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अब तक आपने पढ़ा.. मैं महमूद से लिपट कर बुर का पानी निकालने लगी.. पर महमूद अभी भी शॉट लगा रहा था और झड़ती बुर पर शॉट पाकर मेरी बुर का पूरा पानी निकल गया। मेरी पकड़ ढीली पड़ गई। इधर महमूद अभी भी धक्के लगाए जा रहा था। मेरे झड़ने के 5 मिनट की चुदाई के बाद महमूद ने भी मेरी बुर में अपना पानी डाल दिया और वो शान्त हो गया.. चुदाई का तूफान भी थम गया था।
अब आगे..
चूत और लण्ड कि लड़ाई और वासना के खेल शान्त हो चुका था और महमूद अभी मेरी चूत पर ही लदे थे कि तभी बेल बज उठी। मैंने महमूद की तरफ देखा.. महमूद भी झुंझलाते हुए बुदबुदाए- कौन है? यह कहते हुए वीर्य से सनी बुर से अपना लण्ड खींचकर तौलिया लपेट कर दरवाजे की तरफ बढ़े और मैंने वैसे ही अपने नंगे बदन को ढकने के लिए एक चादर खींच कर अपने जिस्म पर डाल ली।
तभी महमूद ने दरवाजा खोला तो सामने सुनील थे। ‘ओह सुनील भाई, आप..!’ ‘जी महमूद भाई.. मैं हूँ.. कहीं गलत वक्त पर एंट्री तो नहीं मार दिया हूँ?’ ‘थोड़ा और पहले आते तो जरूर आने की शिकायत करता..’
सुनील और महमूद दोनों लोग आकर बिस्तर पर बैठ गए। सुनील महमूद को और मुझे देख कर सब समझ गया था कि अभी अभी यहाँ चूत और लन्ड से चुदाई करके वासना का खेल खेला गया है। उसी समय महमूद बाथरूम चले गए और तभी सुनील ने मेरे चादर के अन्दर हाथ डाल कर मेरी बुर को सहलाने के लिए ज्यों ही अपना हाथ मेरी चूत पर रखा.. वैसे ही मुस्कुरा दिया क्योंकि सुनील का हाथ मेरे रज और महमूद के वीर्य से सन गया था।
उसी वक्त महमूद बाथरूम से बाहर आए और सुनील ने हाथ बाहर खींच लिया। महमूद बोले- कैसे आना हुआ सुनील जी? ‘वही.. महमूद भाई.. अगर आप की इजाजत हो तो नेहा को ले जाता..’ महमूद ने कहा- सुनील भाई मन तो नहीं भरा है.. वैसे आप की इच्छा.. मैं तो चाह रहा था कि आज की रात नेहा जी की चूत और चोदता और चुदते देखता.. अगर आप चाहो तो कुछ और दे दूँ?
अभी सुनील कुछ कहते.. महमूद ने 100 के नोटों की एक गड्डी फेंक दी। सुनील बिना मुझसे पूछे.. बोले- जब तक आप की इच्छा हो.. आप नेहा जी के जिस्म को भोग सकते हैं। और सुनील मुझे एक बार फिर महमूद के लण्ड की शोभा बनने के लिए छोड़ कर चले गए।
मैं बिस्तर पर चूत में महमूद के वीर्य को लिए हुए बस सुनील को जाते हुए देखती रही। सुनील के कमरे से जाते ही महमूद दरवाजा बन्द करके मेरे पास आकर बोले- डार्लिंग तुम और तुम्हारी चूत मेरे को भा गई है।
अभी महमूद कुछ और कहते.. मैंने कहा- आपने सुनील से कहा कि नेहा की चूत और चोदता.. पर आप एक चीज और बोले थे कि चुदते हुए देखता.. इसका मतलब नहीं समझी.. यह कैसे सम्भव है?
