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अब तक आपने पढ़ा.. मैंने उसके प्रश्न के जवाब में अन्दर आने की परमिशन मांगी.. जो उसने बड़ी सहजता के साथ दे दी। मैं अन्दर गया और एक चेयर लेकर बैठ गया, वो मुझे बड़े ही आश्चर्य से देख रही थी। तभी मैं बोला- सूजी दरवाजा बन्द कर दो।
वो मुझे देखने लगी। मेरे दुबारा कहने पर उसने दरवाजा तो बन्द कर दिया.. लेकिन उसकी आँखों में वही प्रश्न था। मैंने उसकी जिज्ञासा मिटाते हुए कहा- मुझे तुमसे दस मिनट का काम है। एक प्रोजेक्ट है.. अगर तुम्हें मेरी बात नहीं समझ में आई तो मैं दस मिनट बाद चला जाऊँगा और तुम समझ गईं.. तो फिर चार से पांच घण्टे का काम है। अब आगे..
वो मेरे सामने पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गई, उसकी नजरें मेरे हाथ पर ही थीं, मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए वो डिब्बा उसे दे दिया और खोलने के लिए कहा। जब उसने उसे खोला तो ब्रा-पैन्टी देखकर बोली- ये क्या है? ‘मैं तुम्हारे लिए लाया हूँ। तुमने नीचे कुछ नहीं पहना है, इसलिए इसे तुम्हारे लिए लाया हूँ।’
इससे पहले मैं और कुछ बोलता.. वो मेरी बात काटते हुए बोली- लेकिन आप ये कैसे जानते हो.. कि मैंने नीचे कुछ नहीं पहना है? ‘अरे तुमने नीचे ही नहीं.. बल्कि ऊपर भी कुछ नहीं पहना है.. अगर ये नाईटी उतार दो.. तो तुम बिल्कुल नंगी हो जाओगी।’ ‘इसका मतलब आप मेरे रूम में झांकते हो?’ वो बोली। ‘हाँ..’ मैंने बिन्दास बोला।
उसकी सवालिया निगाहें मेरी तरफ ही थीं। ‘मेरी नजर मैं तुम इस कॉलेज की सबसे ज्यादा सेक्सी लड़की हो और इधर तीन-चार दिन से जब भी मैं तुमको देखता था.. मेरे अन्दर एक अजीब से सिरहन दौड़ती थी। खास-तौर से जब तुम चलती हो और तुम्हारा पिछवाड़ा अप-डाउन करता है.. तो मेरे दिल मचलने लगता है और मेरा सामान (लण्ड की ओर इशारा करते हुए) खड़ा हो जाता है। तभी से मैं तुम्हारे ऊपर नजर रखने लगा.. और इस फिराक में रहने लगा कि जैसे ही मुझे कोई मौका लगे.. तो मैं तुम्हें चोद सकूँ।’ ‘तो सक्सेना सर.. आप मुझे चोदना चाहते हैं।’
‘क्यों नहीं.. तुम जो रात भर तड़पती हो। अकेले में अपने जिस्म से खेलती हो और तो और मुझे ये भी लगता है कि तुम हमारी चुदाई का पूरा-पूरा साथ दोगी यानि कि चुदाई का पूरा-पूरा मजा तुम भी लोगी।’ ‘अच्छा चलिए लगे हाथ ये भी बता दीजिए कि मैं चुदाई का पूरा-पूरा मजा कैसे लूँगी?’ ‘क्योंकि जो लड़की मूतती भी हो बड़े स्टाइल से और अपने उंगली से अपनी तड़प का पानी चाटती हो तो इसका मतलब यही हुआ न कि वो लड़की बड़ी चुदासी होगी.. पर कह नहीं पा रही है।’ मैंने वही बातें उससे बताई जो कि होल से दिख सकी थीं।
