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हैलो दोस्तो, अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा खड़े लंड से नमस्कार। मेरा नाम प्रेम शर्मा है.. मैं बरेली (उप्र) का रहने वाला हूँ, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मेरा अपना खाली समय ज़्यादातर अन्तर्वासना पर ही बीतता है और जहाँ तक मुझे लगता है.. मैंने अब तक सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। तो सोचा क्यों न अपनी भी सच्ची कहानी आप लोगों को सुनाता हूँ।
और अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
मेरी लंबाई 5.8 इंच है और मेरे लंड का साइज़ 6.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है.. जो कि किसी भी लड़की.. भाभी या आंटी की चूत की खाज मिटाने के लिए काफ़ी है। वैसे मैं समझता हूँ कि सेक्स के लिए समय सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है.. जो कि मेरे पास पर्याप्त है।
बात कुछ दिन पहले की है.. मैंने सोचा इस बार हैप्पी न्यू इयर दिल्ली में अपने भाई के साथ मनाता हूँ.. जो कि मेरे मामा जी का लड़का है। उसका नाम विनय (बदला हुआ) है.. उसने मुझे पहले से ही बोल दिया था कि इस बार मैं उसके साथ ही न्यू इयर मनाऊँ। तो मैंने भी ‘हाँ’ बोल दिया था।
मैं 31 दिसंबर की सुबह 5 बजे दिल्ली के लिए ट्रेन से रवाना हुआ और करीब 11 बजे मैं वहाँ पहुँच गया। मेरे पहुँचते ही वहाँ सब बहुत खुश हुए मामा जी और मामी जी ने मेरा स्वागत करते हुए घर के हाल-चाल पूछे। फिर मैंने थोड़ा आराम किया और अपने भाई विनय के साथ घूमने चला गया।
करीब 3 बजे हम लोग वापस आए। जैसे ही मैं कार से दरवाजे पर उतरा.. मैंने देखा पड़ोस में रहने वाली एक औरत वो विनय को देखकर मुस्करा रही थी, वो काफ़ी खूबसूरत थी, उसका फिगर 36-34-36 का रहा होगा, उसकी उम्र 32 के करीब होगी.. लेकिन मस्त माल थी यार..
मैंने विनय की तरफ देखा तो वो भी उसे देखकर मुस्करा रहा था, सारा माजरा मेरी समझ में आ गया, मैंने विनय से उसके बारे में उससे पूछा तो कहा- छत पर चल.. फिर सब बताता हूँ। मैं उसके साथ छत पर गया। पूछने पर उसने बताया कि उसका पति कहीं बाहर दूसरी सिटी में जॉब करता है। उसका एक छोटा बेटा भी है। नई जॉब थी इसलिए वो उसे अपने साथ नहीं ले गया। मैंने उस औरत को उसने पटा लिया है और उसकी कभी-कभी चुदाई भी करता हूँ।
मैंने सोचा यार लंगूर के हाथ में लंगूर।
मैंने उससे कहा- यार, मुझे भी उसकी चुदाई करने का मन हो रहा है, कुछ भी करके एक बार उसकी चूत दिलवा दे यार.. उसने कहा- चल ठीक है.. कोशिश करता हूँ। उसने मेरे ही सामने उसे काल किया पहले तो वो इधर-उधर की बातें करता रहा.. बाद में उसने मेरे बारे में बात की.. तो उसने मना कर दिया। विनय ने उसे गाली बक दी और फोन रख दिया।
मेरे चेहरे पर उदासी आ गई मैंने सोचा अब तो कुछ नहीं होगा। हम लोग उसके बारे में बात करने लगे। करीब एक घंटे बाद उसका फिर फोन आया.. विनय ने फोन रिसीव नहीं किया लेकिन उसका फोन बार-बार आने लगा।
मैंने पूछा- किसका फोन है? तो उसने कहा- उसी भाभी का फोन है.. तो मैंने कहा- रिसीव करके तो देख.. क्या बोल रही है?
