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शाम को मैं बैठक में बैठा था कि कम्मो आई और कहने लगी- पड़ोस वाले मिश्रा जी और भाभी आये हैं, आपसे बात करना चाहते हैं। मैं कम्मो के साथ बाहर आया तो साथ वाले मकान के भैया भाभी बाहर खड़े थे। मैंने कहा- आईये भैया जी, बाहर क्यों खड़े हैं।
मैं भैया भाभी को लेकर बैठक में आ गया और उनको आराम से बिठाया और पूछा- कैसे आना हुआ भैया जी? कोई काम था तो मुझ को ही बुला लेते, मैं आ जाता।
भैया बोले- नहीं सोमू, ऐसी कोई बात नहीं है, वो दरअसल मैं 2-3 दिन के लिए लखनऊ से बाहर जा रहा था तो तुम्हारी भाभी घर में अकेली पड़ जाएगी। मैंने सोचा कि अगर सोमू मान जाए तो वो 2-3 रात हमारे घर भाभी के पास रह जाए तो मुझको बड़ी तसल्ली रहेगी। पहले भी जब मैं बाहर जाता था तो मेरा भतीजा रह जाता था, कोई फ़िक्र नहीं होती थी लेकिन अब की बार वो भी अपनी नौकरी के सिलसिले में बाहर गया है, तो मजबूरी में मुझको तुमसे कहना पड़ा है।
मैं बोला- कोई बात नहीं भैया, मैं रह जाऊंगा कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अगर आप और भाभी चाहें तो हमारी कम्मो रात में आपके घर रह सकती है?
भैया बोले- वो तो बहुत ठीक होता लेकिन क्या है सोमू, मैं चाहता हूँ कि कोई मर्द घर में होता तो ही ठीक रहेगा, क्यों भागवान? भाभी बोली- हाँ जी, आदमी का घर में रहना ही ठीक रहता है, और फिर सोमू अभी तो छोकरा ही है न, सो उसके रहने से घर में एक मर्द की कमी दूर हो जाती है।
मैंने कहा- ठीक है भैया जी, जैसा आप कहें, मैं कर लूंगा। फिर भाभी, मैं रात में कब आऊँ आपके घर सोने के लिए? भाभी बोली- जब चाहो आ जाओ लेकिन अच्छा होगा कि अगर तुम खाना भी वहीं खा लिया करना। मैं बोला- नहीं भाभी, मैं खाना खाकर ही आया करूँगा।
भैया बोले- तो फिर तय रहा सोमू, तुम आ जाया करना रात को 9 बजे से पहले… ठीक है? मैं बोला- ठीक है भैया, आप बेफिक्र हो कर जाएँ अपने टूर पर, मैं घर संभाल लूंगा। आज रात से या फिर कल रात से? भैया बोले- आज रात से आ जाओ तो ठीक रहेगा क्यूंकि मैं रात को 9 बजे के करीब घर से निकलूंगा।
मैंने कम्मो को आवाज़ दी और वो जल्दी से आ गई तब मैंने उसको सारी बात बताई तो वो बोली- ठीक है छोटे मालिक, आप जाइए इन के घर रात को, इधर मैं संभाल लूंगी। फिर भैया भाभी विदा ले कर अपने घर चले गए.
रात को खाना खाकर मैं अपना कुरता पायजामा पहन कर भाभी के घर चला गया। भैया थोड़ी देर पहले ही निकले थे तो हम उनकी बैठक में बैठ कर गपशप मारने लगे। मैंने भाभी को ध्यान से देखा तो वो काफी खूबसूरत लगी, उनकी उम्र होगी कोई 27-28 के आस पास लेकिन शरीर बहुत सुगठित रखा था भाभी ने! बातों से यह भी पता चला कि 8 साल शादी के बाद भी उनके कोई बच्चा नहीं हुआ था।
भैया काफी हैंडसम लगते थे लेकिन भाभी भी कम सुन्दर नहीं थी और दोनों की जोड़ी काफी सुंदर थी फिर किस कारण से उनके बच्चा नहीं हुआ था, यह मैंने भाभी से हिम्मत करके पूछ ही लिया।
भाभी बोली- क्या बताएँ सोमू भैया, सब भाग्य की बात है, हमने बड़ी कोशिश की लेकिन कुछ काम बना नहीं। शायद हमारी किस्मत में बच्चा नहीं है। मैं बोला- आप उदास ना हों, शायद कोई उपाय निकल आये!
