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अब डॉली सिर्फ पैन्टी में थी और मैं पूरा नंगा था, मैं डॉली के ऊपर आया और उसके चूचों को चूसने लगा, चूचे बहुत मीठे और रसीले थे.. चूचों को मुँह में डालते ही मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया और डॉली ने सिसकारना शुरू कर दिया। मैंने बहुत देर तक चूचों को चूसा.. दबाया और हम इसमें दोनों को मजा आया।
अब मैं डॉली के मुँह पर गया और साँसों में सांसें मिला दीं, डॉली ने अपनी आँखें खोलीं.. मैंने आँखों से आँखें मिलाईं। उसकी नशीली आँखों को देखा तो मैं मुस्कुरा दिया और डॉली भी पहले थोड़ा मुस्कुराई.. फिर शर्मा के उसने आँखें बंद कर लीं। फिर हम दोनों ने होंठों को चूसा। मैं धीरे-धीरे चूचों को चूमता हुआ पेट पर पहुँच गया और नाभि को चूमा.. तो डॉली छाती उठा-उठा कर सिसकारियाँ भरने लगी ‘स्स्स्स्श ह्ह्ह्हा.. आअस्श्ह्ह श्शस..’
पेट चूमने-चाटने के बाद मैं अब नीचे आ गया। पैन्टी पूरी तरह से भीग गई थी। मैंने प्यार से पैन्टी उतार दी.. हाय क्या चूत थी.. एक भी बाल नहीं.. चिकनी चमेली.. गुलाबी.. सुनहरी भीगी चूत। मैंने चूत को पैन्टी से पोंछ दिया और चाटने लगा। वाह.. क्या मीठी सी चूत थी..
मैंने हल्के से उंगली भी करनी शुरू की, डॉली मदहोश हो गई थी, वो मेरे बालों में हाथ फिराने लगी, डॉली पर चुदास चढ़ गई थी, अब वो आपे से बाहर हो रही थी, उसने मेरे सर को टांगों में जकड़ लिया। मैं लगातार चूत चाटे जा रहा था। डॉली वाकयी वर्जिन थी.. उसकी सील मैंने चूत खोल कर देख ली थी।
अब मैंने चाटना बंद किया और अपने लौड़े को चूत के मुँह पर टिका दिया। मैंने लौड़ा पीछे की तरफ स्प्रिंग की तरह टाइट करके.. एकदम चूत में छोड़ दिया और झटका लगा दिया। लौड़ा सील तोड़ता हुआ चूत में घुस गया। डॉली ने दर्द को होंठों में दबा लिया और बिस्तर की चादर नोंच डाली। एक हल्का झटका और लगाया और डॉली की ‘आआअह्ह ह्ह्ह..’ की आवाज़ के साथ मैं डॉली के ऊपर लेट गया, उसके होंठों से होंठ मिला दिए और चूमना शुरू किया।
डोली ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी कमर पर नाख़ून गड़ा दिए, चूमते-चूमते मैंने 2-4 झटके और प्यार से लगा दिए। फिर मैं खड़ा हुआ और लंड से और चूत से खून साफ़ किया। डॉली ने खून देख लिया और घबरा गई।
मैंने कहा- हनी, पहली बार ऐसा होता है अब तुम वर्जिन नहीं रही हो.. तुम पर मेरी मोहर लग गई है। अब तुम्हें अच्छा लगेगा। मैंने फिर से लंड चूत में डाला और झटका लगा दिया और मैं डॉली की बाँहों में था और डॉली मेरी बाँहों में मच रही थी, वो मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी। डॉली की दर्द और सिसकारियाँ से कमरा गूँज उठा ‘आह आह हाअहाहह.. श्श्ह्श्स ह्श्सश्ह्स श्श आह आह आहाह आहाह्ह्ह आहा आहा अह्हाअ..’ उसे बेहद दर्द हो रहा था, मेरा 8 इंच का लौड़ा पूरा फुद्दी के अन्दर आतंक मचा रहा था।
मैंने अब धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए और आनन्दमय गति से चुदाई चालू कर दी। अब डॉली के हाथ मेरी कमर को सहला रहे थे और उसको मजा आ रहा था, वो अपने होंठों को चबा रही थी, मेरा पूरा लंड अब चूत के पूरा अन्दर तक था, लौड़ा बच्चेदानी के मुँह पर टक्कर मार रहा था।
चूत की गहराई में लंड के उतरते ही कुछ देर के बाद डॉली झड़ गई और थोड़े झटके लगाने के बाद मेरा माल भी निकल आया, मैंने सारा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं डॉली के ऊपर लेटा रहा था।
हम फिर से चूमने चाटने लगे.. अभी मिलन अधूरा सा था। कोई 15 मिनट बाद मैंने फिर से लौड़े के कड़कपन के साथ फिर से झटके लगाने शुरू किए और फिर काफी देर चुदाई करने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैंने एक बार फिर चूत में माल छोड़ दिया।
फिर हम बाँहों में बाँहें डाल कर सो गए और सुबह जब उठे.. तो मैं बहुत खुश था मुझे डॉली से प्यार हो गया था। मैंने डॉली को बाँहों में भर लिया और फिर उसे उठाया- डार्लिंग उठो.. डॉली उठते ही मुस्कुरा दी और प्यार भरी आँखों से मुझे देखने लगी। मैंने डॉली की आँखें चूमी और ‘आइ लव यू डॉली..’ कह दिया।
