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एक बहुत उम्दा और स्वादिष्ट डिनर पूरा हुआ, शैम्पेन आधी के लगभग बच गई थी। एक अच्छे टिप के साथ बिल चुका कर हम उठ खड़े हुए। मैंने शैम्पेन की बची हुई बोतल उठा ली और कप्तान को कहा कि इसे झील के डेक पर भेज दे क्योंकि हम वहीं जायेंगे। फिर हम लोग थोड़ा टहलने के लिए झील वाले प्लेटफार्म की ओर चल पड़े।
डेक पर बहुत कम रोशनी थी, सिर्फ किनारे किनारे रेलिंग पर छिपी हुई लाइटें लगी थीं ताकि रेलिंग साफ दिखाई पड़े। झील के ऊपर भी काफी अच्छी रोशनी थी। यह प्लेटफार्म जोड़ों के रोमांस के लिए ही बनाया गया था। डेक पर अँधेरा था लेकिन आस पास की रोशनी के कारण दिखने में कोई खास परेशानी नहीं थी। यूँ समझ लीजिये जैसी आधे चाँद की रोशनी में जितना दीखता है उतना दिख रहा था।
हाथों में हाथ लिए हम उस रोमांटिक स्थान की तरफ जा रहे थे। रास्ते में रुक रुक कर प्रेम में विह्वल होकर लिपट जाते और चुम्बन लेने लग जाते। वेटर बेचारा हमारे से दस कदम पीछे शैम्पेन और गिलास लिए आ रहा था।
बुलबुल रानी बोली- राजे राजे राजे… बहुत मज़ा आ रहा है… डार्लिंग… मेरी कुछ चुदाई की तमन्नाएँ हैं.. तू कहे तो बताऊँ? मैंने कहा- बुलबुल रानी, बता न माँ की लौड़ी… तेरी सब तमन्नाओं और स्वप्नों के पूरे होने के दिन आ गए हैं… तू बोल..
तब तक हम बिल्कुल रेलिंग के साथ वाली एक बेंच तक पहुँच गए थे। ये बेंचें बड़े सोच समझ कर डिज़ाइन की गई थीं। देखने में ये एक सी बीच पर प्रयोग की जाने वाली बेंच जैसी थीं लेकिन इसमें साइड में एक हैंडल था जिसे घुमा कर बेंच का सिर की तरफ वाला किनारा ऊपर या नीचे किया जा सकता था। हर बेंच के नीचे एक दराज़ थी जिसमें बेंच के साइज के दो तौलिये, चार छोटे तौलिये और चार छोटे छोटे कुशन रखे थे।
वेटर जल्दी से आगे आया और उसने बेंच के नीचे से एक फोल्डिंग टेबल निकाली जिस पर उसने शैम्पेन की बर्फ की बकेट में लगाई हुई बोतल और दो गिलास रख दिए। फिर उसने हमें वो तौलियों और कुशन वाली दराज़ दिखाई और झुक के बाय बाय कह कर वापिस चला गया।
बुलबुल रानी बेंच पर आराम से पैर फैला कर बैठ गई और साथ में मैं भी बैठ गया। चारों तरफ नज़र घुमाकर उस मस्त दृश्य का मज़ा लेते हुए मादक वाणी में बोली- राजे…पता है मेरा क्या दिल करता है? खुले आकाश के नीचे कोई प्रेमी मेरे शरीर से खेलता हुआ मुझे चोदे… कभी जंगल में चुदाई करूँ… कभी कार में… कभी मोटर साइकिल की सीट पर… कभी ज़मीन पर तो कभी छत पर… ट्रेन में.. हवाई जहाज़ में… हर दिन एक नए वातावरण में, एक नए स्टाइल में मेरा प्रेमी मुझे चोद चोद के मेरा भेजा उड़ाए रखे… मैं उसे चौबीसों घंटे प्यार करूँ… उसका ख्याल रखूं… उसके साथ नहाऊं… वहीं वो मुझे कभी कभी चोद भी दे… मेरा प्रेमी मेरे मेंसेस में भी चूत चूसने से हटे नहीं बल्कि और चस्का लेकर चूसे… और खूब चोदे… मैं तो राजे मेंसेस में इतनी गर्म हो जाती हूँ कि दिल करता है दस दस आदमी मुझे एक साथ चोदें..
