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हैलो, मेरा नाम हनी है, मैं पंजाब से हूँ। मैं आज आपको मेरी हॉट आंटी की कहानी बताने जा रहा हूँ.. वो पड़ोस की रहने वाली हैं और उनकी चूचियाँ बहुत बड़ी हैं और चूतड़ भी तरबूज जैसे उठे हुए हैं। इतनी कातिल जवानी है कि कोई भी उसको देख कर मुठ्ठ मारने लग जाए। मैंने भी उनके सपने देख कर बहुत बार मुठ्ठ मारी थी। मैंने पहले कभी भी सेक्स नहीं किया था।
मेरी आंटी बहुत ही सेक्सी हैं और वो एक गृहणी हैं.. और हमारे परिवार से बहुत ही अधिक हिली-मिली हैं.. तो मैं अक्सर अपनी उनके घर जाता रहता हूँ। मैं जब भी उनके घर जाता तो उनके बड़े मम्मों के दीदार करता और उनकी मोटी गाण्ड के नजारे भी देखता था।
आंटी मेरे से पहले कोई ऐसी-वैसी बात नहीं करती थीं पर एक दिन बोलीं- मेरे को तेरे से एक काम है। मैंने बोला- बताओ? तो आंटी ने कहा- मेरी एक कुँवारी सहेली है.. उसका एक ब्वॉय-फ्रेण्ड है और मेरे पास उसका फ़ोन रखा है.. उसमें बैटरी डलवा दो। मैं ‘हाँ’ में सर हिलाया तो आगे कहने लगीं- प्लीज़, यह बात अपने अंकल (यानि उनके पति) को मत बताना।
मुझे समझ नहीं आया कि ये ऐसी बात क्यों कह रही हैं.. बाद में मुझे मालूम हुआ कि उनके पति नपुंसक हैं और किसी भी दूसरे आदमी को आंटी के पास बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। मैंने कहा- ठीक है.. मैं नहीं बताऊँगा और मैं आपका काम भी कर दूँगा।
बस उस दिन से आंटी मेरे से बहुत खुल कर बातें करने लगीं और मेरे से एक दिन बोलीं- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कहा- नहीं.. तो आंटी ने कहा- झूट मत बोलो.. मैंने कहा- सच्ची.. नहीं है।
तो आंटी बोलीं- तो तुम्हारा टाइम पास कैसे होता है? मैंने कहा- हाथ से.. ‘मतलब.. हाथ से कैसे?’ मैंने आँख मारते हुए कहा- मुठ्ठ मार के.. आंटी मुस्कुराने लगीं और कहने लगीं- ऐसे तो कमजोर हो जाओगे।
मैंने कहा- अगर मेरी इतनी फिकर है तो आप मेरा काम कर दो.. मैंने भी तो आपका काम किया है।
तो वो मुस्कराने लगीं.. मैंने ग्रीन सिग्नल समझा और आंटी के हाथ पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उनके पूरे जिस्म पर हाथ फेरने लगा। आंटी ने भी अपनी आँखें बंद कर ली थीं।
मैंने आंटी के होंठों पर चुम्मी की.. तो आंटी की चूत में सुरसुरी होने लगी और वे भी चुदास की आग से भर उठीं। अब आंटी भी मेरा साथ देने लगीं और मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरा लंड पकड़ लिया। मैंने भी अपना लौड़ा आगे बढ़ा दिया.. आंटी ने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं तो यारो, उस टाइम मानो जन्नत में पहुँच गया था। मेरा यह पहला मौका था सो मैं ज़्यादा देर टिक नहीं पाया और आंटी के मुँह में ही अपना शरबत गिरा बैठा। आंटी ने भी मेरा लंड चूस-चूस कर साफ़ कर दिया।
अब आंटी ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मैं आंटी की चूत चाटने लगा, उनकी चूत से बहुत अच्छी महक आ रही थी। आंटी भी ज़्यादा देर टिक नहीं पाईं और उन्होंने भी अपना रस मेरे मुँह में ही छोड़ दिया। मैंने भी उनकी चूत चाट कर साफ़ कर दी।
