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अब तक आपने पढ़ा.. आज सभी लड़कियाँ मुझे बहुत सेक्सी लग रही थीं, उनकी घुटनों से ऊपर उठी हुई स्कर्ट को देख कर मानो ऐसा लग रहा था कि वो स्कर्ट मुझे बुला रही हों और कह रही हों.. कि मेरे राजा शर्माओ नहीं.. आओ, मुझे ऊपर करके इस लड़की की बुर को चोद दो। मैंने प्रोफेसर से 2-3 घंटे की छुट्टी मांगी और चारों ओर देखा.. पाया किसी का ध्यान मेरे ऊपर नहीं है और प्रोफेसर ने भी मुझे छुट्टी देकर फिर से अपने कार्यो में मन लगा लिया। मैं चुपचाप बाथरूम में गया और प्रोफेसर की दी हुई दवा की एक बूँद को पी गया। अब आगे..
इत्तफाक से जल्दी बाजी में जिस बाथरूम में मैं घुस गया था.. वो लड़कियों का था। तभी दरवाजा खुला.. दो लड़कियाँ अन्दर घुसीं और अन्दर से दरवाजा बन्द करके घूमीं। मेरी तो गाण्ड फट गई, मुझे लगा कि मैं तो गया.. अब काम से। लेकिन यह क्या? दोनों ने अपनी चड्डी उतारी और बैठ गई पेशाब करने.. इसका मतलब इन्होंने मुझे नहीं देखा.. मतलब मैं दिखाई नहीं पड़ रहा हूँ।
अब मेरे दिमाग में शरारत उठी। मैं दोनों लड़कियों के पास गया और एक लड़की जिसका नाम अदिति था.. उसकी गाण्ड में उंगली कर दी। अदिति चिहुंकी, तो जो दूसरी लड़की थी.. जिसका नाम प्रेरणा था.. वो पूछने लगी- क्या हुआ?
‘कुछ नहीं यार.. ऐसा लगता है कि किसी ने मेरी गाण्ड में उंगली की है।’ ‘नहीं यार.. मेरे और तुम्हारे अलावा यहाँ कोई और तो है नहीं.. तुम्हारी गाण्ड में उंगली कौन करेगा?’
दोनों पेशाब करके उठीं और चड्डी पहनने लगीं.. तो मेरा हाथ ने अदिति की चूत को सहला दिया। वो फिर अचम्भित होकर इधर-उधर देखने लगी.. लेकिन कुछ बोली नहीं और बाहर चली गई।
करीब आधे घंटे मैं बाथरूम में रहा और जो लड़कियाँ आतीं.. उन्हें मूतते हुए देखता और जिसकी गाण्ड में उंगली करने का मन करता, उसकी गाण्ड में उंगली करता और उनके हाव-भाव को देख करके मजा लेता।
अब मुझे बाहर लोगों की मजेदार बातें सुननी थीं क्योंकि अकसर जब भी लड़के-लड़कियाँ लैब में आते थे.. तो भी मेरी नजर उन पर रहती थी और उनकी हरकतों से इतना तो समझ जाता था कि वो क्या-क्या गुल खिला रहे हैं।
इत्तफाक से लैब में एक लड़के और एक लड़की ही एक ग्रुप में रहते थे। मैं चारों ओर घूम रहा था.. लेकिन सब काम करने में मस्त थे और बीच-बीच में द्विअर्थी संवाद भी कर रहे थे। जैसे किसी को कोई सामान मांगना होता तो अपने पार्टनर से कहता- दे रही हो? वो भी उसी अंदाज में जवाब देती- कितनी बार दूँ। फिर पहला उसकी तरफ देखता और बोलता- यार करना तो पड़ेगा.. नहीं तो काम कैसे चलेगा?