मैंने रानी के चूचों को सहलाते हुए कहा- तू बिल्कुल निश्चिन्त रह रानी… ये सभी जगह मैं खूब चुदाई कर चुका हूँ… तुझे हर जगह चुदने का मज़ा दूंगा… कुछ जगहें जो तुझसे छूट गई हैं वहाँ भी चोदूंगा मैं अपनी बुलबुल रानी को… तू देखती जा। रानी ने पलट कर मेरा मुंह चूमा और कहा- तू सच कह रहा है राजे… मुझे बहला तो नहीं रहा न? मैं- झूठ बोल रहा हूँ तो अभी मेरा हार्ट फेल हो जाए.. देख बहनचोद नहीं हुआ न? क्योंकि मैं सच बोल रहा था!
रानी ने अपना हाथ मेरे मुंह पर रखकर कहा- तू बहुत ख़राब खराब बक बक करता है कुत्ते… तेरे से पहले हार्ट फेल मेरा हो…
तब तक तो मैंने रानी के हाथ को बीस बार चूम लिया था, रानी ने भी हाथ हटाया नहीं उसे चूमे जाने दिया। फिर मैंने शैम्पेन को एक गिलास में डाला और कहा- रानी अब हम शैम्पेन अपने स्टाइल से पिएंगे एक ही गिलास से…पहले तू एक सिप लेगी… उसे खूब मुंह में घुमा के मेरे मुंह में दे देगी… फिर मैं एक सिप लूंगा और उसी प्रकार मुंह में घुमा के तुझे दे दूंगा… रानी बहुत मज़ा आएगा..
बुलबुल रानी अब तक इस स्थिति में आ चुकी थी कि उसे मेरी किसी भी बात से आश्चर्य होना बंद हो गया था। उसने एक सिप लेकर, जैसा बताया था उसी तरह से वाइन को मुंह में घुमाया, फिर मेरा चेहरा अपने पास किया और मुंह से मुंह चिपका के शैम्पेन मेरे मुंह में डाल दी। बहनचोद मज़े में दिमाग आसमान तक उड़ गया, लौड़ा ज़ोरों से अकड़ के उछाल कूद मचाने लगा। उस उच्च क्वालिटी की शैम्पेन में जब बुलबुल रानी का मुखरस मिला तो नशा सैकड़ों गुना बढ़ गया। अब मैंने सिप लिया और मुंह में घुमाकर रानी को लिपटा के उसके मुंह में शैम्पेन डाल दी।
मेरे हाथ उसके चूचों को सहलाने लगे, उसने भी हाथ बढ़ाकर मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। पांच सात सिप में ही हम दोनों चुदास में व्याकुल हो गए थे, रानी की टाँगें चौड़ी करके मैंने एक कुशन उसके चूतड़ों के नीचे लगा दिया और उसकी सफ़ेद फ्रॉक के भीतर सिर घुसा दिया। झांटें बिल्कुल साफ थीं, शायद रानी ने आज सुबह ही उनको सफाचट किया था। जब जीभ उस सफाचट, चिकने झांटप्रदेश पर फिराई तो रानी कुलबुला उठी।
थोड़ी देर झांट प्रदेश चाटने के बाद मैंने बुर के होंठ चूसने शुरू किये, मेरे मुंह से सड़प सड़प की आवाज़ आने लगी, बुर खूब गीली थी। मादरचोद उस मादक चिकने रस का स्वाद पाकर लगा मानो स्वर्ग मिल गया हो। रानी भी मज़े में भरी हुई कसमसाए जा रही थी। मुंह से हल्की हल्की सी सी… आहा… आहा… हूँऊँऊँऊँ… निकलने लगा। अब मैंने चूत के भीतर जीभ घुसा दी और लप लप करके उसमें भरे हुए रस को पीने लगा।
हुमक हुमक के मैंने उसकी मधुर चूत को चूसना आरम्भ किया। रानी मस्ती में मतवाली होने लगी थी। अब वो चूत को जल्दी जल्दी कभी तंग कभी ढीली करती जबकि उसके हाथों ने मेरे सिर को पकड़ लिया। जब मैं ज़ोर से जीभ उसकी भगनासा पर मारता तो ऊऊहहह करती हुई बुलबुल रानी ज़ोर से मेरे बाल खींच लेती।
