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कुछ देर के पश्चात जब सब की सुध लौटी तो रेखारानी ने पहले तो रीना रानी का अपने मधु से लिबड़ा हुआ मुंह चाट के साफ किया और फिर उसने उसी चूत भी चाट चाट के बिलकुल बढ़िया सफाई कर दी। जब वो मेरा लौड़ा साफ करने को हुई तो रीना रानी ने कहा- राजे का लण्ड मैं चाटूँगी क्योंकि उसमें वीर्य के स्वाद के साथ मेरी चूत के पानी का स्वाद भी मिलेगा। यही हुआ भी! रीना रानी ने खूब मस्त होकर मेरा लौड़ा और उसके आसपास का समस्त शरीर चाट लिया।
फिर मैंने किचन में जाकर फ्रिज से एक बोतल ठंडी बियर की निकाली और उसको खोल के रूम में ले आया। मैंने रेखारानी से कहा- सुन रांड, अब तू अपनी टाँगें क्रॉस करके सीधी लेट जा… कुछ पूछ मत, बस जैसे कहता हूँ वैसे कर चुपचाप। रेखारानी ने बिना कुछ कहे लेट कर टांग पर टांग रख ली, उसकी मलाई जैसी जांघें आपस में मिल गई थीं और उनके बीच जो जगह बनी मैंने बियर उसमें डाल दी। ठंडी ठंडी बियर लगते ही रेखा रानी सिहर उठी किन्तु बोली कुछ नहीं।
अब मैंने रीना रानी से कहा- ले हरामज़ादी, अब बियर पीते हैं इस कुतिया की जांघों में से। मैंने मुंह नीचे कर के एक कुत्ते की तरह बियर लपलपाते हुए पीना शुरू कर दिया। रीना रानी भी मुझे देखकर उसी तरह बियर पीने लगी।
यारों क्या कहने उस नशे के जो गर्म गर्म चुदाई के बाद ठंडी ठंडी बियर रेखारानी के बदन से पीने में आया!!!!! आहा!!!! आहा!!!!! आहा!!!! बियर का सरूर तो था ही साथ में उस बेमिसाल बदन का नशा!!! यारों वर्णन कर पाना असंभव है। इसका मज़ा कैसा है ये तो आप लोग खुद ऐसा करके ही जान पाएंगे, इसका अनुभव लीजिये अवश्य! मज़े की पराकाष्ठा न हो जाए तो मैं चूत निवास नहीं।
रीना रानी भी बहनचोद बियर पी के मस्ती में चूर हो गई। जब रेखारानी के शरीर की बियर ख़त्म हो गई तो बची हुई बियर को रीना रानी को उसी प्रकार सेट करके उसकी जांघों में डाला गया। इस बार मेरे साथ रेखारानी का नशा लेने का नंबर था। बहन की लौड़ी बहुत प्रसन्न हुई रीना रानी की जांघों रूपी कलश से मदिरा पान करके, आहा आहा आहा… बियर पी के तीनों हल्के हल्के से सुरूर में आ गए थे।
रात के 3 बज चुके थे, मैंने रानियों से कहा- स्वर्ण रस पिला के गुड नाईट करें। दोनों ने मुझे पकड़ लिया और बाथरूम में ले गई। मैं शावर के नीचे लेट गया।
रेखा रानी ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा- कुत्ते ध्यान से सुन… मादरचोद… आज मैं तुझे अपनी सुसु… ओह सॉरी स्वर्ण रस चूत मैं तेरी आँखों के पास रख के पिलाऊँगी… तुझे छेद से अमृत की बौछार छूटती दिखनी चाहिए।
इतने में रीना रानी की नशे में धुत्त आवाज़ आई- हाँ हाँ रंडी यह सही है… मैं भी इस कुत्ते को स्वर्ण अमृत ऐसे ही पिलाऊंगी… पहले मैं सेट होती हूँ… रेखारानी बोली- नहीं रीना.. करमजली… हम दोनों एक साथ सेट होंगे।
पहले रेखारानी ने खुद को मेरी छाती के अगल बगल घुटने जमा के चूत को ऐसे सेट किया जिससे कि स्वर्ण रस का सुराख़ मुझे साफ़ दिखने लगा। दोनों एक साथ इस पोज़ में नहीं आ सकती थीं यह तुरंत ही समझ में आ गया।
