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अब तक आपने पढ़ा.. मीनू के साथ सेक्स चैट के मज़े लेने के बाद हमने मिलने का निर्णय किया और मीनू अपनी सहेली के साथ आगरा ट्रेन से रवाना हो गई। अब आगे..
मीनू सुबह 10 बजे आगरा पहुँच गई, आते ही उसने मुझे कॉल किया और मैं उसे लेने स्टेशन पहुँच गया। मैंने स्टेशन पहुँच कर देखा कि दो लड़कियाँ.. जिनमें मीनू ने गुलाबी रंग की टी-शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी और हाथ में गुलाब का फूल लिया हुआ था। हम एक-दूसरे की फ़ोटो तो देख ही चुके थे.. सो हमें एक-दूसरे को पहचानने में समय नहीं लगा।
मैंने उनके पास पहुँचते ही दोनों से ‘हैलो’ किया और उसने मुझे ‘रेड रोज’ दिया, मैंने भी उसे सहर्ष स्वीकार किया।
इसके बाद मैंने ऑटो किया और उन दोनों को रिक्शे से मेरी एक जानकारी के होटल में ले गया, पहुँचते ही मैंने दो कमरे बुक करवाए। इसके बाद नहाने-धोने से निवृत होकर हमने साथ में लंच किया और फिर हम आगरा की सैर को निकल गए। मैंने उन्हें ताजमहल.. आगरा का किला इत्यादि घुमाया और एक मूवी भी देखी।
किन्तु मुझे और मीनू को असली इंतज़ार था शाम का.. शाम 6 बजे हम होटल लौट आए।
उसकी सहेली अपने कमरे में चली गई और उसने जाने से पहले हमें ‘हैप्पी एन्जॉय मूमेंट’ विश किया और हम दोनों अपने कमरे में आ गए।
मीनू कमरे में आते ही बाथरूम चली गई.. दस मिनट बाद वो गुलाबी रंग की नाइटी पहन कर निकली। मैं सोफे पर बेठा हुआ था.. वो आते ही मेरी गोद में बैठ गई। फिर क्या था हमारा कार्यक्रम शुरू हो गया।
मैं पीछे से उसके बालों को उठा कर उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा, फिर मैंने उसका चेहरा घुमा कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए, मैंने उसके होंठों का रसपान करना शुरू कर दिया। फिर मैं उसकी नाइटी के ऊपर से उसके मम्मों को दबाने लगा।
कुछ ही पलों में चुदास बढ़ गई.. मैंने उसे खड़ा कर दिया और उसकी नाइटी को उतार फेंका, अन्दर उसने काले रंग की ब्रा और सफ़ेद पैंटी पहनी हुई थी जिसमें से उसका गोरा बदन चमक रहा था, मैं ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को दबाने लगा और उसको खड़ी मुद्रा में ही उसके पूरे बदन पर चुम्बन करने लगा।
इसके बाद मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दिए तो वो एकदम नंगी मेरे सामने खड़ी थी। फिर मैंने उसके उसके बाएँ मम्मे को मुँह में ले लिया और चूसने लगा, साथ में दायें मम्मे को अपने हाथ से दबाने लगा। कुछ देर बाद इसी तरह मैं उसके दायें मम्मे को मुँह में लेकर बाएं को हाथ से मसलने लगा।
फिर मैंने उसकी चूत की ओर गौर किया, उसकी चूत एकदम गोरी व चिकनी थी.. जिस पर बालों का कोई नामो निशान ही नहीं था। मेरे चुम्बन करने और मम्मों क दबाने से वो गीली हो चुकी थी। मैंने उसे सोफे पर बैठा कर अपनी टाँगें फैलाने को कहा। उसने अपनी दोनों टाँगें सोफे पर बैठा कर फैला दीं.. जिससे उसकी चूत का मुँह खुल गया।
उसकी चूत मेरे एकदम मुँह बाए खुली हुई सामने थी। पहले मैंने उसमें एक उंगली डाली.. फिर दो उंगली डाल कर चलाने लगा। इसके बाद मैंने अपनी जुबान निकाल कर उसकी चूत पर लगा दी.. और उसकी चूत चाटने लगा। वो चूत चाटने से एकदम हिल गई और अपने मुख से ‘आह्ह्ह.. आआ… आह्ह ह्ह्हह..’ की आवाजें निकालने लगी। वो कामुकता से कहने लगी- आह्ह.. जान बहुत मज़ा आ रहा है.. ऐसे ही चाटते रहो मेरी चूत को.. आह्ह..
वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी.. करीब 5 मिनट के बाद उसने एक तेज अकड़न के साथ झुरझुरी ली और झड़ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर मैंने सोफे पर उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर मैंने खड़े होकर अपना मूसल लण्ड उसकी चूत पर लगा दिया। उसकी चूत पहले से ही गीली थी.. पहले धक्के में आधा लण्ड और दूसरे धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। इसके बाद मैं दमादम धक्के देने लगा, वो भले ही 5-6 बार चुद चुकी थी.. किन्तु उसकी चूत किसी अनचुदी लड़की से भी ज्यादा टाइट थी।
इसके बाद मैंने चुदाई का आसन चेंज करते हुए उसे अपने ऊपर ले लिया अर्थात कुर्सी स्टाइल में अपने ऊपर बिठा लिया और वो अपने चूतड़ हिला-हिला कर मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेने लगी। वो मेरे ऊपर थी और मैं उसके नीचे था..
मुझे पता नहीं क्या सूझी मैं नीचे से एकदम खड़ा हो गया और ये क्या.. वो मेरे लण्ड पर ऐसे लटक गई जैसे दीवार पर कलेण्डर.. इस स्टाइल में मैंने खड़े-खड़े ही उसे चोदने लगा। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था.. वो मेरे लण्ड पर अधर में सी लटकी हुई थी।
इसके बाद मैं उसे बिस्तर पर ले गया और उसे घोड़ी बना लिया। पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया और ‘दे दना दन..’ उसकी चुदाई करने लगा।
उस तरह हमारा रात 8 बजे से रात 2 बजे तक रुक-रुक कर चुदाई कार्यक्रम चला और पता नहीं हम कितने बार झड़े और कब मैं अपना लण्ड उसकी चूत में घुसा कर सो गया।
सुबह 7 बजे हमारी आँख खुली.. फिर हम साथ में बाथरूम में नहाए और बाथटब में ही मैंने उसे एक बार फिर चोदा। इसके बाद मैंने उसे और उसकी सहेली को नाश्ता कराया और उसे स्टेशन छोड़ आया और साथ में उसे जाते समय आगरा के प्रसिद्ध पंछी छाप अंगूरी पेठा के 4-5 डिब्बे पैक करवा दिए।
उसने मुझे धन्यवाद कहा और बोली- आपके साथ समय गुजार कर बहुत अच्छा लगा। मेरा जाने का मन नहीं कर रहा.. पर जाना पड़ेगा।
उसने मुझे इंदौर आने का आमंत्रण दिया। अब मुझे अगर वक्त मिलेगा.. तो उससे मिलने जरूर जाऊँगा..।
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