डॉली ने मुझे माथे पर चूमा और ‘लव यू टू’ कह दिया। हमने फिर होंठों को चूमा और एक-दूसरे की बाँहों में नंगे लेटे रहे और प्यारी प्यारी बातें करते रहे।
तभी मम्मी ने दरवाजे पर खटखटाया- अब उठ जाओ तुम दोनों.. या मैं सूरज को वापिस जाने को कहूँ कि आज छुट्टी है.. इसका मतलब ये तो नहीं कि तुम सोते रहोगे। डॉली उठी और अपने उतरे हुए कपड़े उठाए और सीधा बाथरूम में घुस गई। मैंने फटाफट कपड़े डाले और दरवाजा खोल दिया।
मम्मी ने मुझे अख़बार पकड़ाया और कहा- जल्दी से फ्रेश हो जाओ और नाश्ता कर लो.. मैं फैक्ट्री जा रही हूँ। उसके बाद मैंने ब्रुश किया और फ्रेश हो गया, मम्मी फैक्ट्री चली गई थीं। मैंने छोटू (नौकर) से कहा- खाना बना कर रख दो और मुझे आवाज़ मत लगाना। हम अपने आप जब मन करेगा.. तब खा लेंगे।
मुझे सेक्स का मजा सता रहा था, मैं अपने कमरे में गया और दरवाजा बन्द किया और बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक करने लगा। डॉली बोली- कहो। मैंने कहा- दरवाजा खोलो डॉली। डॉली- मैं अभी आई बस 2 मिनट.. मैं- नहीं.. दरवाजा खोलो भी ऐसा मत करो.. मत तरसाओ जान।
अब डॉली समझ गई थी कि मैं शरारत के मूड में हूँ। मैंने कहा- खोलो भी.. तरसाओ मत और कितना तड़फाओगी अपने जानू को? तो डॉली ने दरवाजा खोल दिया और अपना मुँह बाहर करके बोली- प्लीज कंट्रोल करो.. कोई आ जाएगा। मैंने कहा- घर में कोई नहीं है.. सिर्फ हम दोनों ही हैं।
इतना कह कर मैंने दरवाजे पर धक्का लगाया और डॉली ने दरवाजा पूरा खोल दिया। मैं अब बाथरूम में घुस गया और दरवाजा बन्द करके अन्दर से कुण्डी लगा दी।
डॉली को शर्म आ गई.. उसने मुँह दूसरी तरफ कर लिया, मैंने पहले अपने कपड़े उतारे और फिर उसके कंधे से चूमना शुरू हुआ। उसके कंधे पर मेरे होंठ लगते ही डॉली चिरमिरा गई और सेक्स में डूबने लगी। मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और और होंठों से होंठ मिला दिए और एक-दूजे को चूसने लगे। डॉली के होंठों से मीठा-मीठा रस बहुत ही नशीला था।
मेरा लौड़ा पूरा कड़क हो चुका था, मैंने अपना लौड़ा पूरा कस के डॉली से लगा रखा था। डॉली अभी-अभी नहाई थी.. इसलिए ठंडी पड़ी थी, मैंने उसे बुरी तरह से चूमना शुरू कर दिया, मैंने डॉली के होंठ.. गाल.. आँखें.. माथा.. गर्दन.. कंधे.. छाती और चूचों पर जोर-जोर से चूमा और चाटा.. डॉली के जिस्म ने मुझे पागल कर दिया था। मैंने अपनी हवस निकाली और डॉली को गरम कर दिया।
अब डॉली को भी सेक्स का खुमार चढ़ चुका था.. वो पूरी गरम हो उठी थी। मैंने डॉली के गोल-गोल मोटे-मोटे और सख्त चूचों को चूसा और दबाया। उसके चूचे चूस-चूस कर और दबा-दबा कर लाल कर दिए, डॉली सिसकारियाँ भर रही थी- आअहह… आस्श्ह्हा अश्शस..
डॉली से खड़ा नहीं रहा जा रहा था। मैंने उसे फर्श पर लिटा दिया और उसके पेट को चाटने लगा और चूचे दबाने लगा। फिर मैं डॉली की चूत की तरफ लपका अपनी जीभ चूत पर लगा दी। डॉली ने मादक स्वर में कहा- तेज तेज करो जानू.. मजा आ रहा है।
मैंने उसकी चूत को बहुत चाटा.. जोर-जोर से चाटा.। डॉली का हाल बुरा हो गया.. बाथरूम में उसकी ‘आहाह अहहह.. अहहहह हह्हह..’ की सिसकारियों की आवाज़ गूंज उठी।
मैंने अपना लौड़ा डॉली की चूत की दरार में रखा और धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए। डॉली की ‘आह.. आह..’ की आवाजें मुझे और जोश चढ़ा रही थीं। मैंने शावर शुरू कर दिया, पानी मेरी कमर पर गिर रहा था.. जिससे मेरा शरीर पूरा गर्म नहीं हो पा रहा था। मेरा लौड़ा हर झटके में चूत से पूरा बाहर.. पूरा अन्दर हो रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैंने शावर बंद कर दिया और डॉली मेरी कमर पर हाथ फिरा रही थी। इसी तरीके मैंने 20-25 मिनट तक झटके लगाए और अपना सारा माल डॉली की चूत में छोड़ दिया। फिर हमने एक-दूसरे को नहलाया और कमरे में आ गए, एक-दूसरे को कपड़े पहनाए और एक-दूजे की बाँहों में हम कम्बल ले कर लेट गए, प्यारी-प्यारी बातें और प्यार करने लगे।
उसके बाद हमने खाना खाया और मैं मार्किट से ‘आई-पिल’ की गोलियाँ ले आया और मैनफ़ोर्स कंडोम भी ले आया।
अब हम जब चाहे सेक्स करते हैं.. आखिर हम पति-पत्नी जैसे भी हैं।
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