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अब तक आपने पढ़ा..
पायल- पता नहीं भाई.. मैं बहुत बड़ी उलझन में हूँ.. कभी तो ऐसा लगता है कि बस आप ही मेरे सब कुछ हो.. आपसे लिपट कर खूब प्यार करूँ.. कभी लगता है.. कि ये गलत है। पुनीत- अरे मेरी जान.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम वासना की आग में जल रही थीं.. तो मैंने तुम्हारी प्यास मिटाने की कोशिश की है.. मगर लगता है रात की चुदाई काफ़ी नहीं है.. तुमको दोबारा ठंडी करना होगा.. तभी तुम्हारा दिमाग़ ठिकाने पर आएगा। पायल- चुप रहो भाई.. ऐसी बातें मत करो.. मुझे अजीब सा महसूस हो रहा है।
अब आगे..
पुनीत- अच्छा अच्छा.. नहीं करता.. ये लो ये गोली खा लो.. इससे दर्द कम होगा और ये क्रीम चूत पर अच्छे से लगा लेना.. सूजन ठीक हो जाएगी। पायल- छी:.. भाई आप कितने गंदे हो.. कैसी बातें कर रहे हो.. सीधे नाम ले रहे हो.. मुझे तो बहुत अजीब सा लग रहा है।
पुनीत हैरान हो गया कि ये पायल को अब क्या हो गया.. रात को तो कुछ और ही जलवे दिखा रही थी.. अब अचानक सती सावित्री कैसे बन गई? पुनीत- सॉरी पायल.. मगर तुम्हें तकलीफ़ थी.. तो ये ले आया और हाँ ये गोली भी ले लेना.. रात को हमने जो किया उससे कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए। जैसे पेट में बच्चा वगैरह.. तुम समझ रही हो ना.. पायल- हाँ समझ रही हूँ और वैसे रॉनी भी साथ गया था.. उसके सामने ये सब कैसे लिया आपने? पुनीत- वो सन्नी के साथ किसी काम से गया है। अब पैर में मोच का तो बहाना था.. तो उस दवा के बजाए मैं ये सब ले आया। पायल- ओके ठीक है भाई.. अब आप यहाँ से जाओ.. प्लीज़ मुझे कुछ देर अकेला रहना है।
पुनीत बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया, उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि पायल अचानक बदल कैसे गई, रात को तो उसका मूड कुछ और ही था और अब कुछ और? पुनीत अपने कमरे में जाकर मोबाइल पर टाइमपास करने लगा।
पुनीत के जाने के बाद पायल ने दवा ली और बाथरूम में जाकर अपनी चूत पर अच्छे से क्रीम भी लगाई। पायल पर दोबारा से गोली का असर शुरू हो गया था, वो अपने कमरे में आई और बिस्तर पर बैठ गई। उसको रात की चुदाई याद आने लगी.. उसका जिस्म वो सोच कर उत्तेजित होने लगा।
पायल- ओह गॉड.. यह क्या हो रहा है.. अभी मैंने सोचा था.. जो हुआ वो सब अब दोबारा नहीं करूँगी.. मगर मेरा जिस्म मेरे दिमाग़ का साथ नहीं दे रहा.. नहीं नहीं.. यह भाई और बहन की चुदाई का खेल अच्छा है.. इसमें कोई बुराई नहीं है। पूजा ने भी तो अपने भाई के साथ किया था और ना जाने कितने लोग करते होंगे। अब मैंने कर लिया तो कौन सा गुनाह हो गया। नहीं.. मैंने पुनीत को नाराज़ किया है.. अब जाकर उसको मनाती हूँ।
पायल कमरे से निकली और सीधी पुनीत के कमरे में चली गई। उस वक़्त वो मोबाइल में बिज़ी था.. तो पायल ने उसको पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर एक चुम्बन कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पुनीत- अरे पायल छोड़ो मुझे.. तुम यहाँ क्यों आई हो? पायल- सॉरी भाई.. मैंने आपसे ठीक से बात नहीं की। वो दरअसल मेरा दिमाग़ खराब था उस वक्त.. पुनीत- अच्छा अब ठिकाने आ गया क्या.. खुद ही मुझे बहनचोद बना दिया और खुद ही ज्ञान देने लगी थीं। पायल- भाई प्लीज़ ‘सॉरी’ कहा ना मैंने.. अब ऐसा नहीं कहूँगी.. आप तो मेरी जान हो आई लव यू भाई.. पुनीत- आई लव यू टू मेरी जानेमन.. रात की मस्त चुदाई के बाद सुबह तक तुम ठीक थीं.. अचानक क्या हो गया था?
