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हाय मैं ऋतु.. अन्तर्वासना पर मैं आपको अपनी चूत की अनेकों चुदाईयों के बारे में बताने जा रही हूँ.. आनन्द लीजिएगा। अब तक आपने जाना.. हम दोनों एक साथ एक-दूसरे की बाँहों सिमट गए और मैंने भाई के माथे पर एक गहरा चुम्मा लिया। मैं बोली- भाई आज आपने अपनी बहन को चोद कर अपना गुलाम बना लिया और हाँ.. आज आप मुझे बीवी कहेंगे और आज से मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी। भाई- हाँ आज से तू मेरी रंडी है.. मेरे घर की रंडी.. और मुझे वो किस करने लगे। मैं उठी.. बाथरूम गई.. तो देखा पूरी चादर पर खून ही खून था.. मेरा भाई उठा और मुझे मिठाई खिलाने लगा।
अब आगे..
भाई- लो ऋतु डार्लिंग स्वीट खाओ.. आज तुम्हारी सुहागरात थी। अब तुम्हारी चूत की सील खुल चुकी है। अब तेरे को कभी दर्द नहीं होगा.. बस चुदने में मजा आएगा। मैं बाथरूम गई.. टॉयलेट यूज किया तो चूत में जलन हो रही थी। मैं वापस आ कर बिस्तर पर ऐसे ही नंगी लेट गई। उस रात हमने 3 बार चुदाई की.. हम ऐसे ही नंगे एक-दूसरे से चिपक कर सो गए।
सुबह दूध वाले ने दरवाजे की घन्टी बजाई.. तब जाकर हमारी नींद खुली। मैंने कपड़े पहने.. दूध लिया और चाय बनाई। राजू अभी तक सो ही रहे थे।
मैं चाय लेकर बेडरूम में आ गई और राजू को किस किया। मैं बड़े प्यार से बोली- मेरे प्यारे पतिदेव… अब सुबह हो गई है.. उठ जाओ। वो जागे तो और मुझे अपनी बाँहों में ले लिया.. मेरे मम्मों को दबाने लगे। भाई- ऋतु यार, तुम मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में रहा करो.. इस नाइटी में नहीं.. मैं- तो आप नाइटी निकाल दो न..
भाई- एक राउंड हो जाए क्या कहती हो मेरी… मैं- रुक क्यों गए.. बोलो ना मुझे तुम्हारे मुँह से ‘रंडी’ सुनना अच्छा लगता है.. आपको मेरी कसम कि कभी बीच में रुके.. आपको पूरा हक है मेरे ऊपर.. आपने तो जवानी का असली मजा दिया है.. आप कुछ भी कह सकते हो… चलो आ जाओ चोद दो मुझे..
फिर एक राउंड चुदाई का और हुआ..
तभी मेरे फोन पर कॉल आई। मैं राजू के नीचे थी.. उनका लण्ड मेरी चूत में घुसा हुआ था.. हम दोनों की साँसें तेज थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी मैंने देखा कि मेरी एक सहेली निशा का कॉल आ रहा था। राजू ने कहा- कॉल रिसीव कर ले न.. मैंने मना किया.. तो उसने कहा- मैं कुछ नहीं बोलूँगा।
तो मैंने फोन रिसीव किया। मैं- हैलो.. निशा- हैलो ऋतु.. मैं- हाँ निशा.. बताओ क्या हाल-चाल हैं..
निशा- क्या बात है.. तेरी साँसें क्यों तेज हो रही हैं कुछ प्राइवेट काम कर रही है क्या? मैं- प्राइवेट मतलब? निशा- मुझे मालूम है तू क्या कर रही है। मैं- बता.. क्या बात है और तुझे क्या पता है.. मैं क्या कर रही हूँ? निशा- कल तू साड़ी में मस्त लग रही थी। चल ठीक है.. तू मजे ले.. अब रखती हूँ.. मम्मी बुला रही हैं। और कॉल कट गया।
राजू ने अपना सारा पानी मेरे अन्दर ही डाल दिया और मेरे से चिपक गए। मैं- आपने अन्दर ही डाल दिया.. इतना ज्यादा अन्दर डालोगे.. तो मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बन जाऊँगी.. मैं तुम्हारी सचमुच की बीवी नहीं हूँ.. तुम मामा और पापा एक साथ बन जाओगे। मैं हँसने लगी- हा.. हा.. हा..
