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देसी कहानी पढ़ने वाले सभी मंद-मस्त पाठकों को राहुल का आदाब.
नेपाल के पहाड़ों की बात है। दिन का समय था परंतु बरसाती मौसम के कारण आकाश में काले बादल छाये हुए थे, अन्धेरा पसरा हुआ था, गरज के साथ बारिश हो रही थी।
पियूष कार चला रहा था। बारिश होने की वजह से रोड काफी ख़राब हो गयी थी इसलिए पियूष को कार चलाने में मुश्किल हो रही थी, लेकिन वह कहीं रुक भी नहीं सकता था क्योंकि रुकने का स्थान वहां से लगभग 100 किलोमीटर दूर था और पीयूष वहीँ किसी तरह तरह पहुचना चाहता था। पियूष कार चलाते चलाते मोबाइल फ़ोन से अपने दोस्त को कॉल करने का प्रयत्न करता है परन्तु नेटवर्क की समस्या के कारण उसका फोन नहीं लगता।
अचानक बड़ी जोर से पियूष की कार से कोई टकराता है और पियूष ब्रेक मारता है लेकिन पीयूष को पता नहीं कि कौन उसकी कार से टकराया। कुछ सेकंड के लिए पियूष को सदमा लग जाता है, बारिश इतनी तेज हो रही थी कि सड़क में क्या है कुछ साफ़ साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था..
फिर पियूष हिम्मत करके कार से बाहर निकलता है और देखता है कि एक लड़की सड़क पर चित्त लेती हुयी है। लड़की का मुह दूसरी ओर था, पियूष डर जाता है और लड़की की ओर बढ़ता है. जैसे ही पियूष लड़की का चेहरा देखना चाहता है वैसे ही पीछे से कोई उसके सर पर डंडा मारता है और पियूष बेहोश हो जाता है।
2 घंटे बाद जब पियूष को होश आता है तो पियूष खुद को एक खंडहर मकान में पुरानी कुर्सी से नंगा बंधा हुआ पाता है और बहुत ज्यादा घबरा जाता है।
पियूष- कोई है????? कोई है?? मुझे खोलो, मुझे बाँध क्यों रखा है, मैंने कुछ नहीं किया, मेरे पास जो कुछ है लेलो लेकिन मुझे छोड़ दो प्लीज.. यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
पियूष के बड़बड़ाने के बाद भी जब कोई नहीं आता तो पियूष गालियां देने लगता है।
पियूष- भेंचोदों खोलो मुझे, मादरजातों किसने बांधा मुझे मय्या चोद दूंगा उसकी बहनचोद… अबे कोई है क्या लोड़ों…..
(फिर अचानक से किसी की अंदर की ओर आते हुए पैरों की पायल की छनछनाहट के साथ आवाज़ आती है, और एक विशालकाय औरत लंबाई 10 फीट, साड़ी ब्लाउज पहने हुए, स्तन बहुत ही ज्यादा बड़े, बड़ा कद, बड़ा शरीर, बड़ी भुजाएं, आदमी जैसा चेहरा, हाथों में कंगन, माथे पर काली बिंदिया, कमर पर सोने की चेन डाले हुए एक दैत्य जैसी औरत कमरे में प्रवेश करती है जिसे देखकर पियूष की रूह कांप जाती है और दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उसकी गांड फट जाती है।)
पियूष- नहीं नहीं नहीं, कौन हो तुम, मुझे छोड़ दो, मेने कुछ नहीं किया, प्लीज, मैं तो बस घूमने आया था, प्लीज़ मुझे छोड़ दो आंटी.
तभी वो मरदाना औरत अपनी मर्दानी आवाज़ में पियूष को बोलती है
औरत- घबराता क्यों है? अगर आराम से बात करेगा तो मैं भी आराम से बात करूँगी, वरना मुझे दूसरा तरीका भी आता है।
पियूष- आराम से बात करूंगा, लेकिन मुझे छोड़ दो, मेरे कपडे दे दो, प्लीज, मुझे ऐसे क्यों बांधा है।
औरत- तो तुझे जानना है कि तुझे ऐसे क्यों बांध के रखा है?
पियूष- हाँ प्लीज मुझे बताओ, मेने तो कुछ भी नहीं किया, मैं तो अच्छे खानदान का लौंडा हूँ।
औरत- तो तूने पक्का कुछ नहीं किया? कितनी लड़कियां चोदी आजतक?
