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नमस्कार मेरे प्रिय अन्तर्वासना के पाठको.. ‘फूफा जी ने मेरे सील तोड़ी’ यह कहानी आपको बहुत पसंद आई और आप लोगों ने इसे सराहा भी.. इसके लिए आपका बहुत शुक्रिया.. अब मैं एक नई कहानी आपके सामने लेकर आ रही हूँ.. यह एक सच्ची घटना पर आधारित है.. जब मैं जॉब कर रही थी.. तो ऑफिस में ये घटना मेरे साथ हुई।
घर की आर्थिक जरूरतों ने मुझसे यह भी करा डाला। मैं अपनी पगार बढ़वाना चाहती थी.. तो मैंने अपने बॉस से इस बारे में एक दिन कहा.. तो इस पर मेरे बॉस ने कहा- नेहा जी.. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है.. मैं समझ गई कि वो मेरे से क्या चाहते हैं।
खैर.. अब मुझे कोई डर भी न था.. बस एक बात थी कि मैं अपनी फैमिली की आर्थिक जरूरतों कैसे पूरा करूँ। मैं आगे भी बढ़ना चाहती थी। आज कल मॉडल्स और हीरोइन्स भी तो प्रोग्रेस पाने के लिए अपना जिस्म दूसरे को सौंप देती हैं.. तो मैं क्यों नहीं ऐसा कर सकती हूँ। मैंने भी तय कर लिया कि मैं ये सब करूँगी।
दो दिन बाद मैंने हिम्मत जुटा कर बॉस से पूछा- मुझे करना क्या होगा? तो बॉस ने कहा- जवान लड़की को कुछ नहीं करना होता.. बस थोड़ा जलवा दिखाना होता है।
मैंने अपने बॉस से ये सब बात साफ-साफ बताने को कहा.. तो बॉस ने इस बार मुझसे सब कुछ साफ-साफ बता दिया और कहा- नेहा हमारी कंपनी को एक बहुत बड़ा कांट्रॅक्ट मिला है.. तो अगर हमें इसे पूरा करना है और तुम्हें प्रमोशन लेना है.. तो तुम्हें उन लोगों को.. जो कंपनी के डेलिगेशन थे.. उन्हें खुश करना होगा।
मेरे बॉस ने कहा कि वो दो आदमी हैं तुमको दोनों को खुश करना होगा। मैं करती.. क्या ना करती.. मैंने ‘हाँ’ कर दी।
अब होने दी मैंने फिर से अपनी ठुकाई.. वो दिन भी अब आ गया था।
उस दिन गुरूवार था.. शाम को लंच के बाद करीब 2 बजे बॉस ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहा- वो लोग आज शाम को आ रहे हैं और होटेल क्रिस्टल पैलेस में रुकेंगे..
यह होटल मेरे ऑफिस के पास ही था। अब मेरे बॉस के अनुसार में सजने के लिए पार्लर गई.. जहाँ मेरे को अच्छी तरह से सजाया गया। मेरी चूत फिर से क्लीन की गई.. मुझे शॉर्ट ड्रेस पहनाई गई। दोस्तो इस बार मुझे ‘कोई’ कैप्सूल दिया गया और मेरी चूत पर उसी आयिल की मालिश भी की गई ताकि मैं एक बार में कई लौड़ों को झेल सकूँ।
अब मैं अब रेडी हो गई.. मुझे अब कार से होटल में ले जाया गया। जब मैं होटल पहुँची.. उस वक्त रात के 8 बजे थे। वो लोग वहीं पर मौजूद थे। वो दो लोग थे और तीसरा मेरा बॉस था। उन लोगों ने मेरा वेलकम किया और हमने थोड़ी देर बात के बाद डिनर किया और हम लोगों ने काफी मस्त बातें की। इन सब में हमको 10 बज गए थे।
अब मेरे बॉस ने मुझे इशारा कर साइड में बुलाया और कहा- तुम्हें आज यह डील पक्की करवानी ही है। उसने मुझे ऑल दि बेस्ट कहा और जाने का इशारा दिया। अब मैं कमरे में उन लोगों के साथ थी।
