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अब तक आपने पढ़ा..
इससे पहले भी मैं उस कमरे में जाता था लेकिन आज उस कमरे का माहौल कुछ अलग था, प्रोफेसर सोफे पर बैठे हुए थे लेकिन वो लड़कियों से नजरें नहीं मिला पा रहे थे। करीब आधा घण्टा हो गया था, लड़कियों को वहाँ बैठे हुए.. पर न तो प्रोफेसर ने तो लड़कियों से एक शब्द भी नहीं बोला। तभी काजल और रेहाना अपनी जगह से उठकर प्रोफेसर के पास आईं और दोनों ने प्रोफेसर का हाथ पकड़ लिया और काजल बोली- सर शर्माओ मत.. आप मर्द हो और हम औरतें हैं। बस यही एक रिश्ता है हमारे और आप के बीच में.. अब आगे..
यह कहते हुए दोनों प्रोफेसर के बगल में बैठ गईं, काजल ने धीरे से अपना हाथ प्रोफेसर की जांघ पर रखा और सहलाते हुए वो प्रोफेसर के लण्ड को टच करने लगीं। प्रोफेसर के मुँह से तभी आवाज आई- इसके पहले मैंने कभी किसी को नहीं किया है।
तभी रेहाना बोली- कोई बात नहीं प्रोफेसर. आज हम दोनों आपकी पहली सुहागरात की दुल्हन होंगी। इतना कहने के साथ ही काजल और रेहाना ने एक-दूसरे को आँखों ही आँखों में इशारा किया और झटके से उठीं और अपने कपड़े उतारने लगीं। जैसे-जैसे दोनों के जिस्म में कपड़े हट रहे थे, वैसे-वैसे प्रोफेसर की आँखों में चमक आती जा रही थी।
अब प्रोफेसर के सामने उजले बदन वाली दोनों लड़कियाँ बिल्कुल नंगी खड़ी थीं, दोनों ने प्रोफेसर के हाथ को पकड़ा और अपनी योनि पर रखते हुए बोलीं- प्रोफेसर यहाँ जलन हो रही है.. और इसी जलन को अब आपको मिटाना है। काजल थोड़ा कैट्वाक करते हुए मुस्कुरा कर बोली- प्रोफेसर.. दो जवान लड़कियाँ के नग्न जिस्म आपके सामने हैं और आप अभी भी कपड़ों में हैं.. यह अच्छा नहीं लग रहा है। अपने कपड़े उतारिये प्रोफेसर..
अब शायद प्रोफेसर के जिस्म में भी उत्तेजना का संचार होने लगा था, तभी तो प्रोफेसर बोल उठा- तुम दोनों ही मिलकर मेरे कपड़े उतार दो।
दोनों ने मिलकर प्रोफेसर के कपड़े उतार दिए। प्रोफेसर का भी शरीर थोड़ा सा तगड़ा था और उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था। सात इंच के लगभग रहा होगा उसका लण्ड.. खड़ा लण्ड को देखते ही रेहाना ने लपककर अपने मुँह में रखकर चूसने लगी। प्रोफेसर बोले उठे- यह क्या कर रही हो?
दोनों जोर से हँस पड़ी। काजल ने कहा- तुम्हारे लॉलीपॉप को चूस रहे हैं और तुम हमारी जैलीबीन को चाटोगे। ‘लेकिन ये अच्छा नहीं है।’ ‘चाट करके तो देखो.. मजा आयेगा।’
यह कहकर काजल प्रोफेसर के निप्पल को चूसने लगी। दोनों की हरकतों के कारण प्रोफेसर का हाथ अपने आप ही काजल की गाण्ड में फिसल पड़ा और अपनी उंगली से प्रोफेसर काजल की गाण्ड को रगड़ने लगे। दोस्तो, चूंकि यह एक काल्पिनक कहानी है.. इसलिए इसे कहानी समझ कर ही पढ़ियेगा।
जितनी जोर से रेहाना प्रोफेसर के लण्ड को चूस रही थी, उतनी ही जोर से प्रोफेसर काजल की गाण्ड को रगड़ रहे थे। काजल प्रोफेसर के निप्पल को अपने दाँतों से काट रही थी, मेरे लिए तो यह दृश्य तो बड़ा ही मनोरम था। लेकिन यह प्रोफेसर की उम्र के कारण था या फिर इस खेल का ज्ञान का न होना.. प्रोफेसर बहुत ही जल्दी रेहाना के मुँह में झड़ गया।
रेहाना का मुँह प्रोफेसर के माल से पूरा भर गया था और जो उसके मुँह में नहीं आया.. वो जमीन पर गिर गया। इधर जैसे ही प्रोफेसर झड़ा.. उसके हाथ पैर सब ढीले पड़ गए और उसका जोश खत्म हो गया। रेहाना तुरन्त ही बोल पड़ी- क्या प्रोफेसर आप तो बड़ी जल्दी झड़ गए.. लेकिन कोई बात नहीं.. हम हैं ना..
