स्वाति भाभी की अतृप्त यौनेच्छा का समाधान -3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

वो हँस पड़ी और मेरे कान में बोली- ये लोग बहुत खतरनाक हैं। मुझे बस इनका ही डर है और मेरा बच्चा भी छोटा है.. कुछ गड़बड़ हुई तो मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी। मैंने कहा- यह मेरा वादा है कि मैं ऐसा कभी भी होने नहीं दूँगा।

वो बोली- ठीक है बस तुम अभी बाथरूम में झाँकना बंद कर दो.. तुम्हें पता नहीं पकड़े गए तो कैसे फंसोगे और तुम्हारी क्या हालत होगी। मैं नाराज़ हो गया.. पर उससे कहा- फिर आज दोपहर 2 बजे कॉलेज से आ जाऊँ क्या? घर पर तो कोई और नहीं रहता। उसने ‘हाँ’ कह दिया।

मैं वहीं रुका और वो नीचे चली गई और जब वो बाथरूम में चली गई.. तो मैं धीरे से एक झ़लक देखने के लिए बाथरूम की खिड़की पर गया और उसका पूरा नंगा शरीर आँखों में भर लिया और ऊपर के टॉयलेट में जाकर लौड़ा हिला लिया, फिर उसके देवर के कमरे की कुण्डी खोल दी और नीचे आ गया।

बाक़ी सारे चूतिये ऐसे ही पड़े थे। उनको क्या खबर कि भाई ने आज क्या तय किया है।

मैंने कॉलेज में पेट खराब होने का बहाना बनाया और करीब 2 बजे वहाँ से निकल पड़ा। रास्ते में मेडिकल स्टोर से कन्डोम खरीद लिया और किसी को शक ना हो इसलिए बाइक को कमरे से दूर एक होटल के पास छोड़ कर कमरे की तरफ चल दिया।

जाते-जाते मैंने पूरी नज़र मारी.. आस-पास के घरों पर कहीं कोई गड़बड़ होने का चांस तो नहीं.. मैंने कमरे पर पहुँचते ही अपने जूते छुपा दिए।

अन्दर यानि नीचे के हॉल में बच्चा आराम से सो रहा था। रसोई में देखा तो वहाँ कोई नहीं था, मुझे लगने लगा साली ने अपनी गेम बजा दी। फिर मैं ऊपर गया.. वहाँ देखा कि देवर का रूम लॉक है.. और स्वाति के कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद था। मैं पास गया और दरवाज़े पर नॉक करने के लिए हाथ लगाया.. तो मैंने देखा कि दरवाज़ा खुला ही है।

मैंने दरवाज़े को धकेला तो हैरान रह गया। अन्दर स्वाति एक बहुत ही जबरदस्त श्रृंगार में सो रही थी, उसने डार्क महरून कलर की साड़ी और ब्लाउज पहना था, बाल मस्त स्टाइल में बनाए थे, माथे पर मैचिंग बिंदी भी लगाई थी।

उन सब रंगों से मैं भी रंगीन हो गया। मैंने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर दिया और धीरे से उसके पास गया। मैंने बड़े ही प्यार से उसके हुस्न को रिस्पेक्ट करते हुए उसका माथा चूमा, उस प्यारे से चुम्बन से उसकी आँख खुल गई। वो मुझे इतना करीब देखकर बहुत खुश हुई।

मैंने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में लिया और बहुत हल्के-हल्के से उसके होंठों को चुम्बन करने लगा। लोग समझते हैं कि गहरे चुम्बन करने से लड़की को मज़ा आता है.. पर सच ये है कि लड़की तो तब झूमने लगती है.. जब हौले-हौले से उसके होंठों को चूसा जाए।

हमारे पास शाम 5 बजे तक का वक़्त था इसलिए मैंने बड़े आराम से खेल शुरू किया।

स्वाति को मस्ती चढ़ रही थी.. वो नटखट मूड में मेरी नाक पकड़ कर बोली- साहिल सर.. मैं अगर आपको राजा कहूँ.. तो चलेगा क्या? वैसे हमारे राकेश साहब तो इस लायक हैं ही नहीं कि मैं उन्हें राजा कहूँ। मैंने कहा- मुझे तो कोई ऐतराज़ नहीं भाभीजी.. जैसा आप बोले वैसा चलेगा.. स्वाति बोली- अरे मेरे राजा.. भाभीजी किसे कह रहे हो.. स्वाति रानी कहो ना.. पूरे 5-6 साल छोटी हूँ मैं.. बापू के चले जाने के बाद माँ ने मजबूरी में शादी कर दी.. नहीं तो मुझे ऐसा निकम्मा पति नहीं मिलता। जिसके लिए बीवी के साथ मज़ा करना ज़िम्मेदारियों से ध्यान हटाना लगता है.. और दिन-रात उस मुए कंप्यूटर में आँखें और दिमाग लगाए बैठता है।

