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मेरा नाम सतीश (परिवर्तित नाम) है। मैं मूल रूप से होशंगाबाद से हूँ.. लेकिन मेरी आगे की पढ़ाई के लिए मुझे इंदौर आना पड़ा।
खुशी(परिवर्तित नाम) जो मेरी स्कूल की मित्र है और मेरे गांव के पास वाले गांव की है.. वो मुझे फोन करती रहती थी। ख़ुशी के जिस्म की बनावट इस प्रकार थी.. उसकी चंचल आंखें हिरनी के जैसे चमकीली.. गुलाबी की पत्ती जैसे मदभरे होंठ.. नागिन से लहराते रेशमी बाल.. और संतरे जैसे गोल और रसीले स्तन.. उसका फिगर भी गाँव की लड़की जैसा 34-29-32 का था।
उसके इसी रूप पर मोहित होकर एक दिन मैंने उसे अपने हाल-ऐ-दिल की बात बोल दी और उसे मेरे प्यार का प्रस्ताव दिया.. उसने भी सहर्ष उसे स्वीकार कर लिया.. अब हमारी रोज बातें होने लगी थीं।
मैं जिस स्कूल में पढ़ता था.. वहाँ मेरे चाचा की लड़की प्रीति भी हमारे साथ थी। दिसम्बर के महीने में मेरे चाचा जी की लड़की यानि प्रीति की शादी निकली.. मैं भी प्रीति की शादी के लिए इंदौर से निकला और सीधा गांव आ गया। प्रीति ने मुझे बताया- मैंने अभी तक खुशी के यहाँ शादी का कार्ड नहीं भेजा है.. तू जा के दे आ..
मैंने खुशी को फोन पर बोला कि मैं उसके घर आ रहा हूँ। वो खुशी के मारे पागल हो रही थी। खुशी के यहाँ उसके पापा-मम्मी के अलावा उसका छोटा भाई शिवम ही है।
जब मैं दोपहर को उसके घर गया.. तो घर पर वो अकेली थी.. क्योंकि उसके पापा खेत पर गए हुए थे.. भाई स्कूल और मम्मी पास में उसकी चाची के घर गई हुई थीं।
मैं जैसे ही उसके घर के अन्दर गया उसने आगे के दरवाजे बंद कर दिए और मुझसे लिपट गई। मैंने भी उसके इस प्यार का सकारात्मक अभिवादन किया और एक प्यारा सा चुम्मन उसके गालों पर धर दिया।
फिर वो मुझसे छिटककर चाय बनाने के लिए अपनी रसोईघर में चली गई और जोरदार मलाई वाली चाय मेरे लिए और खुद के लिए ले आई। हम दोनों ने बातों ही बातों में चाय खत्म की.. फिर मैंने प्रीति की शादी का कार्ड उसे दिया और बोला- शादी में जरूर आना है.. ऐसा प्रीति ने बोला है।
उसने मुझे एक इलायची दी.. जैसा कि गाँव में मेहमानों को दी जाती है और एक उसने भी खाई। इसके बाद वो फिर मुझसे लिपट गई.. लेकिन इस बार मैंने मौका नहीं जाने दिया और उसको अपनी बाँहों में भर के जोरदार अधर से अधर लगाते हुए चुम्बन किया।
इस बार वो भी खुश हो गई। फिर धीरे से मैंने मेरा हाथ उसके सख्त मम्मों पर रख दिया और ऊपर से ही उन्हें सहलाने लगा। उसकी और मेरी धड़कनें तेज होने लगी थीं.. धीरे से मैंने मेरा हाथ उसके कमीज के अन्दर डाला और उसकी चूचियों को हौले से मसलने लगा।
वो बोली- कोई आ जाएगा.. अब मैंने अपने आपको नियंत्रित किया और उसे थोड़ा पीछे को किया। हम बेमन से अलग हुए.. क्योंकि अलग होने का न मेरा मन था.. न उसका मन था और आखिरी अधर चुम्मन हमारा 5 मिनट का हुआ।
मैंने उससे कहा- अब तो बस मुझे प्रीति की शादी का ‘इंतजार’ है.. वो समझ गई और उसने हामी में सर हिलाया। मैंने भी ‘हाँ’ कहा और मेरी बाइक पर बैठा, मैं घर आ गया..
