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अब तक आपने पढ़ा..
पूजा- ओह वाउ.. तेरे पापा अगर आंटी के साथ थे तो तेरी मॉम अकेली क्या कर रही थीं। पायल- मॉम अपने कमरे में सोई हुई थीं। उनको ऐसी हालत में देख कर मुझे कुछ समझ नहीं आया। उस समय सेक्स का पता भी नहीं था.. मैं डर गई और जल्दी से मॉम के कमरे की तरफ़ भागी और नॉक किया।
अब आगे..
पूजा- अरे तेरी की.. कर दी ना गड़बड़.. पहले चुदाई का खेल तो देखती.. उसके बाद क्या हुआ.. तेरी मॉम उठ गई होगी और झगड़ा शुरू हो गया होगा? पायल- नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ.. तू आगे तो सुन.. नॉक के साथ ही दरवाजा अपने आप खुल गया। मैं धीरे से अन्दर गई तो मॉम बैठी रो रही थीं मुझे देख कर अपने आँसू पोंछे।
मॉम- अरे बेटा क्या हो गया.. इतनी रात को तू यहाँ क्यों आई है? पायल- मॉम मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. इसलिए आई हूँ। मॉम- अरे आ.. मैं दवा दे देती हूँ.. सब ठीक हो जाएगा।
मैं मॉम के पास जाकर बैठ गई.. वो बड़े प्यार से मेरा सर दबाने लगी। पायल- मॉम सब ठीक तो है ना.. मॉम- हाँ बेटा सब ठीक है.. क्या हुआ.. तूने यह सवाल क्यों पूछा? पायल- सब ठीक है तो आप रो क्यों रही थीं?
मॉम- नहीं बेटा.. मैं कहाँ रो रही हूँ.. वो वो बस ऐसे ही आँख में कुछ चला गया था। मॉम ने बहुत कोशिश की.. मुझे टालने की.. मगर उनकी आँखों से 2 बूँद आँसू और आ गए। पायल- नहीं मॉम.. कुछ तो बात है.. देखो आपकी आँख फिर से भर आईं और पापा कहाँ हैं? मॉम- मैंने कहा ना.. कुछ नहीं हुआ और तेरे पापा को कुछ काम था.. वो बाहर गए हैं। पायल- मॉम आप झूठ बोल रही हो.. मैंने पास के कमरे में सब देखा है.. पापा और आंटी..
मैं आगे कुछ बोलती.. मॉम ने मुझे एक चांटा मार दिया और मुझे सीने से चिपका कर रोने लगीं।
मॉम- आई एम सॉरी बेटा.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने तुम्हें मारा.. तेरे पापा को ये बात मत कहना.. वो नाराज़ होकर कहीं चले जाएँगे.. बेटा मेरी तो लाइफ बर्बाद हो गई। अब अगर तेरे पापा चले गए तो हम सब की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। तू अभी बच्ची है.. भूल जा सब.. किसी को कुछ मत कहना।
पायल- लेकिन मॉम ये सब क्या है.. वो इतने गंदे काम कर रहे हैं.. आप कुछ बोलती क्यों नहीं? मॉम- चुप रह तू.. मैंने कहा ना.. तेरी आंटी का घर में आना मेरी जिंदगी में तूफान से कम नहीं.. तेरे पापा अब बदल गए हैं। बस अब तू ये बात किसी को मत बताना.. ले दवा ले.. चुपचाप अपने कमरे में चली जा..
मॉम ने मुझे दवा देकर वहाँ से भेज दिया। जब तक मैं अपने कमरे में नहीं चली गई.. वो दरवाजे पर खड़ी मुझे देखती रहीं। बस उस दिन से मुझे मेरी आंटी से नफ़रत हो गई। मेरे पापा बहुत अच्छे थे.. मगर उनके आने के बाद वो काफ़ी बदल से गए, अक्सर मेरी मॉम को मैंने रोते देखा है। मुझे पता लग गया कि ये सब सेक्स के कारण हुआ और बस मुझे सेक्स से नफ़रत हो गई।
पूजा- अरे यार तेरी मॉम के साथ तो बुरा हुआ.. वैसे तू गलत है यार तेरे पापा के कांड के कारण तू सेक्स से क्यों नफ़रत करती है। तुझे उनसे नफ़रत करनी चाहिए थी। अपनी लाइफ क्यों बर्बाद कर रही हो?