मैंने उसे संवारते हुए कहा- मेरी रानी जाने दो न.. चलो आँखें पोंछ लो.. मैं हूँ ना.. इतना कह कर मैंने फिर उसने रसीले होंठ अपने कब्ज़े में ले लिए। वो पूरी तरह मेरे चुम्बनों से पिघल रही थी और अपने जिस्म को मेरे हवाले कर रही थी। मैंने फिर गर्दन पर हाथ फेरना शुरू किया उसने पूरी तरह आँखें बंद कर ली थीं।

फिर मैं उसकी गर्दन चूमने लगा, उसके बदन पर बिजलियां गिर रही थीं। उसे शायद इन सब की आदत नहीं थी। वो मेरी हरकतों के नशे में पिघल रही थी। मैंने उसकी छाती से पल्लू हटाया और उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा।

वो बोली- अरे राजा क्या कर रहे हो? मेरा दूध पीना है क्या? अरे मेरे बच्चे को कम पड़ जाएगा। फिर कभी पी लेना। मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं तुम्हारे मम्मों को आज़ाद करना चाहता हूँ। बाथरूम में इन्हें देखकर दिल नहीं भरा मेरा..

यह बात सुनते ही उसने सारे हुक खोल दिए और ब्रा मैंने अलग कर दी। क्या मस्त मम्मे थे। मेरा कण्ट्रोल छूट गया.. पर बच्चे का सोच कर मैं सिर्फ उन्हें चाटने और हल्के से चूसने लगा.. जिससे दूध न निकले। करंट सा लग गया मेरी रानी को.. मेरे बालों में उसके हाथ घूमने लगे और उसने आँखें बंद कर लीं और चेहरा छत की तरफ करके मेरी काम आराधना महसूस करने लगी।

थोड़ी देर बाद वो मेरी शर्ट खींचने लगी और मैं समझ गया कि उसे वो निकाल फेंकना चाहती है। मैंने अपनी शर्ट उतार दी, वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी, मैंने उसके मम्मों से अपना मुँह हटा लिया और खड़ा हो गया।

मेरा लौड़ा मेरी पैंट फाड़ दे.. उससे पहले मैंने उसे आज़ाद कर लिया। जैसे ही उसने मेरा 7 इंच का हथियार देखा.. उसने अपना मुँह शर्म से छुपा लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने कहा- क्या हुआ मेरी रानी को। वो बोली- अरे मेरे राजा.. तुम्हारा ये तो बहुत बड़ा है.. मुझे तो पता भी नहीं था कि इतना बड़ा भी होता है। राकेश का तो बिल्कुल छोटा सा है.. पर वो उसका भी इस्तेमाल नहीं करता।

मुझे हँसी आई, मैंने कहा- मेरी रानी अगर तुम्हें ये इतना पसंद आया है.. तो थोड़ा चख तो लो इसे.. वो बोली- ये भी चखने की चीज़ है क्या? मुझे उल्टियां आ जाएंगी..

मैं थोड़ा नाराज़ हो गया.. लेकिन मैंने तो ठान लिया था कि उसका मुँह अपने लौड़े से भरना है। मैंने उसकी साड़ी हटा दी। अब वो बस पेटीकोट में थी।

मैंने उसको 69 की पोजीशन में लिया और लहंगा उठा कर मैं उसकी चूत चाटने लगा।

उसका पूरा चूत मोहल्ला कामरस से भीग गया था। मैंने उसके दाने को निशाना बनाया.. वो इंकार कर रही थी.. पर जब मेरी जुबान का जादू चलने लगा.. तो वो चुप हो गई और फिर नशे में डूबने लगी।

हम दोनों 69 में होने कि वजह से मेरा लौड़ा उसके मुँह के सामने ही था। नशा चढ़ते ही उसने पूरा लौड़ा चूस-चूस कर गीला कर दिया। मैं जन्नत की सैर कर रहा था। मेरा पैंतरा काम कर गया था और वो अब मेरा लौड़ा छोड़ने को तैयार नहीं थी।

मैं भी उसके दाने को जुबान से रगड़ रहा था। इसी घमासान में उसकी चूत ने अपना शिखर पा लिया और प्रेम रस बहने लगा। मैं पलट गया.. तो वो मुझे कस कर पकड़कर मुझे चूमने लगी।

मैंने कंडोम के लिए अपनी पैंट उठाई और एक पैक निकाला तो स्वाति बोली- प्लीज मुझे इसके बगैर ही करो ना.. इस रबर की वजह से मज़ा नहीं आता। राकेश हफ्ते में एक बार यही लगाकर ही करता है और पूरे महीने में 3 कंडोम का पैक काफी हो जाता है। मैंने कहा- यानि महीने में सिर्फ तीन बार? उसने उदासीनता में कहा- हाँ..

मैंने उसका ध्यान हटाया और बोला- जैसे मेरी रानी का हुकुम.. पर पहले थोड़ा इस हथियार की मालिश तो करो..