मैं आपको अब उन लोगों के बारे में बताती हूँ। उनमें एक आदमी का नाम प्रकाश था.. उनकी उम्र 32 साल की थी और दूसरे आदमी का नाम नीलेश था.. जो थोड़े उम्रदराज थे.. उनकी उम्र 45+ की थी।
अब दोस्तो, मैं कमरे में उनके साथ थी। वो मेरे से काफ़ी देर बात और मज़ाक करते रहे। फिर थोड़ी देर बाद प्रकाश बीयर ले आए। हम तीनों ने दबाकर बीयर पी.. जैसे कि मैंने मेडीसिन ली हुई थी और बीयर पी थी.. तो मैं भी मदहोश थी और गरम हो रही थी।
अब नीलेश ने डीवीडी प्लेयर ऑन कर इंग्लिश की पॉर्न मूवी लगा दी। हम सब शराब भी पी रहे थे.. और वीडियो भी देख रहे थे। वो दोनों फिल्म और शराब के साथ-साथ मेरे चूतड़ों और मेरे जिस्म को मसल रहे थे.. मेरे मम्मों को दबा रहे थे। मैं लगातार गरम हो रही थी, मैंने भी अपने दोनों हाथों से दोनों के लण्ड पकड़ लिए और मुठ्ठ मारने लगी।
करीब आधा घंटा बाद उन्होंने वीडियो बंद किया और दोनों नंगे हो गए। मैं देख कर चौंक गई.. दोनों के लण्ड मूसल किस्म के थे और करीब 8 इंच के थे।
आज फिर मेरी बजनी थी.. और पता नहीं सुबह अपने पैरों से उठ कर अपने कमरे पर जा पाऊँगी या नहीं.. पर मैंने हिम्मत नहीं हारी और मेडीसिन की वजह से मुझमें भी कामोत्तेजना बढ़ रही थी।
अब नीलेश ने अपना लण्ड मेरे मुँह में दे दिया.. मैं उसे चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वो दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए और मुझे भी नंगी कर दिया।
जब वो मेरे कपड़े उतार रहे थे.. तो उन्होंने मेरी ब्रा-पैन्टी उतारने की बजाए उसे फाड़ दी थी। मेरे पूरे कपड़े मेरे बदन से अलग थे। अब मैं उन दोनों के सामने बिल्कुल नंगी थी। वो मुझे उठाकर बिस्तर पर ले गए।
बिस्तर पर मेरे मुँह में प्रकाश का लण्ड था और नीलेश मेरी गाण्ड चूस रहे थे, मेरे गर्मी बढ़ती जा रही थी। काफ़ी देर तक मैंने प्रकाश का लण्ड चूसा और फिर नीलेश का चूसने लगी।
अब एक मेरे मुँह में लण्ड घुसेड़ कर मेरा मुँह चोद रहा था.. तो दूसरा मेरी चूत को अपने मुँह से चाट रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी- आआ.. अहूऊऊ.. ऊउऊहह.. मुझे मज़ा भी आ रहा था.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब नीलेश ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया.. मेरे दोनों मम्मों को बुरी तरह से भींचने लगा। मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था.. पर करवाना तो था ही.. और नीलेश.. प्रकाश से कह रहा था- देख इस कुतिया के संतरे.. कितने बड़े हैं.. पिला हरामजादी अपना दूध.. वो मेरे थन चूसे जा रहा था.. मैं दर्द से कराह रही थी.. पर वो कहाँ मानने वाला था। एक आगे से मुझे नोंच रहा था.. तो दूसरा पीछे से मुझे नोंचने में लगा था.. मेरी चूत में उंगली कर रहा था।
अब मैं पूरी तरह रेडी थी.. मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। प्रकाश बहुत बड़ा चोदू था, उसने नीलेश से कहा- देख इस राण्ड की चूत तो गरम हो गई.. अब ये लौड़ा माँग रही है.. मैं समझ गई अब मैं चुदूँगी..