पायल- नो वे.. मेरे पापा मुझे अभी भी उतना ही प्यार करते हैं। ये सब तो मेरी आंटी का किया-धरा है.. मैंने बहुत बार उनको जलील भी किया.. मगर वो पक्की रंडी हैं उनके कानों पर जूँ तक नहीं रेंगती.. बस इसी सब के चलते मुझे हॉस्टल में आना पड़ा.. घर में घुटन सी होने लगी थी मुझे, मैंने पापा को राज़ी किया कि मुझे पढ़ाई में दिक्कत है.. हॉस्टल में रह कर ठीक से पढ़ाई कर सकूँगी।
पूजा- तेरे पापा को पता है कि तू उनके राज़ जान गई है? पायल- ये मैं नहीं जानती.. शायद उस रंडी ने उनको बताया होगा.. मगर मैंने कभी पापा को यह बात नहीं कही और ना ही कभी उनको मेरे आगे शरमिंदा होना पड़ा.. वो मेरी हर बात मानते हैं। मुझे बहुत प्यार करते हैं। मैं चाहती तो उनको उस रंडी से दूर कर सकती थी.. अपनी कसम देकर मगर मैं अपने पापा को अपनी नज़रों में गिरने नहीं दे सकती.. इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा।
पूजा- वाह यार.. तू भी कमाल की है.. आंटी को रंडी और पापा को कुछ नहीं.. ये भेदभाव क्यों? पायल- मेरे पापा शुरू से अच्छे थे और अब भी अच्छे हैं.. उस रंडी ने उनको बहका दिया.. उसमें पापा का क्या कसूर? मेरी माँ ओल्ड टाइप की हैं.. और वो रंडी मॉर्डन.. बला की खूबसूरत.. जिसे देख कर वो क्या.. कोई भी बहक जाए.. खास कर जब कि वो अपने हुस्न के जलवे दिखाए.. समझी?
पूजा- अच्छा तो ये बात है.. तेरी आंटी जलवा दिखाती हैं.. मगर ये तो बता तेरे अंकल कहाँ हैं? वो कैसे कुछ नहीं कहते? पायल- यार अब बस भी कर.. क्या बकवास टॉपिक लेकर बैठ गई? तू अपनी सुना ना.. कैसे तूने पहली बार सेक्स किया था और किसके साथ किया था? पूजा- अरे ये टॉपिक तो तेरे टॉपिक से भी ज़्यादा बकवास है.. तू सुन नहीं पाएगी और वैसे भी तेरी नज़र में मेरी इज्जत कम है.. वो बात सुनकर तो तू मेरे को थर्ड क्लास रंडी का दर्जा दे देगी। पायल- अरे नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है.. मैं क्यों तुझे गलत समझूँगी.. यार तेरी लाइफ है.. तू जैसे चाहे जिए.. चल बता..
अब पूजा आराम से सीधे होकर बैठ गई और वो बोली- अब पूरी बात सुनने के बाद ही कुछ बोलना समझी.. पायल ने कुछ सोचा और खड़ी हो गई। पूजा- अरे क्या हुआ.. तेरे को मेरी बात नहीं सुनना क्या? पायल- अरे नहीं नहीं.. सुन रही हूँ ना.. लेकिन तू शुरू करे उसके पहले मैं बाथरूम जाकर आती हूँ.. ताकि बाद में तेरी बात काटकर ना जाऊँ.. बड़े जोरों की लगी है यार.. पूजा- अरे अभी असली मज़ा शुरू भी नहीं हुआ और तेरी चूत रिस गई क्या.. हा हा हा हा.. जा जल्दी आना.. पायल- तू बहुत बेशर्म है.. अब बाथरूम जाने में भी गंदी बात बोल दी.. तू नहीं जाती क्या.. पूजा- अच्छा बाबा सॉरी.. अब जा जल्दी आ जाना ओके..
