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दोस्तो आज अपने एक मित्र की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ। बड़ा विचित्र सा संयोग था, मेरा एक परम मित्र जो बचपन का मित्र था, उसकी बेटी के साथ मेरा एक तजुरबा मैं आपके सामने रखने जा रहा हूँ। कहानी काल्पनिक है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है, सिर्फ मेरे मन की इच्छा थी, जो मैंने कहानी के रूप में आपके सामने पेश की है।
बात तब की है जब मेरा तबादला जयपुर से दिल्ली हो गया। मैंने अपने किसी वाकिफ की मदद से एक पीजी में कमरा ले लिया। घर का खाना और आराम मिल गया। जिनके घर में मैं रहता था, उनके साथ भी अच्छा दोस्तना हो गया। सोनी साहब के एक बेटी थी लवली, करीब 19-20 साल की, अच्छी सुंदर, पतली दुबली, मगर ज़रूरत का सामान पूरा था उसके पास।
श्रीमती सोनी भी बहुत अच्छी थी, मेरा खयाल रखती थी, टाइम से खाना, चाय सब देती। मेरी अच्छी मित्र भी बन गई थी। अक्सर घर परिवार की बातें कर लेती थी मेरे साथ। अब मैं ठहरा अकेला आदमी। अब जिसे बीवी से दूर रहना पड़े उसके लिए तो हर औरत, सिर्फ एक सुराख लगती है जिसमें वो अपना लंड डाल सके। सो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं थी कि श्रीमती सोनी मुझसे चुदती या उनकी बेटी, मेरे लिए दोनों सिर्फ एक चूत थी, सिर्फ अपनी अन्तर्वासना को शांत करने का साधन।
यूं दुनिया के सामने मैं दोनों माँ बेटी को बहुत सम्मान देता, बहुत प्यार से भाभीजी, बेटा बेटा कह कर पुकारता, मगर अंदर मन ही मन मैं उन दोनों की ढलती और चढ़ती जवानी को भोगने के लिए मर रहा था। जब काम दिमाग में बहुत ज़्यादा चढ़ जाता तो बहुत बार मैंने उन दोनों के नाम की मुठ भी मारी थी। जब घर वापिस जाता तो बीवी को भी उन दोनों के रूप में ही चोदता।
एक दिन वैसे ही बैठे बैठे दिमाग में एक आइडिया आया। मैं केमिस्ट की दुकान पे गया और वहाँ से एक जोड़ी सर्जिकल दस्ताने ले आया। घर आकर मैंने एक चौड़े मुँह वाली प्लास्टिक की बोतल ली जिसमें हम फ्रिज में पानी भर के रखते हैं। मैंने एक दस्ताना पानी भरी बोतल में डाला और उसका कलाई वाला हिस्सा बाहर को मोड़ कर उस पर रबर चढ़ा दी। अब दस्ताना बोतल के अंदर नहीं गिर सकता था।
मैंने अपना लंड थोड़ा सा हिलाया, थोड़ा सा खड़ा हुआ तो थूक लगा कर लंड को चिकना किया और बोतल में डाला। अब चिकना होने के वजह से लंड बोतल में घुस गया और सर्जिकल दस्ताने की वजह से बहुत ही चिकनी चूत जैसे फीलिंग आई। मैंने बोतल को चोदना शुरू किया, लंड टाइट हो गया और बोतल में पूरा अंदर तक डाल कर मैंने बोतल को दो तकियों के नीचे दबा दिया और बिल्कुल किसी औरत को चोदने की तरह से चोदा। ‘अरे वाह…’ मैंने कहा- यह तो रेडीमेड चूत बन गई।
उसके बाद मैंने उस बोतल को स्खलित होने तक चोदा। जब वीर्य छूट गया तो बोतल से लंड निकाला, बाथरूम में जा कर लंड, दस्ताना और बोतल तीनों अच्छी तरह से धोकर अगली बार इस्तेमाल के लिए रख दिये। अब जब भी दिल करता मैं ऐसे ही सेक्स करता, इसमें फायदा यह कि मुठ मारने से ज़्यादा मज़ा, चुदाई की पूरी फीलिंग और किसी तरह का कोई डर भय नहीं।