खैर रेखारानी ने रीना रानी से रुकने को कहा और धीरे से एक बौछार का शॉट दागा। उस मस्ताने गुलाब छेद से एक झरने की भांति फूटता हुआ स्वर्ण अमृत देख कर ही मैं तो धन्य हो गया।
वो अमृत धारा पहले तो मेरे चेहरे पर गिरी किन्तु मैं जल्दी ही अपने मुंह को एडजस्ट कर लिया जिससे वो मदमस्त धारा सीधे मेरे मुंह में गिरने लगी।
क्या ज़ायकेदार स्वर्ण अमृत था यार!!! सुनहरे रंग का गर्म गर्म, नमकीन सा खट्टा मीठा और बियर के स्वाद से मिला जुला अमृत का धारा रेखारानी के मूत्रद्वार से मेरे मुंह में यूँ जा रहा था जैसे कि निशाना साध के किया गया हो। रानी अब धारा पूरी स्पीड पर मारने लगी थी, स्वर्ण अमृतधारा छोड़ने की सुर्र सुर्र सुर्र सुर्र की आवाज़ मुझे दीवाना किये जा रही थी। मैं बहुत मज़ा लेता हुआ सारा का सारा अमृत पीता गया और प्रयास यही रहा कि एक भी बून्द नीचे गिर के बर्बाद न होने पाये। इस अलौकिक रस को फालतू बह जाने देना तो महा अपराध होता न।
आखिरकार रेखारानी का खज़ाना खाली हो गया, फिर भी खूब ज़ोर लगा के उसने 8-10 क़तरे निकाल ही दिए। फिर रानी ने मेरे मुंह के साथ चूत चिपका के छेद को रगड़ रगड़ के सुखाया और ख़ुशी में मुझे इनाम देने के नाते कुछ देर अपने पैरों के तलवे चटवाए। पीछे से रीना रानी उसे कटोचे जा रही थी, उसको ज़रा भी सब्र नहीं हो रहा था।
रीना रानी के बार बार पीछे से गांड में उंगली करने पर बड़े बेमन से रेखारानी हटी, हरामज़ादी का पांव चटवाने में भी चूत से मधु निकलने लगा था, उसको बड़ा मज़ा आ रहा था।
अब रीना रानी ने खुद को रेखा रानी की तरह सेट किया और उसने तो उँगलियों से उस छेद को खूब फैला कर भीतर के मस्त गुलाबी गुलाबी दर्शन भी करवाये। लौड़ा इतनी अधिक मस्ती न झेल सका और बुरी तरह से अकड़ गया, रीना रानी ने लोड़े को प्यार से एक हल्का सा थपकी मारी और फिर सुरर्र सुरर्र सुरर्र सुरर्र सुर्र… सुरर्र सुर्र सुर्रर… सुरर्र सुरर्र सुरर्र सुर्र… सुरर्र सुरर्र सुरर्र सुर्र…
वही स्वर्ण अमृत लेकिन स्वाद में, रंग में, गाढ़ेपन में, तापमान में बिलकुल भिन्न। स्वाद वही नमकीन खट्टा मीठा किन्तु फिर भी एकदम अलग। जिस प्रकार हर लड़की की चूत की गर्मी, चूत का रास, बदन का स्वाद, झांटों की सुगंध मिलती जुलती होते हुए भी बिलकुल अलग होती है उसी प्रकार हर लड़की के स्वर्ण अमृत भी अलग अलग होता है। अब तक 31 लड़कियों से चुदाई के सम्बन्ध बना चुकने के बाद और इन सबको को चोद के, गांड मर के, चुसवा के, चूस के, चाट के, पी के, खा के मैं ये बात आधिकारिक रूप से कह सकता हूँ।
खैर रीना रानी ने भी पहले मेरा फेस वाश करवाया और फिर बड़े प्यार से मुझे अमृत पिलाया। बाद में शरारत करते हुए कुतिया ने कुछ बूंदें मेरे लौड़े पर भी टपका दीं।
