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फिर अगले दिन सुबह मैंने अपनी एक बहुत पक्की और अच्छी दोस्त को व्हाट्सएप्प पर मैसेज दिया और उसको निकिता रानी के विषय में बताया और पूछा कि उसका नाम क्या रखूं क्योंकि निकिता रानी कुछ ज़ुबान पर ठीक से चढ़ता नहीं है। मेरी यह दोस्त बहुत ही बुद्धिमान है और समझदार भी… यारो, इस दोस्त को मैं देवी के समान पूजता हूँ।
उसने पूछा- रानी को क्या क्या पसंद है? जब मैंने बताया कि उसे पक्षी बहुत पसंद हैं और उसको टैटू वाली वो मस्त फोटो भी भेजी तो उसने कहा- बहन के लौड़े, इसमें सोचना क्या है… किसी पक्षी के नाम पर उसका भी नाम रख दे। मैंने सुझाया- बुलबुल कैसा रहेगा? उसने तुरंत हाँ कर दी तो यारो, मैंने उसका नाम बुलबुल रानी रख दिया और अब आगे कहानी में मैं उसको बुलबुल रानी ही कहूँगा।
वो दिन मुझ से शाम के पांच बजने तक का टाइम काटे नहीं काट रहा था, बड़ी मुश्किल से राम राम करते हुए साढ़े चार बजे तो मैं कार लेकर बुलबुल रानी को उसके ऑफिस से लेने चल पड़ा। जूसी रानी से कह दिया था कि मुझे एक दिन के लिए बिज़नेस के काम से सिडनी जाना है इसलिए रात को वो वाइब्रेटर से काम चलाये।
15 मिनट में मैं बुलबुल रानी के ऑफिस पहुँच गया। रानी ऑफिस के बाहर मेरी प्रतीक्षा कर रही थी, मैंने तपाक से कार का दरवाज़ा खोल के उसकी बाज़ू थाम के उसको बिठाया, उसकी सीट बेल्ट फिट की और उसका बैग डिक्की में रखा। ड्राइविंग सीट पर बैठ कर मैंने बुलबुल रानी का हाथ थाम के एक चुम्मी ली और कार स्टार्ट करके हम मोटेल की ओर रवाना हो गए। मैं उसे एक रानी जैसा ही सम्मान दे रहा था।
मोटल बहुत ही खूबसूरत स्थान पर था, एक बड़ी झील जिसमें साफ़, निर्मल जल, भांति भांति की बत्तखें व सारस और कई तरह के जल में खिलने वाले फूल। चारों तरफ घना जंगल था। मोटल भी थोड़ा अलग किस्म का था, जंगल के वृक्षों के बीच कॉटेज बनाये हुए थे, हर कॉटेज में एक काफी बड़ा बेडरूम, एक बैठक जिसमें एक सोफ़ा सेट, एक बहुत बड़ा लाउंज दीवान, चार लोग की डाइनिंग टेबल, फ्रिज और टी वी। बाहर एक बरामदा था जिसमें बैठने के लिए आराम कुर्सियाँ रखी हुई थीं। कॉटेज का डिज़ाइन इस प्रकार किया गया था कि किसी भी कॉटेज से दूसरी कॉटेज दिखाई नहीं पड़ती थी। लगता था हम किसी जंगल में एकदम अकेले हैं।
रिसेप्शन और डाइनिंग हॉल एक अलग इमारत में था, जिसकी दूसरी मंज़िल पर एक शॉपिंग आर्केड और एक कैसीनो था। मेन बिल्डिंग से कॉटेजों तक आने जाने के लिए एक जंगली पगडण्डी जैसा दिखने वाला पत्थरों का रास्ता बना हुआ था।
