This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
अब तक आपने पढ़ा..
पुनीत- मेरी जान तेरी गाण्ड की सील खुल जाने दे.. उसके बाद तू खुद दोनों को एक साथ बुलाएगी.. क्योंकि तुझे आगे और पीछे एक साथ मज़ा मिलेगा और हो सकता है तीसरा भी माँग ले.. मुँह के लिए हा हा हा! मुनिया- जाओ.. आप बहुत बदमाश हो कुछ भी बोल देते हो..
अब आगे..
वो तीनों ऐसे ही बातें करते हुए जा रहे थे। कब मुनिया का गाँव आ गया.. पता भी नहीं चला.. वहाँ उसकी माँ को उन्होंने कहा- मुनिया बहुत अच्छा काम करती है.. और जल्दी ही इसको शहर ले जाएँगे। पुनीत ने उसकी माँ को एक हजार रुपये दिए- ये रखो.. आगे और ज़्यादा देंगे.. मगर जब वो वहाँ खड़े बातें कर रहे थे एक लड़का जो करीब 21 साल का होगा वो छुप कर उनको देख रहा था और उसके माथे पर बहुत पसीना आ रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ देर वहाँ रहने के बाद वो दोनों वहाँ से शहर के लिए निकल गए। गाड़ी में रॉनी ने पुनीत को कहा कि मुनिया को और पैसे क्यों दिए.. मैंने सुबह उसको 5 हजार दे दिए थे। पुनीत- अरे यार ऐसी कच्ची कली के आगे ये पैसे क्या हैं चलेगा.. अगली बार डबल का मज़ा लेंगे ना.. रॉनी- वो बात नहीं है यार.. पैसे तो कुछ नहीं.. मगर इतने पैसे देख कर उसकी माँ को शक ना हो जाए.. पुनीत- अरे कुछ नहीं होगा यार.. तू सोचता बहुत है.. चल अब जल्दी कर.. नहीं पापा का गुस्सा और बढ़ जाएगा और वो जाते ही बरस पड़ेंगे।
रॉनी ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और गाड़ी तेज़ी से दौड़ने लगी।
उधर इनके जाने के बाद सरिता बहुत खुश हो गई और मुनिया को गले से लगा कर प्यार करने लगी। सरिता- बेटी वहाँ तुमको कोई परेशानी तो नहीं हुई ना? मुनिया- नहीं माँ.. वहाँ पहले से बहुत नौकर हैं मुझे तो ज़्यादा काम भी नहीं करना पड़ा और ये दोनों बाबूजी भी बहुत अच्छे हैं इन्होंने मुझे वहाँ अच्छी तरह रखा। वो दोनों अभी बातें कर ही रही थीं तभी वहाँ वो लड़का भी आ गया जो बहुत गुस्से में दिख रहा था।
दोस्तो, इसका परिचय भी दे देती हूँ.. यह अर्जुन है इसी गाँव का है.. और मुनिया की माँ को काकी बोलता है। अर्जुन- क्यों काकी.. कितना कमा के लाई है मुनिया रानी.. जरा मुझे भी बताओ?
अर्जुन को देख कर मुनिया खुश हो गई और जल्दी से मुनिया ने उसका हाथ पकड़ कर उसको घुमा दिया।
मुनिया- अरे अर्जुन तू आ गया शहर से.. अरे कितने दिन मैंने तुझे याद किया… देख मुझे भी नौकरी मिल गई.. ये बाबू लोग बहुत अच्छे हैं। सरिता- तुम दोनों बातें करो.. मैं खाना बना देती हूँ.. आज मेरी बिटिया को अपने हाथ से खाना खिलाऊँगी। अर्जुन- हाँ.. मुनिया अब बता.. यह सब क्या है.. तू उनके साथ कैसे गई.. मुझे सारी बातें विस्तार से बता? मुनिया ने उसको सब बता दिया.. बस चुदाई की बात नहीं बताई.. झूट मूट काम का बोलकर अपनी बात पूरी की।
अर्जुन- मुनिया तुम दोनों माँ-बेटी पागल हो गई हो.. ये बड़े घर के बिगड़े हुए लड़के हैं.. तुम इनको नहीं जानती.. ये कुछ भी कर सकते हैं। पता है ये कौन हैं..? मैंने शहर में इनको उस कुत्ते के साथ देखा है.. ये उसके ही साथी हैं ओह.. मुनिया तुम कैसे इनके यहाँ काम कर सकती हो.. इन लोगों की वजह से ही हमारी आशा हमसे दूर हो गई.. तुम भूल गई क्या वो दिन?