‘मतलब यह सब आप मुझे की होल से करते हुए देखते थे। बहुत खतरनाक हैं आप.. कितनी लड़कियों को अब तक आप चख चुके हैं?’ मैंने जानबूझ कर झूठ बोला- वैसे तो कई हैं.. पर इस हॉस्टल की लड़कियों में तुम्हारे अलावा और कोई नहीं है.. जो उतना मजा मुझे दे सके जितना मैं चाहता हूँ। ‘मैं दे सकती हूँ..’ वो होंठों को गोल करते हुए मेरे पास आई। ‘बिल्कुल..’ मैंने कहा।
‘ठीक है..’ ये कहकर उसने अपनी नाईटी उतारी और पैन्टी और ब्रा को पहनते हुए बोली- लेकिन आपको भी वो सब करना पड़ेगा.. जो मैं आपसे करवाऊँगी। ‘मैं तो लड़कियों की हर बात मानने को तैयार हूँ। बस वो उनको चुदाई में मजा आना चाहिए।’ ‘ठीक है..’ कहकर सूजी बगल में पड़ी हुई कुर्सी पर अपने दोनों पैरों को इस तरह से उठा कर बैठ गई कि उसकी चूत सामने दिखाई पड़ रही थी।
अब वो बोली- सक्सेना जी अपने कपड़े उसी तरह उतारो जिस तरह ब्लू फिल्मों की लड़कियाँ पोल डांस करती हुईं अपने कपड़े उतारती हैं। मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी। मैंने कहा- इसमें क्या है..
ये कहकर करीब आधे घण्टे तक जिस तरह वो कहती गई.. मैं वैसा ही करता गया। जैसे ही मैंने अपनी चड्डी उतारी, सूजी की आँखें फटी की फटी रह गईं- ‘हाय दय्या..!’ उसके मुँह से बस इतना निकला था, वो उछल कर मेरे पास आई.. मेरे लण्ड को हाथ में लिया और बोली- ये लण्ड है? यह कहकर वो मेरे लण्ड को वो सहलाने लगी फिर अपनी बुर को सहलाते हुए बोली- मेरी मुनिया में तुम्हारा लण्ड कैसे जाएगा।
‘अरे जानू..’ मैंने भी उसकी बुर सहलाई और बोला- क्या बात करती हो.. इसमें तो पूरा संसार समाया है और तुम बोल रही हो कैसे जाएगा। उसको चूमते हुए बोला- तुम्हारे चूत की गहराई में यह कहाँ गुम हो जाएगा.. पता ही नहीं चलेगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ को रख दिया, मैं होंठों को चूमते हुए उसकी पीठ सहला रहा था और उसके चूतड़ों को मसल रहा था पर उसकी लम्बाई होंठ को पीने में आड़े आ रही थी और शायद वो भी इस बात को समझ गई थी.. इसलिए एक मिनट के लिए वो मुझसे अलग हुई और हाई हील सेन्डिल पहन ली। अब दोनों के लिए ही आसान हो गया था, हम दोनों के होंठ आपस में मिले हुए थे, वो मेरे लण्ड को सहला रही थी और मैं उसके पूरे जिस्म को मसल रहा था, विशेष रूप से उसकी चूचियों को खूब मसल रहा था..
