This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरा नाम राजवीर है, मैं हरियाणा के जिला रोहतक का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और हाइट लगभग 6 फीट की है। मैं दिखने में एक आकर्षक युवक हूँ और एक बड़ी आई कंपनी में सीनियर ऑपरेशन एग्ज़िक्यूटिव हूँ।
दोस्तो.. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ। किसी की भावनाओं को ठेस ना लगे इसलिए मैंने कहानी के पात्रों और जगह के नाम बदल दिए हैं। यह मेरी अपनी आप बीती हुई सच्ची घटना है।
बात उन दिनों की है.. जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था और कोई 18 साल का रहा होऊँगा। मैं अपने पापा के बहुत ही खास दोस्त के पास रहता था.. क्योंकि मेरे पापा जी का ट्रान्स्फर ऐसी जगह हो गया था जहाँ पर 10 वीं के बाद स्कूल नहीं था.. इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए पापा ने अपने दोस्त से विचार-विमर्श करके उन्हीं के पास एक स्कूल में दाखिला दिला दिया था। दाखिला होने के बाद.. मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया।
मेरे पापा के दोस्त के मकान में दो हिस्से थे.. एक हिस्से में उनका छोटा भाई और दूसरे हिस्से में वो खुद रहते थे। मुझे अपनी पढ़ाई और रहने के लिए आगे की तरफ़ बैठक वाला कमरा दे दिया गया था। मेरे खाने का इंतज़ाम भी पापा के दोस्त.. जिन्हें मैं चाचा जी कहता हूँ.. के पास ही किया था।
रहने और खाने के खर्चे आदि की पापा से उनकी क्या बात हुई.. मुझे नहीं मालूम था और ना ही मैंने ज़्यादा इस बारे में सोचा.. ना ही कभी उनसे पूछा। वैसे भी मैं शुरू से ही थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था और किसी से जल्दी घुल-मिल नहीं पाता था। मुझे थोड़ा समय लगता था दूसरों के साथ एडजस्ट होने में।
पापा के दोस्त की पत्नी.. जिन्हें मैं चाची जी कहता हूँ और जिनका नाम सुमन है.. वो जानती थीं कि मैं अपने मामी-पापा को याद करके थोड़ा उदास रहता हूँ.. इसलिए वो हर तरह से मुझे खुश रखने का प्रयत्न करती थीं। वो हमेशा मुझसे हँसी-मज़ाक करती रहती थीं इसलिए मैं थोड़ा उनके साथ खुल के बात कर लेता था.. लेकिन ये सब मर्यादा में होता था। पापा के दोस्त के छोटे भाई और बीवी थोड़ा गुस्से वाले थे.. इसलिए मेरी उनसे ज्यदा नहीं पटती थी और मैं उनसे दूर ही रहता था।
शुरू के तीन-चार महीने सब अच्छा चलता रहा.. पर उसके बाद मैं ना जाने क्यों धीरे-धीरे सुमन चाची की तरफ़ आकर्षित होने लगा और उनका साथ मुझे अच्छा लगने लगा। मुझ पर भी अब जवानी का नशा चढ़ने लगा था और किसी लड़की का साथ पाने की इच्छा बल पकड़ने लगी थी।
दोस्तो.. यह उम्र ही ऐसी होती है.. फिर सुमन चाची थीं भी तो बला की खूबसूरत.. और उनकी उम्र भी मुश्किल 26-27 साल की ही होगी, बिल्कुल गोरा रंग.. तराशा हुआ हूर सा बदन.. दो बच्चों की माँ होने पर भी उनका शरीर किसी नवयौवना जैसा ही लगता था। उस समय उनकी बड़ी बेटी की उम्र 6 साल थी और छोटे बेटे की उम्र 4 साल के आसपास थी..