बातें करते हुए रात के 11 बज चुके थे, भाभी मुझको अपने गेस्ट रूम में ले गई जहाँ एक काफी बड़ा पलंग बिछा था और साथ ही मुझ को टॉयलेट भी दिखा दिया जो कमरे से बाहर कॉरिडोर में बना था। साथ में उन्होंने अपना बैडरूम भी दिखा दिया जो टॉयलेट के रास्ते में ही पड़ता था, हर बार टॉयलेट जाते हुए मुझको उनके बैडरूम के सामने से गुज़रना पड़ेगा। मैं थका हुआ था, जल्दी ही मुझको नींद आ गई।
रात को एक बार मैं टॉयलेट गया और जब वापस आया तो देखा कि भाभी सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में सोई थी और उनका पेटीकोट ऊपर खिसक कर उनकी जांघों के पास चढ़ा हुआ था। यह नजारा देख कर मैं रुक गया और बड़ी हसरत से भाभी की एकदम गोरी टांगों को देख रहा था। भाभी थोड़ी सी हिली, उनका पेटीकोट और भी जांघों के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूत के काले बाल नाईट बल्ब की मद्धम रोशनी में दिख रहे थे। यह देख कर मैं थोड़ा ठिठका और एक मिनट के लिए रुका भी लेकिन फिर मैं अपने कमरे में आ गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
आकर लेटा ही था कि मेरा लौड़ा एकदम तन गया और मैंने उसको पजामे के बाहर किया, उसपर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा। अभी कुछ मिन्ट ही ऐसा किया था कि एकाएक भाभी पेटीकोट में ही मेरे कमरे में चुपचाप आ गई और मैंने भी झट आँखें बंद कर ली।
फिर मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो वो मेरे खड़े लंड को बड़े ध्यान से देख रही थी। मैंने भी आँख बंद करके सोने का नाटक किया और तब महसूस किया कि भाभी भी मेरे साथ दूसरी तरफ लेट गई थी और मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थी।
अब मैंने लंड से अपना हाथ हटा लिया था और भाभी ने तभी उसको हाथ में ले लिया था और उसको ऊपर नीचे करने लगी थी, यह देख कर मैं भी सोये हुए होने का बहाना करते हुए ही अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर रख दिया और तब भाभी ने अपना पेटीकोट ऊपर खींच लिया था और मेरा हाथ पकड़ कर उन्होंने अपनी चूत के ऊपर बालों में रख दिया।
मैं समझ गया कि तवा गर्म है और अगर मैं हिम्मत करूँ तो दो चार रोटियाँ सेक सकता हूँ। मैंने अभी भी सोये हुए होने का नाटक करते हुए अपनी बाहें भाभी के गोल गदाज़ मुम्मों के ऊपर रख दी।
भाभी समझ गई कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ और वो जल्दी ही अपने ब्लाउज और पेटीकोट को उतारने लगी और जब वो नंगी हो गई तो उन्होंने मेरा पायजामा भी उतारने की कोशिश की और मैं भी आँखें बंद किये हुए ही उनकी मदद करने लगा। अब हम दोनों ही नंगे हो चुके थे लेकिन मैं अभी भी सोने का नाटक कर रहा था।
