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नमस्कार साथियो, आपने मेरी इसके पूर्व की कहानियों को पढ़ कर मुझे जो असीम प्यार दिया था. उसके लिए मैं आप सभी का हृदय से आभारी हूँ। दोस्तो, यह बात अभी पिछले महीने की है.. मेरी कहानी पढ़कर मेरे पास काफी मेल आ रही थीं.. उन्हीं में से एक चंडीगढ़ के हेमंत जी (बदला हुआ नाम) हैं.. जो काफी टाइम से मुझे मिलने के लिए कह रहे थे.. तो मेरा भी इस बार लंड लेने का काफी मन हो रहा था। इससे पहले की जो चुदाई के किस्से हुए हैं.. वो भी बताऊँगी.. पर यह हाल का है.. इसलिए यह कहानी पहले बता रही हूँ।
तो मंगलवार को हेमंत जी ने मुझसे बुधवार का पक्का करवा लिया। वे सुबह करीब 11 बजे दिल्ली आ गए और पहाड़गंज जाकर एक अच्छा नामी होटल में रूम लेकर मुझे कॉल किया।
मैं भी तैयार हुई.. जीन्स, शर्ट पहनी.. शेविंग करवाई और पहले वाइन शॉप पहुँची वहाँ से नंबर 1 का एक क्वार्टर लिया। उसको आधा लीटर पेप्सी में मिलाया और पीते हुए चल दी। मैं ऑटो में थी.. उसी दौरान मैंने व्हिस्की मिली हुई पूरी पेप्सी पी ली थी.. जिससे मुझे सुरूर चढ़ने लगा था।
अब मैं होटल पहुँची.. हेमंत जी को कॉल किया.. तो वो मुझे लेने बाहर आ गए। मुझे हेमंत जी दिखने में अच्छे लगे.. उनका लम्बा कद.. सुडौल खिलाड़ियों वाला भरा हुआ जिस्म..
हम अन्दर कमरे में गए.. बैठे और आपस में एक-दूसरे से बात ही कर रहे थे कि वो मेरे पीछे आकर बैठे और उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। मुझे बाहों में लेते ही वे मेरी मोटी छाती को अपने सख्त हाथों से खूब ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे।
उफ्फ्फ.. मेरे अन्दर बिजलियाँ दौड़ने लगीं.. क्योंकि लगभग आठ माह बाद मेरी छाती पर किसी मर्द का स्पर्श हुआ था। उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पैन्ट की बेल्ट खोलकर बटन खोला, फिर धीरे से ज़िप खोल कर धीरे-धीरे मेरी पैन्ट उतार दी।
मैंने भी उनका साथ दिया और पलट कर उन्हें अपनी बाँहों में भर लिया। फिर मैंने उनकी टी-शर्ट उतारी.. पैन्ट भी खोल दी और उतार दी।
लेकिन जैसे ही मैंने उनका लंड देखा.. मैं हैरान रह गई.. क्योंकि लंड बहुत ही मोटा था.. पर मुझे अच्छा भी लगा। मैंने तुरंत उनका लंड अपनी मुट्ठी में भर लिया और उसे आगे-पीछे करके खेलने लगी। वाऊ.. मेरा फेवरेट काम लंड से खेलना.. कितना मज़ा आ रहा था..
