हम बात करने लगे।
मैंने पूछा- तुमने कल बताया नहीं.. तुम किसे पसंद करती हो। तो कुछ नहीं बोली और उसने मुझसे पूछा- कितने दिनों तक रहोगे यहाँ? मैं बोला- एक हफ्ते रहूँगा। ‘हम्म..’
मैंने फिर पूछा- बता न.. कौन है वो लड़का.? पहले वो शर्माई और बोली- तुम। मेरा तो होश ठिकाने ही नहीं रहा.. मेरे दिल की मुराद पूरी हो गई।
अर्चना- मैं आपको तब से पसंद करती हूँ जब मैं स्कूल में थी और तुम्हारे पास पढ़ाई करने आती थी। मैं तभी बोलना चाहती थी.. लेकिन मुझे डर था कि कहीं आप मुझे मना ना कर दें.. और पढ़ाई करने आने को भी मना ना कर दें।
यह सच था.. शायद उस वक्त मैं उसको मना कर देता क्योंकि उस वक्त वो कमसिन रही होगी और बहुत दुबली-पतली भी थी लेकिन अब 18 की हो गई है.. और मस्त माल बन गई है। मेरी मन की इच्छा तो पूरी हो रही थी.. तो मैंने उसे गले लगा लिया और चुम्बन करने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी हम 5 मिनट चुम्बन करते रहे। फिर मैं उसके निप्पल दबाने लगा.. उसके मुँह से ‘आह.. उह्ह..’ की आवाजें निकलने लगीं।
तभी उसने मुझे रोक लिया। मैंने कहा- क्या हुआ? तो बोली- इससे आगे अभी नहीं.. दो दिन बाद.. मैंने कहा- क्यों? तो बोली- दो दिन बाद मेरा जन्म दिन है.. तब आगे बढ़ेंगे। मैंने भी कहा- ओके..
फिर हम दोनों चुम्बन करने लगे, उस दिन बस चुम्बन तक ही रहा, फिर कुछ देर में वो चली गई।
उस दिन शाम को मैंने अपने दोस्तों को बुलाकर पार्टी की.. बियर मंगाई और रात को बियर पीकर सो गए। दूसरे दिन अर्चना के साथ सिर्फ़ चुम्बन करना और ऊपर से लगा रहा। बस एक दिन तो ऐसे ही निकल गया।
फिर वो दिन आ ही गया। मैंने सुबह उसे जन्म दिन की बधाई दी और अपने घर आकर उसका इंतजार करने लगा। लगभग 12 बजे वो आई.. मैंने उसके आते ही दरवाजा बंद किया और कहा- तुम्हारी माँ कहाँ हैं?
उसने कहा- पापा तो काम पर गए हैं और माँ कुछ काम से बाजार गई हैं।
मैंने उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया.. वो भी मेरा बराबर साथ दे रही थी, मैं साथ में उसके चूचे भी दबा रहा था और उसके गले के आस-पास चुम्बन कर रहा था, उसके मुँह से ‘आह.. उहह..’ की आवाजें आ रही थीं। मैंने उसे गोद में उठाया और कमरे में ले गया, मेरा लण्ड तो पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को कर रहा था।
कमरे में जाते ही मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। वो अब सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी। काली ब्रा और पैन्टी में उसका गोरा जिस्म मस्त लग रहा था। मैंने अपनी टी-शर्ट और जींस उतार दी और सिर्फ़ अंडरवियर में था।
फिर मैंने ब्रा के ऊपर से उसके चूचे दबाना शुरू किए। कुछ देर बाद ब्रा उतार दी और उसके चूचे पीने लगा, उसके निप्पल कड़क हो गए थे, मैं उसके निप्पलों को पी रहा था। उसका एक हाथ मेरी पीठ और एक हाथ मेरे सिर को सहला रहा था।
फिर मैं धीरे-धीरे उसके पेट को चुम्बन करते हुए नीचे आ गया। उसके मुँह से लगातार ‘आहह.. उहह.. आहह.. उहह..’ की आवाजें आ रही थीं। मैंने नीचे आकर उसकी पैन्टी निकाल दी, उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी।
मैं उसकी चूत चाटने लगा, मेरा मुँह चूत पर लगते ही वो उछल गई। मैंने उसकी चूत में जहाँ तक हो सका.. जीभ डालकर चाटने लगा था। वो काबू से बाहर हो रही थी।
अब हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैंने अपनी अंडरवियर भी निकाल दी और लण्ड मुँह में लेने को बोला। पर उसने मना कर दिया। मैंने कोई जबरदती नहीं की। मैंने कहा- अच्छा.. सहला तो दो। वो मेरा लण्ड सहलाने लगी और मैं उसकी चूत चाटता रहा।
वो बोली- अब रहा नहीं जा रहा.. डालो इसको अन्दर.. मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रख दिया। उसकी तरफ आँख मार कर एक धक्का मारा.. पर मेरा लण्ड फिसल गया क्योंकि वो पहली बार चुदवा रही थी।
फिर मैंने अपने लण्ड पर तेल लगा कर लौड़े को चिकना किया और उसकी चूत पर तेल लगा दिया।
अब सैट करते हुए एक धक्का मारा.. मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया। वो चिल्ला पड़ी। मैं थोड़ा रुका और उसे चुम्बन करने लगा। फिर एक और धक्का मारा.. मेरा 6 इंच का लण्ड आधा अन्दर चला गया। उसकी आँखों से आँसू आने लगे.. वो मुझे लण्ड बाहर निकालने को कह रही थी लेकिन मैंने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।
उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून लगा दिए। मैं कुछ देर रुका रहा.. जैसे ही उसका दर्द कम हुआ, मैं लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर में उसका दर्द कम हो गया.. वो मेरा साथ देने लगी।
मैं उसके चूचे दबाते हुए चुदाई कर रहा था, उसके मुँह से ‘आह.. उहह.. आहह.. उहह..’ की आवाजें आ रही थीं। उसकी आवाजें सुन कर मेरा भी जोश चरम पर आ गया था।
मैं कभी तेज कभी धीरे धक्के लगा रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद अर्चना झड़ गई और चूत रसीली हो गई.. तो कमरे में ‘फच.. फ़च..’ की आवाजें आने लगीं। मैं पूरे जोश से चोद रहा था। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद अर्चना मेरे साथ एक और बार झड़ गई और मुझसे लिपट गई। मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
मैं उसके ऊपर ही लेट गया.. दस मिनट के बाद हम दोनों उठे तो देखा अर्चना की चूत से खून आ रहा था और बिस्तर खून से सन गया था।
हम दोनों बाथरूम में गए और एक-दूसरे की सफाई की और बिस्तर की चादर धोई। अर्चना से सही से चला भी नहीं जा रहा था, वो मेरे साथ कुछ देर रही.. फिर अपने घर चली गई। दूसरे दिन मैंने फिर उसकी चुदाई की और उसे ‘आई-पिल’ ला कर दे दी.. ताकि वो प्रेग्नेंट ना हो जाए।
उसके बाद तो मैं शहर आपस अपने कॉलेज आ गया।
तब से लेकर अब तक जब भी वक्त मिलता है.. मैं समय निकाल कर गाँव जाता हूँ और अर्चना की चुदाई करके आ जाता हूँ। अब उसकी शादी होने वाली है.. वो बोल रही है कि शादी के बाद उसे मेरा बच्चा चाहिए।
तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी बताना।
मुझसे कहानी लिखनी नहीं आती… कोई ग़लती हो तो माफ़ करना।
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