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अब तक आपने पढ़ा.. मात्र 15 दिनों के अन्दर संदीप की अंडर स्टेंडिंग उन दोनों के साथ काफी हो चुकी थी। बल्कि अब जब कावेरी टीवी पर जब सास-बहू के प्रोग्राम देख रही होती थी.. तो ये दोनों बोर हो जाती.. और फिर संदीप के यहाँ जाकर नाइन एक्स के म्यूजिक चैनल पर गाने सुनने लगतीं।
कावेरी भी उन दोनों से इस पर कुछ नहीं कहती थी। पर इस सबका प्रभाव यह हो रहा था कि खुशी और चम्पा की आवाजाही संदीप के यहाँ खुले रूप से होने लगी थी। कभी-कभी तो खुशी टीवी देखते-देखते नीचे बिछे गद्दे पर लेट भी जाती थी और उसके लेट जाने से उसके स्तनों के बीच में बनती दरार संदीप के लिंग में तूफान ला देती थी। कभी-कभी संदीप ने चम्पा के स्तनों की तरफ भी निगाह डाली.. पर सफल नहीं हो पाया.. क्योंकि चम्पा इन मामलों में थोड़ी सजग थी। हालांकि संदीप पीछे की तरफ से उसके नितंबों को जरूर घूरता रहता था। अब आगे..
उन लोगों के जाने के बाद संदीप अपनी मनपसन्द ट्रिपलएक्स मूवी की सीडी अल्मारी में से निकालता था और अपने लैपटाप को ऑन करके उसमें देखने लगता था। संदीप ने अपनी सारी एडल्ट सीडी एक बैग में डाली हुई थीं.. जो कि उसने अल्मारी में सबसे नीचे वाली शेल्फ में रख दिया करता था.. जहाँ कि वो अधिकतर अपने जूते रखा करता था।
जब संदीप ने सीडी का बैग निकाला तो उसे अपनी मनपसन्द मूवी नहीं मिली.. उसने पूरी सीडी को दुबारा गिना.. तो उसने पाया कि उसने 12 सीडी उसमें रखी थीं और अभी 10 ही थीं। उसने कुछ और जगह भी ढूंढने की कोशिश की पर वहाँ भी नहीं मिली। अब संदीप के दिमाग में जो बात आई.. वो यही थी कि यह काम सिर्फ खुशी या चम्पा में से कोई एक का हो सकता है और जहाँ तक हो सकता है.. शायद खुशी..!
संदीप ने उनसे पूछताछ तो नहीं की.. पर अब वो थोड़ा सतर्क हो गया। अब उसने हरेक दिन अपने सीडी और मैगजीन आदि को चैक करना शुरू कर दिया। तो उसने पाया कि अगले दिनों में जो सीडी या मैगजीन उसने छोड़ी थी.. वो गायब थी और जो पहले गायब थी.. वो अब मौजूद थी। इसका मतलब दोनों में से कोई एक लड़की इन्हें ले जाती है या दोनों ही..!
अब संदीप ने सोचा कि क्यों न इन दोनों की थोड़ी मदद ही की जाए। उसने कुछ और सीडी और मैगजीन खरीदीं और उनमें मिला दीं.. जिससे कि उनको भी वो देख सकें। पर अब धीरे-धीरे संदीप की कामुक भावनाएँ बढ़ती जा रही थीं और वो उनमें से किसी को भी अपने जाल में फंसाने का चक्रव्यूह बनाने में व्यस्त हो गया।
अब वो उन दोनों को रंगे हाथों पकड़ना चाहता था और उनका इस्तेमाल करना चाहता था। उसने हर शनिवार को अपना कलेक्शन बढ़ाना शुरू कर दिया और जल्दी ही दोनों लड़कियों को भी पता ही चल गया कि अब हर शनिवार नई सीडी उस बैग में मिल जाया करेगी। संदीप को भी कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि 20 रुपए में ही वो सीडी का इंतजाम कर लेता था।
फिर एक शनिवार के दिन उसने उन्हें रंगे हाथों पकड़ने का प्लान बना लिया। उसने नई सीडी खरीदी और वहाँ रख दी। अगले दिन दोपहर के खाने के लिए ढाई बजे जब संदीप निकला.. तो घर की चाभी देने के लिए कावेरी के यहाँ गया। सभी लोग दोपहर के खाने के बाद सो रहे थे.. सिवाए खुशी के.. वो टीवी देख रही थी, संदीप ने उसे चाभी दी और खुशी ने मुस्कुराते हुए चाभी ले ली।
