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मैं बिलासपुर के पास एक गाँव में रहता हूँ, मेरा नाम राजेश है.. उम्र 25 साल, मेरे अलावा ना मेरा कोई भाई है.. ना ही बहन.. मतलब मैं इकलौता हूँ। मेरे पिता जी गाँव के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं.. जो किसान हैं। मेरे गाँव में आज भी बिजली की काफ़ी समस्या है।
आज मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ.. तब गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं, मेरे यहाँ मेरे मामा की दोनों लड़कियाँ रहने आई थीं, रानी की उम्र 20 साल और रजनी उम्र 18 साल थी। मामाजी मामी का इलाज करवाने के लिए इन्दौर ले गए थे इसलिए वे मेरी माँ के पास अपनी बेटियों को छोड़ गए थे। हम सब.. मैं रानी और रजनी साथ में रहते थे।
एक दिन जब मैं अपने घर में दोपहर में सो रहा था.. पर गर्मी के कारण नींद तो आ नहीं रही थी.. पर मैं आंख बन्द किए हुए यूं ही लेटा था। उसी समय रानी नहा कर आई और मेरे कमरे में गीले कपड़े पहने हुए घुस गई। उसने मेरी ओर देखा.. तो मेरी आंखें चूंकि बन्द थीं.. तो वो अपने सारे कपड़े उतार कर अपने शरीर को धीरे-धीरे पोंछने लगी।
मेरी आंख खुल गई और मैं उसकी ओर देखने लगा। उसका शरीर दूध की तरह सफ़ेद था, काले लम्बे बाल जो उसकी कमर तक लहरा रहे थे। मैं उसको देखता रह गया, उसकी चूचियाँ एकदम गोल और मालदार थीं, उसकी बुर गुलाबी और एकदम साफ़ दिख रही थी, लग रहा था कि उसने अपने नीचे के बाल भी हाल ही में साफ किए थे।
मेरी नज़रें उसकी बुर पर टिक गईं। यह करते हुए उसने मुझे देख लिया.. पर उसको कोई भी फ़र्क नहीं पड़ा और वो अब धीरे-धीरे ही अपने आप को सुखाने लगी। तभी उसकी बहन आ गई और उसने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए। मैंने भी अपनी आंखें बन्द कर लीं।
कुछ देर बाद रानी आकर मुझे जगाने लगी, मैं सोने का नाटक करने लगा। तभी उसने कहा- मुझे पता है कि आप जाग रहे हो और मुझे कपड़े बदलते हुए देख रहे थे। मैं डर गया कि यह जान गई है और मम्मी को सब बता देगी तो मैं झटके से उठते हुए रसोई की तरफ़ चलने लगा तो वह जोर से हँस दी।
तब मुझे लगा कि उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा है और मैं भी हँस दिया। और हम खाना खाने चल दिए।
मेरी नज़रें उस पर ही टिकी हुई थीं और वो भी मुझे बार-बार हँस-हँस कर देखे जा रही थी। अब मेरा मन उसे चोदने का कर रहा था.. पर करता क्या। मैंने एक उपाय निकाला कि वो अगर मेरे छूने से मना नहीं करेगी.. तो मैं उसे चोद सकता हूँ।
हम सब शाम को टहलने के लिए जाते थे। उस दिन भी हम लोग टहलने के लिए निकले। मैं और रानी एक साथ थे और रजनी और माँ एक साथ चल रहे थे। हम दोनों धीरे-धीरे कुछ दूर तक चले आए.. तो मैंने पूछा- आज तुम हँस क्यों रही थीं?