अब जब मेरा पानी निकलता हो गया तो उन दोनों माँ बेटी के आगे मैं और ज्याआ शराफत से पेश आने लगा।
समय के साथ मैं जैसे उनके घर का मेम्बर ही बन गया। सोनी भाई साहब के साथ अक्सर पेग शेग भी चलता था। धीरे धीरे वो अपने घर की हर बात मुझे बताने लगे। मैंने श्रीमती सोनी से भी दोस्ती बढ़ा ली। अब हालात ये हो गए कि अगर सोनी साहब ज़्यादा टाइम लगाते तो भी मुझे पता होता और अगर सोनी साहब जल्दी आउट हो जाते तो भी मुझे पता होता। मियां बीवी दोनों एक दूसरे के रिपोर्ट मुझे दे जाते।
मगर एक खास बात जो थी, वो यह कि इतना सब कुछ के बावजूद श्रीमती सोनी ने कभी मुझे लिफ्ट नहीं दी, मतलब बेशक वो मुझसे अपने बेडरूम की बातें शेयर कर लेती, मगर कभी मुझे इस बात का फायदा उठाने का मौका नहीं दिया और मैं उनको अपने सेक्स पार्टनर के रूप में हासिल नहीं कर पाया। दोस्त थी, मगर शरीफ औरत थी, मैंने भी कभी उन्हें बेवजह छूने की हिमाकत नहीं की। हाँ, उनकी बेटी को मैं कई बार बाहों में भर लेता, प्यार से उसकी पीठ सहला देता, मगर वो सब एक बाप जैसा प्यार था, हाँ मन ही मन मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसके ब्रा के स्ट्रैप को छूकर मधुरांचित हो लेता।
ऐसे ही एक दिन दोनों मियां बीवी कहीं गए हुये थे किसी शादी में और रात को देर से आने वाले थे। लवली मुझे खाना दे गई। खाना खा कर मैं छत पे टहलने चला गया। एक बार दिल में खयाल आया कि लवली घर में अकेली है कुछ हिम्मत करके देखूँ। अगर किसी तरह से बात बन जाए यह मान जाए तो उनके दोनों के आने से पहले पहले मैं लवली को चोद लूँ। मगर यह भी बात थी कि लवली अपने बाप की उम्र के आदमी के साथ क्यों सेट होगी, उसे तो अपनी ही उम्र का कोई लड़का पसंद आएगा।
10 बजे के करीब मैंने अपने कमरे की बत्ती बंद की, बोतल रानी में दस्ताना फिट करके दो तकियों के बीचा फंसाया, और लवली का नाम ले ले कर चोद दिया, लंड से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े जो सर्जिकल दस्ताने की उँगलियों में बह गए। मैं शांत होकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मुझे नींद भी आ गई।
करीब 12 बजे मेरी आँख खुली, सोनी साहब के घर से बड़ी आवाज़ें सुनाई दे रही थी, जैसे झगड़ा हो रहा हो। मैंने अपना पाजामा पहना और उठ कर उनके कमरे में गया। मैंने देखा, लवली दीवार के पास खड़ी रो रही थी, श्रीमती सोनी नीचे फर्श पे बैठी रो रही थी और सोनी साहब एक लड़के का हाथ पकड़ के उसके चांटे लगा रहे थे।
समझते देर न लगी कि यह लड़की लवली का बॉय फ्रेंड है। जब मैं सामने आया तो सोनी साहब ने मुझे सारी बात बताई कि जब वो शादी से वापिस आए तो उस वक़्त लवली और यह लड़का दोनों आपत्तिजनक हालत में थे। मैंने सोनी साहब को समझाया और लड़के से उसके घर का पता मोबाइल नंबर वगैरह लेकर उसको जाने दिया और सोनी साहब को शांत रहने के लिए कहा। श्रीमती सोनी को उठा कर सोफ़े पे बैठाया, उसने इतने प्यार और विश्वास से मेरे कंधे पे अपना सर रखा कि मज़ा आ गया। जी तो किया के अभी इसका चेहरा ऊपर उठाऊँ और लिपस्टिक से रंगे सुर्ख होंठों को चूम लूँ। मगर…