पियूष- 12, नहीं 10 नहीं नहीं, 15…
वो विशालकाय औरत पियूष के गाल पर अपने 10 किलो के हाथ से थप्पड़ मारती है।
औरत- सही से बता, सोच कर बता, वरना यहीं जला दूंगी, रंडियां कितनी चोदी और शरीफ लड़की कितनी चोदी सबका ब्यौरा दे.
(तभी एक दूसरी 7 फ़ीट की गदराए बदन वाली एक औरत रजिस्टर लेकर अंदर आती है, बाहर बारिश हो रही थी, घने जंगल के बीच में पियूष किसी मकान में बंद था लेकिन उसे नहीं पता था कि वो कहाँ है और वो रो भी रहा था। कुछ देर सोचने के बाद पियूष ने सारे आंकड़े उन्हें बता दिए।)
पियूष- 2 शरीफ लड़कियां चोदी हैं और 13 रंडियां।
तभी दूसरी औरत अपनी मरदाना आवाज में बोलती है- दीदी, इसका मतलब 2 साल की सजा?
पियूष- 2 साल की सजा, नहीं ऐसा क्यों, प्लीज मुझे जाने दो, आज के बाद लड़कियां नहीं चोदुंगा, प्लीज।
औरत- 2 शरीफ लड़कियों को चोदने की सजा 2 साल है, रंडियों की सजा माफ़ है, हमारी कम्पनी में शरीफ लड़कियों को जो चोदता है उसे कड़ी सजा मिलती है।
पियूष- लेकिन सजा क्या है?
औरत- तुझे 2 साल तक लगातार मुझे चोदना है, अगर तू चोद पाया तो तू यहाँ से पास होकर वापस जायेगा.
पियूष- और अगर नहीं चोद पाया?
औरत- जब तेरा माल खत्म हो जायेगा. तो तू चोदते चोदते यहीं मर जायेगा.
(पियूष इतना हवसी था कि चोदने का नाम लेते ही उसका लण्ड खड़ा हो गया, और उस औरत ने भी पियूष का खड़ा लण्ड देख लिया था.)
औरत- तो सजा आज से ही शुरू होगी। मैं तैयार होकर आती हूँ.
(फिर लगभग आधा घंटे बाद वो 10 फ़ीट की औरत अपने बदन में तेल लगाकर, अपना बदन चिपलादार करके और नंगी पियूष के पास आती है, जिसे देखकर पियूष की आँखों में चमक आ जाती है और लण्ड झटके मारने लगता है लेकिन पियूष को ये पता नहीं था कि ये चुदाई उसे 2 साल तक करनी है, औरत के बूब्स में उसके काले खड़े निप्पल की लंबाई ही पियूष के लण्ड के बराबर थी, फिर वो औरत पियूष के हाथ खोल देती है और पियूष को गोद में उठा लेती है, पियूष उस औरत से उसका नाम पूछता है.)
औरत- मेरा नाम चम्पा है, और जो दूसरी औरत है उसका नाम मीना, हम दोनों सगी बहन हैं, हम बचपन से यहीं रहते हैं, और उन लोगों का पता लगाते हैं जो बहुत ज्यादा हवसी हैं, फिर उन्हें सजा देते हैं.
पियूष- ये तो अच्छी सजा है, इसमें तो मजा आ जायेगा।
चम्पा- ये तो 2 साल बाद पता चलेगा।
पियूष- थोड़ा कम समय कर दो मेरे लिए, प्लीज।
चम्पा- चल 1 साल कर दिया, तेरे बसके वो भी नहीं है चूतिये.
पियूष- एक साल तो ऐसे ही निकल जायेगा तुझे और तेरी बहन को चोदते चोदते, देख मेरी रानी चम्पा मैं कैसे अपना लण्ड तेरी फुद्दी में डालता हूँ।
चम्पा- कोई शंका हो गयी तुम्हे शायद, लण्ड तो तेरा मेरे निप्पल के बराबर है, इससे तो मुझे पता ही नहीं चलेगा, तुझे पूरा मेरी चूत में जाना होगा, पहले एक पैर मेरी चूत में दाल उसके बाद दोनों पैर उसके बाद पूरा अंदर चला जाना.