पहला मौका नीलेश को दिया गया.. वो काफ़ी उम्रदराज था.. पर उसका लण्ड भी बहुत बड़ा था.. करीब 8 इंच के आस-पास रहा होगा.. पर मैं भी तैयार थी। उसने अपना लण्ड मेरे मुँह के सामने रखा.. और कहा- आज ये तेरा बाजा बज़ाएगा।
उसने मुझे सीधा बिस्तर पर गिरा कर लिटा दिया और एकदम से मेरे ऊपर चढ़ कर अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर रख कर एक ही धक्के में अन्दर चूत की जड़ तक ठेल दिया। मैं एकदम से हुए इस हमले से चिल्ला उठी- आहह.. आईईई.. रे.. उईईई ईईईई.. माँ.. मर गईईईई..
उसने मेरी चीख को अपनी जीत समझा और मुझे धकाधक पेलना शुरू कर दिया। वो लगातार धक्के मार रहा था और कहे जा रहा था- आज दिखाऊँगा तुझे जन्नत.. ले साली.. मेरी जान.. ले ले..
वो हचक के धक्के मार रहा था.. मैं दर्द से चिल्ला रही थी.. लेकिन थोड़े टाइम बाद मैं नॉर्मल हो गई और अपनी गाण्ड उठा कर चुदने लगी क्योंकि मैंने दवा ले रखी थी। लेकिन प्रकाश दूर बैठ कर अपने लौड़े की मुठ्ठ मार रहा था और इधर नीलेश मुझे बजा रहा था।
काफ़ी देर तक उसने मुझे रगड़ा और मेरे अन्दर ही अपना माल छोड़ दिया। उसने ये सब बिना कन्डोम के किया था।
मैं काफ़ी देर बिस्तर पर पड़ी रही। इतनी देर में ही प्रकाश मेरे नजदीक आ गया.. लेकिन मुझे सूसू आ रही थी, मैंने उससे कहा.. पर वो नहीं माना और उसने भी अपना हथियार मेरी चूत में घुसा दिया।
अब एक तो पेशाब का प्रेशर.. और ऊपर से उसका लण्ड मेरी चूत में.. मैं दर्द से कराह उठी और मैंने बिस्तर पर ही सूसू कर दी। लेकिन उसने भी मुझको कसकर जकड़ा हुआ था.. करीब 15 मिनट उसने मुझे बजाया.. फिर मेरे अन्दर ही झड़ गया। मेरा पहला राउंड हो चुका था.. जो सब कुछ मिलाकर करीब 2-2.5 घन्टे चला।
मैं अब हिम्मत जुटा कर टॉयलेट गई.. पेशाब किया.. पर मेरी चूत में बहुत जलन हो रही थी। किसी तरह मैंने अपनी चूत साफ की और वापस आकर बिस्तर पर लेट गई। इतने में मैंने देखा कि उन दोनों के मूसल अब फिर से तन्ना रहे थे।
प्रकाश ने मुझे बाँहों में भर लिया और चूमने लगा और नीलेश से कहा- अब तू आराम कर.. मैं इसकी लेता हूँ.. मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ.. फिर करेंगे.. पर वो नहीं माना और मुझे चूमने लगा। थोड़ी देर में मैं भी गरम हो गई।
अब उसने मुझे सोफे पर डॉगी स्टाइल में बना दिया और मेरे अन्दर पीछे से लौड़ा पेल दिया। मैं उसका लौड़ा फिर से पूरा खा गई और.. वो तेज़ी से मुझे चोदने लगा। पूरे कमरे में ‘फच.. फच..’ की आवाज़ हो रही थी। मैं भी ‘सीई.. सीईई..’ कर रही थी।
करीब 40 शॉट उसने मेरी चूत में लगाए, वो बाल पकड़ कर मुझे चोद रहा था। इस बार वो भी मेरे अन्दर ही झड़ गया.. मैं एकदम से सोफे पर गिर गई।
अब उन दोनों ने थोड़ा रेस्ट किया। अब रात के 3 बज गए थे। उन्होंने फिर दारू पी.. मुझे कुछ बेहोशी सी आ रही थी। प्रकाश के साथ मैं शायद 2 बार चुदी.. मेरी चूत से सफ़ेद पानी सा आ रहा था।
तभी प्रकाश मेरे नजदीक आया.. मुझे अपने साथ ले गया और बीयर पिलाने लगा। मेरी कुछ भी करने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी.. फिर भी मैंने हाफ गिलास बीयर पी ली।
अब नीलेश की बारी थी। वो बिस्तर पर सीधा लेट गया और उसने कहा- आ जा कुतिया.. मेरे ऊपर आ जा.. अब मैं बदहवास की सी हालत में चल रही थी। नीलेश सीधा लेट गया और मुझे अपने ऊपर बिठा लिया और लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ कर बोला- ले साली धक्के मेरे.. कुतिया..