फिर अचानक से वो लण्ड पर बैठ गई जो उसकी पानी से लबरेज़ चूत में आराम से घुसता चला गया। जैसे ही रेखारानी ने यह देखा उसने शावर चला दिया और खुद आकर मेरे मुंह पर बैठ गई, चूत मेरे होंठों से सटा दी। मधु तो पहले ही निकल रहा था तो मैंने भी मस्ती में आकर खूब जीभ घुसा कर उसके चूत मधु को पीना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उसके फिर से अकड़े हुए चूचों को दबाने लगे जबकि बियर के सुरूर में रीना रानी तो लण्ड पर कूद रही थी धम्म धम्म धम्म धम्म….धम्म धम्म धम्म….धम्म धम्म धम्म !!!!! ऊपर से शावर से पानी की तेज़ बौछारें तीनों को तर किये जा रही थीं।
रीना रानी तो बहक चुकी थी और पूरी ऊपर तक चूतड़ ले जाकर धड़ाम से लण्ड पर बैठ जाती, इतने ज़ोर के झटके से लौड़ा भीतर घुसता कि हम तीनों हिल जाते। चंद ही मिनटों में रीना रानी बड़े ज़ोर से झड़ी, एक बार नहीं, कई बार स्खलित हुई और फिर न जाने क्या बुदबुदाते हुए पछाड़ खाकर मेरे ऊपर गिर पड़ी। लेकिन वहाँ तो रेखारानी बैठी चूत चुसवा रही थी तो रीना रानी उसकी कमर से लग कर ही पड़ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब रेखारानी ने चूत हटाई और उठ कर हौले से रीना रानी को मेरे ऊपर से हटा कर साइड में लिटा दिया। शावर ऊपर से चले जा रहा था, शावर चलते में चुदाई का मज़ा भी कुछ अलग ही है और यदि दो दो चुदासी रांडें हों तो सोने पर सुहागा। रीना रानी को हटा कर रेखा रानी खुद ही लण्ड पर चढ़ बैठी, वो तो हराम की ज़नी एक मजी हुई चुदाड़ी थी।
फिर आधा या शायद पौना घंटा वो मस्त चुदाई हुई है कि क्या बताऊँ। मज़ा आ गया। खूब चूचे चूसे, उनको हुमक हुमक के दबाया, निचोड़ा और उमेठा। शावर चलता रहा।
रेखारानी खूब झड़ी, अनेकों बार झड़ी और फिर आखिरकार मैं भी झड़ गया। हमेशा की तरह रेखारानी ने मुझे चाट के साफ किया, शावर बंद किया, मैंने गहरी नींद में डूबी रीना रानी को गोद में उठाकर उसको टॉवल से पोंछा और फिर उसको बिस्तर पर लिटा दिया। फिर हमने अपने को भी पोंछा और मैं रेखारानी को गुड नाईट चूम के अपने कमरे में आकर जूसीरानी की बगल में सो गया।
रेखा रानी तीन दिन तक रही, रोज़ रात को यही खेल फिर से दोहराया जाता।
एक दिन रीना रानी ने फरमाइश रखी कि वो मेरी और जूसी रानी की चुदाई देखना चाहती है। रेखारानी ने भी हाँ में हाँ मिलाई कि हाँ उसे भी देखना है कि उसकी छोटी बहन को मैं कैसे कैसे चोदता हूँ। मैं मान गया। इस घटना का वर्णन अगली कहानी में करूँगा।
आशा है पढ़ने वालों को यह घटना पसंद आएगी। हाँ एक बात और लिखना चाहता हूँ, जिन पाठकों ने मेरी कहानी नीलम रानी वाली पढ़ी है वो चाहें तो नीलम रानी की नथ खुलने के तुरंत बाद की फोटो देख सकते हैं, उसका चेहरा नहीं दिखेगा लेकिन उसकी खून और वीर्य बहाती हुई चूत दिखेगी। उसके मदमस्त चूचे भी दिखेंगे। उसको अचानक यह सूझी कि अपनी नंगी फोटो अन्तर्वासना के पाठकों से शेयर करे! इसलिए लिख रहा हूँ! वैसे मैं किसी रानी की कोई भी फोटो कभी नहीं किसी को दिखाता। [email protected]
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