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वो हुस्न की कोई परी नहीं थी। न ही वो मेरे उम्र की थी.. मुझसे सतरह साल छोटी उस लड़की को मैं कैसे और किस लिए पसंद आया.. ये मेरी समझ से बाहर है। उसका नाम था नीलम.. दोस्तो, कोई लड़की किसी ऐसे आदमी को बिना कुछ पाए अपनी अस्मत ऐसे सौंप सकती है। ये अगर 2010 के पहले कोई कहता.. तो मैं उस पर दिल खोल कर हँसता.. क्योंकि मेरी उम्र उससे बहुत बड़ी थी।
पहली बार अपनी चूत फड़वाना और वो भी जैसे अधेड़ से.. ये थोड़ा अजीब था, ये बेमेल रिश्ता हुआ कैसे? यह मेरी समझ में तब आया.. जब उसने खुल कर बात बताई। चूत के भोगी तो बहुत थे.. मगर उसकी पसंद मैं ही था। क्योंकि जो उसने कहा- तुम जब से मुझसे मिले तब से तुम मेरी बहुत केयर करते हो। जब भी मैं तुम्हारे बारे में सोचती हूँ.. तो तुम सामने होते हो। जिस दिन तुमने मुझे अपनी पसंद बताई.. मैंने सोच लिया कि मैं आपसे ही चुदवाऊँगी.. क्योंकि अगर मेरे बदन को किसी आदमी का पहला स्पर्श चाहिए.. तो वो तुम ही हो।
मैं उसको सुन रहा था।
‘फिर वो पहले चार दिन जो मेरी किस्मत के दरवाजे को तुम इस तरह खोलोगे, यह मुझे बिल्कुल पता नहीं था। मैं पूर्णतया कुंवारी लड़की थी। क्या बात थी उन चार दिनों में.. मेरे बदन ने जैसे कोई अवतार ही बदल लिया था। मैं कली से फूल बन गई और मुझे अपने उस फैसले का कोई दु:ख भी नहीं हुआ।’
उसके इस तरह कहने पर मुझे यह पता नहीं चला कि वह खुश थी या फिर नाराज थी। मैंने एक फैसला लिया, अगर वो पहली बार चुद रही है.. तो फिर उसे बड़े अच्छे तरीके से चोदना होगा.. क्योंकि उसके बाद उसको चुदना छोड़ नहीं देना है। जब पहली बार वो मेरे घर आई थी.. तो मैंने उसे पहले बेडरूम की दीवार के पास खड़ा किया.. फिर उसे चूमने लगा। चूमते-चूमते मैंने उसके दोनों थनों को धीरे-धीरे दबाना शुरू किया।
अनुभव होने के कारण मुझे पता था कि लड़की के मम्मों को हल्के-हल्के दबाते हुए अगर उसकी चूत को उंगली से कुरेदा जाए तो कोई भी औरत को गरम होना ही है। क्योंकि उसके ‘कॉमन जी-पॉइंट’ या तो मम्मे होते हैं या फिर चूत की पंखुड़ियों में छिपा हुआ दाना.. जिसे भगनासा कहते हैं।
मेरे उसकी चूत में उंगली करने से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुँचनी ही थी। उसने अपनी सलवार का नाड़ा खुद ही खोला.. कमीज बदन से उतार दी पर पैंटी और ब्रेसियर को उतारने के लिए वो मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसके दोनों होंठों पर अपने जलते होंठ रखे और उसके नीचे के होंठ को अपने दाँतों में लेकर चुभलाने लगा, दांत से उसके नीचे के होंठ को धीरे से काटने लगा, उसकी कच्छी की पट्टी को दूर करके उसकी चूत की दरार में उंगली डालकर मैंने उसे सहलाया।
‘स्स्स्ससाह.. बस करो ना.. अब आगे क्या करना है.. वो तो बताओ?’
मैंने उसके दोनों मम्मों पर मेरे होंठ रखे, उसकी नग्न नाभि पर चुम्बन लिया.. उसकी गर्दन के पिछले भाग पर मैंने मेरे होंठ रखकर उसका हल्का सा चुम्मा लिया। इन सब क्रियाओं से वो बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी। फिर मैंने धीरे से उसकी कच्छी की पट्टी में अपनी उंगली डालकर उसे नीचे की तरफ खींचा, उसकी नरम.. लाल छेद वाली चूत.. खुल गई। अपने पंजे में लेकर मैंने उसकी चूत को मसला।
वो मेरी तरफ देख रही थी, उसकी आँखों में वासना का सागर हिलोरें मार रहा था, चुदने की अटूट लालसा ने उसकी आँखों में जन्म ले लिया था। अब वो रुकने वाली नहीं थी.. ये उसके हावभाव ही बता रहे थे। उसके मुँह से अस्फुट उद्गार निकल रहे थे, जैसे वो मुझे गालियों से नवाज रही हो ‘साले चोदू.. चोद ना मेरी चूत को.. खा ले साले.. उसको.. मुँह में भर ले.. खा जा मुस्टंडे.. आह्ह.. मैं चुदने को तैयार हूँ.. फिर भी नहीं चोदता मादरचोद.. आ चढ़ मेरे बदन पर.. मसल डाल मेरे बदन को.. चूत के लवड़े.. लगा डुबकी मेरी चूत की गहराई में.. तेरी माँ की चूत.. आ मेरे चूत के मालिक.. चोद ले मेरी चूत को.. बहनचोद.. आ ना.. चोद मेरी चूत को..’
