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मैं झट से घर के अंदर घुस गया, मेरे अंदर आते ही सुमन ने मेन गेट बंद किया और मुझे घर के अन्दर ले गई। सामने के दरवाजे पर नीलम खड़ी थी। सुमन ने मुझे दस मिनट दिए नीलम से बात और मज़ा करने के लिए और साथ ही सख्त शब्दों में हिदायत भी दी कि चुदाई के बारे में सोचना भी मत। सुमन मुझे और नीलम को छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई।
सुमन के जाते ही नीलम को मैंने अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपने होंठ नीलम के होंठों पर लगा दिए। नीलम तो शर्म के मारे सिमटती जा रही थी, उसके शरीर में सरसराहट स्पष्ट महसूस हो रही थी।
लगभग दस मिनट हम दोनों आपस में लिपटे रहे, अब तो नीलम भी खुल कर साथ दे रही थी। मेरे हाथ उसकी चूचियों और जाँघों पर आवारगी कर रहे थे, नीलम की चूत पानी पानी हो रही थी पर मजबूरी थी, सुमन के रहते कुछ कर जो नहीं सकते थे।
हम दोनों एक दूसरे में इतना मस्त थे कि सुमन कब आकर हमारे पास खड़ी हो गई, पता ही नहीं चला। उसने हम दोनों को अलग अलग किया और नीलम को बाहर जाने के लिए बोल दिया। नीलम किसी जिद्दी बच्चे की तरह झुँझलाई और फिर पैर पटकते हुए चली गई।
नीलम के जाते ही सुमन मेरे गले से लग गई और एक हाथ से मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी। लंड तो पहले से ही लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था, कड़क लंड हाथ में आते ही सुमन भी मस्ती में झूमने लगी और बिना देर किये उसने मेरी पैंट अंडरवियर सहित नीचे खींच दी और तन के खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। मैं भी उसकी मस्त मुलायम चूचियों को मसल रहा था।
मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया तो नीलम दरवाजे की दरार में से झाँक कर हम दोनों की रासलीला देख रही थी। मैंने भी उसकी तड़प को और बढ़ाने के लिए सुमन के साथ खुल के मज़े लेने शुरू कर दिए। मैंने सुमन को उठाया और उसके कपड़े उसके बदन से कम करने शुरू कर दिए और अगले दो मिनट में ही हम दोनों पूर्ण नग्न अवस्था में थे। लंड कड़क होकर तनकर सुमन की चूत में घुसने को बेताब हो रहा था। मैंने सुमन को लंड चूसने के लिए बोला तो उसने बिना देर किये मेरे लंड का सुपारा अपने होंठों में दबा लिया और धीरे धीरे जीभ को घुमाते हुए लंड को चाटने और चूसने लगी।
सेक्स किये मुझे भी काफी दिन हो गए थे तो मैं भी मस्ती के समंदर में गोते लगाने लगा, मेरे मुँह से सीत्कारें निकलने लगी थी- आह्ह्ह… क्या चूसती हो मेरी जान… तुम पहले क्यों नही मिली मुझे.. चूसो… आह्ह्ह… और चूसो!
सुमन पाँच मिनट तक लंड चूसती रही और मैं उसकी मुलायम मुलायम चूचियों का मज़ा लेता रहा। अब मेरी भी इच्छा हो रही थी सुमन की चूत का रस पीने की तो मैंने सुमन को उठा कर बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत को जीभ घुसा कर चोदने लगा। सुमन तो जैसे पागल हो गई थी, उसके पति ने कभी भी उसकी चूत को चाट कर मज़ा नहीं दिया था। यह पहली बार था जब उसकी चूत को कोई चाट रहा था, सुमन की चूत पानी छोड़ रही थी।
थोड़ी देर चूसने के बाद मैं भी बेड पर आ गया और 69 की पोजीशन में आकर लंड सुमन के मुंह में दे दिया और खुद उसकी चूत के स्वादिष्ट पानी का रसपान करने लगा। सुमन मस्ती के मारे उछल उछल कर अपनी चूत को चटवा रही थी और लंड को पूरा मुंह में भर भर कर चूस रही थी।
मेरी नजर नीलम की तरफ गई तो वो भी अपनी सलवार उतार कर अपनी चूत को पागलों की तरह मसल रही थी। स्पष्ट था कि वो भी अब चुदने को मरी जा रही थी पर सुमन के डर से वो मजबूर थी। मैंने भी मन ही मन सोचा कि नीलम को भी अब चोदे बिना छोडूंगा नहीं।
दस मिनट चूत का रसपान करने और लंड चुसवाने के बाद अब मेरा लंड सुमन की चूत की सैर करने को तैयार था। मैंने लंड सुमन के होंठों से अलग किया और उसकी टाँगें उठाकर लंड को उसकी चूत के मुहाने पर सटा दिया, सुमन की चूत भी लंड लेने को तैयार थी, वो गांड को ऊपर उठा कर लंड को अन्दर लेने को बेताब थी।
