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हैलो फ्रेंड्स.. कैसे हो आप लोग? मेरा नाम दीपक है.. मैं दिल्ली से हूँ। बात उन दिनों की है.. जब मैं बी.कॉम. कर रहा था। मेरे फाइनल इयर के एग्जाम चल रहे थे.. मैं उन दिनों एग्जाम के वक़्त अपने दोस्त अंशुल के घर पढ़ाई करने जाया करता था।
अंशुल के घर में उसके मम्मी-पापा और उसकी बहन नीलू रहती थी। अंशुल का घर 2 मंज़िल का था.. तो मैं और अंशुल हमेशा दूसरे मंज़िल पर ही पढ़ाई करते थे। नीलू.. अंशुल से उम्र में छोटी थी। उसकी उमर 18 साल की थी।
मेरी नज़र नीलू से अक्सर मिल जाती थी.. पर हमेशा वो शर्मा कर चली जाती थी। उसका फिगर ठीक-ठाक था.. वो दिखने में मुझे बहुत अच्छी लगती थी क्योंकि वो बहुत गोरी थी और हाइट भी अच्छी ख़ासी थी.. करीब 5’4″.. मुझे तो नीलू कब से पसंद थी.. लेकिन वो मेरे दोस्त की बहन थी तो कुछ कर नहीं सका।
एक बार मैं दिन में कंप्यूटर के काम से अंशुल के घर गया था। अचानक अंशुल को उसकी गर्ल-फ्रेंड का कॉल आया कि वो अकेली है.. अभी घर आ जा.. तो अंशुल ने मुझसे कहा- मुझे जाना पड़ेगा.. तू इस कंप्यूटर में अपना पूरा काम कर ले.. फिर चले जाना। अंशुल ने नीचे जाकर अपनी बहन को कुछ बहाना बता दिया और चला गया।
मैं ऊपर की मंज़िल पर कंप्यूटर पर अपना काम कर रहा था.. तभी नीलू ऊपर मेरे लिए एक गिलास में कोल्ड-ड्रिंक ले कर आई। मैं उसे देखता ही रह गया.. उस वक्त वो पिंक टी-शर्ट और ब्लू कैपरी पहने हुई थी। मैंने कहा- ये सब क्यों.. मैं मेहमान थोड़ी हूँ.. इसकी क्या ज़रूरत थी? नीलू- अरे बस वैसे ही.. मैं नीचे अकेली थी.. तो सोचा कि ऊपर आ जाऊँ तुम्हारे पास.. और आपके साथ कंप्यूटर सीखूँ। मैं- ओके.. मम्मी-पापा कहाँ हैं? नीलू- वो तो आज सुबह से नहीं हैं.. शहर से बाहर गए हैं.. एक रिश्तेदार के घर.. मैं- ऊहह.. ऐसी बात है..
नीलू- हाँ.. क्यूँ.. अंशुल ने बताया नहीं कि अब मैं घर पर अकेली हूँ। मैं- नहीं.. वो जल्दी में था.. तो भूल गया होगा। नीलू- वैसे वो जल्दी में क्यों था? मुझे सच बताओ प्लीज़। मैं- अरे बस वैसे ही.. नीलू- नहीं.. मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा.. बताओ ना?
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.. और प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ करने लगी। मैं- ठीक है.. बताता हूँ। लेकिन प्रॉमिस करो.. किसी से नहीं बोलेगी तू.. कि मैंने तुझे ये बात कही है। नीलू ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा- हाँ बाबा.. प्रॉमिस..
मैं- ओके.. राज की गर्लफ्रेंड है.. वो उसके घर उसे मिलने गया है.. क्योंकि इस वक़्त उसके घर कोई नहीं है। नीलू ने धीरे से उदास होते हुए कहा- मैं भी अकेली हूँ घर पर। मैं मज़ाक करते हुए- ओह्ह.. डियर.. तो तुम भी अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड को घर पर बुला लो..
नीलू उदास हो गई और बोली- मेरा ब्वॉय-फ्रेण्ड नहीं है। मैं- क्यों.. कोई पसंद नहीं? नीलू- पसंद है.. लेकिन पासिबल नहीं था.. इसलिए मैंने उसे कभी बोला ही नहीं। मैं- वैसे कौन था वो लकी ब्वॉय..? नीलू- मुझे बोलने में शरम आ रही है। मैं- ओके… तो लिख कर ही बता दो। नीलू- ओके.. अपनी आँखें बंद कर लो.. अपना हाथ दो.. उस पर नाम लिख देती हूँ।
मैंने अपना हाथ दे दिया.. उसने नाम लिख दिया। मैंने पूछा- ओके.. अब आँखें खोलूँ? नीलू- हाँ ज़रूर डियर..
