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‘मादरचोद.. छिनाल.. रांड.. लौड़े का माल.. चूत की लौड़ी.. नंगी रांड.. चुदक्कड़ माल.. तेरी चूत में लंड.. तेरे चूत को चाट-चाट कर चोदूँ.. तेरी माँ की चूत.. बहनचोद..!’
इन शब्दों को पढ़ कर आपको लगेगा कि ये गालियाँ किसी वेश्या को दी जा रही हैं। लेकिन यह सच नहीं है। मेरे शौहर मेरे महबूब मेरे पति.. मुझे जब भी चोदते हैं.. तो उनकी ये प्यारी सी गालियाँ मेरे कानों में गूंजती रहती हैं।
पहले-पहल मुझे उनके इस गालियों पर बड़ा गुस्सा आता था। मैंने कई बार उनसे इसकी शिकायत भी की लेकिन जब गालियाँ देते हुए वो मुझे चोदते थे.. तो बहुत मजा आता था। मुझे एक बात ध्यान में आई कि.. वो ये गालियाँ सिर्फ और सिर्फ चोदते वक्त ही देते थे। वैसे वो थे बड़े रंगीन मिजाज.. कई बार तो उन्होंने मुझे खाना बनाते वक्त ही पीछे से पकड़ कर चोदा है। उनसे चुदने के लिए मैं बड़ी बेकरार रहती हूँ।
‘ये तो ऐसी है यार चुदने के लिए बेकरार करो इससे प्यार.. चोदो इसको बार-बार..’ इन लाइन को मेरे शौहर बार-बार कहते हैं और मेरी चूत को चोदते जाते हैं।
एक बार की बात है.. मैं सोई हुई थी.. गहरी नींद में थी। अचानक मेरे पीछे से मेरे चूतड़ों पर मुझे कोई चीज चुभती सी लगी.. मैं कुनमुनाई.. मैंनी गाण्ड थोड़ी हिलाई.. तो एक मोटा सा डंडा जैसे मेरे चूतड़ों की फाँकों में घुसता हुआ सा पाया। मैंने पलट कर देखा.. मेरे शौहर तो सोए हुए थे.. लेकिन उनका साढ़े पांच इंची लंड मेरी गाण्ड की फांक में घुस रहा था।
मुझे बड़ा प्यार आया, मैं थोड़ा पीछे को सरकी। वो सोए ही पड़े थे लेकिन उनका साढ़े पांच इंची लंड जरा सा और अन्दर घुसा.. मैं थोड़ी पलटी.. मैंने उनका लंड मेरे मुँह में लिया और उसे चूसने लगी। धीरे-धीरे उसका आकार और बढ़ने लगा।
फिर मैंने अपनी सलवार खोल कर पैन्टी उतारी। गाण्ड तो मैं हरदम उनसे मरवाती रहती थी, मैंने उनके लंड को अपने थूक से सराबोर किया.. फिर अपने कूल्हे फैला कर अपनी गाण्ड के छेद पर उनका हल्लबी लंड रखा और फक्क से मैं उनके जिस्म पर बैठ गई। उनका लौड़ा मेरी गाण्ड के छेद में जाकर अड़ सा गया..