मुनिया- तुम क्या बोल रहे हो अर्जुन.. नहीं नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता.. ये उसके साथी नहीं हो सकते.. वो दिन मैं कैसे भूल सकती हूँ.. नहीं तुमको कोई धोखा हुआ है शायद.. अर्जुन- नहीं मुनिया.. मुझे कोई धोखा नहीं हुआ.. कुछ दिन पहले मैंने इन दोनों के साथ उस जालिम को देखा है। मैं उसकी सूरत कभी नहीं भूल सकता तुम मानो या ना मानो.. मगर इन दोनों का उसके साथ कोई ना कोई सम्बन्ध जरूर है.. अर्जुन की बात सुनकर मुनिया के चेहरे का रंग उड़ गया.. उसकी आँखों में आँसू आ गए।
अर्जुन- अरे क्या हुआ मुनिया.. तू क्यों रो रही है.. रोना तो उस कुत्ते को होगा। अब मैं शहर में नौकरी करने नहीं बल्कि उसको ढूँढने गया था। अब उसका पता ठिकाना मुझे पता चल गया है.. बस बहुत जल्द मैं उसको सबक़ सिखा दूँगा.. तू देखती जा..
मुनिया- हाँ.. अर्जुन उसको छोड़ना नहीं.. उसने आशा के साथ बहुत बुरा किया था और एक बार मुझे भी उसको दिखाना। उस दिन मेरे मुँह पर कीचड़ था तो मैं उसको देख नहीं पाई थी।
अर्जुन- हाँ.. मुनिया अबकी बार जब मैं शहर जाऊँगा.. तो तुम भी साथ चलना.. मैं तुमको दिखा दूँगा और हाँ.. अब तुम इन दोनों से साफ-साफ कह देना कि तुमको इनकी नौकरी नहीं करनी। मुनिया- नहीं अर्जुन.. सच में ये दोनों भाई बहुत अच्छे हैं हो सकता है.. वो इनका साथी हो.. मगर ये अच्छे लोग हैं और मुझे जल्दी शहर लेकर जाएँगे.. तब हम आसानी से उसको सबक़ सिखा देंगे.. सही है ना?
अर्जुन- नहीं मुनिया.. तू बहुत भोली है.. इन अमीरों को नहीं जानती.. ये अच्छे बन कर भोली भाली लड़की का दिल जीत लेते हैं.. उसके बाद उसकी इज़्ज़त को तार-तार कर देते हैं। अर्जुन की बात सुनकर मुनिया सहम गई क्योंकि उसने तो अपनी इज़्ज़त गंवा दी थी.. मगर वो अर्जुन को ये सब नहीं बताना चाहती थी.. इसलिए उसने बात को काटकर दूसरी बात शुरू कर दी। कुछ देर बाद सरिता भी आ गई और वो सब बातों में लग गए।
उधर रॉनी और पुनीत तेज़ी से घर की तरफ़ जा रहे थे.. तभी पुनीत का फ़ोन बजने लगा। स्क्रीन पर पापा का नम्बर देख कर वो थोड़ा परेशान हो गया। रॉनी- भाई किसका फ़ोन है.. उठाते क्यों नहीं.. कब से बज रहा है? पुनीत- अरे यार पापा का है.. अब इनको भी बहुत जल्दी है क्या करूँ? रॉनी- करना क्या है.. बोल दो बस पहुँचने वाले हैं..