मैं खुद धक्के ले रही थी.. लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई.. तो नीलेश ने खुद मेरी चूत में धक्के मारे। मैं बेहोशी की हालत में भी चिल्ला रही थी। करीब दस मिनट बाद मैं नीलेश के ऊपर गिर गई।
करीब एक घन्टे के बाद मुझे कुछ होश आया.. अब सुबह के 5 बजे चुके थे। मैंने सोचा कि अब चुदाई नहीं होगी.. लेकिन प्रकाश फिर आया और कहने लगा- मेरी बारी भी तो बाकी है जानू..
उसने बिस्तर पर ही मुझे औंधे मुँह लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मेरी हिम्मत जवाब दे चुकी थी.. लेकिन चुदना तो था ही.. वो मुझे पेले जा रहा था।
इस बार मैं उसे खुद को चुदवा रही थी और तेज़ी से चिल्ला रही थी। अब वो भी थक गया था। करीब 20 मिनट बाद उसने मुझे छोड़ दिया, मेरी आँखों से आँसू भी आ रहे थे। मैं फिर से बेहोश हो कर सो गई।
जब मैं उठी तो सुबह के 10 बजे थे। मैं पूरी नंगी थी.. मेरे सामने मेरे बॉस और दो वो लोग थे।
मेरे बॉस ने मुझसे कहा- वेलडन नेहा.. वेलडन.. हमारी डील पक्की हो गई। उन्होंने मुझे कांट्रॅक्ट के पेपर दिखाए और मुझे प्रमोशन लैटर भी दिया जिसमें मेरी उम्मीद से ज़्यादा पगार थी।
मैं बहुत खुश हुई.. उन दो लोगों ने भी कहा- हमने बहुत सी लड़कियां चोदी हैं.. लेकिन इसके जैसी अब तक नहीं चोदी.. कुछ पलों बाद वे सब लोग कमरे से जा चुके थे.. लेकिन मेरी हालत को समझने बाला कोई नहीं था।
मैं बड़ी मुश्किल से बिस्तर से उठी.. मेरा सारा बदन टूट रहा था, किसी तरह मैं बाथरूम में गई.. बाथ लिया और जो कपड़े मैं अपने साथ लाई थी.. उन्हें पहना। अच्छा हुआ कि मैं साथ अपने अंडरगार्मेंट भी लाई थी.. क्योंकि उन लोगों ने मेरी ब्रा-पैन्टी फाड़ दिए थे।
मैं रेडी हुई.. इतने में ब्रेक-फास्ट आ गया, मैंने नाश्ता किया और अपने घर आ गई।
कंपनी की तरफ से मुझे 3 दिन का रेस्ट मिला.. लेकिन मुझे फीवर हो गया था.. जो शायद चुदाई की थकान थी। थोड़े टाइम बाद मैंने फिर से ऑफिस ज्वाइन किया और अब मेरी पोस्ट और पगार दोनों बढ़ गई थीं।
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