चुदाई के लिए बहुत ही उपयुक्त रोमांटिक स्थान था यह… मैं यहाँ पहले भी आ चुका था। अपनी शादी की साल गिरह पर जूसी रानी के साथ और एक एक बार मेरी दो ऑस्ट्रेलियन रानियों (एरी रानी और जीनी रानी) के साथ। इसलिए मैं जानता था कि इस जगह पर किसी लड़की को चुदाई के मूड में लाना कितना आसान है।
अपनी कॉटेज पहुँच के बुलबुल रानी ने कहा- राजे, मैं ज़रा ऑफिस के कपड़े चेंज कर के कुछ आरामदायक चीज़ पहन लेती हूँ। फिर चलकर झील के किनारे बैठेंगे और गप्प लड़ाएंगे। वो बैग से अपने कपड़े निकल के बाथरूम में घुस गई तो मैंने भी कपड़े बदल के डेनिम हाफ पैंट और टी शर्ट डाल ली और स्पोर्ट्स शूज पहन लिए।
कुछ ही देर में बुलबुलरानी भी बाथरूम से निकल आई… बहनचोद, क्या वज्रपात कर रही थी माँ की लौड़ी ! उसने एक ढीला ढाला बैंगनी रंग का पजामा और एक नीबू से पीले रंग का स्लीवलेस टॉप पहन लिया था।
टॉप के उभारों से साफ दिख रहा था कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। चड्डी भी पहनी या नहीं इस बात का पता तो बाद में चलेगा। मेरा दिल बाग़ बाग़ हो उठा। फिर उसने एक हवाई चप्पल बैग से निकाल के पैरों में डाल ली। कसम पैदा करने वाले की लौड़ा वहीं अकड़ गया।
उसके हाथ अपने हाथ में लेकर मैं उसके साथ ऐसे झील की तरफ चल दिया जैसे कोई नव विवाहित जोड़ा हाथों में हाथ लिए पास पास चिपका चिपका सा चलता है। झील के करीब पचास फुट भीतर को जाता हुए एक लकड़ी का प्लेटफार्म बना हुआ था जिसकी चौड़ाई लगभग तीस या पैंतीस फट होगी। इसके ऊपर बीस पचीस लाउंज बेंचें रखी थीं जिससे लोग वहाँ आराम से अधलेटे होकर इस सुन्दर झील के बीच सब तरफ पानी का तथा चारों ओर फैले जंगल के प्राकृतिक सौंदर्य का आनन्द उठा सकें।
हम भी जाकर लाउंज बेंच पर लेट गए। जब बुलबुल रानी ठीक से पसर गई तो मैं उठकर उसके पास बैठ गया। तुरंत एक वेटर हाज़िर हो गया और आर्डर पूछने लगा। मैंने एक बोतल शैम्पेन का आर्डर कर दिया। मैंने बुलबुल रानी के बाँहों पर धीरे से हाथ फिराए और कहा- रानी… जब तक शैम्पेन आती है, चल हम रेलिंग पर खड़े होकर बत्तख देखते हैं। हम उठकर प्लेटफार्म के तीनों ओर झील वाली तरफ लगी रेलिंग तक चले गए और उसके साथ टिक के झील की खूबसूरती का आनन्द लेने लगे।
मैंने अपना हाथ रानी की पतली सी कमर में डाल कर उसे अपने से सटा लिया, थोड़ा सा सिर झुका कर रानी की टॉप के ऊपर से झाँका तो भीतर नंगी चूचियों की एक झलक दिखाई पड़ी। उस झलक को पाते ही मेरा तन बदन झन्ना गया। मैंने अपना हाथ कमर से हटा कर उसके मुलायम कन्धों पर फैला लिया और कुछ ही पल के बाद मैं चूचियों पर उंगलियाँ ले गया। जैसे ही हल्के से चूची सहलाई तो रानी ने कहा- नो शैतानी राजे… हाथ ज़रा से दूर ही भले… मुझे सब पता है तुम कितने बदमाश हो!