अब मैं और ख़ुशी चुदाई की बातें फोन पर ही करने लगे थे। एक दिन ख़ुशी ने फोन कर मुझसे कहा- आज रात घर पर कोई नहीं रहने वाला है.. पापा को खेत में पानी देने जाना है.. मम्मी और भाई मामाजी के यहाँ गए हुए हैं।
मैंने रात मैं उसे कॉल किया तो वो पूछने लगी- आ रहे हो.. कि नहीं..? मैंने ‘हाँ’ कर दिया और रात 12 बजे सर्द रात में ख़ुशी के घर के लिए चल दिया। करीब 12:30 बजे मैं उसके घर पहुँचा.. बहुत ही सर्द रात थी वो..।
मैंने उसे बाहर से ही कॉल किया और उसने अपने घर का दरवाजा खोल दिया। वो मुझसे लिपट गई.. मैंने भी उसके इस प्यार का सकारात्मक जबाव दिया। अब वो बोली- पास ही खलिहान में हमारा एक कमरा है.. जहाँ हमारा मजदूर रहता है.. जो कि अभी पापा के साथ खेत गया है.. पापा और वो मजदूर 4 बजे सुबह तक ही आ पाएंगे। मैं और ख़ुशी उस कमरे की ओर चल पड़े। उसने दिन में ही वहाँ एक गद्दे की व्यवस्था कर रखी थी।
उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मैंने भी उससे जकड़ लिया। उसके बदन से एक अलग ही महक आ रही थी। मैंने अपने होंठ उसके गुलबी होंठों पर रख दिए और उसे भँवरे की तरह चूमने लगा.. वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने अपना हाथ उसके स्तनों तक पहुँचा दिया.. उसकी और मेरी सांसें तेज चलने लगीं। उसके मम्मों को मैं मस्ती से मसलने लगा.. वो और उत्तेजित होने लगी। उसके बाद मैंने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया.. वो पहले तो शर्मा गई.. लेकिन ऊपर से ही उससे सहलाने लगी।
चूँकि वो सलवार सूट में थी और ऊपर से स्वेटर भी पहना हुआ था.. जो कि मैंने धीरे से उतार दिया। उसने भी मेरी पैन्ट और शर्ट उतार दिए। अब हम दोनों अंडरवियर में थे.. सर्दी के मारे हम एक-दूसरे को गर्मी दे रहे थे। मैंने धीरे से उसकी पैन्टी उतार दी और ब्रा का हुक खोल दिया। अब मेरे सामने वो पूरी नंगी थी.. क्या चूत थी उसकी.. एकदम साफ़ और महकदार.. मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी.. वो कसमसा गई।
थोड़ी देर तक मैं उसे यूँ ही चाटता रहा.. उसके बाद मैंने अपना लवड़ा उसके मुँह में दे दिया। पहले तो उसने मना किया.. लेकिन बाद में वो मान गई।
अब मैंने उसे लिटा दिया और उसकी चूत के मुहाने पर अपना हथियार सटा दिया। वो डरते हुए बोली- इतना मोटा लंड कैसे अन्दर जाएगा? मैंने कहा- सब चला जाएगा जान.. बस मेरा साथ देना.. तुम्हें भी जन्नत की सैर करवा दूँगा। यह कहते हुए धीरे से मैंने धक्का दिया तो वो जरा कसमसाई और फिर उसके मुँह में अपना मुँह डाल कर मैंने एक जोरदार शॉट मारा.. उसकी चीख अन्दर दबी रह गई..
अभी मेरा लंड 3″ ही गया था कि वो कराहने लगी और बोली- मुझे नहीं करना है.. मैंने उसकी इस बात को नजरंदाज करते हुए एक जोरदार शॉट मारा.. अब वो ‘आ.. आहह..’ करने लगी। शायद इस बार उसकी झिल्ली टूट गई थी और आँखों में आंसू आ गए थे।
मैं उसी अवस्था में जरा रुका और उसे सहलाने लगा। मैं उसके चूचों को हल्के से दबाने लगा.. उसको चूमना शुरू किया और उसका दर्द पर से ध्यान हटाया, उससे बातें करने लगा.. इसके बाद वो भी थोड़ी ठीक हुई और बोली- नीचे कुछ गर्म लग रहा है.. कहीं खून तो नहीं? मैंने कहा- ऐसा होता है पहली बार करने में.. वो भी बोली- मेरी एक सहेली ने भी एक बार मुझे ऐसा बताया था।
अब मैंने एक जोरदार शॉट की तैयारी की और जैसे ही मारा.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाँ गया। वो बस अपनी कराहों से.. आँखों से.. दुहाई से रही थी और मेरा लंड उसे दर्द दिए जा रहा था। मैंने धीरे से चूमना शुरू किया.. कुछ समय बाद वो शांत हुई। फिर धीरे-धीरे मैं अपने लंड की ठोकर उसकी चूत में मारने लगा.. अब उसे भी आनन्द की अनुभूति होने लगी।
मैंने अब धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी वो भी मेरा साथ देने लगी और अजीब सी आवाजें निकालने लगी।
थोड़ी देर बाद वो जोर-जोर से मेरा साथ देने लगी। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी। दस मिनट के बाद उसकी चूत ने अपना रस निकालना शुरू कर दिया। वो तो बस उसके इस पल का आनन्द ले रही थी। मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड तेज बनाए रखी।
अब मैं भी चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गया और मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। उसने भी अपनी चूत का मुँह खोल दिया और मेरे गर्म-गर्म वीर्य को अपनी चूत में समां लिया।
इसके बाद देखा तो रात के 2 बज रहे थे और हमने इसी तरह दो बार चुदाई का सुख लेते हुए मजा लिया।
बस यही थी मेरी और ख़ुशी की कहानी.. आशा है आपको पसंद आई होगी। आज ख़ुशी की शादी हो गई.. लेकिन वो मुझे आज भी कॉल करती है और कहती हैं सतीश बच्चा तो तू ही दे.. अपने जैसा.. अब जब भी वो प्रीति से मिलने आती है मैं उसे चोदे बिना जाने नहीं देता। [email protected]
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