मैंने भी बिना देर किये एक जोरदार धक्के के साथ आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। सुमन की चूत खेली खाई चूत थी, दूसरे ही धक्के में पूरा लंड जड़ तक सुमन की चूत में समा गया।
पूरा लंड घुसते ही बेड पर जैसे भूचाल आ गया, दोनों ही चुदाई के एक्सपर्ट थे, दोनों तरफ से धक्कों का जवाब जोरदार धक्कों से मिल रहा था। हम दोनों की सिसकारियाँ और सीत्कारें कमरे के माहौल को गर्म कर रही थी और हमारी चुदाई देख कर नीलम भी अपनी चूत को रगड़ रगड़ कर पागल हुई जा रही थी।
सुमन और मैं दोनों ही चुदाई में बुरी तरह से लिप्त थे, पूरा बेड हमारे धक्कों से हिल रहा था, सुमन की चूत से पानी का दरिया बह रहा था, वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी पर उसकी स्पीड और मस्ती में अभी भी कोई कमी नहीं आई थी और वो अभी भी गांड उछाल उछाल कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।
पाँच सात मिनट इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने सुमन को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड उसकी चूत में घुसा दिया और लगभग दस मिनट तक उसकी चूत की अपने लंड से रगड़ाई करता रहा। अब तो सुमन की भी बस होने लगी थी, वो अब इंतज़ार कर रही थी कि कब मेरे लंड का गर्म गर्म लावा उसकी चूत की आग को ठंडा कर दे।
इसके लिए उसको ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और बीस पच्चीस धक्कों के बाद मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य सुमन की चूत के अन्दर ही उगल दिया। मेरे वीर्य को महसूस करते ही सुमन एकदम से पस्त होकर बेड पर पसर गई, उसकी चूत झरझर करके झड़ रही थी। मैं भी उसके ऊपर ही लेट कर लम्बी लम्बी साँसें ले रहा था।
तभी हम शान्त भी नहीं हुए थे कि नीलम कमरे में आ गई, उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, आते ही वो सुमन के पास बैठ गई। सेक्स की आग उसकी आँखों में स्पष्ट नजर आ रही थी।
सुमन उसको देखते ही भड़क गई और उसको वहाँ से जाने के लिए कहने लगी पर नीलम ने उसके पाँव पकड़ लिए और मिन्नत करने लगी- भाभी, प्लीज एक बार मुझे कर लेने दो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी। पर सुमन मानने को तैयार ही नहीं थी। मैंने भी सुमन से कहा कि यार ले लेने दो इसको भी चुदाई का मज़ा… देखो तो कैसे तड़प रही है अपनी चूत फड़वाने को। पर सुमन टस से मस नहीं हुई।
नीलम ने यहाँ तक कहा कि अगर उसने उसे चुदवाने नहीं दिया तो वो भैया को बता देगी पर सुमन फिर भी नहीं मानी। बहुत देर की मिन्नत के बाद सुमन ने नीलम को सिर्फ अपनी चूत चटवा कर मज़ा लेने की इजाजत दी। बेचारी क्या करती वो इसी में खुश हो गई। मैं भी कुँवारी चूत का रस पाकर अपने आप को धन्य समझ रहा था। चुदाई के लिए तो सुमन थी ही और नीलम चूत चटवाने के लिए।
सुमन की इजाजत मिलते ही मैंने नीलम के नंगे बदन को बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। नीलम ने भी बिना किसी झिझक के मेरा लंड पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। मैंने नीलम को बेड पर लेटाया और 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड नीलम के मुंह में भर दिया और उसकी हल्की झांटों के बीच में छिपी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिरा दी। कुँवारी चूत का पानी जिसने भी पीया है उसको पता ही होगा कि कितना स्वादिष्ट होता है कुँवारी चूत का पानी।
मैं मस्त होकर नीलम की चूत को चाट और चूस रहा था और नीलम भी मस्ती के मारे सिसकारियाँ ले रही थी और धीरे धीरे मेरे लंड को चूस और चाट रही थी। सुमन हमारे पास ही नंगी लेटी हुई हम दोनों की रासलीला देख रही थी। बीच बीच में वो नीलम की चूचियाँ मसल देती तो कभी मेरे टट्टे सहला देती। हम दोनों की रासलीला देख कर सुमन भी फिर से गर्म होने लगी थी।
करीब दस पंद्रह मिनट की चूत चुसाई के बाद नीलम झड़ गई और मेरे लंड ने भी नीलम का गला अपने गर्म गर्म वीर्य से तर कर दिया जिसे वो पूरा चाट गई। पानी निकल जाने से नीलम कुछ शान्त हो गई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सुमन ने जैसे ही देखा कि हम दोनों का ही काम हो गया है तो उसने नीलम को अपने कमरे में जाने को कहा। नीलम अनमने से मन के साथ उठ कर कमरे से चली गई।