वो शरमा गई और उसने मुँह दूसरी ओर कर लिया। शाम ज्यादा हो गई थी माँ और रजनी पहले ही घर जा चुके थे। मैंने अन्धेरे का फ़ायदा उठते हुए उसके ऊपर गिरने का नाटक किया और उससे लिपट गया। इससे हुआ यह कि उसके चूचे मुझसे छुल रहे थे। रानी ने मुझे सम्भालते हुए कहा- अरे संभालो.. और अब घर चलो। हम लोग घर की ओर चल दिए।
मैं घर पहुँचा तो माँ ने रानी से पूछा- तुम लोग को इतनी देर क्यों हो गई? तो मैं डर गया कि रानी कुछ बोल न दे पर उसने हँस कर कह दिया- हम लोग ज्यादा दूर तक चले गए थे।
मैं उसके चहरे की तरफ देखने लगा तो वो मुझे देख कर हँसने लगी, मैं समझ गया कि इसे मुझसे कोई परेशानी नहीं है। तो मैंने इसे आज रात में चोदने का प्लान बनाना शुरू कर दिया।
रात में मेरे पापा खेत में सोते थे। माँ मेरे एक रिश्तेदार के यहाँ जाने वाली थीं.. पर वे देर रात को वापस आने वाली भी थीं। मैं तो चाहता था कि वो रात में वापस ना आएं.. पर किस्मत मेरा साथ दे रही थी। माँ को जब पता चला कि वो रात में वापस नहीं आ सकती हैं.. तो उन्होंने मुझे और रानी को बुला कर कहा- रात में मैं नहीं आ पाऊँगी। तो मैं खुश हो गया और मैंने रानी की तरफ़ देखा तो उसके चहरे पर भी मुस्कान थी।
फ़िर माँ ने मुझसे कहा- तुम रात में दरवाजा को अच्छे से बन्द कर लेना। माँ ने हम सबको खाना दिया.. हम खाना कर उठ गए। अब पापा खेत में और माँ रिश्तेदार के यहाँ चली गईं।
रजनी को नींद आ रही थी.. तो हम सब दरवाजा बन्द करके सोने चल दिए। हम सब एक ही कमरे में सो रहे थे.. पर रजनी को डर लग रहा था.. तो वो सो नहीं पा रही थी। मैंने कहा- हम सब एक साथ ही सो जाते हैं। रजनी ने कहा- हाँ ये ठीक है।
तो हम सब एक साथ ही सोने लगे.. पर रजनी अधिक डर रही थी.. इसलिए वो मुझसे लिपट कर सोने लगी। मेरा पूरा प्लान फ़ेल होने लगा.. पर मैंने फ़िर भी कुछ करने की ठान ही लिया था।
थोड़ी देर बाद मैंने रानी की तरफ़ हाथ किया.. पर शायद वो सोना चाहती थी। मैंने उसके चूची पर हाथ रख दिया, उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया, मैंने फ़िर भी उसकी चूची को धीरे से पकड़ ही लिया और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा। उसने कुछ नहीं कहा.. तो मैंने उसे तेजी से दबाना चालू कर दिया। अब उसने रजनी से कहा- रजनी क्या तुम सो गई हो? रजनी ने जबाब दिया- नहीं..
मैं समझ गया कि वह चाहती है कि रजनी सो जाए। फ़िर भी मैं उसकी चूची को हल्के हाथों से दबाता रहा। शायद उसे मजा आ रहा था। लगभग 15 मिनट के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा 6 इन्च लण्ड को रजनी के दोनों पैरों के बीच दबा हुआ है.. मैंने रजनी का चेहरा देखा तो शायद वो सो गई थी।
मैं अपने हाथ को धीरे से रानी की चूत की तरफ़ ले गया.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और रजनी को बुलाने लगी पर रजनी ने कोई जबाब नहीं दिया।
