This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
हैलो, मैं मनीष उर्फ़ मनु राजकोट गुजरात से हूँ। मैं 22 साल का हूँ और मैं इस साईट का एक पुराना पाठक हूँ।
इस साइट पर यह मेरी पहली कहानी है। यह कहानी मेरे और मेरी दूर की आंटी के साथ की है, उसका नाम मंजुला है.. उसकी उम्र 35 की है.. लेकिन वो दिखने मैं सिर्फ 25 की लगती है। क्या झकास माल है यार.. जो भी देखे.. वो उसे चोदने की सोचने लगेगा।
एक बार छुट्टी के दिनों में मैं उसके घर गया था। उस वक्त ठंड का मौसम चल रहा था। मेरी चाची के दो बेटे हैं एक 17 का और एक 15 साल का है वे दोनों अभी स्कूल में पढ़ते हैं। मैंने उनके घर जाकर उनके बारे में पूछा तो चाची बोली- वो दोनों अपनी छुटियों में घूमने गए हैं। उस वक्त अंकल काम पर गए थे। मैं उनके यहाँ कुछ दिन रुकने गया था।
एक दिन मैं सुबह 4 बजे पेशाब करने उठा.. तो अंकल और आंटी आराम से सो रहे थे।
मैंने जो देखा उससे मेरी नींद उड़ गई थी, मैंने देखा कि चाची की साड़ी उठ कर उसकी जांघ नंगी हो गई थी। यह देख कर मेरा तो बुरा हाल हो गया था.. तभी पहली बार मेरे मन में चाची को लेकर खराब विचार आए थे। मैं बाथरूम चला गया और वहाँ जाकर मुठ्ठ मारी.. तब कुछ शान्ति मिली.. फिर मैं वापस आकर लेट गया।
चाची की जांघ देखने के बाद मेरी नींद उड़ गई थी, मुझे रात में नींद ही नहीं आई। मैं तो अपने मन में चाची को चोदने का प्लान बना रहा था। मेरे और चाची के बीच मज़ाक-मस्ती कुछ ज़्यादा ही होती रहती थी। दिन भर यूं ही सोचता रहा.. ऐसे ही रात हो गई।
तभी शाम को अंकल ने घर आकर बताया कि वो 5 दिनों के लिए ऑफिस के काम से बाहर जा रहे हैं.. तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.. लेकिन मैं भी दिखावे के लिए बोला- मैं भी कल वापस जा रहा हूँ। तो चाचा बोले- तुम मेरे आने तक यहीं रुक जाओ.. क्योंकि घर का ध्यान रखने के लिए एक से दो ठीक रहेंगे… और तेरी चाची को भी अकेला नहीं लगेगा।
उन्होंने एक ही बार कहा और मैं मान गया.. फिर सब सो गए।
सुबह मैं उठा.. तो चाचा जा चुके थे और चाची रसोई में नाश्ता बना रही थी। मैं हॉल में बैठ कर चाची को देख रहा था.. उनकी उठी हुई गाण्ड देख कर मेरा बुरा हाल हो रहा था।
आखिर मुझसे रहा नहीं गया और फिर मैं रसोई में चला गया, मैं उसको पीछे से पकड़ कर बोला- मैं मदद करूँ चाची? मेरा पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड की दरार में रगड़ने लगा था.. तो वो उसे मज़ाक समझीं और बोली- नहीं रहने दे.. उन्होंने मुझे नाश्ता दिया और अपने काम में लग गई।
मैं उनको चोदने का बार-बार प्लान बनाता रहा। रात का खाना खाने के बाद हम सोने चले गए। हम गद्दा लगा कर सो रहे थे। हम दोनों में थोड़ी दूरी थी। मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने देखा कि चाची सो रही थीं, मैंने अपना गद्दा उसके गद्दे की ओर सरकाया.. फिर लेट गया। थोड़ी देर के बाद मैंने धीरे से करवट करके खुद को उसके नजदीक किया और एकदम उसके पास हो गया। मैं उसकी चादर में घुस गया और उसके पीछे से उसकी गाण्ड में अपना लौड़ा रगड़ने लगा। वो गहरी नींद में सो रही थी।
कुछ देर बाद वो जागी तो देखा कि मैं उसके साथ चिपका हुआ हूँ। वो कुछ नहीं बोली और मुँह फेर कर सो गई। मेरी हिम्मत बढ़ी.. और मैं फिर से अपने काम पर लग गया। तो चाची बोली- यही करते रहोगे या फिर कुछ आगे भी करोगे?
मैं तो एकदम से हड़बड़ा गया.. फिर चाची मेरी तरफ़ घूमी और मेरा लौड़ा हाथ में लेकर बोली- तुम्हारा तो कितना मोटा और बड़ा है रे.. चाचा तेरे का तो इससे बहुत छोटा और पतला है.. मैं अब सब समझ चुका था और मैंने चाची को अपनी तरफ खींच लिया, चाची के होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और उसको मस्ती से चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
बाद में मैं उसके मम्मे ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा और फिर बटन खोल कर उसके चूचे चूसने लगा। धीरे-धीरे मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए और मैंने खुद के भी सारे कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों से खेलने लगे। थोड़ी देर चाची बोली- बस अब जल्दी से अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दे। मैं चाची के ऊपर सवार हो गया और उसकी चूत में अपना सुपारा घुसेड़ दिया। वो ‘अहह.. अहह..’ की आवाजें निकालने लगी।
मैंने एक तगड़ा झटका दिया और मेरा आधा लौड़ा उसकी चूत घुस गया। चाची चिल्लाई- उई… मार डाला.. तूने तो.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उसे किस करने लगा और फिर धीरे से एक और झटका मारा.. और इस बार पूरा 7 इंच ला लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया। अब मैं उसे धीरे-धीरे ठोकने लगा।
फिर चाची भी मुझे नीचे से अपनी गाण्ड उठाकर मेरा साथ देने लगी। करीब 5-7 मिनट बाद उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और इठते हुए कहा- आह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ.. चोद.. साले.. आह्ह..
मैंने अभी दो धक्के और मारे होंगे कि वो झड़ गई लेकिन मैं तो उसे चोदता ही रहा। लगभग 5 मिनट बाद मेरा भी पानी निकल गया। मैंने अपना माल उसकी चूत में ही डाल दिया।
बस अब मेरी और चाची की चुदम-चुदाई खुल कर होने लगी, चाचा के आने तक रोज हम एक-दूसरे को खूब चोदते रहे और फिर मैं अपने गाँव आ गया। चाची की चूत को याद करके आज भी मुठ्ठ मार लेता हूँ।
यह थी मेरे जीवन की सत्य घटना.. मुझे उम्मीद है कि आपको मजा आया होगा। यह घटना कैसी लगी.. मुझे ईमेल करना। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000