फिर कुछ देर बाद आंटी ने मेरा लौड़ा चूस कर खड़ा कर दिया और अब मैंने आंटी की टाँगों को अपने कन्धों पर रख कर उनकी चूत में लंड पेलने लगा.. पर लंड जा नहीं रहा था.. क्योंकि आंटी ने काफी समय से चुदवाया नहीं था.. ये बात उन्होंने मुझे बाद में बताई थी कि उनकी एक और आदमी से सैटिंग थी.. जिससे वो अपनी प्यास बुझाया करती थीं.. पर अब वो आदमी कनाडा चला गया है और उनको अब लण्ड नहीं मिलता है.. इसलिए उनकी चूत कस सी गई थी।
दूसरी बार कोशिश करने पर मेरा आधा लंड चूत में एकदम से घुस गया और आंटी ने एक जोर की चीख मारी। वे तड़फ उठीं और कहने लगीं- छोड़ो.. छोड़ो मुझे.. तेरा बहुत बड़ा है.. दर्द हो रहा है.. ओह्ह.. लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था.. मैंने धक्के लगाने शुरू किए तो कुछ ही पलों के बाद आंटी भी गाण्ड उठा कर साथ देने लगीं।
आंटी चुदते हुए बहुत मस्त आवाजें निकाल रही थीं और गाली भी दे रही थीं। ‘आआवउ ऊहीईईहह.. साले पहले कह इतना बड़ा है..’ मैं मस्त चोदता रहा।
‘आह्ह.. चोद मेरी जान.. चोद अपनी आंटी को.. अब तक क्यों नहीं चोदा.. आह्ह!’ कुछ देर बाद हम दोनों ने आसन बदला.. आंटी अब मेरे लंड पर बैठ गईं और खुद ज़ोर-ज़ोर से लौड़े पर अपनी गाण्ड पटक रही थीं।
मुझे बहुत मजा आ रहा था.. मेरा होने को था। मैंने काफ़ी देर तक चोदता रहा और फिर झड़ गया, मैंने सारा माल लौड़े को बाहर निकाल कर आंटी की गाण्ड पर छोड़ दिया और हाँफने लगा।
मैं थक गया था.. सो बेड पर लेट गया पर कुछ मिनट के बाद मैं फिर से तैयार हो गया.. आंटी ने भी मेरा लंड चूस कर खड़ा कर दिया।
अब मैंने आंटी की गाण्ड पर हाथ फेरते हुए कहा- मैं तो आपकी गाण्ड मारना चाहता हूँ। तो आंटी ने कहा- मैं आज से तेरी रण्डी हूँ.. जो मरजी कर ले..
मैंने सरसों का तेल अपने लंड पर लगाया और आंटी की गाण्ड पर भी लगा दिया। आंटी घोड़ी बन गईं.. तो मैंने अपना लंड आंटी की गाण्ड पर सैट करके करारा धक्का मारा और मेरा आधा लंड आंटी की गाण्ड में घुसता चला गया।
आंटी को बहुत दर्द हो रहा था और वो गालियाँ भी दे रही थीं- भेंचोद.. मार डाला.. निकाल इसे.. लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना और दूसरा धक्का मारा.. मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया। आंटी अब भी गालियाँ दे रही थीं।
मैंने अपने धक्के चालू किए तो आंटी भी साथ देने लगीं और आंटी मेरे ऊपर आ कर बैठ गईं और उछलने लगीं। कमरे में चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं। अब की बार मैंने 45 मिनट लगातर चुदाई की और फिर मैं इतनी देर चुदाई करने के बाद टूट गया था। आंटी भी थक चुक थीं।
आंटी ने कपड़े पहने और मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक ले कर आईं। उन्होंने मुझे 1000 रूपए देकर कहा- घर आता जाता रहा कर.. मैं बहुत खुश था और अब मैं हमेशा ही उनकी चुदाई करता हूँ।
दोस्तो.. प्लीज़ बताइएगा कहानी कैसी लगी। [email protected]
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