मैंने एक चीत्कार मारी, ‘स्स्स्स्स.. हाँ..’ और उनका पूरा का पूरा लंड मेरी गाण्ड के छेद में चला गया था। इसी बीच में मेरे शौहर भी जाग गए थे। फिर तो जैसे गालियों की बारिस के साथ मेरी चुदाई की राजधानी एक्सप्रेस शुरू हो गई थी। गाण्ड मरवाना इतना खूबसूरत होता है.. ये मुझे उस वक्त पता चला।
‘मादरचोदी.. मेरे जागने की राह भी नहीं देख सकती क्या तू..? अगर गाण्ड ही मरवानी थी.. तो जगा लिया होता्… बहनचोदी… तेरी माँ की चूत.. साली छिनाल.. रांड.. जब भी मन होता है.. तो साली लंड खा लेती है..! ‘ओय होय रे मेरी चूत के मालिक.. साले चूत के लौड़े.. तेरे लंड की दीवानी हूँ मैं! छिनालचोद.. अपनी बहन चोद, माँ चोद ना.. साले इतना है तो.. फाड़ साली को.. तेरे लिए ही बनी है मेरी गाण्ड और चूत।’
‘क्यों री मेरी रांड.. कभी यह मन में आया कि किसी दूसरे मर्द का लंड भी चूत में लूँ.?’ ‘तुम्हारा ही लेते-लेते पूरा नहीं होता.. फिर दूसरे के लिए जगह ही कहाँ बचती है जानू…!’ ‘क्या है जान.. कि मुझे बड़ा ताज्जुब होता है.. जब औरतें दूसरे मर्द से चुदवाती हैं.. क्या उनका मर्द पूरा नहीं पड़ता उनको चोदने के लिए..?’
‘नहीं मेरी चूत के राजा.. ऐसा नहीं है.. क्या है कई औरतों को चुदवाने का बहुत शौक होता है.. लेकिन होता क्या है कि मर्द बाहर से थककर आता है। एक बार चोदता है.. फिर सो जाता है। तुम्हारे बारे में एक बात है.. कि तुम मुझे चोदते हो तो मेरी सम्पूर्ण भूख पूरी मिट जाती है और रात भर में कभी भी तुम्हारा लंड मेरी चूत के लिए तैयार ही रहता है। मस्त चोदते हो यार तुम.. मेरे हर छेद का भोसड़ा बना देते हो। तुम्हारा चोदना मुझे बहुत भाता है मेरे राजा..।’
मेरे ये कहने पर मेरे पति मुझे और जोर-जोर से धक्के मारते हुए मेरे अंग-अंग को चूमते हुए.. मेरे नंगे पुठ्ठों को मसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में घुसा रहे थे। मैं उतनी ही उत्तेजना से उनका सहयोग कर रही थी।
शादी के छह-सात साल.. ये चोदना-चुदाना चलता रहा, मैं अपने शौहर के लौड़े से पूर्ण रूप से संतुष्ट थी, मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की जरूरत नहीं पड़ी, उनके लंड को शांत करने में मेरी चूत का सहयोग उन्हें पूरा मिलता था।
एक दिन अचानक वो ऑफिस से आए, उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में लिया, मेरे दोनों मम्मों को दबाते हुए कहा- डार्लिंग.. मेरा डेप्युटेशन दिल्ली हो गया है। मुझे एक महीने के लिए दिल्ली जाना पड़ेगा।
मैं चौंक गई। ये चूतमारा.. दिल्ली जा रहा है.. यानि मेरी चूत को लन्ड के के फाके पड़ने वाले हैं।
‘जानू.. मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ..? मेरी चूत का क्या होगा? अब मुझे कौन चोदेगा? एक महीने का उपवास कैसे रखूंगी? देखो न चूत अभी से कुनमुनाने लगी है। हाय राम कैसा होगा मेरा हाल?’ ‘मादरचोदी.. रुक तो सही.. मैं तेरा साथ देने के लिए मेरी सेक्रेटरी कुसुम को भेजता हूँ.. वो तेरे साथ रहेगी।’ ‘उससे मेरी चूत की आग ठंडी तो नहीं होगी ना राजा?’ ‘लेकिन वो पानी निकाल देगी तेरा। तो तू थोड़ी शांत हो जाएगी। चलो आज की रात तेरी वो ठुकाई करता हूँ कि तीन दिन तक तुझे मेरे लंड की याद नहीं आएगी।’