उसके बाद मैंने गिलास में पानी डाल कर दोनों मियां बीवी को पिलाया। जब सब शांत हो गया तो लवली जो दीवार से लग कर रो रही थी, अपनी तरफ घुमाया। वो तो एकदम मुझे चिपक गई और फूट फूट कर रोई। मगर उसके नाज़ुक बदन के मुझसे चिपकने के कारण मेरे मन में शैतान ने अट्टाहस कर दी। कितने नर्म स्तन थे उसके, मेरी बगल से लगे हुये। मैंने उसकी पीठ पे हाथ फेरा, अरे वाह… कोई ब्रा कोई अंडर शर्ट नहीं पहने थी लवली। मैंने उसे थोड़ा और प्यार जताते हुये उसे अपने साथ और भींच लिया ताकि मैं उसके नर्म कुँवारे स्तनों और अच्छे से अपने बदन पे महसूस कर सकूँ।
वो भी मुझसे लिपट गई, उसका पेट और जांघें भी मुझसे सट गई। एक कुँवारी लड़की के बदन की छूअन सच में बहुत ही मधुरांचक थी। वो रो रही थी और मैं उसे चुप करने के बहाने उसकी पीठ सहला सहला कर अपनी ठरक मिटा रहा था। थोड़ा सा पुचकारने के बाद मैंने उसे अपने पास ही सोफ़े पे बैठा लिया। मैंने सोनी साहब को समझने की कोशिश की मगर उन्होने तैश में आ कर 2-4 और झांपड़ लवली के लगा दिये। मैंने उसे बचाया और भाभी जी से कहा कि भाई साहब इस वक़्त बहुत गुस्से में हैं, आप उन्हें संभालिए, लवली को मैं ले जाता हूँ। भाभी ने वैसा ही किया।
लवली को अपने साथ लिपटाए मैं उसे अपने कमरे में ले आया। कमरे में लाकर मैंने उसे बेड पर बैठाया, उसे पानी दिया और कमरे की कुंडी लगा ली। मैं मन में सोच रहा था कि काश यह लड़की मुझसे पटी होती तो इसी तरह कुंडी लगा कर मैं इसकी कसी चूत की चुदाई करता।
मैं जाकर लवली के पास बैठ गया- लवली, बेटा देखो मुझे अपना दोस्त समझो और बताओ, असल में हुआ क्या था? मैंने थोड़ी सांत्वना देने के बाद लवली से पूछा। पूछना क्या था, दरअसल मैं तो यह जानना चाहता था कि लड़की ने कुछ किया भी है, और अगर किया है तो क्या किया है।
वो अपनी रुलाई रोक के बोली- अंकल ऐसा कुछ नहीं हुआ, पापा को गलतफहमी हो गई है। मैंने कहा- मगर बेटी, ऐसा कुछ तो देखा ही होगा उन्होंने जो वो इतना गुस्सा हो गए और अपनी इतनी प्यारी बेटी पे हाथ उठाया, बोलो, क्या कर रहे थे तुम? मैंने उसको कुरेदा।
वो बोली- अंकल, वो मधुर, मेरा बॉयफ्रेंड है, उसको पता था कि आज मॉम डैड घर पे नहीं होंगे, वो ज़बरदस्ती घर में घुस आया। ‘तो?’ मैंने पूछा। ‘उसके बाद उसने मुझे प्यार करना शुरू कर दिया, मैंने भी उसका साथ दिया, बस!’ वो बोली। मगर मेरे मन को शांति नहीं मिल रही थी, मैंने फिर पूछा- देखो बेटा, अगर सच का पता नहीं चलेगा तो मैं भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा, शादी करोगी, मधुर से? उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- जी! मैंने कहा- मान लो अगर तुम्हारे बीच सब कुछ हो चुका है, और कल को मधुर शादी से इंकार कर दे तो? वो तपाक से बोली- नहीं अंकल, हमने कुछ नहीं किया। मैंने मन ही मन खुश होते हुये बोला- तो तुम बिल्कुल वैसी ही हो जैसे शादी से पहले लड़की को होना चाहिए। उसने हाँ में सर हिलाया।
मैंने उसको अपनी आगोश में लिया और माथे पर चूमा, मतलब लड़की बिल्कुल कुँवारी थी। मैं उठ कर मेडिकल बॉक्स उठा लाया और एक गोली निकाल कर उसे दी- लो यह गोली खा लो, तुम्हारी सब टेंशन दूर कर देगी। उसने बड़े विश्वास से वो गोली लेकर खा ली।