पर मेरी चाची ने अपने शरीर का बहुत ख्याल रखा था.. इसलिए कोई नहीं कह सकता था कि वो दो बच्चों की माँ हैं। कसे हुए और मस्त मम्मे.. मखमली गोरा पेट.. और उस पर उनकी लचकती कमर.. जब वो कूल्हे मटका कर चलती थीं.. तो मेरा दिल मचल जाता था। मेरा दिल करता था कि इनको पकड़ कर अभी चोद दूँ।
दोस्तो.. आप भी सोचेंगे कि अभी मैंने लिखा कि मैं शर्मीला हूँ.. और अभी चुदाई की बात कर रहा हूँ। तो बात ऐसी है कि स्कूल की पढ़ाई के समय से ही मैंने भी इस विषय पर थोड़ा-थोड़ा जानना और पढ़ना शुरू कर दिया था। सेक्स क्या है और चुदाई कैसे करते हैं.. यह सब छोटी उम्र से ही जान गया था।
मैंने एक-दो बार उन्हें छूने की कोशिश भी की.. पर फिर डर जाता था कि मेरी ऐसी हरकतों से बात बिगड़ सकती है और कहीं नाराज़ होकर उन्होंने चाचा जी को बता दिया तो हो गई पढ़ाई.. और मामी-पापा की डांट अलग पड़ेगी। हो सकता है.. इसके बाद वो मुझे अपने पास बुला लें.. शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी.. वो अलग..
पर कहते हैं ना.. कि अगर आप दिल से कुछ माँगो.. तो मिल ही जाता है। हुआ यों कि चाचा जी को अपनी नौकरी के सिलसिले में 6-7 महीने की लिए बिहार जाना पड़ा। बिहार में भी उनका काम घूमने-फिरने का था.. इसलिए वो परिवार को भी साथ नहीं ले जा सकते थे। दूसरे मेरी भी ज़िम्मेदारी भी पापा जी ने उन्हीं को दे रखी थी इसलिए वो अकेले ही जा रहे थे।
जब वो जाने लगे तो मुझसे बोले- राजवीर.. चाची का और बच्चों का ख्याल रखना.. कोई बाज़ार का.. या फिर छोटा-मोटा काम हो.. तो कर देना। मैंने कहा- चाचा जी.. आप निश्चिन्त हो कर जाएं.. मैं सब सम्भाल लूँगा। मेरे ऐसा कहने पर चाचा जी खुश हो कर चले गए।
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए और मैं फिर से अपनी पुरानी हरकतों पर उतर आया। मैं सुमन चाची के आस-पास रहने की कोशिश करने लगा। चाचा जी को गए दो महीने होने को आए.. अब चाची थोड़ी उदास सी रहने लगी थीं.. मैंने पूछा भी कि आप उदास क्यों रहती हैं.. तो वो हंस कर टाल देती थीं।
एक दिन.. जब मैं स्कूल से वापिस आया तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई के घर पर ताला लगा है। फिर मैं चाचा जी की तरफ़ गया.. तो उधर भी कोई नहीं था। मैं जैसे ही वापिस जाने लगा.. मुझे बाहर वाले बाथरूम से किसी के नहाने की आवाज़ आई। मैंने आवाज़ लगाई.. तो सुमन चाची बोलीं- मैं नहा रही हूँ.. तुम्हारा खाना रखा है.. खा लो। मैंने कहा- ठीक है..
पर तभी मेरे दिमाग़ में एक खुराफात आई.. और मैंने सोचा कि चाची को नहाते हुए देखना चाहिए। फिर मैं धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास गया और कोई छेद ढूँढ़ने लगा। फिर थोड़ी सी कोशिश करने पर एक छोटा सा छेद दिख गया। मैंने जैसे ही छेद पर आँख लगाई.. मेरा दिमाग़ घूम गया। चाची अपने चूत में उंगली कर रही थीं.. ये देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
दोस्तो.. मैं दूसरे लोगों की तरह तो नहीं कहता कि मेरा लंड बहुत लंबा व मोटा है.. भगवान जाने वो सच कहते हैं या झूठ.. पर मेरे लंड लगभग 6.7 इंच लंबा और 3.8 इंच गोलाई में मोटा है और खड़ा होने पर एकदम सख्त हो जाता है।
चाची को चूत में उंगली करते देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया और मैं चाची को देख कर मस्त हुआ जा रहा था। तभी चाची को लगा कि बाहर कोई है.. और उन्होंने ज़ोर से पूछा- कौन है? मैं डर गया और भाग कर अपने कमरे में चला गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ देर बाद सुमन चाची नहा कर आ गईं और मुझे खाने के लिए आवाज़ लगाई। मैं डरते-डरते उनके पास गया.. तो वो बिल्कुल नॉर्मल सी लगीं.. उन्होंने मेरे लिए खाना लगा दिया।
मैं चुपचाप खाने लगा.. वो मेरे पास ही बैठ गईं और अपने बाल संवारने लगीं। अचानक उन्होंने पूछा- राजवीर दरवाजे के बाहर तुम ही थे ना?