फिर वो तूफानी चुदाई हुई मेरी.. कि बस.. मेरा पूरा शरीर थक गया था। दूसरे दिन वो ट्रेन से दिल्ली जाने के लिए तैयार हुए। इतने में दरवाजे की घन्टी बज उठी। ‘देख.. कुसुम आई होगी..’ मेरे पति ने कहा।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने तीस-बत्तीस की लगने वाली एक लड़की खड़ी थी। नाक-नक्श वैसे मस्त थे.. थोड़ी मस्ती भरी आँखों से वो मुझे घूर रही थी। मैंने पूछा- क्या तुम्हारा ही नाम कुसुम है? उसने कहा- जी हाँ.. सर ने आज से आपके साथ रहने के लिए कहा है। ‘ओके.. अन्दर आ जाओ..’ उसने पूछा- क्या सर चले गए? ‘नहीं.. जाने वाले हैं।’
मेरे पति बैग लेकर बाहर आए, कुसुम ने उनसे नमस्ते की।
‘आज से मैडम का ‘ख्याल’ रखना..।’ उन्होंने ‘ख्याल’ शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए कहा। ‘जी हाँ सर.. मैं मैडम का ‘पूरा ख्याल’ रखूंगी।’
उसने जिस तरह से हँस कर मेरे पति से कहा.. उस पर मेरे जेहन में एक विचार कौंध गया- साला ये चूत मारा ऑफिस में इसको चोदता तो नहीं होगा? लेकिन घर पर वो बेड पर जो कुश्ती मुझसे करता था.. उससे ऐसा तो नहीं लगता था।
मैंने मन में ठान लिया कि एक-दो दिन के बाद इससे जरूर पूछूंगी कि क्या मेरे पति ऑफिस में तुम्हारी लेते हैं क्या? पति को एयरोड्रम पहुँचा कर मैं और कुसुम वापस घर आ गए।
मैंने खाना बनाया ही था.. जो हम दोनों ने खाया। कुसुम ने मुझसे कहा- आप बेडरूम में सो जाइए.. मैं सोफे पर सो जाती हूँ। मैंने कहा- नहीं यार.. तू मेरे साथ बेडरूम में ही सो जा।
हम दोनों ने ड्रेस बदली। उसने मुझसे कहा- मैडम मैं ब्रा और पैंटी में ही सोती हूँ.. आपको कोई एतराज तो नहीं है? भला मुझे क्या एतराज था.. वो थोड़ी कोई मर्द थी क्या! मैंने उससे कह दिया- ठीक है.. सो जाओ।
उसके इस अंदाज का पता मुझे आधी रात को चला। उसने मेरी जांघों पर जांघे चढ़ा दीं.. जैसे उसे कुछ भी मालूम नहीं है।
इस तरह नींद में होने की एक्टिंग करते हुए उसने मेरी जांघों पर हाथ फेरना शुरू किया, मैं थोड़ी कुनमुनाई। लेकिन पति के बगैर मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था, चूत में जैसे चींटियां चल रही थीं, रात भारी लग रही थी। थोड़ा बहुत आनन्द आ जाए तो क्या बात है.. यह सोच कर मैं कुसुम का साथ देने लगी।
‘स्स्स्स्स शस्स हाँ’ करते हुए कुसुम ने मेरे गाउन की डोरी खींच दी, उसकी इस हरकत से मैं होशियार हो गई। अभी वक्त नहीं आया था उससे पूछने का.. लेकिन मैं उसकी इस हरकत से गरम हो रही थी। हम दोनों ने पहले थोड़ी मस्ती.. फिर थोड़ी गर्मी.. और फिर डिल्डो से चुदाई होगी.. ये प्रोग्राम फिक्स हुआ।
कुसुम मेरे हिसाब से ज्यादा गरम हो गई थी, उसकी चूत के छेद से पानी का फव्वारा निकल रहा था, मेरी भी हालत कुछ ऐसी ही थी। अब एक घनघोर चुदाई की उम्मीद थी। लेकिन हम दोनों के गरमी का इलाज होना बाक़ी था।
‘आज क्या करें…’ इसका जबाब कुसुम ने दिया।
‘मैडम में अपने बॉयफ्रेंड को बुला लूँ क्या? उसने पूछा.. तो मैं तनिक सकुचाई.. क्योंकि मेरे पति के सिवा मेरे बदन को नंगा किसी ने नहीं देखा था। एक अजनबी आदमी मेरे नंगे बदन को देखे.. यह मैं कैसे बर्दाश्त कर सकती थी।
पहले तो मैंने गुस्से से उसको देखा फिर कहा- नहीं.. तुम अगर मुझसे तृप्त नहीं हो सकती.. तो सो जाओ.. मैं संकोच नहीं करूँगी.. चूत जाए भाड़ में.. लेकिन किसी पराये मर्द से चुदवाना.. मैं अपने पति से विश्वासघात कैसे कर सकती थी..!