पियूष- ऐसा नहीं हो सकता, मैं पूरा चूत में नहीं जाऊंगा.
चम्पा- तेरी माँ का भोसड़ा, तू क्या, तेरा बाप भी जायेगा. पहले मेरे निप्पल चुस माँ के लोड़े.
(चम्पा का निप्पल 6 इंच का कामाग्नि के कारण खड़ा था और पियूष ने जब वो चुसना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे लण्ड चुस रहा हो, चम्पा पियूष को जबरन निप्पल गले तक चुस्वा रही थी जिससे पियूष को उलटी होने लगी)
पियूष- भेंचोदि, निप्पल है या लण्ड?
चम्पा- जब तू रंडियों और लड़ियों को ऐसे ही लण्ड चुस्वता था तो उन्हें भी ऐसा ही लगता था मादरचोद.
(चम्पा दूसरे स्तन का निप्पल भी चुस्वती है और पियूष की हालत खराब हो जाती है और वो माफ़ी मांगता है, लेकिन अब चम्पा को सेक्स चढ़ चुका था, चम्पा के सेक्स को काबू करना बड़ा मुश्किल काम था, वो केवल जंगल के भालू से कगुद्वती थी तब जाकर उसे शान्ति मिलती थी)
चम्पा- अह्ह्ह्हह्ह…. चूस चूस मेरे नौकर, हरामजात चूस जोर जोर से शस्स्ससस्स…. ममममम….
(निप्पल चूसते चूसते आधा घंटा हो चुका था, वहीँ दूसरी और चम्पा की चूत पानी छोड़ रही थी, लगभग 1 टैंक उसकी चूत के गाढ़े पानी से भर गया था, और अब चम्पा से सबर नहीं हो रहा था तो चम्पा पियूष को जबरन अपनी चूत में घुसा देती है और अब सिर्फ पियूष का सर ही चूत से बाहर था बाकि पूरा बदन चम्पा की गदरायी चूत के अंदर था, पियूष के अंदर जाते ही चम्पा को मस्ती चढ़ जाती है और वो पियूष को अपनी चूत के अंदर बाहर करती है और चुदाई का आनंद लेती है, दूसरी और पियूष के मुह से गालियों की बौछार हो जाती है)
पियूष- भेन की लोड़ी, माँ की चूत, तेरी माँ को चोदू साली रांड कहीं की, मार दिया मुझे माँ की लोड़ी…
चम्पा- अह्ह्ह्हह्ह…. स्स्स्सस्स्स्स… ह्हह्हह्हह्हह….उईईयूईई… मर गयी मैं तो, साले हरामी लड़के, अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह…
(साथ ही साथ चम्पा की चूत में जाने से पियूष के लण्ड में भी घर्षण पड़ने लगा और उसे भी मजा आने लगा)
पियूष- अह्ह्ह्ह्ह्ह… तेरी माँ की भोसड़ी भिन्छुट्टड, मादरजातन, हरामण औरत. अह्ह्ह्ह….
(चम्पा और पियूष दोनों झड़ने वाले थे तो चम्पा ने पियूष को अंदर बाहर करने की रफ़्तार तेज करदी, दोनों की सेक्सी आवाजों के साथ पूरा जंगल कामाग्नि में जल गया, और 30 मिनट चुदाई के बाद चम्पा की चूत से पानी की एक जोर की पिचकारी निकलती है जिसके प्रवाह के साथ पियूष भी चूत से प्रेशर के साथ बाहर निकलता है और सीधा दरवाजे से बाहर खायी में गिर जाता है, चम्पा नंगी ही दौड़ी दौड़ी जाती है, मीना भी खायी में पहुँचती है लेकिन बहुत देर हो चुकी थी, पियूष की मौके पर ही मौत हो जाती है, दोनों बहनें देखती हैं कि मृत पीयूष के लण्ड से अभी भी वीर्य निकल रहा था, और वो दोनों हंसने लगती हैं. रात में वो आदमखोर औरतें पियूष को पका कर खा जाते हैं, और अगले दिन किसी और यात्री को अपने जाल में फसाते हैं)
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सेक्सी सूचना – इस चुतिया कहानी के सभी गांडू पात्र और गंड़वीं घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी गांडू व्यक्ति या गंड़वीं घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी गांडू व्यक्ति या गंड़वीं घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग चुतियापा कहा जाएगा
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