उसने रिसीव किया तो मेरे बारे में दुबारा पूछने लगी.. तो विनय ने कहा- वो दिल्ली में नहीं रहता है.. सिर्फ़ कल तक है.. परसों वो चला जाएगा। वो मान गई। मेरी तो खुशी का ठिकाना ही ना रहा।
दोस्तो, मैं आप लोगों को बता दूँ कि वो मामा जी के बिल्कुल पड़ोस वाले ही घर में रहती थी। उसके सिवाय उसका करीब 12 साल का एक लड़का भी था और उसकी सासू माँ भी थी। वो सिर्फ़ तीन ही लोग उस घर में रहते थे। विनय का घर तीन मंज़िल है और छत पर जाने के लिए गेट बाहर से ही लगा है। अगर रात में कोई भी आदमी ऊपर-नीचे जाए.. तो किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। सिर्फ़ चाभी होनी चाहिए। विनय का कमरा भी सेकेंड फ्लोर पर था।
हम लोगों ने उसे रात में 12 बजे के बाद आने के लिए बोल दिया। उसने कहा- ठीक है.. अपने बेटे और सास को सुला कर रात में 12 के बाद आ जाऊँगी।
विनय ने मामी जी से कहा- प्रेम मेरे साथ ही सोएगा और रात में खाना हम लोग अपने दोस्त के यहाँ के घर खाएँगे। मामी ने ‘हाँ’ बोल दिया। हम लोग करीब 8 बजे बीयर शॉप पर गए और 5 बोतल और खाना पैक करा कर ले आए। घर आकर हम दोनों छत पर सीधे कमरे में चले गए और मस्ती करने लगे। हम दोनों ने बीयर पी और कुछ खाया मैंने टाइम देखा तो करीब 11:30 हो रहा था।
मैंने विनय से कहा- आज उस भाभी के साथ तू कुछ नहीं करेगा.. सिर्फ़ मैं उसे चोदूँगा। उसने कहा- ठीक है.. जब वो आएगी तो वो थर्ड फ्लोर पर चला जाएगा।
करीब 12 के बाद उसकी कॉल आई। उसने कहा- मैं आ रही हूँ। विनय जीने का दरवाजा खोलने चला गया। मैं जाकर सीधे रज़ाई में घुस गया और सोने का नाटक करने लगा।
वो दोनों आए.. विनय ने मुझे आवाज़ दी। मैंने उठ कर देखा तो देखता ही रह गया। यार.. कयामत ढा रही थी.. उसने क्रीम कलर का गॉउन पहन रखा था.. जिसमें उसकी सिर्फ़ पैन्टी दिख रही थी और ब्रा शायद उसने नहीं पहनी थी। वो दोनों आकर बिस्तर पर बैठ गए और अब हम तीनों बातें करने लगे।
विनय बोला- मैं सोने जा रहा हूँ.. तुम लोग अपना काम करो.. बाद में मुझे कॉल करके बुला लेना। और वो दूसरे कमरे में चला गया।
भाभी मेरे पास बिस्तर पर बैठी थी। मुझे लग रहा था कि वो मुझसे शरमा रही है। मैंने उनसे बात करना स्टार्ट की। मैंने सबसे पहले उनका नाम पूछा.. तो उसने प्रिया (बदला हुआ) बताया। उसके पति के बारे में पूछा। तो वो बताने लगी कि वो दूसरी सिटी में रहते हैं और एक साल में दो या तीन बार ही आते हैं और मैं कुछ दिनों से विनय से चुदाई करवा रही हूँ।
मैं उसके मुँह से ‘चुदाई’ शब्द सुनकर पागल सा हो गया और उसे अपनी ओर खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा, एक हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल हैं। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई- आहह..
उसने भी धीरे से अपना एक हाथ मेरे लोवर में डाला और मेरे खड़े लंड को ऊपर-नीचे करने लगी। मैंने उसका गाउन उतारा.. वो सिर्फ़ पैन्टी में थी। मैंने भी अपना लोवर और शर्ट उतार दी, हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए और बेड पर लेट कर किस करने लगे।
कभी मैं उसके ऊपर.. तो कभी वो मेरे ऊपर.. मेरा लंड बिल्कुल फटा जा रहा था। मैंने उससे कहा- इसे भी उतार फेंको जानू..
उसने तुरंत मेरे कच्छे को उतारा और मेरे लंड को मुँह में ले लिया। मैंने सोचा साली बिल्कुल रंडी है.. मुझे मानो जन्नत की सैर होने लगी। वो “चप्प-चप्प” करके लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैंने उससे 69 की अवस्था में आने को कहा.. वो फटाक से मेरे ऊपर 69 की अवस्था में आ गई। हम दोनों एक-दूसरे को जन्नत की सैर करा रहे थे। फिर मैंने उसे चित्त किया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। वो ‘अहह… ससस्स…’ करने लगी और कहने लगी- अब और न तड़पाओ.. मेरे राजा.. डाल ही दो अन्दर..
लेकिन दोस्तो, मुझे उस टाइम रगड़ने पर बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने देखा कि उसकी चूत से हल्का-हल्का पानी आ रहा है। मैंने तेज़ी से एक झटका मारा तो मेरा पूरा लंड गीलेपन की वजह पूरा ‘फ़च्छ’ से अन्दर चला गया। वो कराह उठी- उफ़फ्फ़…
मैंने धीरे-धीरे अन्दर बाहर करना शुरू करके उसे चोदने लगा। मुझे उस समय लग रहा था कि मानो धरती के स्वर्ग पर हूँ। उसके मुँह से आवाज़ आने लगी- सससस्स.. आअहह.. उफफफ्फ़..
उसकी मादक आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मैं और भी मदहोश होने लगा। थोड़ी देर में ‘फ़च्छ.. फ़च्छ..’ की आवाज़ से चुदाई की स्पीड बढ़ने लगी और वो एक बार झड़ चुकी थी।
करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मैं भी अपनी सीमा पर पहुँचने वाला था। मैं तेज झटके लगाने लगा और उससे कहा- मेरा निकलने वाला है.. उसने कहा- अन्दर ही निकाल दो..
बस 7-8 तगड़े झटकों में मैंने सारा वीर्य अन्दर ही डाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया। उसके चहेरे पर खुशी दिख रही थी। कुछ देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैं उठा और घड़ी की तरफ देखा.. तो 4 बज चुके थे।
उसने कहा- अब मैं जा रही हूँ। मैंने विनय को उठाया और उसने उसे देख कर पूछा- कैसी रही चुदाई जानू? तो वो हंस कर विनय के गले से लग गई। हम दोनों काफ़ी खुश थे। विनय उसे उसके गेट तक छोड़ आया।
तो दोस्तो, कैसी लगी यह मेरी सच्ची कहानी।
आपके कमेंट्स का मुझे इंतजार रहेगा। इस आइडी से आप मुझे फ़ेसबुक पर भी मिल सकते हो.. जल्द ही आपके साथ अपनी दूसरी घटना शेयर करूँगा। [email protected]
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