अब मैं बहुत चौंक गया था.. आखें खोलीं तो मेरा ही नाम लिखा हुआ था। मैंने नीलू की तरफ देखते हुए पूछा। मैं- सच में? नीलू- हाँ.. आई लव यू दीपक.. जब से तुम्हें देखा तब से.. मैं- ओह्ह नीलू… आई लव यू टू.. मैंने अब नीलू का हाथ पकड़ लिया और कहा- पहले बता देना था ना..
फिर मैंने उसको एक हग किया.. हग करके उसका हाथ छोड़ दिया। तो वो बोली- बस.. इतना छोटा हग? मैंने कहा- डर लगता है.. कोई आ जाएगा। तो वो बोली- ओके.. दरवाजा बंद कर देती हूँ। फिर उसने उठकर दरवाजा बंद कर दिया।
अब हम दोनों ने बहुत लंबा हग किया.. एकदम कस कर.. बहुत ही टाइट हग..। उसकी चूचियां मुझसे टच हो रही थीं। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। नीलू- दीपक.. एक बात कहूँ.. मैं- हाँ बोलो ना जानू.. नीलू- मैं कितने दिनों से सोच रही थी कि कब तुम्हें बताना है और कब किस करनी है। मैं ये सुन कर दंग रह गया.. मैंने सीधा ही उसको किस कर लिया..
वाउ क्या होंठ थे नीलू के.. बहुत मज़ा आ रहा था..करीब दस मिनट तक मैंने उसके होंठों को किस किया.. लेकिन तभी मेरे मोबाइल में अंशुल का फ़ोन आया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अंशुल- सुन दीपक.. मैं यहाँ से देर से आऊँगा.. तो प्लीज़ तू मेरे घर ओर थोड़ी देर और रुक जाना.. क्योंकि नीलू घर पर अकेली है.. तो उसका जरा ख़याल रखना। मैंने सोचा कि आज तो जॅकपॉट मिला, मैंने कहा- ठीक है अंशुल.. नो प्राब्लम.. तू आराम से आना.. मैं यहीं पर हूँ।
नीलू यह बात सुन कर खुशी के मारे कूदने लगी, उसको खुश होते देख कर मेरे मन में दूसरा लड्डू फूटा, मैंने सोचा कि आज तो नीलू को चोद कर ही रहूँगा। मैं- नीलू.. आज तुझे मैं बहुत प्यार करूँगा। नीलू- हाँ दीपक.. मुझे आज इतना प्यार दो कि मैं तुम्हें कभी ना भूल पाऊँ.. मैं- पक्का मेरी स्वीटहार्ट.. नीलू- तुम बहुत अच्छे हो… आई लव यू सो मच.. वो मुझे फिर से किस करने लगी।
फिर हम दोनों बेडरूम में चले गए.. बेडरूम में जाते ही मैंने उसको मेरी बाँहों में कस कर जकड़ लिया। अब मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से अपने सीने से चिपका कर चूम रहा था, मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.. फिर मैंने अपना हाथ उसके चूचों पर रखा… आह.. क्या सॉफ्ट सॉफ्ट मम्मे थे उसके..
अब मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था। नीलू अब उत्तेजित हो रही थी और मैं भी अपने लण्ड की खौफनाक अंगड़ाइयाँ महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर चूचियों दबाने के बाद मैंने नीलू की टी-शर्ट और कैपरी निकाल दी, अब वो सिर्फ़ गुलाबी ब्रा और लाल पैन्टी में थी। क्या मस्त लग रही थी.. मैं सोच रहा था कि आज तो मैं इसे चोद कर जन्नत की सैर करूँगा।
नीलू- मुझे शरम आ रही है.. मैं- शर्मा मत जान.. देख में भी कपड़े निकाल देता हूँ.. ओके!
फिर मैं भी सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया। नीलू की चूचियों को अब मैं किस करने लगा। फिर एक चूचे पर चुम्बन करते करते में उसके निप्पलों को चूसने लगा।
नीलू- आआहह आआआहह दीपक.. चूसो मुझे.. ये सब तुम्हारा ही है.. पी लो मेरा दूध.. आह्ह.. अब मैं उसकी ब्रा निकाल कर उसके दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगा। आआअहह क्या मस्त अनुभव था.. बहुत मज़ा आ रहा था।
नीलू- ऊओह दीपक.. मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है। मैं- हाँ नीलू.. लेकिन मज़ा आ रहा है ना?