भाभी अब मुझको होटों पर चुम्बन कर रही थी और मेरा भी हाथ उनकी चूत के घने बालों में सैर कर रहा था। भाभी की चूत एकदम से गीली गोत हो चुकी थी और चुदने के लिए हिलोरें मार रही थी। मैंने भी भाभी के होटों को ज़ोरदार चूमा और अपनी जीभ को उनके मुंह में डाल कर उनके मुंह का रस चूसने लगा और भाभी लगातार मेरे लौड़े को ऊपर नीचे कर रही थी।
अब भाभी एकदम पलंग पर अपनी टांगें पूरी खोल कर लेट गई और मेरे को लंड से खींचने लगी। मैं भी आँखें बंद किये ही भाभी के ऊपर चढ़ गया और भाभी ने खुद ही मेरा लौड़ा अपनी चूत में डाला और जैसे ही मुझको महसूस हुआ कि मेरा लौड़ा पूरा अंदर चला गया है मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए और भाभी की टाइट चूत का लुत्फ़ उठाने लगा।
मैं मुंह को झुका कर भाभी के गोल और मोटे मुम्मों को चूस रहा था और उनके काके चुचूकों को भी चूस रहा था और साथ ही मैं धीरे धीरे धक्कों की स्पीड भी तेज़ करने लगा। पूरा निकाल कर फिर पूरा डालना मेरा नियम बन गया था, और भाभी भी अपनी कमर को उठा उठा कर चुदाई का आनन्द ले रही थी और चूत की पूरी गहराइयों को मेरा लौड़ा भी नाप रहा था।
जब भाभी की चूत एकदम खुलने और बंद होना शुरू हो गई तो मुझको भी मजबूरन धक्कों की स्पीड तेज़ करनी पड़ी और फिर मैं अति तीव्रता से लौड़े को अंदर बाहर करने में लग गया। भाभी स्पीड को सहन ना कर सकने के कारण हांफ़ने लगी और मुझको अपने छाती से चिपकाने लगी। मैंने भी अपने हाथों को भाभी की पीठ के पीछे डाल कर उनको कस कर अपने से चिपका लिया और तभी ही भाभी की चूत का पहला सोता उमड़ पड़ा और फव्वारे की तरह वो मेरे पेट को भिगोता हुआ चादर पर गिर गया।
भाभी की जो टांगें मेरे दोनों तरफ से मुझ को अपने से बाँध कर रखे हुई थी, वो अपने आप ही ढीली होती चली गई और फिर मैं भाभी के ऊपर से उतर गया। तब भाभी ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा- थैंक यू सोमू, तुमने मेरी वर्षों की अन्तर्वासना शांत कर दी। अब मैं और सोने का नाटक नहीं कर सका और वापस भाभी को अपने से चिपकाता हुआ बोला- वाह भाभी, आप तो काफी गर्म औरत हैं।
भाभी एकदम चौंक कर बोली- उफ़ सोमू, तुम जाग रहे हो क्या? मैं बोला- हाँ भाभी जी, मैं तो शुरू से ही जाग रहा था लेकिन मुझको डर था कहीं मैं पहल करूँगा तो आप बुरा ना मान जाएँ इसलिए मैं सोने का नाटक करता रहा। अब भाभी मुस्करा कर बोली- वाह सोमू, तुम तो गज़ब के एक्टर हो और साथ में ही एक बहुत हसीं चोदू भी हो यार! इतने महीनों से हमारे पड़ोस में रहते हो और मुझको खबर भी ना लगी कि क्या क़यामत का हीरा हमारा पड़ोसी है, वर्ना मैं तो कभी की तुमको चोद चुकी होती। मैं भोली सूरत बना कर बोला- तो आज कैसे आपको ख्याल आया कि मैं आपके काम आ सकता हूँ?