अब मैंने जीभ को तेज़ी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। बुर लगातार रस बहाये जा रही थी। फिर मैंने उसके स्वर्ण रस वाले छेद को उंगली से सहलाना शुरू किया, अब तो रानी पूरी तरह से मस्ता गई, सिर और कस के जकड़ कर उसने मेरा मुंह चूत से इतने ज़ोर से सटाया जैसे कि पूरा सिर चूत में घुसा लेना चाहती हो परन्तु घुसा न पा रही हो।
मैं भी जीभ एकदम चुदाई के अंदाज़ में धकेल रहा था या यूँ कह लो कि मैं जीभ से ही बुलबुल रानी को चोद रहा था। रानी भी दबादब नितम्ब हिला हिला के मज़ा ले रही थी।
फिर मैंने उसके स्वर्ण रस छिद्र को ज़ोरों से अपनी उंगली से रगड़ा। एक तेज़ ईईईई की आवाज़ के साथ रानी चरम सीमा के पार उतर गई। चूत से लप लप लप रस बह चला जबकि रानी ने मेरे बालों पर अपनी ताक़त आज़माई, उसने एकदम से टाँगें भींच के मेरे सिर को फंसा लिया। जितना रस उस सुहावनी बुर से निकलता मैं सारा पी जाता। बुलबुल रानी स्खलित होकर गहरी गहरी सांसें ले रही थी, मेरा सिर उसने अभी भी टांगों में फंसा रखा था। मुझे भी क्या प्रॉब्लम थी, मज़े से मैं उसकी चूत का मधुपान किये जा रहा था। मैंने फिर से रानी की स्वर्णरस छिद्र को उंगली से रगड़ा। रानी फिर से उचकी और झड़ी तो मुझे फिर से एक बौछार अति स्वादिष्ट चूत रस की पीने को मिली। लेकिन इस बार बुलबुल रानी ने टाँगें फैला कर मेरा सिर छोड़ दिया और निश्चल होकर पड़ गई, शायद अनेक बार झड़ झड़ के वो थोड़ा थक गई थी। मैंने उठकर अपना अंडरवियर उतार दिया और रानी की चूत पर लौड़ा रख के एक धक्का ठोका तो लौड़ा पूरा अंदर घुस गया। चूत रस से सराबोर तो थी ही, बड़े आराम से लण्ड चूत में घुसता चला गया।
बुलबुल रानी घबरा के बोली- अरे क्या करता है राजे… यहाँ खुले में ही लौड़ा दे दिया मेरी चूत में… चल रूम में चलते हैं…वहीं चोदियो! मैं बोला- नहीं रानी… आज मैं तेरी हुए आकाश के नीचे चुदने की तमन्ना पूरी किये देता हूँ… रूम में तो चोद ही लेंगे… अभी तो तारों की छांव में चाँद देखते हुए झील के बीच चुदाई का मज़ा ले कमीनी… कहकर मैंने एक धक्का लगाया… पिच्चच से लौड़ा चूत रस बाहर छलकाता हुआ घुसा।
रानी चिहुंक उठी- आआहा…राजे यहाँ मुझे डर लगता है… रूम में चलों न प्लीज़… मैंने कुछ और हल्के से धक्के टिकाये और कहा- मेरे होते हुए तू क्यों फ़िक्र करती है कुतिया… मैं यहाँ इसी जगह पर जूसी रानी को चोद चुका हूँ… कुछ नहीं होगा… बहन की लौड़ी तू तो बस चुदाई की मस्ती लूटे जा… अब तू ऊपर आ जा मेरे… अब तेरे भोम्पू भी बजाता हूँ मादरचोद रांड…
मैंने हाथ बढाकर हैंडल चला कर बेंच के सिरहाने को ऊँचा किया, फिर उसके साथ पीठ टिकाकर टाँगें आगे फैला लीं। बुलबुल रानी ने फ्रॉक ऊपर की और लौड़े पर बैठ के उसे चूत में घुसा लिया। अब वो लण्ड चूत में लिए बैठी हुई थी, मैंने उसकी टाँगें खींच कर अपनी कमर के इर्द गिर्द जमा दीं और कहा- रानी… बहनचोद अब ले मज़ा कमीनी… साली तेरी माँ की चूत हरामज़ादी रंडी… चोद अब कुतिया!