मैं फिर से अपने हाथ को उसकी चूत पर ले जाने लगा.. तो उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी और मेरा हाथ उसकी चूत पर चला गया। मैं उसकी चूत को कपड़े के ऊपर से सहलाने लगा.. वो भी मेरा साथ देने लगी और उसने अपने पैरों को खोल दिया। मैं उसकी चूत को 5 मिनट तक सहलाता रहा.. उसने पानी छोड़ दिया था। उसके कपड़े गीले हो गए थे। मेरा लण्ड भी रॉड की तरह गरम और कड़ा हो गया था।
मैं उठ कर दोनों के बीच में आ गया। इधर मेरे आते ही रजनी की आंख खुल गई और उसने मुझसे कहा- आप कहाँ जा रहे हो? तो मैंने जबाब दिया- रानी को भी डर लग रहा है.. तो मैं दोनों के बीच में सो जाता हूँ।
अब रजनी मेरी तरफ़ मुँह कर के सो गई और मेरे पैरों में अपना पैर लाद लिया। मैं एक हाथ से रानी का चूची दबा रहा था कि मेरा लण्ड को किसी के हाथ के स्पर्श मिला.. तो मैंने महसूस किया कि मेरे लण्ड पर रजनी ने हाथ रखा है।
मैं रानी की तरफ़ पलट गया और उसे चिपक गया। इधर दूसरी ओर से रजनी भी मेरी तरफ़ चिपक रही थी और वो भी मेरे पीछे से अपने हाथ को डाल कर हाथ को मेरे लण्ड के ऊपर ले आई।
मैं हैरान था.. पर मैं शान्त हो गया और रानी के होंठों में किस करने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा। इधर मेरे लण्ड में आग लगी थी।
तभी मैंने महसूस किया कि रजनी मेरे लण्ड को अपने हाथों से धीरे-धीरे मसल रही है.. तो मैंने अपना लण्ड को कपड़े के बाहर कर दिया और रानी की चूत में हाथ रख दिया। मेरा लण्ड को बाहर पाकर रजनी ने उसे अपने छोटे कोमल हाथ से सहलाने लगी। मुझे मजा आ रहा था कि एक को चोदने का प्लान बनाया और दूसरी चूत फ़्री में मिल रही है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
इधर मैंने रानी के हाथ को भी लण्ड की तरफ़ ले आया तो रानी ने पाया कि रजनी पहले से लण्ड को पकड़ रखी है और रजनी को भी पता चल गया कि रानी भी उसी जुगाड़ में है।
रानी ने रजनी से पूछा- रजनी तुम इनका ‘तुत्तू’ क्यों पकड़ रही हो? तो उसने कहा- जिस लिए अपने पकड़ा है। अब मैं समझ गया कि आज दोनों की चूत मिलने वाली है। अब सब कुछ खुलम्म-खुल्ला हो गया था।
तो मैंने उन दोनों को शान्त किया और कहा- दोनों को प्रसाद मिलेगा.. पर एक-एक करके मिलेगा।
बिजली नहीं आ रही थी तो मैंने कैन्डल की रोशनी को थोड़ा सा ज्यादा किया और अपने लण्ड को बाहर निकाल दिया। जिसे देख कर दोनों शरमा गईं। मैं अपने लण्ड को हाथ लेकर दोनों के बीच में बैठ गया और दोनों को सहलाने के लिए कहा.. पर दोनों ने मना कर दिया।
फ़िर मैंने दोनों के हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिए, दोनों मेरे लण्ड को पकड़ लिया और सहलाने लगीं। मुझे मजा आ रहा था, मैंने अपनी आंखें बन्द कर लीं और मजा लेने लगा।
तभी मेरे मन में खयाल आया क्यों न पहले इन दोनों के कपड़े उतारे जाएं। तो मैं रानी के होंठों को चूसने लगा और चूची को दबाने लगा.. वो पूरी तरह गरम हो गई।