अब मुझे गुस्सा आया.. उसकी चूत की पुत्तियाँ फैला कर मैंने मेरे लंड को उसकी चूत में डाल कर पहला झटका दिया।
‘उई.. माआआआ.. हाआआय.. निकाल लो.. मेरी फट गई..’ ‘कुछ नहीं हुआ है रांड.. तेरी सील टूटी है.. मेरे लंड से!’ मैं थोड़ी देर रुका, उसके मम्मे दबाते हुए उसकी गाण्ड में उंगली करने लगा।
उसका दर्द कम हुआ तो फिर लंड को अन्दर-बाहर करते हुए काम चालू किया, उसने नीचे से गाण्ड उचकानी शुरू कर दी। फिर तो जैसे कमरे में वासना का तूफ़ान आ गया था। मैंने मेरे लंड के ताबड़तोड़ झटके देने शुरू किए, उसने वो सब सह लिए.. फिर वो भी मेरा साथ देने लगी।
उसके मुँह से निकल रहा था, ‘स्स्स्स्स्स.. हाँ.. उई मर गई.. बापरे.. बस करो न अब.. आह्ह.. पूरा अन्दर घुसा दो मेरी चूत में!’ पहला दिन था.. मैं आराम से उसे चोदना चाहता था.. लेकिन उसके हावभाव ऐसे थे कि वो पूरी गरम हो गई थी। अब मेरे मुँह से गालियाँ निकलने लगीं ‘मादरचोदी.. मेरी रंडी.. तेरी चूत में लंड.. साली छिनाल.. तेरी माँ की चूत..’ मेरे हर झटके के साथ एक गाली मुँह से निकल रही थी। वो मेरी गालियां भी अब एन्जॉय किए जा रही थी।
मेरे लंड ने जैसे तहलका मचा दिया था। पहले ही दिन उसे दीक्षा देनी थी.. पूर्ण संभोग की.. जोकि सारे छेदों को खोलने की थी।
आधा घंटा चूत में घमासान मचाने के बाद लंड महाराज पूरी तरह से तैयार हो गए थे। उनको अब जरूरत थी गाण्ड की.. तो मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। उसने पूछा- कैसे बनूँ? मैंने उसे घोड़ी बन के बताया.. तो उसने मेरी ही गाण्ड में उंगली कर दी। अब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया।
‘साली.. चुदक्कड़.. रुक तेरी गाण्ड ही मारता हूँ..’ यह कह कर मैंने उसकी गाण्ड में तेल लगी उंगली घुसेड़ दी। “हाय रे दईया..’ करते हुए उसने गाण्ड हिलाई। मैंने उसकी गाण्ड में पूरी बोतल चुपड़ दी, फिर मेरे लंड को उसकी गाण्ड के छेद के पास ले गया।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे मैं उसकी गाण्ड में चाकू घुसाने वाला था। मुझे हौले-हौले उसकी गाण्ड मारना था.. तो मैंने अपना लंड उसकी गाण्ड के छेद में लगाया और पहला धक्का मारा। ‘ओ माँ.. निकाल मेरी गाण्ड से.. लंड निकाल.. भड़वे.. लंड है या सलाख है.. साले लौड़े..’
उसकी इन गालियों की तरफ ध्यान न देते हुए.. मैंने मेरा लंड उसकी गाण्ड में लैंड करना चालू ही रखा। धीरे-धीरे उसका दर्द कम होने लगा। मैंने झटका मारा कि उसने गाण्ड पीछे करनी शुरू कर दी। मस्त गाण्ड चुदाई का मौसम था। उस दिन मैंने उसे चूसना.. चुदना.. गाण्ड मराना एवं आसान कैसे करना.. इसकी पूर्ण शिक्षा दी।
फिर जब भी वो आती खुद पहले मेरा लंड मुँह में लेती.. अपनी चूत मुझसे चुसाती.. वो सब करती.. जो एक बीबी एक शौहर के लिए करती है।
दोस्तो, मेरी रखैल को मैंने पहले दिन कैसे चोदा.. इसका विवरण आपको कैसा लगा.. आप सब की प्रतिक्रिया के इन्तजार में.. [email protected]
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