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नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम आदित्य है। मैं कानपुर का रहने वाला हूँ। मैं एक बहुत ही सुंदर लड़का हूँ.. इतना सुंदर कि अगर किसी लड़की को ‘आई लव यू’ बोलूँ.. तो मना नहीं करेगी.. और मेरी बॉडी भी एकदम फन्ने खां मतलब सही सलामत है। यह मेरी पहली कहानी है.. यदि मुझसे कोई ग़लती हो जाए तो माफ़ कीजिएगा।
बात उस समय की है.. जब मैं ग्रेजुयेशन कर रहा था। मेरा कालेज आना-जाना बस से होता था। उसी समय मेरी मुलाकात एक बहुत ही सुंदर लड़की से हुई.. बिल्कुल सीधी.. किसी से कुछ बात ना करना.. बस काम से काम और कुछ नहीं.. मैं उसे रोज देखता था, मैं उसके बारे में सोचने लगा था.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था.. मैं उससे बात करना चाहता था.. पर डर लगता था कि कहीं उसे बुरा ना लगे और मना ना कर दे।
ऐसे ही दिन गुजरते गए.. वो मुझे देखती.. मैं उसे.. पर बात कोई किसी से नहीं करता.. मैंने अपने बारे में आप सभी कुछ भी बताया ही नहीं..
फिर एक दिन बात है, मैं कालेज से लौट कर आ रहा था.. तभी वो नज़र आ गई.. उस दिन मैंने बियर पी रखी थी.. हल्का सुरूर था.. आज मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने मन बना लिया कि आज तो कुछ शुरुआत करके ही रहूँगा।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया.. उसी समय मैंने अपने दोस्त को फोन लगाया कि मैं आ रहा हूँ और पूरी बात बता दी उसने भी कहा ठीक है। मैंने बस में उसका दुपट्टा पकड़ लिया था.. उसने कुछ नहीं कहा.. जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी।
कुछ देर में ही स्टाप आ गया और हम दोनों बस से उतर गए.. वहीं मेरा दोस्त भी आ गया था। तब तक और मैंने उसे एक पेपर में अपना नंबर लिखा और दोस्त से बोला- ये कागज़ उसे दे दो। उसने दे दिया.. फिर क्या था इतना काम तो बन गया था.. अब मैं उसके फोन का इंतजार कर रहा था।
शाम हो चुकी थी.. मैं उसी के बारे में सोच रहा था कि मेरा फोन बजा। मैंने देखा कोई नया नंबर था.. मैंने फोन उठाया.. उधर से कोई लड़की बोल रही थी। मैंने पूछा- हैलो.. कौन? तो उसने कहा- जिसको आपने नंबर दिया था।
मेरी तो किस्मत खुल गई जैसे.. और तभी उसने मीठी सी आवाज में कहा- मेरा नाम स्नेहा है.. मैं भी आपसे बात करना चाहती थी..
बस गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगी और हम दोनों की रोजाना बात होने लगी। अब रोज बातें करते.. मिलते-जुलते.. किस तक किया.. पर उसके आगे कुछ नहीं हो पा रहा था।
फिर एक दिन मैंने उससे कहा- मेरे घर पर आज कोई नहीं है.. क्या तुम आ सकती हो? तो उसने हामी भर दी.. मैं बहुत खुश था।
आख़िर वो पल आ ही गया.. जिसका मुझे इंतज़ार था.. वो आ गई। मैंने उसे बैठाया और कॉफ़ी के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और हम लोग टीवी देखने लगे.. तो उसने कहा- टीवी देखने के लिए बुलाया है क्या? तो मैंने कहा- नहीं नहीं.. चलो कमरे में चलते हैं। वो मेरे साथ कमरे में आ गई और बिस्तर पर बैठ गई।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.. उसने कुछ नहीं कहा और मैं उसे किस करने लगा। किस करते-करते उसने मुझे धक्का दिया और बोली- बस.. अब मुझे जाना है। मैंने उसका हाथ पकड़ कर बोला- प्लीज़ एक बार करने दो ना..
वो मना किए जा रही थी.. लेकिन मैंने उसे कसम दे दी.. तब जाकर कहीं मानी और मुझसे लिपट कर रोने लगी। वो बोली- मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.. मैंने भी उससे कहा- मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। तो बोली- मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे? मैंने कहा- कभी नहीं..
अब वो चुपचाप बैठी थी.. मैंने उसके दूध दबाने चालू कर दिए थे.. वो मुझसे लिपट गई थी। मैंने देर ना करते हुए उसे पागलों की तरह चूमने लगा.. मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए, कुछ ही पलों में वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी.. क्या मस्त लग रही थी.. बिल्कुल सन्नी लियोनी की तरह..
मैंने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए.. सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया था.. मैंने उसकी ब्रा उतार फेंकी.. वो शर्मा रही थी और हाथों से अपने मम्मों को छिपा रही थी। मैंने उसके हाथ हटाए और उसके निप्पलों को चूसने लगा। वो मचल उठी… अपने हाथों से मेरा सर पकड़े हुए थी.. और मैं एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ रहा था।
वो बेहद गर्म हो चुकी थी.. उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी, उसने कहा- जल्दी कुछ करो.. मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी.. उसकी चूत से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी। मैं मदहोश हुए जा रहा था।
फिर मैंने देर ना करते हुए अपना अंडरवियर उताऱा और अपना लण्ड उसके हाथ में दे दिया। उसने डरते हुए कहा- इतना बड़ा.. मुझे बहुत दर्द होगा.. धीरे से करना.. मैंने कहा- चिंता मत करो डार्लिंग.. आराम से करूँगा.. दर्द बिल्कुल नहीं होगा।
वो मेरा लण्ड हिलाने लगी.. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था और उसे भी चुदास चढ़ रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर चित्त लिटाया और उसकी चूत में अपना लण्ड डालने लगा.. पर पहली बार में तो गया ही नहीं.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर उसने मेरा लण्ड पकड़ कर चूत के छेद में लगाया और बोली- हूँ.. अब डालो.. मैंने ज़ोर लगाया तो कुछ लौड़े के आगे का हिस्सा अन्दर घुस गया और वो आवाजें निकालने लगी। ‘ओह.. सी.. सी..’
मैंने और ज़ोर लगाया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुसता चला गया और उसके आँखों में आँसू आ गए थे। मैंने पूछा- क्या बहुत दर्द हो रहा है? तो उसने कहा- नहीं.. करते रहो..
मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा.. थोड़ी देर बाद वो भी नीचे से मेरा साथ देने लगी। क्या बताऊँ दोस्तों.. इतना मज़ा आ रहा था कि बस समझो कि चुदाई क्या होती है.. पूरी तरह से समझ में आ गया था। फिर मैंने अपने झटके तेज किए और वो बोलने लगी- जल्दी-जल्दी करो..
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और करीब पँद्रह मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही सारा माल गिरा कर उसके ऊपर लेट गया। मैंने उससे पूछा- मज़ा आया? तो उसने कुछ नहीं कहा और मुझसे लिपट गई।
उसके बाद मैंने उसके साथ एक बार उसी दिन फिर से चुदाई की और फिर वो अपने घर चली गई। बाद में मैंने उसके साथ कई बार सेक्स किया.. उसमें मुझे किस तरह से मजा मिला.. वो अगली कहानी में पेश करूँगा।
दोस्तो.. आपको मेरी कहानी कैसी लगी? ज़रूर बताइएगा.. मुझे आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा.. धन्यवाद। [email protected]
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