मैं बहुत तेज़ ठरक से व्याकुल हो गया था। ये मस्त चुदासी और बेहद हसीन रानी, ये मंद मंद चलती हुई हवा, ऊपर चाँद तारों का दृश्य और साथ में तीन तरफ झील, रात को जंगल से आती हुई आवाज़ें !!!! इन सबने मिलकर हमारी ठरक को बेतहाशा चढ़ा दिया था। बुलबुल रानी के चूचे मैंने फ्रॉक के अंदर हाथ डाल के पकड़ लिए और कहा- अब मैं इनको भोम्पू जैसे बजाऊंगा और तू मुझे चोदे जा…. जो भी बहनचोद तेरे मन में आये वैसे चोद… हरामज़ादी पूरा कंट्रोल तेरे पास है। कहते हुए मैंने मम्मों को वास्तव में ऐसे दबाना शुरू किया जैसे भोम्पू बजने के लिए दबाया जाता है।
बुलबुल रानी मस्त में चूर थी और धीमे धीमे आगे पीछे हिल कर चुद रही थी, मम्मे दबने से उसकी गर्माहट तेज़ी से बढ़े जा रही थी। कुछ ही समय में उसने मचल मचल कर चूतड़ ऊपर नीचे, आगे पीछे, दायें बाएं हिलाना शुरू कर दिया। यह बड़ा ही ज़बरदस्त चुदाई का स्टाइल था जिसमें लौड़ा चूत से बाहर नहीं निकलता बल्कि चूत के हिलने से जो रगड़ लगती है उसका मज़ा लिए जाता है। गर्म चूत, रस भरा हुआ। ऐसी चूत की नरम दीवारों से जब लौड़ा सब तरफ से रगड़ा जाएगा तो कितना आनन्द आएगा, यह यारों आप स्वयं सोच ही सकते हैं।
मैंने बुलबुल रानी से कहा कि शैम्पेन की बची हुई बोतल हाथ में ले, लम्बे लम्बे घूंट लेकर मुंह में फिराए और मेरे मुंह में डाल दे। इस से मेरे हाथ रानी के कुचमर्दन करने के लिए ख़ाली रहे। रानी ने बोतल उठाकर कहा- बहुत ज़रा सी बची है। मैं बोला- कोई नहीं और मंगवा लेंगे तू बहनचोद इसे तो पी और पिला।
इसके बाद यारों क्या ज़बरदस्त कार्यक्रम हुआ कि पूछिये मत ! चुदाई के मज़े में रानी के मुंह में खूब रस आ रहा था। शैम्पेन का बड़ा सा घूंट मुंह में घुमा के जब वो मुझे पिलाती थी तो नशा तो कई गुना हो ही जाता था, उसके गुलाब की पंखड़ियों जैसे होंठ भी मैंने अच्छे से चूस लेता था। मेरे हाथ लगातार उसके चूचियों को दबा रहे थे और रानी की चूतड़ हिलाने की रफ़्तार भी मिनट दर मिनट तेज़ होती जा रही थी।
मैं कभी कभी हाथ मम्मो से हटा के रानी की नाभि सहला देता तो कभी उसके पेट पर नज़ाकत से उंगलियाँ फिराता या कभी हाथ पूरे फैला कर उसके मुलायम चूतड़ भींचता। मुंह में कभी शैम्पेन तो अभी मेरे होंठ चिपके होने के कारण बुलबुल रानी कुछ बोल नहीं पा रही थी किन्तु उसकी कंपकंपाहट बता रही थी कि उसको ज़ोर ज़ोर से सीत्कार लेने हैं, चुदाई का आनन्द उस से सहन नहीं हो पा रहा था।
खैर जल्दी ही शैम्पेन भी ख़त्म हो गई। अब रानी ने खुली आवाज़ में आआह आआआह आआअह करते हुए जो दनादन चूतड़ मटकाए हैं कि लौड़ा भी हरामी मस्ता गया और बार बार तेज़ तेज़ तुनकने लगा। रानी ने हाथ मेरे कन्धों पर टिका के खुद को अच्छे से बैलेंस किया और फिर लगी ऊँचा उछल उछल के लण्ड को धकधक अंदर बाहर करने। अपनी गांड पूरी ऊपर उठा लेती और फिर धम्म से नीचे लण्ड पर गिरती तो लौड़ा बड़ी तेज़ी से उसकी बच्चेदानी तक जाकर धड़ाम ठोकर मार देता।
लौड़ा बुरी तरह से फूला पड़ा था और इसी लिए हर धक्के में बुलबुल रानी की भगनासा में अच्छे से रगड़ पड़ती। रानी अब उत्तेजना की हद तक पहुँचने को थी। अब वो हाँफ रही थी उसके बाल इधर उधर सिर हिलाने से अस्त व्यस्त हो चुके थे, गालियाँ बकती हुई बुलबुल रानी अब तेज़ी से चरम आनन्द की ओर अग्रसर थी।