नीलम के जाते ही सुमन ने मेरा लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी। दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से कड़क हुआ तो सुमन मेरे ऊपर आ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर ऊपर से गांड उछल उछल कर मज़ा लेने लगी। उसकी चूचियाँ मेरे सामने झूल रही थी जिन्हें मैंने मुंह में भर लिया और चूसने लगा।
बेड पर फिर से भूचाल आ गया था, कभी सुमन ऊपर और मैं नीचे तो कभी मैं ऊपर और सुमन नीचे। करीब बीस मिनट तक चुदाई का दौर चला और फिर दोनों शान्त होकर लेट गये।
रात के तीन बज चुके थे, सुबह पाँच बजे सुमन के पति के आने का समय था। अब ना तो मैं सो सकता था और ना ही बाहर जा सकता था। अब किया क्या जाए? इसी उलझन में थे कि सुमन का पति बाहर आ गया। सुमन ने घड़ी देखी, अभी तो साढ़े तीन ही बजे थे और पति वापिस आ गया था। अब तो सुमन की फट गई। सुमन की ही क्या, अब तो मेरी भी फट गई। बदनामी के डर से मेरी हालत ख़राब हो रही थी।
कुछ सोच कर सुमन ने मुझे नीलम के कमरे में जाने को कहा। मैंने अपने कपड़े उठाये और नीलम के कमरे में चला गया। नीलम बेड पर नंगी लेटी हुई थी और सो रही थी।
मैंने उसके कमरे में जाकर अपने कपड़े पहने और नंगी नीलम के पास जाकर बैठ गया। नंगे बदन को देख कर मेरा शैतान फिर से हरकत में आ रहा था पर सुमन के पति के आने से जो टेंशन हो रही थी वो शैतान को शान्त करने क लिए काफी थी। करीब आधे घंटे बाद नीलम के कमरे के दरवाजे पर कुछ हलचल हुई तो मैं जाकर परदे के पीछे खड़ा हो गया। लाइट पहले से ही बंद थी। तभी दरवाजे पर सुमन नजर आई तो मैं परदे के पीछे से बाहर आ गया।
सुमन ने आते ही मुझे बताया कि उसके पति की तबियत ख़राब हो गई थी इसीलिए वो वापिस आ गया है और अब वो चाय पीकर सो चुका है। मैंने सुमन को पकड़ कर अपनी बाहों में भर लिया और प्यार करने लगा तो वो बोली- मेरे राजा, आज के लिए इतना ही काफी है। बाकी अगली बार करेंगे जब मौका मिलेगा।
मैंने बाहर आकर देखा तो लोग सुबह की सैर के लिए सड़क पर नजर आने लगे थे। मैं मौका देखकर बाहर आया और सैर करने वालों में शामिल हो गया। सुबह छ: बजे तक मैं पार्क में बैठा रहा और फिर अपने घर चला गया।
उसके बाद दुबारा एक बार और मौका मिला पर उस दिन इस से भी बुरा हुआ। मुझे नहीं पता था कि सुमन की सास यानि नीलम की माँ आई हुई है। सुमन ने मुझे बताया कि उसने अपनी सास को दूध में नींद की गोली दे दी है पर रात को करीब एक बजे जब सुमन और मैं चुदाई करने में मस्त थे, सुमन की सास कमरे में आ गई। उसने सुमन को और मुझे बहुत बुरा भला कहा और मुझे रात को एक बजे ही घर से बाहर निकाल दिया।
मेरी फटी हुई थी कि अब क्या होगा! कहीं सुमन की सास मेरे घर ना आ जाए। ऊपर से रात को एक बजे मैं घर भी नहीं जा सकता था। कुछ देर पार्क में बैठा पर अकेले कितनी देर बैठता। फिर बहुत सोच कर एक दोस्त को फ़ोन किया। यह मेरी किस्मत ही थी वो पेशाब करने के लिए उठा था और जाग रहा था।
मैंने उसको बात बताई तो वो बाइक पर मुझे लेने आ गया और फिर करीब तीन बजे मैं उसके कमरे पर जाकर सो गया। सुमन की सास ने बात आगे नहीं बढ़ाई। मैंने भी चैन की सांस ली।
फिर दुबारा मैं कभी सुमन के पास नहीं गया। वो कई बार बुलाती थी पर मैं मना कर देता।
फिर एक दिन सुबह जब उठा तो पता लगा कि सुमन के घर में झगड़ा हो रहा है। पता लगा कि सुमन को उसके पति ने अपने बड़े भाई के साथ मस्ती करते हुए पकड़ लिया है और इसी बात को लेकर उनके घर में झगड़ा हो रहा है। फिर अगले दिन ही वो हमारे पड़ोस से मकान खाली करके चले गये।
अब मुझे नहीं पता की वो कहाँ गए हैं, मुझे इस बात का दुःख नहीं है कि वो चले गए हैं पर इस बात का मलाल जरूर है कि नीलम की जवान चूत बिना चुदे ही मेरे पड़ोस से चली गई है।
यह कहानी बस यही तक… अगली कहानी लेकर जल्दी ही आपके पास आऊँगा। कहानी पर अपनी राय जरूर बताये। [email protected]
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