यह कहकर रेहाना प्रोफेसर के होंठों को चूमने लगी, प्रोफेसर उससे दूर करने की कोशिश करने लगा, लेकिन सफल नहीं हो सका। लेकिन उसकी इस हरकत पर काजल को गुस्सा आ गया और वो गुस्से से बोली- प्रोफेसर.. अगर आपको मजा लेना है.. तो खुल कर लो। चूत चोदना भी चाहते हो और नखरे भी कर रहे हो।
इतना कहकर काजल अपनी जगह से उठी और अपनी चूत को प्रोफेसर के होंठ पर सैट करते हुए बोली- लो चाटो इसे। प्रोफेसर ने जीभ को थोड़ा से बाहर किया और काजल की चूत के मुँहाने पर लगा दिया। काजल ने तुरन्त ही चूत की फाँक को फैला दिया। प्रोफेसर ने पहले पहल तो नाक-भौं सिकोड़ी.. फिर बाद में मजे से चूत को चाटने लगा।
रेहाना थोड़ी देर तक तो दोनों को देखती रही। फिर वो भी काजल के पीछे गई और उसकी गाण्ड को चाटने लगी। अब बारी-बारी से तीनों एक-दूसरे की गाण्ड-बुर और लौड़ा सब चाट रहे और चटवा रहे थे।
थोड़ी देर बाद ही दोनों लड़कियों ने प्रोफेसर को बिस्तर पर लेटा दिया और उनके लौड़े की सवारी करने लगीं। उन तीनों की काम क्रीड़ा देख कर मेरे नागराज भी बवाल मचाने लगे.. लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकता था.. इसलिए मैं केवल उनकी काम क्रीड़ा ही देख रहा था।
दोनों लड़कियाँ प्रोफेसर को बिना कोई तकलीफ दिए.. उनको चोदती रहीं या चुदवाती रहीं। कुछ समय बाद प्रोफेसर झड़ गए लेकिन इस बार लड़कियाँ सन्तुष्ट थीं, दोनों ने लौड़े की सवारी करने के बाद प्रोफेसर के गाल और लण्ड को चूमा और अपनी-अपनी पैन्टी और ब्रा से अपने बुर को पोंछा.. फिर प्रोफेसर के लण्ड को साफ किया और अपनी ब्रा-पैन्टी प्रोफेसर को देते हुए बोली- प्रोफेसर साहब.. ये आपको हमारी तरफ से गिफ्ट है.. इसको रोज चूमियेगा और हमें याद कीजिएगा और जब हमारी जरूरत हो.. तो हम हाजिर हैं।
यह कहकर दोनों ने अपने बाकी कपड़े पहने और फ्लाईंग किस देते हुए चली गईं।
अब मैं भी वहाँ रह कर क्या करता, मैं भी वहाँ से निकल आया। अभी भी मेरे पास दो घंटे का समय था कि मैं अदृश्य रह कर और लड़कियों को भी वाच कर सकता था पर मेरी नजर में सूजी का वो मांसल जिस्म था.. जो मैंने रात को देखा था, रह-रह कर मेरा दिमाग उधर ही जा रहा था.. इसलिए मेरे कदम सूजी के रूम की ओर खुद-ब-खुद चल दिए।
उसके रूम के पास जाकर देखा.. तो उसके रूम में ताला लटका हुआ था। अब मैं क्या करूँ.. यह सोच कर उसके रूम से वापस जा ही रहा था कि सूजी आती हुई दिखाई दी। वह पसीने से लथपथ थी लेकिन पसीने की बूँदें भी उसके साँवले चेहरे पर भी किसी मोती से कम नजर नहीं आ रहे थे। अपने हाथों से अपने चेहरे को पोंछते हुए उसने अपने कमरे का लॉक खोला और अन्दर चली गई, उसके चेहरे पर शायद रात का हल्का सा खौफ भी था।
मैं भी उसके पीछे-पीछे अन्दर की ओर चल दिया। कमरे के अन्दर घुसते ही उसने तुरन्त ही कमरे को लॉक किया और पंखे को चालू किया।
हाँ.. रात को उसके साथ हुई घटना का हल्का सा डर ही था.. जिसके कारण एक बार उसने दरवाजे के लॉक को एक बार अच्छी तरह से चैक किया। अब वो हाथ में लिए हुए थैले को एक किनारे रखकर बिन्दास अपने कपड़े उतारने लगी और पूरे कपड़े उतारने के बाद वो अपने पलंग पर हाथ-पैर फैला कर लेट गई। उसका पूरा बदन पसीने से नहाया हुआ था।
मैं भी वक्त न गवांते हुए उसके बगल में लेट गया और उसके जिस्म से आ रही पसीने की महक को सूंघने का आनन्द लेने लगा। वाह क्या मादकता थी उसके बदन और पसीने के मिलन की..