कुसुम से जब मैंने ये कहा.. तो वो हँस दी।
‘मैडम.. आपको घनघोर चुदाई का अनुभव तो रोज आता होगा ना?’ मैंने ‘हाँ’ के इशारे में मुंडी हिलाई.. तो बोली- साहब रोज आपको चोदते हैं? ‘हाँ.. फिर..?’ मैंने पूछा। वो मुस्कुराते बोली- ऑफिस में साहब रोज लंड चुसवाते हैं मुझसे और फिर मेरे बॉयफ्रेंड से अपनी गांड मरवाते हैं। ‘क्या बात करती हो?’ ‘हाँ मैडम.. ये सच है.. अगर झूट लग रहा है.. तो सर से पूछिये?’
मैं सन्न रह गई थी। क्या मेरा पति गाण्ड मरवाने का शौकीन था? मुझे ये कुछ जंचा नहीं। मैंने तत्काल उनको मोबाईल पर कॉल की।
मैंने उनसे पूछा- क्या ये कुसुम कह रही है.. वो सच है? उन्होंने फोन स्पीकर पर डालने को कहा और कुसुम से बात की- क्यों री मादरचोदी.. तेरे से रहा नहीं गया ना.. साली चुदक्कड़.. अब तेरे बॉयफ्रेंड से उसको चुदवा साली.. रांड..
मेरे पति की गालियाँ सुनकर कुसुम हँस रही थी ‘ठीक है.. मेरी चूत के राजा.. आज चुदवा दूँगी तुम्हारी बीवी को मैं अपने बॉयफ्रेंड से..’
उसने कहा.. तो मैं भौंचक्की रह गई। क्या लड़की थी.. मेरे सामने मुझे चुदवाने की बात कर रही थी। लेकिन पति की स्वीकृति के बाद मुझे ऐसा कोई काम करने में हिचक नहीं थी। जब पति ही गान्ड मराऊ था.. तो मैंने क्या पाप किया था..? मैं क्यों न अपनी चूत की खुजली दूसरे लंड से मिटवाऊँ..? यह सोचकर मैंने कुसुम को हामी भर दी।
कुसुम ने उसके बॉयफ्रेंड को मोबाइल किया- हितेश क्या तुम फ्री हो..? आज प्रोग्राम का इरादा है.. तुम आ सकते हो क्या..? ‘कहाँ आना है जानू?’ कुसुम ने पता बताया।
बीस मिनट तक हम दोनों ने खूब चूत चूसाई की, बीस मिनट बाद दरवाजे की घन्टी बजी, मैंने अपने कपड़े संवारे और दरवाजा खोला। एक सत्ताइस साल का बांका नौजवान सामने खड़ा था, उन्तीस साल की कुसुम का सत्ताइस साल का बॉयफ्रेंड? मुझे फिर अंदेशा हुआ क्या ये भी कुसुम और मेरे पति की चाल थी। मेरे पति को मालूम था कि मैं चुदवाये बिना नहीं रह सकूंगी तो उसने शायद इन दोनों को उसके लिए बुक किया था। लेकिन मुझे सामने देखकर वो आश्चर्यचकित हो गया था।
दोस्तो.. मेरी इस चूत मराने की रसभरी घटना से आपका लौड़ा खड़ा.. और चूत को गीला करवाने में मुझे कितनी सफलता मिली.. ये सब तो आपके उन कमेंट्स से मालूम चलेगा जब आप मुझे मेरी कहानी के नीचे लिख कर बताएँगे। कहानी जारी है। [email protected]
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