राजू भाई ने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में भर दिया.. फिर उन्होंने मुझे किस किया और बोले- कैसी लगी मेरे लण्ड की चुदाई.. मैं बोली- बहुत अच्छी.. अब मेरे ऊपर से उठो.. देखो 10 बजे हैं.. कुछ काम कर लूँ.. मैं बाथरूम में नहाने चली गई और वो बिस्तर पर लेटे रहे।
फिर वो भी बाथरूम में नहाने आ गए.. हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। भाई ने कहा- मैंने तेरी पीछे से चुदाई नहीं कर पाई है अभी करूँ? मैंने भी ‘हाँ’ बोल ही दिया। भाई ने मुझे आगे को झुकाया और मेरे पीछे से मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दिया।
मेरे मुँह से ‘उम्मम.. आह्ह.. आह्ह.. आआअहह..’ की आवाज आने लगी और वो मेरी हचक कर चुदाई करने लगे। इस तरह से कुतिया बन कर चुदने से मेरे मेरे दूध हवा में झूलने लगे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. मैं राजू को बोली- आह्ह… मजा आ रहा है और तेज चोदो.. हाय.. राजू.. और तेज चोदो मुझे.. अपनी रंडी बहन को चोद दो.. आज इसकी प्यास बुझा दो.. आअहह.. मेरे राजा.. ऐसे ही चोदते रहो.. जब तक तेरे लण्ड का पानी ना निकल जाए.. चोद भोसड़ी के.. और तेज.. फाड़ दे अपनी रंडी बहन की चूत.. अपने लण्ड से.. आअहह.. आह्ह.. उईईई ईईई.. मम्मी.. गई मैं.. राजू संभाल मुझे..
पूरे बाथरूम में ‘फच.. फच..’ और चुदाई की मादक आवाजें गूँजने लगीं। भाई- हाँ.. मेरी रंडी बहन.. तेरी ऐसी ही चुदाई करूँगा आज.. भोसड़ी के की बहन की लौड़ी.. आज तेरी चूत को फाड़ ही दूँगा.. ले मादरचोदी.. ले.. मैं भी आ रहा हूँ.. मेरी जान ले.. और ले.. ले..
और इस तरह भाई ने अपना पूरा माल मेरी चूत में निकाल दिया और हम फ्रेश होकर बाहर आ गए। देखा कि 12:30 बज रहे हैं और मुझे अब भूख लग चली थी।
मैं अभी कपड़े पहन ही रही थी कि बाहर हॉल से आवाज आई- ऋतु कहाँ है.. जल्दी तैयार होकर आ जाना.. मैं मार्केट जा रहा हूँ। मैं उनके पास पहुँची। भाई ने कहा- आज तुम फिर साड़ी ही बाँधना.. ओके.. और मंगल सूत्र भी पहन लेना.. मैं जा रहा हूँ।
मैं- हाँ मेरे पतिदेव.. जैसा तुम कहो.. मैं वैसा ही करूँगी.. आप कहो तो सिर्फ ब्रा-पैन्टी में ही रहूँ.. रही बात मंगल सूत्र की.. तो मैं इसे जिंदगी भर अपने पास ही रखूँगी.. जब मैं घर में अकेली होऊँगी तो ये ऋतु आपकी बीवी का फर्ज़ निभाएगी..
राजू ने मुझे किस किया और मेरे दूध दबा कर चले गए।
भाई फ्रेश होकर मार्केट चले गए.. और मैं तैयार होकर उनका इन्तजार करने लगी और तभी मेरी फ्रेंड निशा का कॉल आया।
मैं- हैलो.. निशा- हैलो ऋतु.. क्या हाल चल है? मैं- ठीक हूँ.. तू बता क्या हो रहा है? निशा- उस दिन साड़ी पहन कर किस के साथ थी? तुझे मेरे पापा ने देखा था उस होटल में..