मेरा भी कमोबेश यही हाल था, चुदाई के दौरान किये गए खिलवाड़ ने मज़े की इन्तहा कर दी थी, अब मैंने रानी की पतली सी कमर थामी और उसको कुदा कुदा के बहुत तेज़ रफ़्तार धक्के पे धक्का लगाना शुरू किया। दस पंद्रह करारे शॉट लगाने के बाद मैंने जब रानी के चूचे दुबारा से जकड के निप्पल उमेठे तो रानी एक तेज़ किलकारी मारती हुई झड़ी। इसके बाद तीन चार शॉट में मेरा भी मक्खन बड़ी तेज़ी से छूटा। चूत में अब लोड़े के लावा और चूत रस भर जाने से खूब किच्च पिच्च मच गई।
‘राजे पकड़ ले मुझे… मैं गिरी जा रही हूँ पाताल में.. राजे मादरचोद क्या कर दिया तूने मुझको… आहा आहा आहा… बहनचोद हरामी तेरी माँ को कुत्ते चोदें… हा हा हा… सूअर की औलाद… आह आह आह… हाय मैं मर गई… राजे भोसड़ी के बचा ले मुझे… आआआ आआआ… हाय माआआआं’ ये सब कहती हुई रानी मेरे ऊपर गिर गई, उसका पसीने से लथपथ चेहरा मेरी छाती को भिगोने लगा।
मैं प्यार से रानी के बालों से खेलने लगा, एक हाथ से उसकी पीठ पर बड़े हल्के स्पर्श से धीमे धीमे सहलाने लगा, मुझे अपनी बुलबुल रानी पर बेहिसाब प्यार आ रहा था, मेरा दिल कर रहा था कि उसे जितना प्रसन्न कर सकता हूँ उतना अवश्य करूँ। इतनी मस्त चुदाई से उसने मेरा दिल मोह लिया था।
काफी देर तक हम ऐसे ही रहे। लण्ड तो रस से तरबतर भग से फिसल के बाहर निकल चुका था। मैंने रानी से धीरे से कहा- बुलबुल रानी… चल अब मैं चूत को साफ कर देता हूँ… तुझे पता है मैं कैसे साफ़ करता हूँ चुदाई के बाद की चूत को? रानी ने सिर हिलाकर बताया कि उसको नहीं मालूम और मालूम होता भी कैसे? आज पहली दफा ही तो चूतनिवास से चुदी थी।
मैंने आहिस्ता से बुलबुल रानी को अपने ऊपर से हटाया और बड़े प्यार से उसको साइड में लिटा कर चाँद तारों की मद्धम रोशनी में रानी के मादक सौंदर्य देख देख कर अपनी चक्षु हरे करने लगा।
यार बहुत नशीली शह थी ये बुलबुल रानी तो! शैम्पेन और चुदाई की खुमारी में हरामज़ादी बला की खूबसूरत लग रही थी। उसकी फ्रॉक चुदाई में बिल्कुल मुस गई थी। आँखें बंद थीं और मुंह ज़रा सा खुला हुआ। पूर्ण तृप्ति के भाव से उसके चेहरे पर हल्की सी मधुर मुस्कान छाई हुई थी। अभी वो इस खुले आकाश के नीचे हुए सम्भोग का आनन्द उठाकर मस्त पड़ी थी।
मैंने हल्के से रानी की टाँगें थोड़ी सी चौड़ी कीं और फ्रॉक में मुंह घुसा कर आराम से चटखारे लेते हुए भग को साफ करने लगा। बुर पर जीभ का स्पर्श महसूस होने पर रानी ने कुलबुला के प्रसन्नता से टाँगें और फैला लीं जिससे मुझे चाटने में सुविधा हो जाए। कुछ ही देर में मैंने एक कुत्ते की तरह जिह्वा निकाल कर रानी की चूत का अंदर बाहर, झांट प्रदेश और जांघें चकाचक साफ कर दीं।
रानी आनन्दमग्न होकर ऊऊऊं… ऊऊऊं… ऊऊऊं.. राजे.. ऊऊऊं… ऊऊऊं करने लगी। मेरी गीली जीभ उसकी चूत के आस पास के बदन पर फिरने से उसे बहुत मज़ा आने लगा था।
जब सारा चूत प्रदेश भल भांति साफ़ हो गया तो मैं उठकर रानी की बगल में बैठ गया और उसके शरीर को हौले हौले सहलाते हुए दबाने लगा। मैं अपने अनुभव से जानता हूँ कि चरम सीमा तक ले जाई गई चुदाई के बाद लड़कियों को कुछ कमज़ोरी सी महसूस होती है और प्रेमी द्वारा प्यार से बदन दबाने से वो दूर हो जाया करती है। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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