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दोस्तो, मेरा नाम आकाश है, मैं कानपुर का रहने वाला हूँ, दिखने में मेरा व्यक्तित्व बहुत अच्छा है.. मेरी लम्बाई साढ़े पांच फीट है.. और मेरा लंड बहुत मोटा है। आज तक हर लड़की ने तो यही कहा है।
बात तब की है.. जब मैं इंटर में पढ़ता था। मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने गाँव गया था.. जहाँ मेरे परिवार के सब लोग रहते थे। दरअसल मैं अकेला ही कानपुर में पढ़ता था। मेरे एक चाचा चाची हैं.. जो गाँव में हम लोगों के साथ ही रहते हैं, चाची ऐसे देखने से तो क़यामत ही दिखती थीं। चाची का फिगर 36-26-34 होगा, वो किसी मॉडल से कम नहीं लगती थी।
मेरे चाचा वाकयी में किस्मत वाले थे.. जो इनको ऐसी खूबसूरत परी जैसी पत्नी मिली थी। मेरे चाचा प्राइवेट जॉब करते हैं तो ज्यादातर वो काम के सिलसिले में घर से बाहर ही रहते थे।
मैं घर कई दिन बाद गया था.. तो सब लोग मेरे स्वागत में लगे हुए थे, मुझे भी मजा आ रहा था। सब लोग मेरी खातिरदारी में लगे थे पर चाची मुझ पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रही थीं.. मुझे लगा शायद वो मेरे बहुत दिनों के बाद घर आने की वजह से है।
थोड़ी देर बाद मैं बाहर घूमने और अपने पुराने दोस्तों से मिलने चला गया। रात में जब घर आया.. तो सब लोग खाना खा रहे थे। मैं भी साथ में खाना खाने लगा। थोड़ी देर बाद सब लोग खाना खाने के बाद सोने के लिए जाने लगे। हमारे गाँव में बिजली कुछ कम ही आती थी.. तो सब लोग छत पर सोते थे, हम सब लोग छत पर सो गए। दूसरी मंजिल पर चाची और चाचा जी लोग सोया करते थे। पर उस टाइम चाचा जी किसी काम के सिलसिले में बाहर ही गए हुए थे। मैंने रात में पहली मंजिल पर ही सोना सही समझा।
मैं कई दिन बाद या यूँ कहिए कई महीनों बाद गाँव आया था.. तो मुझे गर्मी की वजह से नींद नहीं आ रही थी। मैं छत पर टहलने लगा। थोड़ी देर टहलने के बाद मुझे चाची ने आवाज दी- आकाश तुम जाग रहे हो? मैं एकदम से आवाज आने की वजह से सहम गया.. जिसे देख कर चाची हँसने लगीं और मुझे ऊपर आने को कहने लगीं।
मुझे नींद तो आ नहीं रही थी.. तो मैंने भी ऊपर जाकर टाइम पास करना सही समझा। मैं ऊपर गया तो वहाँ एक चारपाई ही थी.. फिर मैं ऊपर भी टहलने लगा.. तो चाची ने जोर देते हुए कहा- आओ यहीं बैठ जाओ.. कब तक यूँ खड़े रहोगे। मैं भी चाची के ज्यादा जोर देने पर वहीं पैरों की साइड बैठ गया।
हम लोग बातें करने लगे, बात करते-करते टाइम का पता ही नहीं चला और 12 बज गए। मैंने चाची से कहा- चाची जी रात बहुत हो गई है.. चलिए आप भी सो जाइए.. मैं भी जाता हूँ। तो चाची बोलीं- तुमको नींद आ रही है क्या? मैंने ‘ना’ में सर हिलाते हुए कहा- मेरा तो रोज का काम है.. पढ़ने के लिए इतना तो जागना ही पड़ता है। मैं हँसने लगा तो चाची बोलीं- मुझे भी नींद नहीं आ रही.. मैं आज दिन में सो गई थी, चलो जब तक नींद नहीं आ रही.. हम लोग बातें ही करते हैं।
मैंने भी यही करना ठीक समझा, वैसे भी नीचे जाकर लेटता.. तो बोर हो जाता। हम लोग बात करने लगे।
थोड़ी देर बाद चाची बोलीं- आकाश.. पता नहीं क्यों आज मेरे पैरों में शाम से ही बहुत दर्द हो रहा है। तो मैंने कहा- चाची जी शाम को बता दिया होता.. तो मैं कोई दवा ला कर दे देता। चाची बोलीं- मुझे लगा था ठीक हो जाएगा.. पर ये तो बढ़ता ही जा रहा है। आकाश.. अगर तुझे कोई दिक्कत ना हो तो क्या तू मेरे पैर हाथों से दबा सकता है? मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहा- अरे इसमें दिक्कत वाली क्या बात है.. लाइए मैं आपके पैर दबा दूँ।