उन्होंने मुझे लेटाया और मेरे ऊपर लेट गए और मेरे मुलायम होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगे। सच में.. उस पल मेरी आँखें मज़े में बंद हो गईं। मैंने अपनी टाँगें उनकी कमर पर लपेट लीं और मेरे हाथ उनके हाथों में फंसे थे।
थोड़ी देर चूमाचाटी के बाद उन्होंने अपना मोटा लंड मेरे होंठों पर रख दिया और मैंने भी होंठ खोलकर उनके लंड को अन्दर आने की इज़ाज़त दे दी।
लंड मेरे मुँह के अन्दर आया ही था कि मेरी आँख खोलकर जो कि मज़े में बंद थीं.. मैंने लंड बाहर निकाल दिया और उनसे कहा- प्लीज पहले कंडोम लगा लीजिये.. उन्होंने कहा- क्या ज़रूरत है.. बिना कंडोम के ज़्यादा मज़ा आएगा.. पर मैंने उन्हें समझाया- हम पहली बार मिले हैं तो प्लीज सेफ्टी ज़रूरी है।
वो मान गए और वो स्कोर कंडोम का पैकेट लाये थे.. मैंने पैकेट अपने हाथ में लिया और कंडोम निकाल कर अपने मुलायम हाथों से उनके लंड पर चढ़ाया..। लंड अभी पूरी तरह सख्त नहीं था.. कंडोम चढ़ाकर मैंने लंड मुँह में भरकर चूसना शुरू किया।
पूरा लंड आराम से मेरे मुँह में जा रहा था। मैं आँखें बंद करके चूसने का पूरा मज़ा ले रही थी। धीरे-धीरे लंड मुँह के अन्दर-बाहर कर रही थी.. पर धीरे-धीरे मुझे महसूस हुआ कि लण्ड का साइज बढ़ गया है और मेरे मुँह में अब आधा ही लण्ड जा पा रहा था।
मैं लगातार चूसती रही और लण्ड पूरा तन गया। अब केवल लण्ड के सुपाड़े से थोड़ा ज्यादा ही लण्ड मुँह में जा पा रहा था।
मैंने लण्ड देखा तो मुझे विश्वास नहीं हुआ कि इतना मोटा लण्ड भी होता है। उफ्फ्फ.. क्या लौकीनुमा लण्ड था.. पर मुझे अच्छा ही लगा कि आज ये लण्ड ले लिया.. तो मेरी गाण्ड में हर तरह का लण्ड ले पाऊँगी..।
मैं दिल दिमाग से एक लड़की हूँ और हर लड़की को नया मोटा लण्ड देखकर डर के साथ ख़ुशी सी भी महसूस होती है.. ठीक वही हाल मेरा भी था।
उन्होंने अब मुझे पेट के बल उल्टा लेटा दिया और मेरी गाण्ड पर बहुत सारा थूक कर उसे मल कर.. गाण्ड को थोड़ा चिकना कर दिया। मुझे डर तो बहुत लग रहा था.. पर मैंने क्वाटर भी पी रखा था जिसका सुरूर अभी भी था.. तो मुझे हिम्मत भी मिल रही थी। अब मैंने बिस्तर की चादर कस कर मुट्ठी में भर ली और आँखें बंद कर लीं..
उन्होंने लण्ड का सुपाड़ा गाण्ड के छेद पर लगाया उफ़.. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे सर पर बन्दूक तान दी हो और पता नहीं वो कब चला दे। मेरी हालत वैसी ही हो रही थी.. मेरी आँखें बंद थीं.. उन्होंने धीरे से ज़ोर लगाया.. पर लण्ड गलत जगह था.. तो छेद में नहीं घुसा।
फिर मैंने हाथ से उनका लण्ड छेद पर सैट किया और उनसे धीरे से करने के लिए बोली। उन्होंने धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया और लण्ड का हल्का सा भाग गाण्ड के छेद में फिट हो गया। मुझे दर्द महसूस हुआ.. पर मैं सह गई। उन्होंने अब और दबाव बढ़ाया और सुपाड़ा गाण्ड के अन्दर घुसा दिया।
मेरी आँखों से आंसू आ गए.. मैंने थोड़ी देर रुकने को कहा.. पर उन्होंने इतने में और दबाव बढ़ा कर लगभग आधा लण्ड गाण्ड में फिट कर दिया।
मेरी जान ही निकल रही थी यारों.. सच कहती हूँ जिसने गाण्ड मरवाई है.. उसे पता होता है। ऐसा लगता है कि किसी ने चाक़ू से गाण्ड के किनारे चीर दिए हों.. मैं झटपटाने लगी- प्लीज निकाल लो.. मुझे दर्द हो रहा है..