वो सिसकार रही थी लेकिन साथ भी दे रही थी। होंठों का रसपान करने के बाद सूजी अब नीचे की तरफ बढ़ रही थी, वो मेरे निप्पल पर अपनी जीभ चला रही थी, मेरे निप्पल को चाटते हुए उसने बड़ी कातिलाना नजर से मुझे देखा और अचानक मेरे निप्पल में अपने दाँत जितनी तेज गड़ा सकती थी गड़ा दिए। मेरी चीख ही निकल गई लेकिन वो अपना काम करती रही।
उसके बाद वो मेरी नाभि पर अपने जीभ का कमाल दिखाती रही.. फिर मेरे नीचे के हिस्से में पहुँच गई। अब वो मेरे लण्ड को चूसती तो कभी उसके अग्र भाग में अपने दाँत लगाती तो कभी मेरी जाँघों को चाटती.. तो कभी मेरे बालों को मुँह में भर लेती।
इस तरह वो मेरे पूरे बदन से खेलती रही। उसके बाद मेरी दोनों टाँगों के बीच घुस गई और मेरे अण्डे को चाटते-चाटते मेरी गाण्ड में उंगली करने लगी और थोड़ा सा अपनी हथेली से दवाब बनाते हुए मुझे आगे की ओर झुकने का इशारा किया। उसके इशारों को समझते हुए मैं आगे झुका.. मैं इस तरह झुका कि शीशे से उसकी हर हरकत को देख सकूँ। उसने मेरी गाण्ड को थोड़ा सा फैलाया और उसमें थूक दिया फिर चाटने लगी। इस समय सूजी बड़ी जानमारू लग रही थी।
जब वो गाण्ड चाट चुकी.. तो पलंग पर जा कर लेट गई और अपनी टाँगों को फैलाकर मुझे इशारे से बुर को चाटने का आमंत्रण दिया। मैं भी बिना किसी देरी के उसके बुर को चाटने लगा। कभी उसकी पुत्तियाँ.. तो कभी अपनी जीभ उसके बुर के अन्दर तक डाल देता.. इससे उसकी चूत पनिया गई थी।
मुझे उसके साथ इस खेल में मजा बहुत आ रहा था, जिस तरह से उसने बिना किसी संकोच के मेरे हर अंग को चाटा, मैं भी उसे पूरा मजा देना चाहता था।
मैंने अपनी मध्यम उंगली उसकी चूत में डाली और उसका रस उंगली में लेकर उसे आइसक्रीम की तरह चाटने लगा। मेरे इस तरह करने से वो उठी और मेरी उंगली को अपने मुँह में भर ली और चाटने के बाद बोली- जानू फोरप्ले बहुत हो गया.. अब मुझे पेल दो, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
उसके कहने भर की देर थी कि मैंने वापस उसे धकेल कर पलंग पर लेटा दिया और पास पड़े हुई दो तकिए उसके चूतड़ों के नीचे लगा दिए.. जिससे उसकी बुर की पोजिशन सही सैट हो जाए। फिर मैंने अपने लण्ड पर थूक लगाया और सूजी के चूत के मुँह में लगाया। हाय.. ये क्या.. सूजी की चूत थी कि कोई धधकती हुई अंगीठी.. इसका मतलब सूजी काफी गर्म हो चुकी थी।
मैंने हल्का सा धक्का लगाया लेकिन लण्ड महाराज इतने अनुभवी होने के बाद भी जगह नहीं बना पाए। लेकिन मेरे लण्ड महाराज का मुँह भी चूत देखकर लपलपा रहा था। दूसरी बार मैंने सूजी की दोनों जाँघों को कस के पकड़ा और थोड़ा अपने भी दर्द पर काबू पाते हुए एक तेज धक्का लगाया, लगभग सुपाड़ा अन्दर घुस चुका था पर उस चीख के वजह से अपने आपको रोकना पड़ा।
‘मैं मर जाऊँगी..’ एक तेज चीख के साथ बोली- निकाल इसे हरामी.. मैंने तुरन्त ही उसके होंठों से अपने होंठ को मिला दिए और सूजी को कस कर पकड़ कर उसके होंठ तब तक चूसता रहा जब तक कि उसने मेरी पकड़ से निकलने की कोशिश करना बंद न कर दी।
जब उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया तो मैंने भी अपने होंठों को हटाते हुए बोला- जानू.. बस एक बार इस दर्द का भी मजा ले लो.. फिर तो जन्नत ही जन्न्त है। फिर मैंने अपने लण्ड को बाहर खींचा तो खून के फौव्वारे के साथ लण्ड बाहर आया। मतलब साफ था कि मेरे लण्ड को एक और कुंवारी चूत चोदने को मिली।
मेरे लण्ड निकालते ही सूजी उठने लगी और बोली- सक्सेना जी चूत के अन्दर बहुत जलन सी हो रही है।
मित्रो मेरी यह कहानी मेरे एक सपने पर आधारित है.. मुझे आशा है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी। कहानी जारी है। [email protected]
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