चाची साड़ी पहने हुए थीं.. तो उन्होंने साड़ी को थोड़ा ऊपर उठाते हुए कहा- लो दबाओ.. और मैं उनके घुटने तक पैर दबाने लगा.. साथ ही हम लोग बात करने लगे। चाची ने अचानक कहा- आकाश तुमको पैर दबाना भी नहीं आता है.. सही से दबाओ।
मैं और ताकत लगा कर पैर दबाने लगा। थोड़ी देर बाद चाची ने अपनी साड़ी को और ऊपर उठाते हुए और मेरा हाथ पकड़ते हुए अपनी जांघों में हाथ रखते हुए कहा- यहाँ दबाओ।
जांघों को हाथ लगाते ही मानो मेरे शरीर में सुरसुरी सी मच गई थी। मैंने आज तक बस ब्लू-फिल्म देखी ही थी.. लेकिन आज तक किसी लड़की की जांघों को हाथ नहीं लगाया था। मैं शायद ही इस सोच से उबर ही पाया था कि चाची ने कहा- क्या हुआ.. नहीं दबाना.. तो बोल दो। मैंने कहा- नहीं चाची.. मैं दबाता हूँ।
मेरा लंड मेरा लोअर फाड़ कर बाहर आने के लिए तैयार था। शायद यह बात चाची को भी अच्छी तरह पता थी। अब मैं चाची की जांघों को दबा रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पता नहीं थोड़ी देर दबाते-दबाते क्या हुआ.. मैं बस उनकी जांघों को सहलाने लगा, चाची ने भी अपने पैरों को फैला दिया था, उनकी चिकनी जाँघों को सहलाते-सहलाते मैं उनकी बुर को रगड़ने लगा.. तो चाची ने बड़ी ही कामुक आवाज में कहा- यह क्या कर रहे हो? मैंने कहा- इतनी रात में जो करते हैं.. वही कर रहा हूँ।
अब चाची भी मदहोश हो गई थीं और बैठ कर मुझे बहुत तेज.. या यूँ कहिए जानवरों की तरह चूमने लगीं.. जैसे कोई पहली बार किसी लड़के या लड़की से मिल कर उसे चूम रहा हो। ऐसा लग रहा था.. मानो चाची जन्मों की प्यासी हों।
मैं भी चाची का साथ दे रहा था.. भले ये मेरा पहली बार था.. पर मैंने बहुत सी फ़िल्में देखी थीं.. जिसमें सिर्फ और सिर्फ यही सीखने को मिलता है.. अब हम लोग एक-दूसरे को चूम रहे थे।
चुम्बन क्रिया ख़त्म होते-होते चाची ने मेरे शरीर से पूरे कपड़े अलग कर दिए थे, अब मैं चाची के सामने एकदम नंगा था। चाची मुझे छोड़कर लेट गईं और मुझसे कहा- क्या अपने कपड़े भी मुझे ही उतारने पड़ेंगे? इतना सुनते ही मैंने चाची के कपड़े उतारने शुरू कर दिए..
पर शायद ये जल्दबाजी थी.. तो चाची बोलीं- क्या मेरे कपड़े यूँ ही सूखे-सूखे उतारोगे..? मैंने तो तुम्हारे बड़े मजे से उतारे थे।
मैंने चाची का इशारा समझते हुए उनको चूमना शुरू किया। चूमते हुए मैंने उनके पूरे कपड़े उतार दिए। फिर मैं चाची के निप्पल चूसने लगा.. पर शायद चाची पागल हुई जा रही थीं.. उन्होंने मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ते हुए कहा- ये भी कुछ कमाल दिखाएगा.. या बस तुम यूँ ही समय खराब करोगे..
तो मैंने देर न करते हुए चाची के ऊपर अपना लण्ड चाची की चूत पर रखा दिया और चाची मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रख कर बोली- अब घुसाओ! मैंने धक्का मारा और मेरा लौड़ा चाची की गीली चूत में घुस गया, मैं चाची की दोनों टाँगें उठा कर मदमस्त चुदाई करने लगा। करीब 8-9 मिनट की चुदाई के बाद चाची झड़ चुकी थीं.. और मैं भी अपने चरम पर था।
मैंने चाची से पूछा- माल कहाँ गिराऊँ? चाची के बोलने पर मैंने माल को चूत के अन्दर ही गिरा दिया।
उसके बाद चाची ने कपड़े पहने और मेरे लिए रसोई से मिठाई लाईं। मैंने मिठाई खाई और चाची के बगल में लेट गया। उस रात मैंने तीन बार चाची की जमकर चुदाई की।
चाची मेरी चुदाई की टीचर बनकर उभरीं.. उनके साथ पहली बार में ही मैंने चुदाई करना सीखा था। तो दोस्तो.. आपको मेरी ये आपबीती कैसी लगी.. मुझे जरूर बताएं।
मैंने इसके बाद कई लड़कियों को चोदा.. वो मैं आपको जल्द ही अपनी अगली स्टोरी में बताऊँगा।
अपने सुझाव देने के लिए मेरी ईमेल आईडी है [email protected] इस पर अपने सुझाव और आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताएं।
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