उसके बाद मैंने दो गोलियाँ और ली और सोनी साहब और उनकी पत्नी को एक एक गोली खिला दी। थोड़ी देर उनके पास बैठ कर उनको भी सांत्वना दी और बताया- बच्ची ने कोई गलत काम नहीं किया है, वो बिल्कुल ठीक ठाक है, बस इतनी गलती की कि अपने बॉयफ्रेंड के बारे में आपको नहीं बताया। दोनों को समझा बुझा कर मैं अपने कमरे में आ गया।
जब मैं अंदर आया तो गोली अपना असर दिखा चुकी थी और लवली सो गई थी। मैंने उसके ऊपर चादर ओढा दी और उसके साथ ही बेड पे लेट गया। कोई घंटा भर मैं सोचता रहा, इंतज़ार करता रहा, मेरे मन में बहुत कुछ चल रहा था, यह तो पक्का था कि मैं उस लड़की के बदन से खेल केर देखूंगा जब वो गहरी नींद में सो जाएगी। जब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हो गया के लवली गहरी नींद में चली गई है तो मैं भी उसकी ही चादर में घुस गया। मेरी तरफ उसकी पीठ थी।
मैंने अपनी कमर उसके साथ लगा दी, और अपने हाथ से उसके लोअर को टटोल कर देखा, उसने नीचे से कोई पेंटी भी नहीं पहन रखी थी।मैंने उसे हिला डुला कर जगाने की कोशिश की मगर नींद के नशे में वो बेसुध पड़ी थी। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर डाला और ऊपर ले जा कर उसका स्तन पकड़ा, ‘अरे वाह…’ क्या मुलायम स्तन थे, एकदम सॉफ्ट, रुई का गोला, मेरी हथेली में पूरा समा गया।
मैंने धीरे धीरे से उसको दबाया और यह भी देखता रहा के कहीं वो जाग तो नहीं रही। उसके बाद उसका दूसरा स्तन भी दबा कर देखा। अपने को मैंने उसकी कमर से बिल्कुल सटा लिया और अपना लंड उसकी चूतड़ों की दरार में सेट किया। कुँवारी बुर की खुशबू पा कर लंड महाशय भी अकड़ गए।
मैंने धीरे से उसके लोअर को नीचे खिसकाया और जांघों तक उतार दिया, और अपना पाजामा भी उतार कर लंड को उसकी दोनों जांघों के बीच में रख दिया। इस तरह से मेरा लंड उसकी कुँवारी चूत के साथ घिस रहा था, मैंने अपनी कमर आगे पीछे चालानी शुरू की, सच में मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था मगर मुझे तो और मज़ा चाहिए था।
मैंने चादर उतार दी, लवली को सीधा करके लेटाया और उसका लोअर पूरा ही उतार दिया और अपने भी सारे कपड़े उतार कर मैं भी पूरा नंगा हो गया। लंड मेरा लोहे का हुआ पड़ा था। मैंने लवली की टी शर्ट ऊपर उठा कर उसके दोनों बूब्स बाहर निकाले, नाइट लेंप की धीमी रोशनी में मुझे उसके बूब्स चूसने और सहलाने, दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं अपना लंड उसकी चूत पे घिसा रहा था।
मैं उठा और मैंने उठ कर बड़ी बत्ती जला ली क्योंकि यह नज़ारा मैं दुबारा ज़िंदगी में नहीं देखने वाला था, मैंने लवली की टी शर्ट भी पूरी तरह से उतार दी और उसके ऊपर लेट कर उसे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने उसके होंठ गाल, माथा, गला, कंधे सब जगह चूमा और चाटा, अपना लंड उसके मुँह पे होंठों पे घिसाया, उसके बूब्स चूसे, उसकी टाँगें चौड़ी करके उसकी कुँवारी चूत भी चाटी, नीचे गांड के छेद से लेकर ऊपर तक उसके बदन के हर एक हिस्से पर मैंने अपनी जीभ फेर चुका था।