पायल- पता नहीं भाई.. मेरे दिमाग़ में अचानक बात आई कि हमने गलत किया मगर अब लगता है.. सब सही था। अभी भी मेरी चूत फड़फड़ा रही है। पुनीत- क्या बात है मेरी जान.. सुबह-सुबह चुदाई का मूड बना लिया.. मगर ये वक़्त और जगह सही नहीं है.. कोई भी आ सकता है। अब तुम मेरी वाइफ तो हो नहीं.. जो किसी भी वक्त तुम्हें चोद सकूँ। पायल- ओह भाई.. तो रोका किसने है.. बना लो ना मुझे अपनी वाइफ.. पुनीत- मेरी जान रात का इन्तजार करो.. आज तो पहले तेरी मस्त गाण्ड मारूँगा मैं.. बड़ा मन मचल रहा है मेरा.. तेरी गाण्ड मारने को..
पायल- अच्छा भाई मार लेना.. अभी प्लीज़ कुछ करो ना.. मुझे बड़ी बेचैनी हो रही है। पुनीत- अरे कोई आ गया तो मुसीबत हो जाएगी.. ऐसा करो बाथरूम में जाकर उंगली से काम चलाओ अभी.. रात को सुकून से तुम्हारी चुदाई करूँगा।
पायल ने बहुत ज़िद की.. मगर पुनीत जानता था कि इस वक्त चुदाई करना मुश्किल होगा। फिर भी उसने हिम्मत करके पायल को किस किया और बाथरूम तक छोड़ आया। पायल भी समझ गई कि पुनीत नहीं मानेगा.. तो उसने अपने आप को उंगली से शान्त किया। उसकी बेचैनी तो ख़त्म हो गई.. मगर नशा नहीं उतरा। उसको अभी भी यही लग रहा था कि जब तक लौड़ा अन्दर नहीं जाएगा.. उसको चैन नहीं मिलेगा।
पायल अब थोड़ी ठंडी हो गई थी और वो पुनीत को कहीं बाहर चलने को कह रही थी.. तभी रॉनी भी आ गया। उसने पूछा- अब पैर का दर्द कैसा है? तो पायल ने कहा- दवा से ठीक हो गया। तीनों ने बाहर जाने का प्लान बना लिया और सब रेडी होने अपने-अपने कमरों में चले गए।
उधर अर्जुन और निधि बैठे हुए बातें कर रहे थे.. भाभी थकी हुई थीं तो उनको नींद आ गई थी। निधि- अर्जुन मेरे भैया ठीक तो हो जाएँगे ना? अर्जुन- अरे होंगे क्यों नहीं.. इतने बड़े अस्पताल में ऐसे ही लेकर आए है क्या हम? निधि- भगवान जल्दी मेरे भाई को अच्छा करे। अर्जुन- अरे फिकर मत कर.. सब अच्छा ही होगा। तू भी थोड़ा आराम कर ले.. रात से सोई नहीं.. तुझे भी नींद आ रही होगी। निधि- तुम भी तो जागे हो हमारे साथ.. तुम भी सो जाओ.. वो दोपहर तक भाई के पास जाने भी नहीं देंगे। अर्जुन- बिस्तर पर तो भाभी सोई हैं.. ऐसा करते हैं हम दूसरे कमरे में जाकर सो जाते हैं.. निधि- हाँ ये सही रहेगा.. ऐसे तो यहाँ नींद आएगी भी नहीं।
दोनों दूसरे कमरे में चले गए और बिस्तर पर लेट गए। निधि ने करवट ली और सोने की कोशिश करने लगी। अर्जुन का ध्यान निधि की गाण्ड पर गया.. तो वो सरक कर उसके पीछे चिपक गया।
निधि- क्या करते हो.. सोने दो ना.. अर्जुन- मेरी रानी तुझे यहाँ सोने के लिए साथ लाया हूँ क्या.. आज तक उस खटिया पर ही तेरी ठुकाई की है। आज अच्छा मौका मिला है.. ऐसा नर्म बिस्तर और तेरी मुलायम गाण्ड देख कर मेरा लंड उछलने लगा है। चल जल्दी से कपड़े निकाल.. मुझे तेरी गाण्ड मारनी है। उसके बाद सो जाना। निधि- क्या अर्जुन… ये कोई समय है गाण्ड मारने का.. भाभी जाग गई तो? अर्जुन- अरे भाभी उठ जाएगी तो उसकी भी गाण्ड मार दूँगा। चल देर ना कर मेरी थकान लौड़े को ठंडा करके ही उतरेगी।