मुझे काटो तो खून नहीं.. मैंने माफी मांगते हुए ‘हाँ’ कर दी और बोला- दोबारा ऐसा नहीं होगा। वो हंस कर बोलीं- ऐसा करना ग़लत बात होती है.. वैसे तुम देख क्या रहे थे? मैंने बोला- कुछ नहीं..
पर तभी वो थोड़ा गुस्से में बोलीं- सच बताओ.. नहीं तो तुम्हारे मामी-पापा को बता दूँगी। मैं डर गया और उनसे दुबारा माफी मांगने लगा। वो फिर बोलीं- ठीक है.. मैं किसी को नहीं बताऊँगी.. पर तुम सच बताओ.. क्या देख रहे थे?
मैंने डरते-डरते बोला- मैं आपको ही देख रहा था.. वो बोलीं- क्यों? मैंने फिर धीरे से कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। वो हंस दीं और बोलीं- और क्या देखा.. साफ-साफ बताओ?
अब मैं थोड़ा नॉर्मल हो चुका था, मैं बोला- आप अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.. वो थोड़ी सकपकाईं और बोलीं- ठीक है.. ठीक है.. अब दुबारा ऐसी हरकत मत करना।
बात आई गई हो गई.. पर उस दिन के बाद सुमन चाची का व्यवहार कुछ बदल सा गया था, अब वो भी मुझे किसी ना किसी बहाने छूने लग गई थीं और खुल कर हँसी-मज़ाक करने लग गई थीं।
फिर वो दिन भी आया.. जब मैंने अपनी चाची को जी भर के चोदा.. यह बात सितम्बर की है, मेरे मिड-टर्म एग्जाम चल रहे थे और अगले एग्जाम से पहले 3 दिन की छुट्टी थी इसलिए मैं भी थोड़ा रिलेक्स था। उस दिन मैं 11 बजे पढ़ने बैठा और फिर 4 बजे तक पढ़ता रहा।
फिर हल्का सा नाश्ता करने के बाद मैं सो गया। लगभग 6 बजे आँख खुली.. तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ कहीं जा रहे थे। मैंने पूछा तो बोले- हम सब एक दोस्त की शादी में जा रहे हैं दो दिन बाद आएंगे। मैंने कहा- ठीक है।
मैं भी अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया। लगभग 2 घंटे के बाद वापिस आया.. तो सुमन चाची ने कहा- राजवीर फ्रेश हो जाओ.. खाना तैयार है। मैंने कहा- ठीक है। थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश हो कर आ गया। इसके बाद सबने मिल कर खाना खाया.. खाना खा कर दोनों बच्चे और मैं टीवी देखने लगे।
टीवी देखते-देखते बच्चे सोने लगे.. तो मैंने चाची को आवाज़ लगाई और वो दोनों बच्चों को सुलाने के लिए अपने कमरे में ले गईं। मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम लेकर आईं और बोलीं- लो खा लो।
मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं, हम दोनों टीवी देखने लगे। सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।
दोस्तों मेरी इस सच्ची कहानी के अगले भाग में आपको मालूम हो जाएगा.. कि आगे क्या हुआ क्या चाची ने मुझे कुछ करने दिया या सब कुछ एक सपना ही होकर रह गया।
कहानी जारी है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000