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अब तक आपने पढ़ा.. अगर तुम्हारे मन में मेरे लिए थोड़ी सी भी फीलिंग हो.. तो रात को मेरा दिया हुआ ड्रेस पहन कर आना.. अगर तुम वो ड्रेस पहन कर आओगी.. तो मैं ‘हाँ’ समझूँगा.. नहीं तो मैं फिर तुमको कभी भी परेशान नहीं करूँगा। इतना बोल कर मैं वापस लौट आया और मन में सोचा कि लगता है अब इस तरह एमोशनल ब्लैकमेल करके काम बन जाएगा. रात का खाना बन गया था.. सब खा रहे थे.. तभी। अब आगे..
मैं- मैं कहाँ सोऊँगा? सोनिया- सूर्या के साथ..
सूर्या- नहीं मैं बिस्तर शेयर नहीं करने वाला हूँ.. एक काम कर तू पापा के कमरे में सो जा.. वैसे भी तू रात को उसका फॉर्म भरने उठेगा। मुझे अपनी नींद नहीं खराब करनी है। पापा का कमरे दीदी के कमरे के पास ही है.. वो तुमको आसानी से उठा देगी।
मैं- ओके.. ठीक है वहीं सो जाऊँगा। सूर्या- ओके भाई.. गुड नाइट मैं चला सोने.. मुझे बहुत ज़ोर से नींद आ रही है। फिर मेरे कान में सट कर बोला- बेटा आज मत चूकना.. मैं तेरी बहन का अब और इंतज़ार नहीं कर सकता। मैं- टेन्शन मत ले.. कल तू चल जाना मेरे घर.. सूर्या- ओके थैंक्स!
अब हम लोग अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए। नींद तो मुझे आ नहीं रही थी.. लेकिन लेटा था इस इंतज़ार में.. कि जवाब ‘हाँ’ आए.. पता नहीं कब आँख लग गई.. तभी मेरे कान में प्यारी सी आवाज़ गूँजी। तब जाकर मेरी आँख खुली तो देखा सोनिया थी।
तभी मैंने सबसे पहले उसकी ड्रेस को देखा तो मेरी नींद टूट गई.. और सपना भी क्योंकि उसने गाउन पहन रखा था। सोनिया- एक बज गए हैं.. चलो फॉर्म भर दो। मैं भन्नाता हुआ बोला- ओके.. मैं फ्रेश हो कर आता हूँ। सोनिया- मेरे कमरे में आ जाना। मैं- ठीक है।
मैंने उसका फॉर्म भर दिया.. जब पूरा फॉर्म भर गया तो। मैं- लो हो गया.. सोनिया- ओके थैंक्स.. मैं- ओके.. अब गुड नाइट.. मैं सोने जा रहा हूँ.. बहुत ज़ोर से नींद आ रही है।
सोनिया- रूको.. लाइट ऑफ करो और अपनी आँखें भी.. जब मैं बोलूँगी.. तो जलाना। मैं- क्यों क्या बात है? सोनिया- करो तो सही.. मैं- ओके कर दिया.. सोनिया- आँखें भी बंद हैं ना? मैं- हाँ..
कुछ पलों बाद.. सोनिया- अब लाइट जलाओ और आँखें भी खोलो। मैंने आँख खोलीं.. तो मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गईं.. उसने वही ड्रेस पहन रखा था.. जो आज मैंने उसको दिया था।
मेरी तो नींद उड़ गई और दौड़ते हुए मैं उसके पास गया और उसके गले लगते हुए बोला। मैं- थैंक्स आई लव यू.. मेरी जान..
सोनाली- आई लव यू टू.. मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूँ.. लेकिन भाई के दोस्त हो.. इसलिए डर रही थी… लेकिन अब नहीं.. अब जो होगा सो देखा जाएगा। मैं- तो आ जाओ अपने प्यार की पहली रात मनाते हैं..
थोड़ी नानुकर के बाद मान गई लेकिन बोली- सिर्फ़ ऊपर से ही.. मैं बोला- ठीक है.. उसने खुद ही अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और मैं उसके होंठ चूसने लगा।
थोड़ी देर होंठ चूसने के बाद मैं सीधा चूचियों पर टूट पड़ा.. तब तो वो ब्लाउज में बंद थे.. जिसे मैं देख भी नहीं पाया था। लेकिन अभी तो इस ड्रेस में आधी चूचियों बाहर ही थीं। सो मैं उसी निकले हुए भाग को चूसने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने ड्रेस को थोड़ा नीचे खींचा और ऊपर से एक चूची को पकड़ कर उसको बाहर निकाल लिया।
क्या मस्त गुलाबी निप्पल थे। मैं उसको चूसने लगा और अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था.. सो मैंने हाथ पीछे ले जाकर ड्रेस की स्ट्रिप खोल दी और ड्रेस को नीचे खींच दिया.. जिससे उसकी दोनों चूचियाँ बाहर आ गईं।
वैसे तो वो गोरी बहुत थी.. लेकिन उसकी चूचियों का रंग उससे भी अधिक गोरा था। उस पर गुलाबी निप्पल का तो कोई जवाब ही नहीं था।
मैं उन पर टूट पड़ा और एक हाथ से एक चूचियों दबा रहा था और मुँह से दूसरी चूची को पी रहा था। मेरा दूसरा हाथ पीछे से उसकी गाण्ड को सहला रहा था।
तभी उसका हाथ मेरे पैंट के ऊपर घूमने लगा.. शायद वो लंड ढूँढ रही थी.. जो कि पहले से ही तना हुआ फुंफकार मार रहा था।
उसको जींस के ऊपर से ही सहलाने लगी। जब उससे मन नहीं भरा तो उसने मेरी चड्डी की इलास्टिक को अन्दर हाथ डाल के नीचे कर दी और फनफनाता हुआ लंड बाहर आ गया।