उसने एक मुस्कान दी और मेरे लौड़े को हाथों से सहलाने लगी। मैंने उसकी गर्दन पकड़ी तो उसने समझ लिया मैं क्या चाहता हूँ.. और उसने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया। हाय.. क्या ठंडक महसूस हो रही थी और क्या ताकत से लौड़ा तन रहा था।

जब मुझे चुसाई से तसल्ली हो गई.. तब मैंने उसको ज़मीन से उठाया और बाँहों में भर लिया। फिर हम बिस्तर पर आ गए.. वो अपनी पीट के बल पर लेटी थी.. मैंने उसकी टाँगें फैला दीं और बीच में बैठकर अपने लौड़े को अन्दर के रास्ते पर लगा दिया। ज्यादा तकलीफ नहीं हुई क्यूंकि वो एक बच्चे को निकाल चुकी थी। फिर भी लम्बा लौड़े होने की वजह से वो आवाज़ें निकालने लगी- आहह… आआआउह.. हऊओ.. आआआआ.. मेरे राजा.. तुम तो कमाल हो.. उउउऊऊईई माँ.. आज मुझे असली यार मिला है.. आआआओओ ओओओ..

मैंने अपनी स्पीड थोड़ी कम कर दी.. तो वो बोली- अरे राजा.. ये दर्द की चीखें नहीं.. ख़ुशी के पटाखे हैं.. यह सुनकर मैं और जोश में आ गया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। वो कहने लगी- राकेश का लौड़ा तो कभी गहराई तक पहुँचा ही नहीं.. बहुत मज़ा आ रहा है सर जी।

अपना मज़ा और बढ़ाने के लिए मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और बिस्तर से उतर गया। मुझे पता था कि वो घोड़ी नहीं बनेगी.. इसलिए मैंने चाल चली। मैंने उसकी टाँगें खींच लीं और फिर लौड़ा अन्दर डाल दिया और मैं खड़े रहकर ही उसकी चूत खोदने लगा।

जैसे ही वो चुदाई की मस्ती में आ गई मैंने उसे टाँगें पकड़ कर उल्टा घुमा दिया और मेरी रानी बन गई घोड़ी.. उसने ज़रा भी झिझक नहीं दिखाई। अब उसकी चूत कसी हुई लग रही थी मुझे नशा होने लगा और मैं तब सातवें आसमान पर था।

राकेश की कंडोम वाली बात को ध्यान रख कर मैंने अपना रस उसकी चूत से बाहर ही निकालने का इरादा किया। उसकी चीखें तेज़ होने लगीं- आ.. आआआउच.. हऊओ.. आआआआ.. मेरे राजा.. आह.. आआआउच..

मैंने देखा कि वो तकिया बहुत ज़ोर-ज़ोर से दबा रही है और बेडशीट भी दाँतों से खींच रही है, मेरा जोश और बढ़ गया, और वो भी तेज़ रफ़्तार में कमर को दौड़ा रही थी। तने में उसकी चूत ने कामरस के झ़रने को जन्म दे दिया और उसकी तकिए की पकड़ ढीली हो गई।

मैं खुश हो गया क्यूंकि अब तक मेरी रानी दो बार झ़ड़ चुकी थी।

मेरी रफ़्तार और बढ़ गई और मैंने उसको फिर पीठ पर लेटा दिया और बेसिक पोजीशन में उसे चोदने लगा। वो बस ख़ुशी के मारे मुस्कुरा रही थी। मेरे लौड़े का लावा उगलने की चरम सीमा पर आ गया था। मैंने अपने लौड़े को स्वाति की चूत से निकाला और अपने हाथों से उसे हिलाकर स्वाति के मम्मों पर उगल दिया।

स्वाति का चेहरा चुदाई से लाल हो गया था.. पर उस पर ख़ुशी की मुस्कान सजी थी।

फिर हमने एक-दूसरे को चूम कर कपड़े उठा लिए और होशियारी से वहाँ से मैं निकल कर बाथरूम में चला गया, फ्रेश होकर मैं मेरी बाइक लेकर आ गया। घड़ी में बिल्कुल साढ़े चार बजे थे.. जो हमारा रोज़ का टाइम था।

मैं कमरे में बैठा था.. तब ये तीनों आ गए और मेरी तबियत पूछने लगे.. तो मैंने कहा- अब ठीक है.. दवाई ले ली है..

थोड़ी देर बाद स्वाति सुबह की साड़ी में एकदम नॉर्मल मूड में आकर कहने लगी- सर चाय..। मैंने हँसकर चाय की ट्रे ले ली और कहा- थैंक यू भाभीजी..

यह कहानी यहाँ पर खत्म नहीं होती, यह तो बस शुरूआत है। और एक बात दोस्तो, मैंने स्वाति को चोदते समय पूरी नंगी नहीं किया.. क्यूंकि लहंगे में लड़की चोदने का हिन्दुस्तानी मज़ा है।

प्लीज कहानी को पढ़कर मुझे ईमेल ज़रूर करना। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000