मैं आपको बता चुकी हूँ.. कि निशा भी मेरी तरह ही सुन्दर है और बिल्कुल खुले बिचारों की है। निशा का फिगर बहुत ही मस्त है.. उसकी चूचियाँ 32 इंच की हैं और पेट एकदम सपाट है कमर 30 इंच की और उसकी गाण्ड भी बहुत मस्त है होगी करीब 34 इंच की एकदम उठी हुई।
अब आगे कहानी पर आते हैं..
मैं- अरे कोई नहीं यार.. तू तो पीछे ही पड़ गई.. क्या कह रहे थे अंकल? निशा- अरे यार वो तो तेरी बहुत तारीफ़ कर रहे थे कि तेरी फ्रेंड ऋतु आज किसी के साथ होटल में मिली थी.. डिनर के लिए आई थी.. और बता कौन था वो..जिसके साथ तू होटल में गई थी?
आपको बता दूँ कि निशा और मैं बहुत ही पक्की सहेलियाँ हैं। हम अपने बारे में एक-दूसरे को सब कुछ शेयर करते हैं।
मैं- अरे यार अब तेरे से क्या छुपाना.. वो राजू भाई थे.. घर में कोई था नहीं और वो साथ चलने की ज़िद करने लगे, बोले कि साड़ी पहन कर चल ना.. फिर मैंने अपने और राजू भाई के बारे में उसे सब कुछ बता दिया कि कैसे मेरी चुदाई हुई।
निशा- अरे वाउ.. ऋतु क्या बात है.. साली रंडी आज बता रही है कल नहीं बता सकती थी। मैं भी अपने भाई और जीजा जी से गिफ्ट ले लेती.. तेरी सील तोड़ने का.. तेरी सुहागरात का.. मैं- कोई बात नहीं.. बाद में ले लेना गिफ्ट.. क्या गिफ्ट चाहिए तुझे? निशा- यार टाइम मिलेगा तब बता दूँगी.. तुझे गिफ्ट देना पड़ेगा.. कुछ भी हो सकता है प्रॉमिस कर.. मैं- ठीक है बाबा प्रॉमिस.. निशा- चल अब रखती हूँ.. तू मेरे जीजा भाई का ध्यान रख..
वो राजू के लिए ‘जीजा भाई’ शब्द इस्तेमाल करते हुए हँसने लगी। मैं- चल ठीक है.. मिलते हैं जल्दी.. बाय बाय..
तभी गेट पर दस्तक हुई.. फिर रिंग बजी। मैंने भाग कर गेट खोला और देखा कि राजू भाई हाथ में कुछ सामान लेकर आए थे। फिर मैंने गेट बंद कर दिया और सोफे पर आकर बैठ गई। मैंने आज पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। मेरे जिस्म की रंगत भी एकदम गोरी है.. और जिस पर मैंने हल्की पीली साड़ी सुनहरे कप वाला ब्लाउज पहन रखा था। मैंने हल्का मैंने मेकअप भी कर रखा था और गले में मंगल सूत्र डाला हुआ था बाल खुले हुए थे.. मैं काफ़ी सुन्दर लग रही थी।
राजू सोफे पर बैठते हुए बोले- क्या बात है.. आज मेरी जान मेरी बीवी का रूप धरे हो.. आज मेरी जान कहूँ.. बीवी कहूँ या फिर बहन बोलूँ? मैं उनके पास बैठती हुई बोली- कुछ भी कहो.. हूँ मैं तुम्हारी.. तन-मन से.. राजू- आज से मैं तुझे अकेले में बीवी ही कहूँगा। मैं- आपका हुकुम सर आँखों पर।
फिर हम लोगों ने खाना खाया खाते समय भी हम दोनों एक-दूसरे को खूब छेड़ रहे थे। तभी राजू भाई के फोन पर एक कॉल आया.. उनके किसी फ्रेंड का था.. जिसका आज ही देहरादून में एक्सिडेंट हो गया था.. वो बहुत ही सीरीयस था। फिर राजू चले गए.. मैं अब घर में अकेली थी।
दोस्तो.. मेरी कहानी एकदम सच के आधार पर लिखी हुई है इसके विषय में आपके विचारों का स्वागत है। [email protected]
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