पुनीत ने फ़ोन उठाया तो सामने से गुस्से में आवाज़ आई- कहाँ हो तुम दोनों.. अब तक आए क्यों नहीं? पुनीत- बस पापा पहुँचने ही वाले हैं आप गुस्सा मत हो.. पापा- अरे गुस्सा कैसे नहीं होऊँ.. तुमसे एक काम भी ठीक से नहीं होता.. ये पेपर बहुत जरूरी हैं आज मुझे कहीं देने हैं अब बिना कहीं रुके सीधे घर आ जाओ बस..
फ़ोन रखने के बाद पुनीत की जान में जान आई.. उसने रॉनी को स्पीड और तेज़ करने को कहा।
दोस्तो, इनको घर जाने की बहुत जल्दी है और शायद आपको भी तो चलो इनसे पहले मैं आपको वहाँ ले जाती हूँ ताकि उस घर में रहने वाले लोगों को आप जान लो और कहानी को समझ सको।
पुनीत के पापा संजय खन्ना का इंट्रो मैंने शुरू में दे दिया था.. मगर आप भूल गए होंगे तो दोबारा बता देती हूँ।
संजय खन्ना की उमर करीब 42 साल की है.. अच्छी परसनेल्टी के मलिक हैं दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. थोड़े गुस्से वाले भी हैं। इनकी धर्म पत्नी अनुराधा खन्ना.. जो एक धार्मिक किस्म की औरत हैं। उम्र लगभग 40 साल.. सांवला रंग और कम ऊँचाई की घरेलू औरत हैं।
इनके घर में सुनीता खन्ना भी इनके साथ ही रहती हैं उनकी उमर करीब 39 साल है.. रंग गोरा और दिखने में अभी भी 30 की लगती हैं। इन्होंने अपना फिगर भी मेंटेन किया हुआ है। 36-28-36 का फिगर बड़ा ही जबरदस्त लगता है। ये रॉनी की माँ हैं अपने पति आकाश की आकस्मिक मौत के बाद यहीं रहती हैं।
वैसे तो दोनों भाई साथ मिलकर काम करते थे.. मगर आकाश की मौत के बाद सारा काम संजय ही संभालता है.. और रॉनी को अपने बेटे से ज़्यादा मानता है। इनके अलावा कुछ नौकर हैं.. जिनका इंट्रो देना जरूरी नहीं..
अरे अरे.. एक बात बताना भूल गई.. पायल को तो आप जानते ही हो.. वो भी संजय की ही बेटी है… मगर कुछ वजह से वो यहाँ नहीं रहती.. ज़्यादातर हॉस्टल में ही रहती है। बस छुट्टियों में यहाँ आती है.. अब इसके पीछे का कारण भी आप जानते हो.. वो अपनी चाची से नफ़रत करती है.. याद है ना उसने पूजा को बताया था कि उसके पापा और उसकी चाची के बीच नाजायज़ सम्बन्ध हैं। अब वो सब कैसे और क्यों हैं.. इसका समय अभी नहीं आया.. सही समय पर सब बता दूँगी ओके..। तो चलो जान-पहचान हो गई.. अब घर में एंट्री मारते हैं।
संजय सोफे के पास चक्कर लगा रहा था.. तभी अनुराधा आ गई। अनुराधा- आप आराम से बैठ जाए ना.. आ जाएँगे वो दोनों.. संजय- अरे क्या खाक बैठ जाऊँ.. ये पेपर मुझे लंच के पहले देने हैं.. नहीं बहुत नुकसान हो जाएगा.. अनुराधा- ओह्ह.. अब परेशान मत हो आप.. वो जल्दी आ जाएंगे और आप भी ना.. जब आपको पता है ये बच्चे लापरवाह हैं तो क्यों कोई ज़मीन इनके नाम पर लेते हो। संजय- अरे खून है मेरा.. इनके नाम ज़मीन नहीं लूँगा तो किसके नाम पर लूँगा.. हाँ.. अब तुम जाओ मेरा दिमाग़ ना खराब करो।
संजय का गुस्सा देखकर अनुराधा वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ चली गई.. कुछ ही देर बाद सुनीता ऊपर से नीचे आई और सोफे पर बैठ गई।
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000