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दोस्तो, मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ, मैं बहुत स्मार्ट और सुंदर हूँ और लड़कियाँ मुझे देखकर ‘आहें’ भरती हैं। मेरी आँखों में एक कशिश है। मैंने अन्तर्वासना अभी कुछ दिनों पहले से ही पढ़नी शुरू की है।
बात लगभग उन दिनों की है.. जब मैं सीनियर स्कूल में था। मेरे पड़ोस में एक लड़की है.. उसका नाम पिंकी है। पिंकी अपने नाम की तरह ही है.. एकदम गोरी.. मस्त माल है। उसका भाई मेरा बहुत अच्छा दोस्त है। दोस्तो.. मैं उस समय तक सेक्स से दूर ही था।
एक बार हम सब पड़ोस के बच्चे छुपन-छुपाई खेल रहे थे.. तभी मैं और पिंकी एक दीवाल के पीछे जाकर छुप गए। पिंकी मुझसे बिल्कुल चिपक कर खड़ी थी। तब पहली बार मुझे किसी लड़की के बदन का स्पर्श सुख मिला।
वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मेरा लण्ड उसके चूतड़ों से दबा हुआ था। मेरा लण्ड अब तक खड़ा हो गया था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं पिंकी को बार-बार ‘कोई देख ना ले..’ ये कहकर और ज़ोर से खींच रहा था। तभी पिंकी को मेरे लण्ड का एहसास हुआ.. पर उसने कुछ नहीं कहा।
यह देखकर मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधे से ले जाकर उसके दोनों संतरे जैसे मम्मों पर रख दिए.. तो उसने मुझसे धीरे से कहा- अपना हाथ हटा.. मैंने घबरा कर अपने हाथ हटा लिए.. पर तभी मैंने महसूस किया कि पिंकी की साँसें काफ़ी तेज़ी से चल रही हैं और मेरी भी.. शायद पिंकी भी मेरा स्पर्श सुख ले रही थी।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था.. मैंने उसकी गर्दन पर हल्के से किस किया.. तो उसने अपना शरीर बिल्कुल ढीला छोड़ दिया। मैं वापस अपने हाथों को उसके मम्मों पर ले गया, इस बार उसने मना नहीं किया, मैं टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके मम्मों को सहला रहा था। मुझे बहुत अच्छा लगा।
तभी मैंने उसके टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसके मम्मों को ज़ोर से मसलने लगा। उसे भी मज़ा आता देख मैं अपना दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर ले गया और उसकी पैन्टी के बगल से अपनी उंगली उसकी चूत में करने लगा। उसकी चूत पर हल्के बाल थे। हम दोनों को इस सबमें बहुत मज़ा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी किसी ने मुझे आवाज़ दी.. हम एकदम से अलग हो गए और दीवार से बाहर आ गए। मेरी मम्मी ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दे दी। खाना खाने के बाद मैं पिंकी के बारे में ही सोचता रहा। अब मुझे उसको नंगी देखने का मन था।
अगले दिन मैं जब पिंकी के घर गया.. तो पिंकी ने मुझसे कहा- मुझे तुमसे कोई बुक लेनी है। मैंने कहा- दोपहर को आकर ले लेना।
दोपहर को पिंकी बुक लेने आई, घर पर मैं और मम्मी ही थे, मम्मी अन्दर वाले कमरे में सो रही थीं। मैंने पिंकी के अन्दर आते ही उसे पहले बुक दी.. फिर मैंने उससे कल वाली बात के बारे में कहा.. पर उसने कुछ नहीं कहा.. बस मुस्कुरा दी।
मैंने उसे अपने गले से लगा लिया और उसके होंठों पर किस करने लगा.. वो भी मेरा साथ देने लगी। वो आज भी टी-शर्ट और स्कर्ट पहने थी। मैंने उसे पलंग पर इस तरह से लिटाया कि उसके पैर ज़मीन पर ही थे और पीठ पलंग पर।
मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी.. आज उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी, उसके संतरे जैसे मम्मे मेरे सामने थे। मैंने पागलों की तरह उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया, वो भी मज़े में आ रही थी। तभी मैंने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी, उसने ब्लू कलर की पैन्टी पहनी हुई थी।
मैंने उसकी जाँघों को किस करना शुरू किया.. तो वो पागलों की तरह मुझे किस करने लगी। मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। उसकी नंगी चूत देखकर मैं पागल हो रहा था, मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था, मैंने अपना लोवर उतार दिया। मेरा खड़ा लण्ड मेरी चड्डी से बाहर आने को मचल रहा था।
तभी पिंकी ने मेरा लण्ड अपने हाथों से पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगी। पिंकी बोली- जान.. मुझे भी तो इसको दिखा प्लीज़.. मैंने तुरंत चड्डी उतार दी.. अब मेरा सात इंच लंबा हथियार उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार था। पिंकी मेरे लण्ड को पकड़ कर किस कर रही थी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
तभी पिंकी बोली- प्लीज़ इसे मेरी चूत में डालो.. मेरा बहुत मन कर रहा है जान.. मैं समझ गया कि पिंकी पूरी तरह चुदने को तैयार है, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के ऊपर रखा और अन्दर डालने की कोशिश की.. पर उसकी चूत बहुत टाईट थी।
मैंने अपने लण्ड पर थूक लगाया और उसकी चूत पर भी.. और लण्ड उसकी चूत में घुसड़ेने लगा। दो इंच लण्ड घुसते ही पिंकी बुरी तरह से चीखने लगी, मैंने जल्दी से अपना हाथ उसके मुँह पर रखा। वो दर्द से कराहते हुए बोली- प्लीज़ बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैंने कहा- थोड़ी देर में तुम्हें बहुत मज़ा आएगा।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डालना शुरू किया, मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया था। तभी मुझे अपने लण्ड पर गर्म पानी सा लगा.. उसकी चूत से खून निकल रहा था। मैंने तुरंत अपना लण्ड बाहर निकाला और उसे ज़मीन पर आने को कहा.. वो ज़मीन पर लेट गई।
मैंने फिर से उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। अब पिंकी को भी मज़ा आने लगा था.. वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने अब ज़ोर-ज़ोर से करना शुरू कर दिया.. पिंकी के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। तभी पिंकी ने मुझसे कहा- प्लीज़ मुझे कुछ हो रहा है.. ज़ोर-ज़ोर से करो..
मैंने ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करना स्टार्ट कर दिया। तभी मुझे भी कुछ होने लगा.. शायद मेरा और पिंकी दोनों का रस बाहर आने को बेताब हो रहा था।
कुछ देर बाद मेरा लंड ने अपने रस की बारिश पिंकी की चूत में कर दी। इधर पिंकी भी शांत पड़ गई।
हम दोनों ने अपने कपड़े पहने.. ज़मीन से खून साफ किया। पिंकी को बहुत दर्द हो रहा था.. वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उसे किस किया और कहा- मज़ा आया? तो उसने बदले में मुझे भी किस किया और मुस्कुराते हुए अपने घर चली गई।
फिर कई साल तक पिंकी और मैंने मज़े किए। एक साल पहले उसकी शादी हो गई.. आज वो अपने पति के साथ अपनी अच्छी जिंदगी जी रही है। मैं भी उससे अब सेक्स करना नहीं चाहता हूँ।
यह मेरे पहले प्यार, पहली चूत चुदाई का किस्सा था, आप सभी के कमेंट्स आमंत्रित हैं। [email protected]
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