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मेरे पति रवि को तीन दिन के लिये मेरी बहन के घर रहना था क्योंकि वह अकेली थी और उसे रात में डर लगता था। रवि तो एक भी रात मुझे चोदे बिना नहीं सोता था तो मुझे कुछ शक हुआ औए एक सुबह मैं अपनी बहन के घर जा पहुंची। एक नज़र में मुझे सब पता चल गया और रवि ने सब खुद से बता दिया। अब आगे-
मैंने रवि को तुरंत दफ्तर जाने को कहा और उससे यह भी कहा कि मैं एक दो दिन बाद ही घर आऊँगी। मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था। मैं दूसरे कमरे में बिछे बिस्तर पर लेट गई, रवि को निकलने के थोड़ी देर बाद ही सपना भी जाग गई। उसने कमरे से ही आवाज लगाई- ..जीजू.. कहाँ हो… क्या कर रहे हो। उसका जवाब मैंने दिया- ..उठ जा महारानी.. तेरे जीजू तो दफ्तर चले गये।
मेरा जवाब सुनने के दो मिनट के भीतर ही सपना मेरे सामने गाऊन पहने खड़ी थी। कहने लगी- ..रात में निखिल का फोन आ गया था इसलिये देर तक जागती रही और उठने में देर हो गई। मैंने उससे कहा- अब झूठ मत बोल!
मैं सपना को उसके कमरे में ले गई। कमरे में बिखरे कपड़े अब एक तरफ समेट दिये गये थे, उनमें रवि का अंडरवियर भी था।
मैंने कहा- यह अंडरवियर तेरे कमरे में क्या कर रहा है? सपना बोली- …वो धोने के लिये दिया था। मैंने अंडरवियर उठाया और पूछा- ..ये चिपचिपा सा इसमें क्या लगा है? सपना ने कहा- ..कोई चीज गिर गई होगी। मैंने गुस्से में बेशर्मी के साथ उससे कहा- ..सीधी तरह से बात कर.. दो साल से मेरी चुदाई हो रही है और एक साल से तेरी। इस चिपचिपी चीज को मैं भी और तू भी अच्छी तरह से पहचानते हैं। मैंने उसे यह भी बताया कि रवि ने मुझे सब कुछ बता दिया है और अब यह बात मैं मम्मी-पापा से बताऊँगी।
यह सुनते ही सपना घबरा गई, कहने लगी- इसमें मम्मी पापा कहाँ से आ गये? उसका कहना था कि पिछले एक साल से निखिल दिन में तीन बार उसकी चुदाई कर रहा था और एक हफ्ते से उसकी बुर प्यासी रह गई थी। पागलपन में वो किसी और के साथ लंड-चूत का खेल खेलने को सोच रही थी, फिर सोचा कि मामला खुल गया तो बदनामी होगी। इसलिये जब रवि उसके घऱ रुका तो उसने सोचा कि जीजू से चुद भी जाएगी और बदनामी भी नहीं होगी। आखिर साली ही तो आधी घरवाली होती है।
उसकी बात सुनकर मेरा गुस्सा ठंडा पड़ गया, सोचा कि ठीक ही तो कह रही है किसी दूसरे के साथ करती तो वो ब्लैकमेल कर सकता था। मैंने उससे कहा- अच्छा, चल अब यह भी तो बता कि कैसा है तेरा जीजू? सपना थी तो मेरी हमउम्र ही… कहने लगी कि निखिल तो मेरी चूचियों पर चढ़ाई कर देते हैं और मुझसे भी अपनी चूचियां पीने को कहते हैं लेकिन चूत नहीं पीते हैं। जीजू ने चूत पीकर जन्नत के नजारे करा दिये। हाँ यह बात जरूर है कि निखिल का लंड मोटा और बड़ा है। जीजू इस मामले में पीछे रह जाते हैं।
मोटा और बड़ा… निखिल का लंड… मेरे दिमाग हवा में उड़ने लगी। मो…टा, ब…ड़ा… मेरी चूत में भी सनसनी होने लगी थी, मेरा शैतान जाग चुका था। आखिर मैं भी तो निखिल की साली ही थी, भले ही शादी एक साल पहले हो गई थी।
मैंने सपना से कहा- …ठीक है, मैं एक शर्त पर पापा-मम्मी से शिकायत नहीं करूंगी। अगर तू भी मुझे निखिल के लंड का मजा लेने दे। सपना पहले तो हिचकी लेकिन पापा-मम्मी के डर से मेरी बात मान गई, कहने लगी- …चल एक बार तू भी ऐसा कर ले लेकिन निखिल इसके लिये तैयार नहीं होगा। मैंने उससे कहा- ..तू यह बात मुझ पर छोड़ दे.. कुछ सोचती हूँ इस बारे में। वैसे भी हम दोनों की कद काठी एक जैसी थी।
दोपहर के समय निखिल का फोन आया, कहने लगा कि काम जल्दी खत्म हो गया है इसलिये आज रात नौ बजे तक वो घर आ जायेगा। यह बात सपना ने मुझे बताई, मैंने तुरंत ही एक योजना बनाई और सपना को इस बारे में निखिल को बताने को कहा।