भाभी बोली- नहीं सोमू, मैंने तो यूँ ही तुमको अपने पास रहने के लिए बुला लिया यह समझ कर कि बड़ा नादान छोकरा है और मेरे पति देव को भी तुम पर पूरा भरोसा था तो उन्होंने ही यह फैसला किया कि सोमू को रात अपने यहाँ सुला लेते हैं क्यूंकि तुम बड़े भोले लगे उनको! मैं बोला- मैं बड़ा भोला ही था ना भाभी, नहीं तो मैं भैया के जाते ही शुरू न हो जाता? आपकी कामुकता, आँखों की प्यास तो मैंने पढ़ ली थी जब आप मेरे घर में आई थी।
फिर मैंने उठ कर कमरे की लाइट ओन कर दी और उस लाइट में भाभी का शरीर देखा जो निहायत ही खूबसूरत था, उनके मुखड़े से लेकर शुरू करने पर यही लगा कि साँचे में ढला हुआ है शरीर का हर अंग! चेहरे और शरीर का खिलता हुआ गोरा रंग और गोल सॉलिड मुम्मों जो अभी भी अपनी पूरी सख्ती में थे और उनका एकदम स्पॉट पेट और नीचे काले बालों से ढका हुआ योनि द्वार और उस के पीछे गोल और उभरे हुए सॉलिड नितम्ब! बहुत खूब!
मैंने कहा- भाभी जी, आपको तो कई चोदू मिल जाते अगर आप कोशिश करती तो… लेकिन आपके पति भी काफी हैंडसम हैं फिर किस चीज़ की कमी है आपको जो आप अभी भी प्यासी घूम रहीं हैं?
भाभी एक ठंडी आह भरते हुए बोली- मेरा भाग्य मेरे साथ धोखा कर गया, मेरे पति जो सबको हैंडसम लगते हैं, वो अंदर से खोखले हैं और पूरे लौंडेबाज हैं, और किसी औरत के काम के नहीं है। मैं हैरान होकर बोला- सच कह रही हैं भाभी? वाह री किस्मत… आपका यह सुन्दर शरीर और पति लड़कों के चक्कर में!
अब मैंने भाभी को गले लगा लिया और उनके लबों पर एक गर्म चुम्मी जड़ दी। मैं फिर से भाभी को गर्म करने लगा, उनकी चूत में ऊँगली से उनकी भग को मसला और मुम्मों को चूसने लगा और जब मुझको लगा कि वो पुनः जोश में आ रही है तो मैंने पूछा- क्यों भाभी, कैसे चुदना पसंद करोगी? मेरे ऊपर से या फिर घोड़ी बन कर या फिर बैठ कर या फिर लेट कर? भाभी बोली- यह सब तरीके आते हैं तुमको सोमू यार? तुम तो लगता है, चुदाई के मास्टर हो! क्यूँ? मैं तो बहुत ही कम तरीके जानती हूँ क्योंकि मुझको सिवाए मेरे पति के और किसी ने अभी तक नहीं चोदा। पति जब शराब पी लेते है तो वो मुझको थोड़ा बहुत चोद लेते हैं, वैसे कभी नहीं। और तब भी पता ही नहीं चलता कि कब शुरू किया और कब ख़त्म हो गए वो! बहुत जल्दी झड़ जाते हैं।
मैं बोला- बहुत ही दुःख हुआ कि इतना सुंदर सोने की तरह का आपका शरीर और अभी तक पति ने ठीक से नहीं भोगा है इस बेचारे को! फिर भी बताइये ना भाभी, कौन सा आसन पसंद है ज़्यादा आपको? भाभी थोड़ी शर्माते हुए बोली- मुझको तो इनका कोई ख़ास ज्ञान नहीं, जो तुम ठीक समझो वही कर दो!
मैं बोला- वैसे भाभी, आपका नाम क्या है? भाभी बोली- मेरा नाम इन्दू है सोमू, और तुम्हारा पूरा नाम क्या है? मैंने कहा- मेरा नाम सोमेश्वर है। तो शुरू करें? इन्दू भाभी बोली- कर सकोगे दुबारा इतनी जल्दी?
मैं खड़ा हो गया और अपने खड़े लंड के दर्शन इन्दू भाभी को करवाये और कहा- आप जब हुक्म करेंगी यह ससुर खड़ा हो जाएगा और आपके हुस्न को सलामी देगा। इन्दू भाभी बोली- सही कह रहे हो या फिर मेरी टांग खींच रहे हो? मैं बोला- हाथ कंगन को आरसी क्या उर्दू पढ़े को फ़ारसी क्या… तो फिर आ जाओ मैदान में इन्दू जी!