फिर जब संदीप कावेरी के घर से बाहर निकला तो खुशी ने दरवाजा बंद कर लिए। उसके दरवाजा बंद करते ही संदीप पलटा और अपने घर के दरवाजे को डुप्लिकेट चाभी से खोल कर अन्दर आ गया। अन्दर आने के बाद उसने चाभी से फिर से लॉक लगा लिया और अपने वाले बेडरूम के टॉयलेट के दरवाजे के पीछे जाकर खड़ा हो गया।
वो वहाँ करीब 10 मिनट तक खड़ा रहा और फिर हल्का सा शोर हुआ और दरवाजा बाहर की तरफ से खुला। वो खुशी थी। वो वहाँ फर्श पर बैठ गई और अल्मारी के उस हिस्से को खोला और उसने सीडी का बैग निकाल लिया और कुछ नई सेक्स की किताबें भी थीं जिनके पन्ने पलट-पलट कर वो देखने लगी। उसकी पीठ संदीप की तरफ थी और जब लगभग अधिकतर सीडी और किताबें उसने फर्श पर निकाल कर रख लीं और उनमें से छाँटने का उपक्रम करने लगी.. तभी संदीप बाथरूम के दरवाजे के पीछे से निकल कर बाहर आ गया।
उसने संदीप के पदचापों की आवाज सुनी और पलट कर देखा। संदीप जान-बूझकर गंभीर मुद्रा में उसी को घूर कर देख रहा था। खुशी एकदम से हक्की-बक्की रह गई थी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वो पकड़ी जाएगी। संदीप- यह सब क्या है खुशी? खुशी क्योंकि रंगे हाथों पकड़ी गई थी.. सो वो बहुत ही नर्वस हो चुकी थी। फिर भी वो बोली- कुछ नहीं.. मैं..बस..वो आपका यह सब सामान देख रही थी। खुशी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.. मानो कुछ खास नहीं हुआ हो।
तब संदीप ने फिर से कहा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गई मेरी अल्मारी में मेरे निजी सामान को बिना मेरी अनुमति के देखने की? पर खुशी अभी भी डरी नहीं बल्कि बड़े ही विश्वास के साथ उसने जवाब भी दिया- आप मुझे डराओ मत.. मैंने ऐसा कुछ भी गलत नहीं किया है। मैं सिर्फ यह सब मूवीज देखा करती थी.. आप लोग देख सकते हो.. तो क्या हम लड़कियाँ नहीं देख सकती हैं?
संदीप खुशी की बोल्डनेस को देख कर सकते में आ गया.. फिर भी उसने आगे उससे कहा- मैं दीपक जी को इस बारे में सब बताने जा रहा हूँ। संदीप ने सोचा था कि इस तरह बोलने से खुशी डर जाएगी। पर ऐसा हुआ नहीं.. बल्कि खुशी बड़े ही आत्मविश्वास के साथ पलट कर बोली- ओके.. पर इससे तुम्हें क्या मिलेगा? संदीप- यही कि.. आगे तुम ज़िंदगी में यह सब दुबारा नहीं करोगी।
खुशी- वो तो मैं अभी भी नहीं करने वाली हूँ.. तो बेहतर होगा कि मामला यही पर सुलझा लो आप! आई एम सॉरी। खुशी की आवाज में प्रार्थना थी।
संदीप समझ गया था कि खुशी नहीं चाहेगी कि यह सब दीपक या कावेरी तक पहुँचे.. और इसके लिए वो कुछ भी कर सकती है। संदीप का पलड़ा भारी था। वो फिर से आगे बढ़ा और खुशी को कमर से पकड़ कर बोला- सिर्फ ‘सॉरी’ से काम नहीं चलेगा। मैं यह सब दीपक जी को बताने वाला हूँ.. वरना चुपचाप खड़ी रहो।
खुशी ने संदीप की इस हरकत का पलट कर विरोध किया और धक्का मारकर संदीप को अलग करते हुए बोली- मैं कोई बच्ची नहीं हूँ.. तुम मुझे इस तरह से दवाब में नहीं ला सकते हो। जाओ और जीजाजी को बता दो.. जो होगा.. मैं झेल लूँगी। मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश मत करो.. तुम्हें इससे कुछ नहीं मिलने वाला।
संदीप के तो होश ही उड़ गए, उसकी सारी प्लानिंग समाप्त होती दिख रही थी, अब उसके पास खुशी के आत्मविश्वास वाले व्यवहार के सामने बोलने के लिए कुछ बचा ही नहीं था।
आप सभी को यहाँ रुकना पड़ेगा.. पर अगले भाग में आपसे फिर मुलाक़ात होगी.. तब तक आप मुझे अपने विचारों को ईमेल के माध्यम से मुझ तक भेज सकते हैं। कहानी जारी है। [email protected]
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