पायल के जाने के बाद पूजा वहीं बैठ कर पुराने लम्हों को याद करके मुस्कुराने लगी। दोस्तो, अब पायल जब तक नहीं आ जाती.. यहाँ हम क्या करेंगे.. चलो हमारे दोनों हीरो को देख लेते हैं।
पुनीत और रॉनी खाने के बाद अपने कमरे में बैठे थे.. तभी वहाँ मुनिया आ गई.. जिसे देख कर दोनों के होश उड़ गए क्योंकि मुनिया ने अपने जिस्म पर सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा हुआ था।
पुनीत- अरे मुनिया.. ये क्या.. ऐसे अधनंगी क्यों घूम रही हो.. क्या इरादा है तुम्हारा.. क्यों हमारा ईमान खराब कर रही हो तुम? मुनिया- बाबूजी.. आप बुरा ना मानना.. मगर आप जैसे बेईमान का ईमान कहाँ होता है.. मुझे काम के बहाने यहाँ लाए और यहाँ मुझसे दूसरा ही काम करवा रहे हो। रॉनी- हा हा हा मेरी जान.. ऐसे तो ना कहो.. हमने काम ही कहा था और मालिश की बात की थी.. उसके अलावा क्या बेईमानी की.. बता तू?
मुनिया- अब रहने दो.. आप लोगों ने तो इतना बड़ा बम्बू मेरी छोटी से जगह में घुसा दिया.. ये कौन सा काम हुआ? पुनीत- अरे अभी भी तेरी शर्म नहीं निकाली क्या.. जगह नहीं चूत बोल चूत.. हा हा.. और ये तो बता ऐसे क्यों आई है? मुनिया- अब कपड़े पहने का फायदा ही क्या.. कुछ देर बाद तो आप निकाल ही दोगे.. मैंने सोचा ऐसे ही आपके पास चली आती हूँ.. और एक बात भी पूछनी है।
रॉनी- आ जाओ मेरी जान.. यहाँ आओ.. सही कहा.. जब नंगी होना ही है तो कपड़े पहने का फायदा क्या.. बोल क्या बात पूछनी थी तेरे को? मुनिया- वो आप कल चले जाओगे तो मैं यहाँ अकेली क्या करूँगी.. आप मुझे अपने साथ शहर ले चलो ना.. पुनीत- अरे मुनिया रानी.. तुझसे अब दूर कहाँ रहा जाएगा.. बस कुछ दिन की बात है.. हम वापस आ रहे हैं ना.. और तू यहाँ मत रहना तुझे वापस गाँव छोड़ देंगे.. जब दोबारा आएँगे तू साथ आ जाना समझी..
मुनिया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और खुश हो गई। अब वो दोनों के बीच में बैठी हुई थी और शर्मा रही थी। पुनीत धीरे-धीरे उसके गालों को सहला रहा था और रॉनी उसकी जाँघों को दबा रहा था। मुनिया ने आँखें बन्द कर ली थीं.. और आने वाले पलों के बारे में सोच कर मज़ा ले रही थी।
पुनीत- उफ़फ्फ़ मुनिया.. तेरे ये पतले होंठ मुझे पागल बना रहे हैं कल क्या मज़ा दिया था तूने.. अपने इन मुलायम होंठों से मेरे लंड को.. आह्ह.. रॉनी- हाँ.. मुनिया तू लौड़ा बहुत अच्छा चूसती है.. चल आज तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा में.. और तू भाई का लौड़ा चूस के मज़ा ले.. चल आ जा..
मुनिया- नहीं बाबूजी.. मैंने कहा था ना.. दोनों एक साथ मत करना.. मुझे बहुत दुःखता है। रॉनी- अरे यार दोबारा वही बाबूजी.. बड़ा अजीब लगता है.. नाम लो यार तुम.. उसमें ज़्यादा मज़ा आएगा। पुनीत- अरे मुनिया.. दो का मज़ा ही कुछ और होता है.. आज तेरे को डबल का असली मज़ा देंगे.. तू बस देख और रॉनी ठीक कहता है.. नाम ले हमारा.. मुनिया- अच्छा पुनीत जी.. आप जैसा कहो.. ठीक है.. अब मैं मना नहीं करूँगी.. जैसे चाहे चोद लो मुझे.. बस खुश.. अब शुरू हो जाओ.. रॉनी- ये हुई ना बात मेरी जान.. अब आएगा असली मज़ा..
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। [email protected]
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