मगर मैं तो चुदाई चाहता था। अब लवली तो कुँवारी थी, उसे मैं कैसे चोद सकता था। मेरे मन में एक और ख्याल आया। मैं उठा कर बाहर आया और सोनी साहब के कमरे की ओर गया, मैंने दरवाजा धकेला, ‘अरे…’ यह तो खुला था, मेरी तो किस्मत चमक उठी, मैं कमरे के अंदर गया, बेडरूम में दोनों मियां बीवी खर्राटे मार रहे थे।
मैंने कमरे की बत्ती जलाई, सोनी भाभी सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में सो रही थी। लाल लो कट ब्लाउज़ में उनकी आधी से ज़्यादा छातियाँ बाहर आ रही थी। मैंने उनका पेटीकोट ऊपर उठाया, नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उनको सेट किया, उनके ऊपर लेट गया और उनको अपनी बाहों में भर लिया। “जानती हो शशि?” मैंने कहा- तुम्हारी बेटी बिल्कुल नंगी मेरे बिस्तर पे पड़ी है, मैं उसे चोदना चाहता हूँ, मगर अभी वो कुँवारी है और सिर्फ 20 साल की है, इसलिए मैंने सोचा क्यों उसकी माँ चोद दूँ, तो तुम्हारे पास आया हूँ, अब तुम इंकार मत करना और मुझसे चुदवा लेना प्लीज़!कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया और अंदर डाल दिया।
थोड़ी सी मशक्कत के बाद मेरा पूरा लंड भाभीजी की चूत में चला गया। सच में बड़ा आनंद आया, जिस औरत को मैं कितने महीनों से देख रहा था और उसे चोदने के सपने बुन रहा था आज वो मेरा लंड लेकर लेटी पड़ी थी।
मैंने धीरे धीरे से उसकी चुदाई शुरू की और आराम से लगा रहा। मुझे कोई जल्दी नहीं थी, मुझे कोई अपनी मर्दानगी या जोश नहीं दिखाना था। मुझे नहीं पता घंटा या उससे भी ज़्यादा देर मैं शशि को धीमे धीमे चोदता रहा। बीच बीच में उसने करवट बदली तो मैंने दो तीन पोज़ भी बदले।
जब मुझे लगा कि बहुत हो गया अब मुझे अपना वीर्य झाड़ देना चाहिए तो मैंने सोचा के वीर्य किस पर न्योछावर करूँ, माँ पर या बेटी पर। फिर सोचा यह तो बेटी के लिए ही है! मैं वापिस अपने कमरे में आ गया।
लवली वैसे ही लेटी पड़ी थी, मैं उसके ऊपर आ बैठा और लंड हाथ में पकड़ के मुठ मारने लगा। थोड़ी ही देर में मेरे लंड से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े, वीर्य की पिचकारियाँ लवली के पेट, सीना, स्तन और मुँह तक जा पहुंची। मैंने अपनेहाथों से अपना सारा वीर्य उसके बदन पे ही मल दिया। बहुत सा उसकी कुँवारी चूत और जांघों पे भी मल दिया।
वीर्यपात होने के बाद मैं शांत हो गया, मैंने खुद अपने हाथों से लवली को वापिस कपड़े पहनाए, खुद भी पहने और सो गया।
सुबह हुई, मेरे उठने से पहले लवली जा चुकी थी, भाभी जी आई और मुझे चाय दे गई। मैं भी नहा धोकर दफ्तर चला गया।
शाम को मैंने सोनी साहब को बताया के अच्छा हो अगर हम लवली बेटी के लिए कोई अच्छा सा लड़का देख कर उसके हाथ पीले कर दें। सोनी साहब ने मेरी हाँ में हाँ मिलाई। मुझे शक था कि हो सकता है, भाभीजी को या लवली को मेरी हरकत का पता चल जाए, मगर उन दोनों के व्यवहार से ऐसा कुछ नहीं लगा। आज 8 महीने हो गए उस बात को, मैं आज भी उस घर के एक सदस्य की तरह रेहता हूँ, दोनों माँ बेटी के नाम पर बोतल को चोदता हूँ और याद करता हूँ उस हसीन वक़्त को जब एक ही रात में मैं माँ बेटी दोनों के जिस्म से खेला था। [email protected]
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