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दोस्तो, आपने इतना प्यार दिया मेरी पिछली कहानी अर्चना भाभी की चुदास और चूत चुदाई को कि मन प्रसन्न हो गया। अर्चना भाभी की लगातार चुदाई करके उनको बहुत ख़ुशी दी मैंने। आज आपको बताऊँगा कि कैसे भाभी ने अपनी एक सहेली को मुझसे चुदवाया।
एक रविवार को जब दोपहर में अपना घर के बरामदे में बैठा था तो देखा कि लगभग 40 साल की एक अच्छी औरत भाभी के घर में आई। देखने में कोई अप्सरा जैसी तो नहीं थी पर थी अच्छी, सेक्सी लगती थी, थोड़ी सांवली और थोड़ी सी मोटी, उसके चूतड़ बड़े बड़े थे। मुझे घूरते हुए उसने देख लिया और अंदर चली गई, बात आई गई हो गई। मैं भी टीवी देखने चला गया।
थोड़ी देर बाद वट्सऐप पर भाभी का मैसेज आया- क्या कर रहे हो? मैंने बोला- मैच देख रहा हूँ। भाभी- मेरी सहेली कैसी लगी? तो मैं चौंक गया। ‘मैंने ठीक से देखा नहीं…’ मैंने बोला।
तो भाभी बोली- तुम तो उसे घूर रहे थे? बता रही है वो! मैंने कहा- देख रहा था, घूर नहीं रहा था। ‘खैर जाने दो…’ भाभी बोली। उसके जाने के समय भी मैं संयोगवश बाहर था तो वो औरत एक स्माइल दे के चली गई।
रात को भाभी का मैसेज आया- मैंने हम लोगों की चुदाई के बारे में उसे सब बता दिया है। यह भी बताया कि तुम मस्त पेलते हो चूत को, आत्मा भी संतुष्ट हो जाती है। मैंने कहा- भाभी, वो क्या सोचेगी? तो भाभी बोली- अरे कुछ नहीं, हमारे फ्रेंड सर्किल में ऐसी बातें होती रहती है। बहुत औरतें चुदाई की भूखी रहती है। खास कर के 40-।45 के बीच में। क्यूंकि उस टाइम उनके हस्बैंड के पास ज्यादा टाइम नहीं रहता या फिर उससे उसका मन भर गया होता है। मैंने कहा- ऐसा क्या?
भाभी बोली- एक बार उसकी भी चूत चुदाई कर दो। मैं तो मन ही मन खुश हो गया पर ऊपर से कहा- नहीं भाभी, आप हो न मेरी, और कुछ नहीं। भाभी- अरे अजय तुम चुदाई बहुत मस्त करते हो, इसका फायदा लो। मैं- कैसे लूँ? भाभी- तुम उसे चोदो तो वो तुम्हें गिफ्ट देगी! मैं- अच्छा, क्या देगी, बताओ? भाभी- वो तो चुदाई करने के बाद ही पता चलेगा कि क्या देती है और कितना संतुष्ट होती है।
मैं- पर भाभी, क्या यह ठीक है? भाभी- हाँ बिलकुल ठीक है। उसका हस्बैंड एक बड़ी कंपनी में है, अक्सर बाहर रहता है। उसकी बेटी भी बाहर पढ़ती है तो बेचारी अकेली रहती है। मैं- अच्छा आप कहती हैं, तो पेल दूंगा। भाभी बोली- तो मैं अभी उससे बात कर लेती हूँ कि कब अपने हीरो को भेजूँ चोदने। मैंने कहा- हाँ, कर लो।
तब थोड़ी देर बाद भाभी बोली- कल 2 बजे चले जाना। मैंने ऑफिस से हाफ डे लीव लिया और पहुँच गया उसके घर।
घर पहुँचने पर उसने ठंडा पानी दिया। अब उसका परिचय: उसका नाम सुनीता था, अकेली रहती थी, मोटे चूतड़, भाभी से भी अच्छे, मोटी जांघें, चूची 36″
वो साड़ी पहने हुए थी, कमर के नीचे बंधी हुई थी जिससे उसका पेट और नाभि बहुत सेक्सी दिख रहे थे, स्लीवलेस ब्लाउज में चूचियाँ और क़यामत ढा रही थी। कुल मिला के मोटी ताज़ी औरत थी।
आज मेरा भी एग्जाम था चुदाई का कि एक अपने से भारी औरत को संतुष्ट करना था। सुनीता बोली- अर्चना बहुत तारीफ कर रही थी तुम्हारी। मैंने कहा- बस मैं अपना काम ठीक से कर देता हूँ। वो मेरे और पास आकर गहरी सांस लेते हुए बोली- कितना ठीक से? मैंने कहा- जितना आप चाहो।
बस और क्या, हमारे होंठ झट से एक दूसरे को चूमने लगे, मेरा हाथ उसके सर को पकड़े हुए था, चूमाचाटी में हम लोग पूरी तरह से डूबे हुए थे, मेरी जीभ उनकी जीभ से रगड़ खा रही थी।