महमूद मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रहे थे.. पर बोले कुछ नहीं और मोबाइल से किसी को फोन करने लगे। मैं बस चुप होकर महमूद की बात सुनने लगी। उधर किसी ने ‘हैलो’ कहा.. महमूद ने भी हैलो कहकर बोला- अरे भाई, मैं महमूद बोल रहा हूँ.. और हालचाल के बाद जो महमूद ने उससे कहा उसे मैं सुनकर सन्न रह गई।
उधर वाले ने भी शायद महमूद को कुछ बोलकर फोन रख दिया।
मैं बोली- यह आप किससे बात कर रहे थे और मेरी चूत को चुदने के लिए उससे क्यों कह रहे थे?
महमूद बोले- नेहा जी मेरा शौक है.. मैं जहाँ भी जाता हूँ.. मुझे एक ‘चुदक्कड़’ लड़की चाहिए होती है और उसे चोदने के बाद मुझे उसे चुदते देखने का भी शौक है और इसी तरह मैं जिस भी शहर में जाता हूँ.. वहाँ एक लड़के को रखता हूँ। यहाँ भी मेरा लड़का है.. दीपक राना.. उसी से बात कर रहा था। तुम्हारी चुदाई के लिए वह आ रहा है। उसे मैंने 10.30 रात तक आने को कहा है। आज मैं दीपक राना का लण्ड पकड़ कर तेरी चूत में डाल दूँगा और जब दीपक राना तेरी चुदाई करेगा.. मैं तेरी चूचियां मीसूंगा और तेरी चुदती बुर का पानी चाटूगा.. एक काम करो नेहा.. तुम बाथरूम जाकर अच्छी तरह फ्रेश हो लो और चलो कहीं घूम कर आते हैं.. और बाहर ही डिनर कर लिया जाएगा.. ताकि बस रात को तेरी चुदाई इत्मीनान से देख सकूँ। रानी तू ड्रिंक करती है..?
मैंने ‘ना’ में सर हिलाया..
‘लेकिन नेहा रानी.. आज तुमको मेरी खातिर पीना पड़ेगा.. प्लीज ‘ना’ मत कहना.. नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा..’ मैं बोली- महमूद.. यार मैंने कभी पी नहीं है.. और आपके कहने पर अगर पी ली.. तो मैं नशे में हो जाऊँगी.. और फिर मैं खुल कर साथ नहीं दे पाई तो? महमूद ने कहा- कुछ नहीं होगा.. तुमको पीना पड़ेगा.. मेरी कसम है तुझे..
मैं फिर कुछ नहीं बोली और सीधे बाथरूम में चली गई, फ्रेश होकर मैंने चार्ली के द्वारा दी गई ड्रेस पहन ली.. जो कि एक शार्ट स्कर्ट था और ऊपर का बिना बाजू का एक हॉट सा दिखने वाला टॉप पहन कर तैयार हो गई। महमूद ने जब मुझे देखा.. तो वो मुझे देखता ही रह गया और बोला- वाहह.. क्या मस्त माल लग रही है मेरी जान.. मैं मुस्कुरा दी।
और फिर हम लोग घूमने निकल गए। घूमते हुए हम लोग एक मॉल में गए.. और वहाँ पर रेस्टोरेन्ट में बैठ कर खाने का आर्डर दिया। मैं और महमूद आमने-सामने बैठे थे, महमूद के पीछे वाली टेबल पर एक हेण्डसम सा लड़का बैठा था। वह लड़का जब से बैठा था.. तभी से मुझे ही देखे जा रहा था।
मैंने उसकी तरफ गौर किया.. तो वह मुझे स्माइल और इशारा देने लगा। उसके इशारे पर मैं बस मुस्कुरा देती.. वह मेरे मुस्कुराने को मेरी रजामंदी समझ कर मुझे इशारे से मिलने को बोलकर एक तरफ चल दिया।
कुछ देर बाद मैंने गौर किया तो पाया कि मेरा आर्डर का टोकन नम्बर 543 था और जो नम्बर चल रहा था.. वह अभी 535 था.. इसका मतलब डिनर आने में करीब 20 मिनट लगने वाला था, तो मैं बाथरूम के बहाने महमूद से बोल कर चल दी।