इधर रजनी मेरे लण्ड को सहला रही थी और मुझे मजा आ रहा था। तभी मैंने रजनी के मुँह को मेरे लण्ड की तरफ़ मुँह ले जाने लगा और उसे चूसने को इशारा किया.. शायद उसे पता नहीं था कि लण्ड को चूसा भी जाता है.. इसलिए उसने मना कर दिया।
फ़िर मैंने रानी को अपने से अलग किया और उसके कपड़े उतारने लगा। वो भी मेरी सहायता करने लगी और अपने आप से कपड़े उतारने लगी। इधर मैं रजनी के कपड़े भी उतारने लगा.. उधर रानी पूरी तरह कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी और रजनी के कपड़े भी उतर चुके थे।
मैं रजनी की बुर में अपना मुँह रख कर उसकी बुर को चाटने लगा.. ये देख कर रजनी हैरान रह गई और उसे मजा भी आने लगा। इधर रानी ने मेरा लण्ड को सहला रही थी। मैं रजनी को पूरी तरह गर्म कर चुका था। उसकी बुर की फांकों से रस निकलने लगा था। वो रस मैं पी रहा था।
मैंने उसकी बुर से सर को हटा लिया और उसके सर को अपने लण्ड की तरफ़ किया और लण्ड को चूसने को कहा। पहले तो उसने मना किया.. पर कुछ देर बाद मान गई और लण्ड को मुँह में डाल लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी।
अब मैं रानी की बुर को चाटने लगा और अपनी उंगलियों को बुर में डालने लगा। उसे दर्द हो रहा था.. पर मजा भी आ रहा था। मैं उसकी बुर में 2 मिनट तक अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करता रहा और रस को पीता रहा और अपने लण्ड को रजनी से चुसवा रहा था। अब मैं अपना आपा खो चुका था।
मैं झट से उठा और रानी को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसके मुँह के ऊपर रजनी को अपनी बुर रखने को कहा ताकि रानी रजनी की बुर चूस सके।
मैंने उसके दोनों पैर को ऊपर करके अपने फौलादी लण्ड को उसकी बुर की फांकों में रख दिया और लण्ड से छेद को सहलाने लगा था।
दोनों बहनें तेज-तेज सांसें ले रही थीं। मेरा लण्ड भी तैयार था तभी मैंने बुर के छेद में लण्ड को लगा कर थोड़ा सा अन्दर धक्का लगाने लगा। वो दर्द से आगे बढ़ने लगी। तो मैं रुक गया मुझे पता था कि दोनों का सील अभी सलामत है।
मैं उठ गया और जा कर सरसों का तेल ले आया और अपने लण्ड पर लगाने लगा। दोनों ये देख रही थीं, मैंने थोड़ा सा तेल रानी की बुर में डाल दिया और हाथ से उसे मल दिया।
रानी चूंकि गर्म थी.. रजनी की बुर को चूस रही थी। रजनी भी मजा ले रही थी। मैं अपने लण्ड को फिर से रानी की बुर में रगड़ने लगा.. उसकी चूत का छेद गर्मी महसूस कर रहा था।
अब तेल तो लग ही चुका था.. तो मैंने लण्ड को सीधा एक झटके में अन्दर मार दिया। रानी के मुँह से एक तेज दर्द भरी ‘आहह..’ की आवाज निकल गई। मैंने उसकी सील तोड़ दी थी, मेरे लण्ड में उसका खून लग गया था। मैंने धीरे-धीरे लौड़े को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया.. वो दर्द से तड़पने लगी। उसने मुझे लण्ड को बाहर निकालने को कहा.. पर मैंने मना कर दिया।
फ़िर कुछ देर बाद उसे मजा आने लगा। मैं उसकी अन्दर की आग को महसूस कर रहा था, उसकी बुर से आग निकल रही थी, मैं फ़ुल स्पीड में चोदने लगा..