अब तक मेरे सब्र का बाँध टूट चुका था, मैंने रानी के कंधे पकड़ के उसे अपनी तरफ घुमाया, उसकी ठुड्डी पकड़ के उठाई और एक हाथ गर्दन के पीछे ले जाकर उसके मुंह से होंठ लगा दिए और एक लम्बा सा चुम्मा ले लिया, फिर मैंने भिंची भिंची सी आवाज़ में कहा- बुलबुल रानी… जब से तुझे देखा है मैं तेरा चुम्बन लेना चाह रहा था…
इतना कह के मैंने उसे कस के लिपटा लिया और उसके मस्त नशीले होंठ चूसने लगा। कुछ देर तक तो उसने कोई जवाबी गर्माहट नहीं दर्शाई, फिर अचानक से उसने मेरी कमर जकड़ कर जीभ मेरे मुंह में दे दी, उसकी एक टांग मेरी टांग से लिपट गई। यही फायदा है भारत के बाहर इश्क़ लड़ाने का, कहीं भी चूमा चाटी कर सकते हैं।
बहनचोद बुलबुल रानी की जीभ चूसने से ऐसी खुमारी छा गई जैसे लोटा भर भांग पी ली हो!
मैं भी हौले हौले से बुलबुल रानी के नर्म नर्म चूतड़ दबाने लगा, फुंकारें मारता हुआ लण्ड रानी की मुझसे लिपटी हुई जांघ में घुसा जा रहा था।
तभी वेटर आ गया और धीरे से खांस कर उसने अपने आने का संकेत दिया। मैंने उसे कहा- शैम्पेन रूम में ले जाओ, हम रूम में ही जा रहे हैं। ‘यस सर…’ कह कर वेटर रूम की ओर चल दिया और हम उसके पीछे पीछे थे।
रानी को मैंने इतना ज़ोर से चिपका रखा था कि चलने में दिक्कत हो रही थी। तभी रानी ने कांपती हुई वाणी में कहा- राजे, यह बुलबुल रानी का क्या चक्कर है… तुमने मुझे बुलबुल रानी क्यों कहा? मैं- क्योंकि तू मेरी बुलबुल है जान… कल तेरा टैटू देखकर मुझे लगा कि तू एक बुलबुल है… इसलिए आज से तू बुलबुल रानी…अच्छा है न नाम?
रानी ने चलते चलते मेरे चूतड़ों पर एक मुक्का लगाया और बोली- तुम्हारी बदमाशी की कोई सीमा भी है? मेरा अच्छा भला नाम ही बदल दिया। मैं- बुलबुल रानी बुलबुल रानी बुलबुल रानी बुलबुल रानी बुलबुल रानी !!!!!!!
बुलबुल रानी की आवाज़ अब थर्राने लगी थी- एक तो नाम चेंज कर दिया ऊपर से अब सताओगे भी… इतना तंग करोगे तो ना करुँगी तुमसे दोस्ती! उसकी काम वासना बहुत तेज़ हो चुकी थी, उसका बदन कंपकंपाने लगा था, आवाज़ भरभराने लगी थी। और क्यों ना हो, बेचारी तीन साल से चुदाई को तरसी पड़ी है। मैंने लपक के बुलबुल रानी को गोदी में उठा लिया और उसका मुंह चूसते हुए वेटर के पीछे पीछे अपनी कॉटेज की ओर चल दिया।
रानी ने बाहें मेरे गले में डाल दीं और खूब उत्साह से, चाव से, प्यार से चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी। उसके शरीर में बार बार सिहरन उठ रही थी जो मुझे गोदी में उठाये हुए अनुभव हो रही थी। बुलबुल रानी चुदास की गिरफ्त में पूरी तरह से आ चुकी थी।
रूम में पहुंचकर वेटर ने बर्फ की बकेट में रखी हुई शैम्पेन की बोतल टेबल पर रख दी और सिर झुका के इंग्लिश में बोला- आप लोग आराम कीजिये मैं बिल पर बाद में साइन ले लूंगा। वो तो यह नज़ारा रोज़ ही देखता था और समझ गया था कि अब इन दोनों पर वासना हावी है, अब इनके पास शैम्पेन लेने का वक़्त नहीं है। वेटर निकल गया और जाते हुए दरवाज़ा बंद कर गया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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