इस तरह से मैं सब की बात सुनते हुए चला जा रहा था। तभी सबसे कोने पर जहाँ किसी की नजर आसानी से नहीं जा सकती थी.. वहाँ एक लड़की जिसके पैर फैले हुए थे.. आँखें उन्माद से बन्द थीं और सिसिया रही थी.. उसको मैंने देखा और पाया कि एक लड़का नीचे झुका हुआ था। मैंने झांक कर भी देखा तो झुका हुआ लड़का उस लड़की की स्कर्ट को हल्का सा ऊपर करके उसकी चूत में उंगली कर रहा था और उसकी चूत से निकलने वाली मलाई को चाट भी रहा था, जिसकी वजह से लड़की सिसिया रही थी।
तभी मैंने देखा.. अरे यह क्या.. लड़की ने अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था। केवल स्कर्ट से ही अपनी चूत को छुपा रखा था। तभी लड़की बोली- रवि जल्दी-जल्दी करो.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। ‘अरे जान.. बर्दाश्त तो मुझे भी नहीं हो रहा है.. मैं क्या करूँ..?’ ‘रवि तू मेरी चूत का माल अपनी उंगली से निकाल दे.. और अपना माल बाथरूम में जाकर हाथ से निकाल लियो।’
तभी लड़का अपनी जगह से उठा। ‘अरे यार कंगना.. क्या बात कही है। चल दोनों जन बाथरूम में चलते हैं।’ ‘अबे वहाँ कोई देख लेगा..’ कंगना बोली। ‘अबे जुगाड़..’ ‘मतलब?’ ‘अबे यार एकांत को बुला लेते हैं। वो बाहर नजर रखेगा और हम लोग पांच मिनट में काम निपटा लेते हैं।’ कंगना- भोसड़ी के अब मेरी चूत का प्रर्दशन भी करवाएगा। तेरे कहने से आज पैन्टी पहन कर नहीं आई हूँ। बड़ा सम्भल कर चल रही हूँ। कहीं गलती से स्कर्ट उठी.. तो फ्री में ही सब मेरी गाण्ड का दीदार कर लेंगे। ‘बहन की लौड़ी.. चुदना है या नहीं?’ ‘हाँ.. चुदना तो है।’ ‘तो नखरे क्यों कर रही है। चल पाँच मिनट में निपट लेते हैं।’
रवि इतना बोल कर थोड़ी दूर बैठे एक लड़के के पास गया। यह वही लड़का था, जिसके बारे में रवि ने कंगना से कहा था। उसके कान में कुछ बोला, फिर दोनों ने कंगना को देखा और मुस्कुराए.. इधर कंगना भी दोनों को देखकर मुस्कुराई। रवि ने कंगना को इशारा किया। इशारा पाकर कंगना जेन्ट्स टॉयलेट की ओर चल दी। मैं भी पीछे-पीछे चल दिया।
टॉयलेट के पास एकांत खड़ा था.. जबकि रवि अन्दर जा चुका था। जैसे ही कंगना टॉयलेट पहुँची.. एकांत मुस्कुरा कर बोला- क्या भाभी.. देवर को निगरानी में लगाकर मजे लेने जा रही हो.. कम से कम मुझे भी अपनी चूत दिखा दो।
‘क्या तेरी माल तेरे को चूत नहीं दिखाती?’ कंगना बोली। ‘वो तो मैं रोज देखता हूँ.. लेकिन नई-नई चूत देखने का अलग आनन्द होता है और आपस में क्या शर्माना.. रवि ने भी तो कई बार मेरी माल की चूत को देखा भी है और चोदा भी है.. मैं तो केवल देखने की कह रहा हूँ।’ इतना कहकर एकांत ने कंगना को आँख मारी।
‘ले देख ले बाबा.. तू मेरी चूत देख ले। नहीं तो बार-बार पीछे देखेगा और लोगों को शक हो जाएगा।’ कहकर कंगना अन्दर गई और पीछे से एकांत भी आ गया। कंगना ने तुरन्त ही अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई। ‘वाह.. भाभी क्या चूत है तुम्हारी.. रवि के तो मजे हैं।’ ‘अच्छा अब चल.. जा देख कोई आ ना जाए।’
उसके बाद रवि की ओर घूर के देखते हुए घूमी और बोली- चल.. अब चोद भी.. क्या अब अपने पूरे ग्रुप को मेरी चूत दिखाने के बाद चोदेगा? इतना कहकर कंगना अपनी स्कर्ट को ऊपर करके झुकी.. रवि ने अपना लण्ड निकाला और कंगना के मुँह में देते हुए बोला- जरा इसको तो चूस ले.. कंगना ने रवि के लण्ड को मुँह में ले लिया। मैं पीछे की तरफ गया और कंगना की गाण्ड को सहलाने लगा। जब उसे अपनी गाण्ड में मेरे हाथ का अहसास हुआ.. तो वो तुरन्त खड़ी हो गई और पीछे की ओर देखा।
रवि ने पूछा- जान क्या बात है? ‘कुछ नहीं..’ वो फिर से झुक कर लण्ड को चूसने लगी। इधर मैं उसकी गाण्ड को सहला रहा था, लेकिन कंगना ने मेरे सहलाने को कोई तव्वजो नहीं दी। शायद उसे लगा कि रवि ही उसकी गाण्ड को सहला रहा है।
दो मिनट लण्ड चूसने के बाद रवि उसकी चूत चोदने लगा। करीब दो-तीन मिनट चूत चोदने के बाद रवि ने लण्ड को कंगना के मुँह में डाला और अपना पूरा माल उसके मुँह में उड़ेल दिया.. जिसको कंगना ने बड़े ही प्यार से गटक लिया और बाकी लण्ड में लगे हुए माल को चाट कर साफ कर दिया।
रवि ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने लगा तो कंगना ने उससे बोला- यार रवि पेशाब बहुत तेज लगी है.. तू कहे तो यही मूत लूँ।
‘चल जल्दी कर..।’ रवि के इतना कहना था कि कंगना मूतने के लिए बैठने लगी। तभी रवि बोला- यार लड़कों के टॉयलेट में मूतोगी.. तो लड़कों की तरह खड़े होकर मूतो..!