मेरी योजना के मुताबिक सपना ने निखिल को बताया कि थोड़ी देर पहले एक बाबा घर में आये थे। उसे देखते ही कहने लगे- बच्चा… पति सुख के लिये परेशान हो? उन्हीं बाबा ने बताया कि अगर सपना आठ घंटे का मौन व्रत रख ले और इस दौरान घर में कोई रोशनी नहीं हो तो निखिल और सपना एक दिन के लिये भी अलग नहीं होंगे। सपना ने यह भी बताया वो शाम छः बजे से मौन व्रत रखेगी जो रात दो बजे तक खत्म हो जायेगा।
निखिल को इसमें कोई ऐतराज नहीं था कहने लगा- स्वीट हार्ट.. आठ घंटे की ही तो बात है… कर लेंगे, लेकिन चुदाई से इंकार मत करना। सपना ने जवाब दिया- ठीक है, पूरी कसर निकाल लेना। शाम को सपना ने बताया कि निखिल चूचियाँ पीने का मास्टर है.. उसकी चूची जरूर पीना, नहीं तो शक हो सकता है।
मैं निखिल के मोटे और बड़े लंड के इंतजार में पागल थी। रात को नौ बजे से पहले सपना और मैंने एक जैसा तेज परफ्यूम लगा लिया। मैं दूसरे कमरे में छिप गई। सपना ने एक कागज पर बड़ा बड़ा लिख लिया था ‘आठ घंटे तक मौन व्रत और कोई लाइट नहीं।’
थोड़ी ही देर में निखिल आ गया, उसने दरवाजे पर ही सपना को जोर से बाहों में लेकर जोरदार चुम्बन लिये। सपना ने कागज दिखा कर उसे याद दिलाया कि आठ घंटे तक घर में अंधेरा रहेगा और वो बोलेगी नहीं।
उसे देखकर निखिल बोला- ठीक है डार्लिंग.. मुझे पूरा याद है। दोनों ने खाना खाया और बिस्तर पर लेट गये। पूरे घर में घुप्प अंधेरा था।
पांच मिनट सपना कमरे से बाहर निकली और मैं उसका गाउन पहन कर निखिल के कमरे में घुस गई। हम दोनों ने एक सा परफ्यूम लगा रखा था इसलिये अंधेरे में निखिल को पता नहीं चला कि क्या हो चुका है।
मेरे बिस्तर पर लेटते ही निखिल मुझ पर टूट पड़ा.. कहने लगा कि उसका लंड नौ दिन से भूखा है और इस बीच किसी की चूची भी नहीं पी पाया। उसने गाउन इस अंदाज में उतारा कि जैसे वो उसे फाड़ देगा और मेरी चूचियों को पूरी ताकत से दबाने लगा। मैं किसी तरह अपनी चीख पर काबू रख पा रही थी, अगर निकल जाती तो बाबा जी की बात पूरी नहीं हो पाती।
एक मिनट बाद ही निखिल ने मेरी चूचियों को पीना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि आज तो इन चूचियों से दूध भी निकल जायेगा। नीचे पैरों से टकराता निखिल का लंड मुझे पागल बना रहा था, मेरी चूत से नदी बहने लगी थी।
थोड़ी देर बाद ही निखिल ने मुझे अपने ऊपर ले लिया। मैं इशारा समझ गई थी, अब वो अपनी छोटी-छोटी मर्दों वाली चूची पिलवाना चाहता था। मैंने बड़े धीरे-धीरे उन्हें पीना शुरू किया। निखिल तफड़ने लगा था, उसने जोर से कहा- ..सपना जोर से पियो.. मजा आ रहा है। मैंने भी चूचियों पर दबाव बढ़ा दिया।
अचानक मैं बिजली की तेजी से घूमी और निखिल का लंड अपने मुंह में भर लिया। निखिल ने जोर से सिसकारी भरी और कहने लगा- ..नौ दिन में एक नई चीज सीख ली है।
मुझे उसकी बात से कोई मतलब नहीं था, मैं तो बस उसकी लंड की मोटाई से पागल थी। इतना बड़ा… मैं उसे छोड़ना ही नहीं चाहती थी लेकिन निखिल पूरा गर्म हो गया था, उसने पूरी ताकत से मुझे उठाया और बिस्तर पर एक तरफ फेंक दिया। रवि ने कभी भी मेरे साथ ऐसा नहीं किया था।
मेरे बिस्तर पर गिरते ही निखिल भी मेरे ऊपर चढ़ गया और पूरी ताकत से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं पागलों की तरह अपने चूतड़ों को हिला रही थी। निखिल तो पूरे नौ दिन का प्यासा था।
हम दोनों बिस्तर पर कलाबाजियाँ खा रहे थे लेकिन लंड और चूत एक दूसरे से चिपक गये थे। पूरे पांच मिनट की कुश्ती के बाद निखिल के लंड और मेरी चूत से पिचकारी छूट गई। निखिल ने मेरी जोरदार चुम्मी ली और बोला- यार आज तो तूने मूझे पूरा मस्त कर दिया।
इसके बाद वो मुझसे चिपक कर सो गया। सुबह पांच बजे के करीब मैं कमरे से बाहर निकली और जल्दी जल्दी सपना को रात की चुदाई के बारे में बताया।
निखिल के जागने से पहले ही मुझे अपने घर के लिये निकलना था। दरवाजे पर विदा होते समय मैं सपना के कान में फुसफुसाई- ..चल बहन… हिसाब बराबर हो गया। [email protected]
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