वो एक बार झड़ चुकी थी। अब मैं भी झड़ने वाला था, मेरा लण्ड का टोपा फ़ूल गया था। मुझे रानी ने कस कर पकड़ लिया था.. मैं बाहर झड़ना चाहता था.. पर मैं उसकी बुर में ही झड़ गया। इसके बाद हम दोनों ही सुस्त हो गए थे।
मैंने रजनी को किनारे कर दिया था और रानी के ऊपर ही ढेर हो गया था पर दूसरी तरफ़ रजनी भी गरम थी। मैं एक बार रानी को चोद चुका था। मैंने रानी की बुर से अपना लण्ड बाहर निकाला तो उसकी बुर से मेरा माल और खून निकल रहा था। रानी ने एक कपड़े से उसे साफ़ किया और किनारे को हो गई, शायद उसका मन भर चुका था।
रानी की बुर से खून देख कर रजनी को डर लगने लगा कि ज्यादा दर्द होगा और मैं थक भी चुका था.. पर अन्दर से रजनी गर्म हो चुकी थी।
रजनी ने रानी से कपड़ा ले लिया और मेरे लण्ड को पोंछने लगी और लण्ड को प्यार करने लगी। मैं उसे मना नहीं कर सकता था, मैंने चुपचाप उसे लण्ड को सहलाने दिया.. लण्ड तुरन्त तो तैयार नहीं हो सकता.. तो मैंने उसे चूसने को कहा। पहले तो वो मना करने लगी.. पर जब मैंने उसके मुँह को लण्ड की तरफ़ ले आया.. तो धीरे से उसे मुँह में डाल लिया पर चूस अब भी नहीं रही थी.. तो मैंने रानी से कहा- इसे लण्ड चूसना सिखा दे। रानी ने कहा- मैं कैसे सिखा दूँ?
मैंने उसे रजनी की बुर चूसने को कहा.. रानी रजनी की बुर चूसने लगी। इससे रजनी को ज्यादा गर्मी आ गई और रजनी भी मेरे लण्ड को प्यार से चूसने लगी, मेरा लण्ड फ़िर तैयार हो गया।
अब मैंने रजनी को सीधा लेटा दिया और तेल लेकर अपने लण्ड पर फ़िर मलने लगा। मेरा लण्ड फ़िर फ़ौलाद का हो गया थोड़े से तेल को रजनी की बुर में डाल दिया और चूत पर उंगलियों से रगड़ने लगा। धीरे से मैं अपनी एक उंगली को रजनी की बुर में भी डाल देता था.. पर उससे रजनी और गर्म हो रही थी।
मैं दूसरी को डाल ही रहा था कि रजनी ने मना कर दिया- ओह्ह… निकालो दर्द हो रहा है। मैंने रजनी से कहा- उंगली से दर्द हो रहा है तो लन्ड को बुर में कैसे लेगी? तो बोल पड़ी- अच्छा तो सिर्फ़ उंगली से कर दो।
मैंने ‘हाँ’ बोलते हुए 2 उंगलियों को चूत के अन्दर डाल दिया। मेरी 2 उंगलियों से उसकी सील टूट गई और रजनी चिल्ला उठी। उसकी बुर से खून निकल रहा था और वो रोने लगी।
उसने कहा- मैंने एक उंगली के लिए कहा था। रानी उसे समझाने लगी- पहली बार तो दर्द होता ही है.. अब लण्ड को अन्दर डालने में दर्द नहीं होगा।
रजनी उसकी बात मान कर चुप हो गई। शायद उसको भी लौड़े की खुराख की चुल्ल थी।
मैं रजनी की बुर में धीरे से फ़िर उंगली डाल कर उसे गर्म करने लगा और वो फिर से गरम हो गई। मैं लण्ड को रजनी की बुर में रखकर एक ही झटके में लण्ड को अन्दर पहुँचाना चाहता था.. क्योंकि उसकी पूरी सील नहीं टूटी थी। मैंने उसकी बुर में लण्ड को रख कर एक ही झटके में अन्दर कर दिया। वो फ़िर चीख पड़ी.. तो रानी ने अपनी बुर उसके मुँह में रख दी जिससे रजनी की आवाज आनी बन्द हो गई।
फ़िर धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा। वो भी रानी की बुर चूसने लगी और 15 मिनट तक मैंने उसे भी हचक कर चोदा। फ़िर रात में दोनों को एक-एक बार और चोदा।
अब दोनों ही मेरे लण्ड की शौकीन हो चुकी थी.. तो जब भी समय मिलता है.. मैं मामा के यहाँ घूमने का बहाना करके उनके घर जाकर दोनों को चोद आता हूँ।
प्रिय पाठको, यह मेरी सत्य कहानी है.. आप मुझे अपने ईमेल जरूर लिखियेगा। [email protected]
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