कंगना तुरन्त ही खड़े होकर मूतने लगी और रवि कंगना के पास खड़े होकर उसको मूतता हुआ देखता रहा। फिर रवि भी मूत कर फ्री हो गया। अब दोनों लोग सबकी नजरें बचा कर अपनी जगह जाने लगे.. तो एकांत अपने लौड़े को मसलते हुए बोला- भाभी ये लौड़ा भी आपके चूत में जाने के लिए बेकरार है।
एकांत की बात को सुनकर कंगना मुस्कुराई और अपनी जगह जाकर बैठ गई।
अब लैब भी धीरे-धीरे खाली होने लगा था और मेरे भी समय हो गया था.. इसलिए मैं बाथरूम में गया और 10 मिनट बाद बाहर आया। तो देखा पूरा लैब खाली हो गया था, रवि आगे जा चुका था। मेरे दिमाग में फिर खुराफात आ चुकी थी इसलिए मैंने कंगना को अपनेऑफिस में बुलाया और उससे बोला- यार तुम नीचे पैन्टी तो पहन लेतीं। मेरी बात को सुनकर वो सकपकाई लेकिन फिर सम्भलते हुए बोली- क्या कह रहे हैं? मैंने तो पहनी हुई है।
‘तो ऐसे ही तेरी गाण्ड का दीदार मुझे हो गया और अन्दर जेन्ट्स टॉयलेट में अपने यार से जो चुदवा रही थी, उसका क्या?’ अब वो थोड़ा ढीली पड़ी। ‘पर वहाँ कोई नहीं था..’ मैंने उसको ढीली पड़ते देखा तो बोला- याद है.. जब तू झुकी हुई थी तो तेरी गाण्ड को कोई सहला रहा था.. वो मेरी तरफ आश्चर्य से देख रही थी। मैं उसके आश्चर्य को और बढ़ाते हुए बोला- मैं ही तेरी गाण्ड सहला रहा था।
कंगना मेरी तरफ आँखें फाड़े देख रही थी। उसकी जिज्ञासा को शान्त करते हुए बोला- तेरी गाण्ड दरवाजे की तरफ थी.. मैं अन्दर बैठा हुआ था। वैसे तेरी गाण्ड है बड़ी चिकनी..
मैं अब उसके पीछे आ चुका था और उसकी गाण्ड में हाथ फेरते हुए बोला- अभी भी तुमने चड्डी नहीं पहनी है। उसके बिखरे हुए बालों को आगे उसके वक्ष पर करते हुए उसके गर्दन को चूमने लगा। अब वो मदहोश सी होने लगी, उसकी आँखें अपने आप बन्द होने लगीं, मदहोशी सिसकियों की आवाज उसके मुँह से आ रही थी और उसके हाथ मेरे लण्ड को टटोलने लगे।
मैं केवल उसकी गाण्ड को सहला रहा था और गर्दन को चूम रहा था। मैंने पूछा- मजा आ रहा है.. वो गर्दन हिला के और कांपती आवाज में बोली- बहुत.. मैं उससे आगे कुछ कहने जा ही रहा था कि रवि की कॉल उसके मोबाईल पर थी।
मित्रो, मेरी यह कहानी मेरे एक सपने पर आधारित है.. मैंने अपनी लेखनी से आप सभी के लिए एक ऐसा प्रसंग लिखना चाहा है.. जो मानव मात्र के लिए सम्भोग की चरम सीमा तक पहुँचने की सदा से ही लालसा रही है। मुझे आशा है कि आपको कहानी पसंद आएगी। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपका शरद सक्सेना कहानी जारी है। [email protected]
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