इन्दू भाभी बोली- मैं तो मैदान में ही हूँ मेरी तो खुली है जब चाहो डाल दो! मैं बोला- क्या खुली है? और क्या डाल दूँ? इन्दू बोली- वही जो मेरी है और वो ही जो तुम्हारा है? मैं हंस पड़ा- नहीं इन्दू भाभी, नाम लेकर कहो कि किस में क्या डाल दूँ? इन्दू बोली- मुझको भाभी ना कहो सोमू!
मैं बोला- अच्छा जी चलो नहीं कहते, फिर भी बोलिए ना क्या नाम है इनका? इन्दू थोड़ा शरमाती हुई बोली- चूत बोलते हैं मेरी वाली को और लंड तुम्हारे वाले को… क्यों ठीक है ना? मैं बोला- बिलकुल ठीक, और याद रखना इन्दू भाभी इन दोनों के नाम क्यूंकि यही दोनों आपका उद्धार करेंगे।
और यह कह कर मैं इन्दू को फिर से तैयार करने में लग गया, उनको लिटा कर मैंने पहले उनके मुम्मों को चूसा और फिर स्पाट पेट से होता हुआ इन्दू की चूत पर आ गया और उसमें मुंह डाल कर उसको भरपूर चूसा और बार बार उसके भग को मुंह में लेकर उसको गोल गोल घुमा दिया।
मैंने इन्दू की तरफ देखा, उनकी कमर एकदम उठ कर मेरे मुंह से जुड़ी हुई थी और वो आनन्द के मारे भाव विभोर हो कर अपनी टाँगों में मेरे मुंह को जकड़ रही थी। इन्दू का कम से कम दो बार मेरे मुंह में ही छूट चुका था, अब मैंने उनको घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया और मैंने इतने ज़ोर से धक्के मारे कि वो फिर एक बार झड़ गई और उसके बाद बोली- सोमू यार, अब और नहीं, तुमने मेरी महीनों की गर्मी निकाल दी। यह कह कर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में ही सो गए।
सवेरे जब हम उठे तो मैं इन्दू की ख़ूबसूरती देख कर फिर से उनको चोदने के लिए उन पर चढ़ गया और आराम से हल्के हल्के धक्कों में ही मैंने इन्दू को एक बार फिर छूटने पर मजबूर कर दिया।
अपने घर जाने से पहले मैंने इन्दू से पूछा कि क्या उनको बच्चे की बहुत तीव्र इच्छा है? इन्दू बोली- ईश्वर की सौगंध, मैं अपने बच्चे के लिए तड़प रही हूँ और मैं उसके लिए कुछ भी कर सकती हूँ! मैं बोला- तो फिर ठीक है, तुम आज हमारी मेड कम्मो से मिल लेना, वह एक ट्रेंड दाई और नर्स भी है। शायद वो तुम्हारी कोई मदद कर सके। मैं उसको बोल दूंगा कि तुम उससे मिलने आओगी लेकिन तुमको उस पर पूरा भरोसा रखना होगा! मंज़ूर है क्या? इन्दू बोली- ठीक है, मैं वैसा ही करूंगी जैसा वो कहेगी!
इस बात के बाद मैं अपनी कोठी में आ गया और कम्मो मेरे लिए चाय ले आई और चाय पीते हुए मैंने उसको रात की सारी कहानी बता दी और यह भी कहा- इन्दू आज तुमसे मिलने आयेगी और हो सके तो उनकी हेल्प कर देना। कम्मो बोली- तो रात को आपको एक शाही दावत मिली चूत की! वो तो मैं कल ही समझ गई थी कि इन्दू भाभी लंड की प्यासी है लेकिन यह नहीं सोचा था कि इस सुन्दर स्त्री का पति लौण्डेबाज़ होगा। अच्छा आज आपके लिए मुझको स्पेशल नाश्ता बनाना पड़ेगा। कम्मो के हाथ का बनाया स्पेशल नाश्ता खाकर मैं कॉलेज चला गया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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