नीलू- हाँ.. सच मे बहुत मज़ा आ रहा हैं दीपक.. तुम बहुत सेक्सी हो.. मुझे कब तक तड़फाओगे? ऊऊहह आआआअहह जान.. प्लीज़ मुझे चोद दो अब.. मैं- हाँ.. मेरी जान.. आज मैं तेरी जम कर चुदाई करूँगा.. मैं भी कब से तेरी चुदाई करने को तड़फ़ रहा था..
निप्पलों को चूसते-चूसते मैं अपना एक हाथ उसकी पैन्टी में डालकर उसकी चूत को मसलने लगा.. उसकी साँसें तेज हो रही थीं। नीलू- दीपक.. क्या कर रहे हो.. प्लीज़ जल्दी करो ना.. मुझसे अब रहा नहीं जाता.. आआहह दीपक… आआआहह…
अब मैं एक उंगली उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। वो ज़ोर-ज़ोर से ‘आअहह.. आआहह..’ कर रही थी। मुझे भी उसकी चूत में उंगली डाल कर मज़ा आ रहा था।
अब उसने मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया.. और बोली- ओऊऊहह.. दीपक ये क्या है..? मैं- तेरा ही है मेरी जान.. ले ले इसको.. नीलू- इतना बड़ा..?? कैसे जाएगा अन्दर..? मैं- पूरे 7 इंच का है जान.. फिर भी आराम से तेरी चूत में चला जाएगा..
अब मैंने उसको बिस्तर कर लिटा दिया और लंड निकाल कर उसकी चूत पर रखा। नीलू- प्लीज़ धीरे से डालना.. मैं- हाँ जान.. एकदम धीरे से डालूँगा।
फिर मैंने धीरे से लंड को धक्का दिया लेकिन अन्दर नहीं गया.. क्योंकि नीलू अभी तक वर्जिन थी। मैंने ज़ोर से धक्का दिया.. तो थोड़ा सा अन्दर चला गया। वो ज़ोर से चिल्लाई- ऊऊओह.. मार डालोगे क्या मुझे.. ऊऊऊहह दीपक.. बहुत दर्द हो रहा हैं.. आआ… आआहह ऊऊहह.. और उसकी चूत से थोड़ा सा खून निकला।
अब मैंने पूरे ज़ोर से धक्का दिया, पूरा लंड उसकी एकदम कसी गुलाबी चूत के अन्दर चला गया। अब मैं उसको लंड को अन्दर-बाहर करके चोदने लगा, सच में बहुत बहुत मज़ा आ रहा था।
नीलू- आआहह.. ऊऊओ दीपक.. प्लीज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे.. आआआहह.. ऊओ.. मैं- आआहह.. हाँ ले मेरी जान.. मैं तुझे रोज चोदूँगा.. ऊऊहह.. नीलू- हाँ दीपक.. रोज चोदना मुझे.. आआहह.. और पूरी ज़िंदगी मुझे चोदना.. ऊऊओह.. मैं- आआहह ओके..
बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद अब मेरा पानी निकलने वाला था.. मैंने नीलू की चूत में ही पानी छोड़ दिया। वो बोली- आआअहह.. दीपक.. बहुत मज़ा आया।
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उससे कहा- ये लंड अपने मुँह में ले.. और इसको चूस.. वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.. लंड धीरे-धीरे फिर से टाइट ही रहा था। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
दस मिनट बाद फिर मेरे लंड से थोड़ा सा पानी निकला, नीलू ने मेरा सारा पानी पी लिया। नीलू- वाउ.. लंड का पानी बहुत टेस्टी है.. प्लीज़ मुझे रोज पिलाना.. मैं- हाँ ज़रूर..
फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए.. बाहर हॉल में कंप्यूटर के सामने बैठ गए.. करीब 15 मिनट बाद अंशुल आ गया और मैं अपने घर चला गया। उसके बाद में अंशुल के घर कई बार अलग-अलग बहाने से जाता हूँ। कभी-कभी मौका मिल जाता है.. तब मैं नीलू को चोदता हूँ।
यह थी दोस्त की बहन की चूत चुदाई की मेरी स्टोरी.. आपको कैसी लगी.. बताना। [email protected]
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