मैं उसी ओर गई जिस तरफ वो गया था। वह ऊपर जाने वाली सीढ़ी के पास था। मुझे देखकर वह इशारा करके सीढ़ियाँ चढ़ने लगा और मैं उसके पीछे-पीछे चल दी। वो जिस सीढ़ी से चढ़ रहा था.. वह बैक साईड की सीढ़ी थी.. वो लड़का चौथे फ्लोर पर जाकर रूक गया। वहाँ के बाद ऊपर जाने का रास्ता बन्द था और अंधेरा भी था।
मेरे पहुँचते ही उसने मुझे अपने पास खींच लिया, मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर किस करने लगा। मैं उससे छूटने को छटपटा रही थी.. पर वह एक ढीट लड़का था.. उसने सीधे मेरी बुर पर हाथ ले जाकर मेरी बुर को दबा दिया और एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।
पता नहीं.. कब उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था। साले का लण्ड बेलन की तरह गोल था। उसका लण्ड हाथ में आते ही मेरा मन उससे खेलने को करने लगा और मैं उसके लण्ड को आगे-पीछे करने लगी। उसने इसे मेरी रजामंदी मानकर मेरे होंठों को छोड़ कर मुझे नीचे बैठाकर अपना लण्ड मेरे मुँह में भर दिया.. और मैं भी ‘लपालप’ लण्ड चूसने चाटने लगी।
मैं चाह रही थी कि जल्दी से उसके लण्ड का पानी निकले और मैं चाटकर साफ करके नीचे जाऊँ.. कहीं देर न हो जाए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वह लड़का भी ‘गपागप’ लण्ड मेरे मुँह में पेले जा रहा था। कुछ देर की चुसाई के बाद उसने मुझे उठाकर झुका दिया और मेरी छोटी सी स्कर्ट को ऊपर करके मेरी पैन्टी को खींचकर नीचे करके मेरी चूत को मुँह में लेकर चाटने लगा। वह जीभ लपलपा कर चाटता रहा।
मैं बोली- जो करना बे.. जल्दी कर.. मुझे देर हो रही है। अभी मैं कुछ समझती.. उस लड़के ने तुरन्त चूत पीना छोड़कर अपने लण्ड को मेरी प्यासी बुर पर लगा दिया और एक जोरदार झटका लगाकर पूरा लण्ड एक ही बार में अन्दर डाल दिया।
अब उसने मेरी कमर पकड़ कर बिना रूके झटके पर झटका लगाते हुए मेरी बुर ऐसी-तैसी करते हुए मेरी चुदाई करने लगा। उसके हर धक्के से मेरे मुँह से ‘ऊऊ..न.. आह.. आहहह हईईई.. आहई..ऊऊऊऊऊ’ निकलती।
मैं देश दुनिया से बेखबर बुर चुदाती रही ताबड़तोड़ चुदाई से मेरी बुर पानी छोड़ रही थी। तभी उसका लण्ड मेरी चूत में वीर्य की बौछार करने लगा। मैं असीम आनन्द में आँखें बंद करके बुर को लौड़े पर दबाकर उसके गरम वीर्य को बुर में लेने लगी। तभी उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। सट.. की आवाज करता लण्ड बाहर था.. और मैं खड़ी होती… इससे पहले वह गायब हो गया।
मैं भी नीचे बाथरूम में जाकर चूत साफ करके मेकअप आदि ठीक करके बाहर आकर महमूद के पास बैठ गई। देखा कि डिनर भी आ चुका था। अब लण्ड खाने के बाद भूख भी जोरों से लगती है न..
फिर मिलेगें बाय..
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अपने ईमेल जरूर लिखना क्या मालूम मेरी चूत के नसीब में आपका लण्ड लिखा हो। कहानी जारी है। [email protected]mail.com
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