पर वो बहुत जोश में थे। मैं उनके नीचे पड़ी थी.. वो मेरे ऊपर चढ़े थे और उन्होंने मुझे इस तरह से जकड रखा था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी..। उन्होंने आधे घुसे हुए लण्ड से ही धक्के मारने शुरू कर दिए और मेरी गाण्ड फटने लगी.. और मैं भी उनके लण्ड को रास्ता देती गई।
ऐसे उन्होंने पूरा लण्ड मेरी छोटी सी गाण्ड में जड़ तक फिट कर दिया और धक्के पर धक्के लगाने लगे। मैं नीचे दबी हुई रो रही थी- प्लीज.. आराम से करो.. धीरे करो.. छोड़ दो..
पर उनको शायद मेरी टाइट गाण्ड में बहुत मज़ा आ रहा था। उनके धक्के तेज़ होते रहे और मेरी ‘आई उईईईईई..’ निकलती रही। पर मुझे अन्दर ही अन्दर अच्छा भी लग रहा था कि आज दर्द सह गई.. तो मेरी गाण्ड को इसी लण्ड से मज़ा भी बहुत मिलेगा। इसलिए मैं धक्के झेलती गई और अन्दर की बात ये भी थी कि हेमंत जी का लण्ड और उनका नेचर देख कर मेरे दिल में उनके लिए सम्मान और प्रेम भी पनप चुका था। इसलिए मैं उन्हें संतुष्ट करने के लिए वो दर्द भी मज़े से सह रही थी।
अब उन्होंने लण्ड बाहर निकाल कर मुझे सीधा लेटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखकर मेरी गाण्ड में फिर झटके से लण्ड डाल दिया और लगे दनादन धक्के लगाने।
अब मुझे दर्द ज्यादा हो रहा था.. सच बताऊँ.. इस दर्द में अजीब सा मीठापन भी था.. पर दर्द बहुत ज्यादा था.. मीठापन थोड़ा सा था।
उनके धक्के बहुत तेज़ हो गए.. मुझसे सहन नहीं हुआ मैं झटके से हट गई लण्ड बाहर निकाल दिया। अब मेरी गाण्ड में थोड़ी सी शान्ति मिली, मैंने उन्हें कह दिया- अब थोड़ी देर चूस लूँगी.. पर गाण्ड में नहीं लूँगी तुम्हारा बहुत मोटा है।
तो वो हँस कर मान गए और मुझे लेटाकर मेरी छाती के दोनों तरफ पैर करके बैठ गए। लण्ड को मेरे मुँह में भर दिया और मेरा मुँह चोदने लगे, वे कहने लगे- तेरे मुँह में झड़ना चाहता हूँ। मैंने कहा- नहीं.. मुँह के अन्दर नहीं.. मुँह पर झड़वा लूँगी..
मैंने कंडोम उतार दिया और अपना मुँह बंद करके लण्ड को ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने लगी, तेज़-तेज़ मुठ मारने से जैसे ही वो झड़ने को हुए, उन्होंने कहा- जान मुँह खोलो..
तो मैंने और जोर से मुँह भींच लिया और आँखें बंद कर लीं.. पर उनकी मुठ मारती रही। एकदम से गरम-गरम पिचकारियाँ मेरे चेहरे पर गिरने लगीं..
एक दो तीन चार पांच छह सात.. एक साथ कई पिचकारियाँ मेरे मुँह पर.. बालों पर फ़ैल गईं। मेरे होंठ और आँखें बंद थीं। सच बताऊँ.. मेरा बहुत मन कर रहा था कि उनका पूरा वीर्य चाट-चाट कर खा जाऊँ और पूरा लण्ड मुँह में लेकर साफ़ कर दूँ.. पर मैंने ऐसा नहीं किया। उनका लण्ड अपनी मुँह पर रगड़ा.. अपनी छाती पर रगड़ा.. और बाथरूम में जाकर साबुन से मुँह धो लिया।
फिर हम दोनों कम्बल ओढ़कर साथ में नंगे ही लेट गए और इसके बाद जो कुछ हुआ वो मैं आपको अगले भाग में लिखूँगी।
कहानी जारी रहेगी। आपको मैं और मेरी कहानी कैसी लगी..? प्लीज मेल करके बतायें। आपकी सोनिया रानी [email protected]
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