निधि ने सलवार निकाल दी.. मगर अर्जुन को लगा ऐसे मज़ा नहीं आएगा। उसने निधि को प्यार से पूरी नंगी कर दिया। निधि- क्या अर्जुन पूरे कपड़े क्यों निकाले.. तुमको तो बस गाण्ड मारनी थी ना.. ऐसे ही मार लेते? अर्जुन- अरे मेरी बुलबुल.. चूत मारो या गाण्ड… पहले चूचे चूसने में मज़ा आता है.. लौड़े को पूरा गर्म करके ही चुदाई होती है। निधि- अच्छा.. तो मैं भी लौड़ा चूस के मज़ा लूँगी। मुझे उसमें मज़ा आता है और हाँ तुम मेरी फुद्दी भी चाटना.. ठीक है ना..! अर्जुन- अरे मेरी बुलबुल.. ये भी कोई कहने की बात है क्या.. तेरी फुद्दी को तो चाट कर ठंडा कर दूँगा और तेरे मुलायम होंठों के रस से ही तो लौड़ा चिकना होगा और आराम से तेरी गाण्ड में जाएगा।
इतना कहकर अर्जुन निधि के अनारों को चूसने लगता है, अपने हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगता है। निधि- आह्ह.. अर्जुन ससस्स.. तुम भी कपड़े निकालो ना.. मुझे मेरा प्यारा गन्ना चाहिए.. आह्ह.. धीरे दबाओ ना.. आह्ह.. दुख़ता है.. अर्जुन- अरे क्या नखरे करती है.. कितनी बार तेरे चूचे दबा चुका हूँ.. चूत और गाण्ड को ढीला कर चुका हूँ.. अब भी नाटक करती है.। निधि- तेरा गन्ना भी तो देख कितना बड़ा है.. जब भी मुँह में जाता है.. सांस गले में अटक जाती है। अर्जुन- हाँ ये तो है लौड़ा तो बड़ा ही है.. मेरा मगर तेरी भी हिम्मत की दाद देता हूँ.. साली दोनों तरफ़ से पूरा मज़ा देती है तू.. पहले तो चिल्ला-चिल्ला कर कान के पर्दे खराब कर दिए थे तूने.. अब तू मस्त मज़ा देती है। निधि- अब बातें ही करते रहोगे या मेरा गन्ना मुझे दोगे..
अर्जुन ने कपड़े निकाल दिए और निधि का हाथ पकड़ कर लौड़े पर रख दिया। अर्जुन- ये ले.. अब तू ज़्यादा बात मत करना.. जल्दी से इसे चूस कर चिकना बना दे ताकि तेरी गाण्ड में आराम से चला जाए। निधि- मैं कहाँ बात कर पाऊँगी.. अब ये जो मेरे मुँह को बन्द कर देगा। चलो सीधे लेट जाओ.. हम उस तरह करेंगे जैसे पहले किया था। तुम मेरी फुद्दी चाटना और में तुम्हारा गन्ना चुसूंगी।
अर्जुन समझ गया कि यह क्या चाहती है.. वो सीधा लेट गया। उसके पेट पर उल्टी साइड निधि भी लेट गई। अब उसकी फूली हुई चूत अर्जुन के मुँह के पास थी और उसने घप से अर्जुन का लौड़ा मुँह में ले लिया था।
दोनों की चुसाई का प्रोग्राम शुरू हो गया और कोई 15 मिनट तक ये चलता रहा। अर्जुन जीभ की नोक से चूत को चोद रहा था.. जिसे निधि ज़्यादा देर बर्दाश्त ना कर सकी और उसके मुँह में झड़ गई। अर्जुन उसका सारा चूतरस गटक गया और चूत को चाट-चाट कर एकदम साफ कर दिया।
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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