वैसे तो लंड बहुत गर्म था और जब उस पर थोड़ी ठंडी हवा लगी तो अच्छा महसूस होने लगा।
जब उसने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को छुआ तो मैं सिहर गया और जब वो सहलाने लगी तो मानो मैं जन्नत में पहुँच गया। कुछ ऐसा जादू था उसके हाथों में।
ऊपर मैं उसकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा और चूसने लगा.. तो वो भी मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगी। सो मैं भी चूतड़ों को छोड़ कर अपना एक हाथ उसकी चूत के पास ले आया और ऊपर से सहलाने लगा।
कपड़ों के ऊपर से ही लेकिन कपड़ों के ऊपर में चूत को सहलाने का क्या मजा..? सो मैंने उसके कपड़ों में हाथ डाल दिया और मेरी उंगली उसकी चूत के पास पहुँच गई। उसकी चूत तो मानो तप रही थी.. जैसे कोयले की भट्टी हो।
सो मैं उसके कपड़े उतारने लगा.. तो वो भी कपड़े उतारने में साथ देने लगी और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी। जब उसके बदन पर ठंडी-ठंडी हवा लगी तो उसके रोंए खड़े हो गए।
सोनिया- मैं नंगी खड़ी हूँ.. और तुम कपड़ों में अच्छे नहीं लग रहे हो। मैं- तुम ही आकर उतार दो। सोनिया- खुद से उतार लो। मैं- नहीं खुद से तो नहीं उतारना है मुझे.. तुम उतारोगी तो बोलो.. सोनिया- ओके.. मैं ही उतार देती हूँ.. वैसे भी तुमसे बड़ी हूँ।
वो मेरे कपड़े उतारने लगी तो मैं खुद सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया और बोला- लो मैं भी तुम्हारे जैसा हो गया।
सोनिया- वाउ… तुमने तो अच्छी बॉडी बना रखी है। मैं- हाँ जिम जाता हूँ वैसे तुम्हारी बॉडी भी बहुत सेक्सी है और कोई इतना गोरा कैसे हो सकता है यार.. सोनिया- ओहो.. थैंक्स..
मैं- आओ अब इसको मुँह में ले लो.. ये अन्दर जाने के लिए बहुत देर से तड़फ रहा है। सोनिया- छी: नहीं.. मैं नहीं लूँगी.. मैं- लेकर तो देखो.. मजा आ जाएगा।
सोनाली- ठीक है.. कोशिश करती हूँ। वो नीचे बैठ गई और लंड पर किस किया फिर लंड के आगे वाले भाग पर जीभ घुमाने लगी। मुझे मजा आने लगा तो मैं बोला- अब अन्दर लो ना इसको.. तो उसने मुँह खोला और मैंने लंड अन्दर डाल दिया.. उसके मुँह में पूरा लंड नहीं आ पा रहा था.. सो वो उतने ही भाग को ही चूसने लगी।
मैं उसके सिर को पकड़ कर लंड अन्दर-बाहर कर रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसको बिस्तर पर लिटा दिया और हम 69 की अवस्था में आ गए।
अब मैं उसकी चूत को और वो मेरे लंड को चूस रही थी। उसकी गुलाबी सी चूत को जब मैं जीभ से चाट रहा था तो कितना मजा आ रहा था कि बता नहीं सकता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। कुछ देर बाद मेरा लंड भी छूट गया और सारा पानी उसके चेहरे पर लग गया। अब हम दोनों अलग हुए।
मैं- कैसा लगा? सोनिया- बहुत मजा आया.. मैं- बड़ी कमाल की है तुम्हारी चूत यार.. मुझे भी चूस कर मजा आ गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सोनिया ने मेरे लंड पर हाथ मारते हुए- ये अभी तक खड़ा है। मैं- हाँ तुम्हारे अन्दर जाना चाहता है। सोनिया- अब कहाँ? मैंने उसकी चूत पर उंगली फिरा दी… बोला- यहाँ..
सोनिया- नहीं यार.. नहीं जाएगा.. बहुत बड़ा है… बहुत दर्द होगा। मैं- नहीं होगा ना.. मैं आराम से डालूंगा सोनिया- नहीं.. मेरी चूत फट जाएगी.. किसी और दिन। मैं- कुछ नहीं होगा.. वैसे भी काल करे सो आज कर.. सो अभी ही करते हैं। सोनिया- नहीं यार.. मुझे डर लग रहा है.. बहुत दर्द होगा.. मैं- कुछ भी नहीं होगा.. जब ज्यादा दर्द होगा.. तो मत करना..
सोनिया- ओके ठीक है.. लेकिन कन्डोम है? बिना कन्डोम के मैं नहीं करूँगी। मैं- हाँ है ना.. मेरी गाड़ी में है.. सोनिया- गाड़ी में क्यों रखते हो। मैं- वैसे ही.. पता नहीं कब कहाँ ज़रूरत आ जाए.. जैसे आज ज़रूरत पड़ गई.. रूको मैं लेकर आता हूँ। सोनिया- ओके जाओ लेकर आओ।
मैं उसी की ओढ़नी लपेट कर कन्डोम लाने चला गया.. बाइक की डिक्की से तो कन्डोम निकाल लिया और आते समय मैंने सोचा देखूँ कि सूर्या क्या कर रहा है?
दोस्तो.. मेरी ये कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा। यदि आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा हो.. तो मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा। कहानी जारी है।
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