मेरा मन तो कर रहा था कि उसको चोद ही दूँ.. लेकिन संयम तो रखना ही था और आज रात उसको चोदूँगा भी.. यह भी मैं जानता था। इसलिए मैं उसकी हरकतों को केवल देख रहा था।
थोड़ी देर बाद वो खड़ी हुई और दोनों हाथों को फैला कर जोर-जोर घुमाने लगी, उसके लम्बे-लम्बे बाल काली नागिन की तरह लहरा रहे थे, उसके मम्मे उछल रहे थे, मुझे इससे ये लगा कि वो अपने अकेलेपन को इसी तरह एन्जॉय करती है।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद वो बाथरूम गई.. शॉवर चलाया और नहा कर उसने केवल एक गाउन को पहना। फिर अपनी पढ़ाई करने लगी। मेरा अब वहाँ कोई काम नहीं रह गया था.. तो मेरा भी रुकना ठीक नहीं था। लेकिन जाऊँ तो जाऊँ कैसे..? अचानक मुझे एक विचार आया.. मैंने तुरन्त ही उसके दरवाजे को खटखटाया और एक किनारे हो गया। वो दरवाजे के पास आई.. प्रति उत्तर में पूछा- कौन?
पर कोई जवाब नहीं आने के बाद वो वापस चली गई। दो-तीन बार ऐसा होने पर वो थोड़ा झल्ला गई और दरवाजे को खोल कर देखा.. बस मेरे लिए इतना ही पर्याप्त था और मैं वहाँ से निकल गया।
अब मुझे केवल रात का इंतजार था। मैं मार्केट गया और उसके लिए एक बहुत ही सेक्सी सी पैंटी और ब्रा उसके नाप की खरीदी और वापस प्रोफेसर के रूम में आया.. जहाँ प्रोफेसर अस्त-व्यस्त हाल में लेटे थे।
हम दोनों के बीच लड़कियों को लेकर चर्चा हुई। चूंकि प्रोफेसर दिल के मरीज भी थे.. इसलिए वो बहुत ज्यादा जिस्म की हरकत नहीं बर्दाश्त कर सकते थे। लैब का काम निपटाने के बाद मैं अपने ऑफिस कम रूम में आ गया और वहीं पर बैठ कर रात का होने का इंतजार करने लगा।
रात लगभग 11 बजे जब सभी कमरों की लाईटें बंद हो गईं.. तो मैंने अपने कमरे को लॉक किया और वो गिफ्ट का पैकेट लेकर उसके कमरे की तरफ बढ़ गया। उसके दरवाजे को हल्के से खटखटाया.. अन्दर से पूछने की आवाज आई.. मैंने अपना परिचय दिया, उसके बाद सूजी ने दरवाजा खोला।
मुझे देखकर बोली- सक्सेना सर.. रात को 11 बजे मेरे पास.. क्या बात है? मैंने उसके प्रश्न के जवाब में अन्दर आने की परमिशन मांगी.. जो उसने बड़ी सहजता के साथ दे दी। मैं अन्दर गया और कुर्सी पर बैठ गया।
वो मुझे बड़े ही आश्चर्य से देख रही थी। तभी मैं बोला- सूजी, दरवाजा बन्द कर दो। वो मुझे देखने लगी।
मेरे दुबारा कहने पर उसने दरवाजा तो बन्द कर दिया.. लेकिन उसकी आँखों में वही प्रश्न था। मैंने उसकी जिज्ञासा मिटाते हुए कहा- मुझे तुमसे दस मिनट का काम है। एक प्रोजेक्ट है.. अगर तुम्हें मेरी बात नहीं समझ में आई तो मैं दस मिनट बाद चला जाऊँगा और तुम समझ गईं.. तो फिर चार से पांच घण्टे का काम है।
मित्रो, मेरी यह कहानी मेरे एक सपने पर आधारित है.. मैंने अपनी लेखनी से आप सभी के लिए एक ऐसा प्रसंग लिखना चाहा है.. जो मानव मात्र के लिए सम्भोग की चरम सीमा तक पहुँचने की सदा से ही लालसा रही है।
मुझे आशा है कि आपको कहानी पसंद आएगी। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपका शरद सक्सेना कहानी जारी है। [email protected]
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