धीरे से मैंने अपना एक हाथ उसकी मोटी चूचियों पे रखा और दबाने लगा। वो मस्त हो गई, सोफे पर बैठे हुए वो मेरे गोद में अपने दोनों पैर मेरे कमर के अगल बगल करके बैठ गई। ‘आआह्ह्ह आअह्ह…’
मैंने भी उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से चिपका लिया, उसकी गर्दन पे चुम्बन करने लगा। मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे, धीरे धीरे मैं उसके मस्त कूल्हों को सहलाने लगा। क्या मज़ा आ रहा था आआह आःह्ह आःह्ह… सच में दोस्तो, वो एक मस्त माल थी।
फिर उसने रूम में चलने को कहा, रूम में जाकर उसने मुझे कस के बाहों में भर लिया। मैं भी अपना एक हाथ उसके चूतड़ों पर कस कर रख के दबाने लगा। फिर हमारे होंठ आपस में जुड़ गये और आनन्द की अनंत गहराई में चले गए।
मेरा लंड डण्डे की तरह खड़ा होकर उसकी जांघों के बीच में रगड़ रहा था, ऊपर मैं अपने सीने से उसकी चूचियों को दबा रहा था। उसका पल्लू गिरा कर मैंने ब्लाउज़ खोल दिया, अब वो सफ़ेद ब्रा में आआह आह क़यामत लग रही थी। सांवला बदन, उस पर सफ़ेद ब्रा। मूआह आअह्ह… मन बहुत उत्तेजित कर रही थी उसकी चूचियाँ। अब मैं उन्हें मसलने लगा तो कहने लगी- आराम से, मैं भागी नहीं जा रही! नीचे वो मेरा लौड़ा पकड़ कर मसल रही थी। बहुत मज़ा आ रहा था दोस्तो, क्या बताऊँ।
अब उसने मेरे कपड़े निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया, नीचे बैठ कर मेरा मूसल जैसा लन्ड अपने होठों से लगा लिया और चूसने लगी। मैं भी उसका सर पकड़ के मुँह की चुदाई करने लगा, मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था, थूक से लंड पूरा गीला हो गया था।
कुछ देर बाद मैंने उसे खड़ा किया और साड़ी उतार दी तो अब वो केवल पेटीकोट और ब्रा में थी मैं पेटीकोट ऊपर करके उसकी मांसल जांघों को सहलाने लगा। उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी जो मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थी। तब मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए, पूरी नंगी थी सुनीता अब! उसके चूचे तो मेरे हाथ में पूरे आ भी नहीं रहे थे।
अब मैंने बैठ कर अपना मुँह उसकी जांघों के बीच में रखा तो वह मचल गई, मेरा सर पकड़ के अपनी चूत पर लगा दिया। मैं भी देर न करते हुए अपने होंठ उसकी चूत के होंठ पे रख कर चूसने लगा। वो लगातार पानी छोड़े जा रही थी, मैं पिए जा रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी मैंने उसके चूतड़ों को कस के पकड़ के दबा दिया, उसने तेज़ सिसकारी ली। इसी बीच मैं उसकी गांड के छेद को अपने ऊँगली से सहलाने लगा जिससे उसका मज़ा दुगना हो गया, वो मस्ती में झूम गई, लगातार बके जा रही थी- खा जाओ मेरी चूत को, पी जाओ मेरा पानी अजय… आआह्ह आःह और जोररर से चूसो। आअह्ह आह!
मैं भी और तेज़ चूसने लगा जीभ अंदर डाल कर… आअह आःह्ह मस्त स्वाद लग रहा था। मुझे चूत चूसना बहुत अच्छा लगता है।
तभी वो कहने लगी- अजय मैं आ रही हूँ। उसने मेरा सर कस के पकड़ के दबा दिया, मुझे लग गया कि अब वो झड़ेगी।
तभी मैंने उसके चूतड़ जोर से दबाए तो आअह आह कर के वो मेरे मुँह में झड़ने लगी, गाढ़ा पानी मेरे मुँह में आ रहा था, पूरा पानी चाट के मैंने साफ़ किया और खड़ा होकर उसे गले लगाया, उसका पूरा शरीर कांप रहा था।
उसने कहा- आह आः ह्ह बहुत मज़ा आया अजय, तुम बहुत अच्छा ओरल सेक्स करते हो। अर्चना सही कहती है। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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