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अब तक आपने पढ़ा..
विवेक- मेरी जान तूने संजय खन्ना का नाम तो सुना होगा..? उसका बेटा पुनीत ये पार्टी देता है.. तो वो तो होगा ही वहाँ और उसका भाई रॉनी और एक खास दोस्त सन्नी भी साथ होता है। बाकी लड़कों को पार्टी के कुछ दिन पहले यहाँ के क्लब में जमा करके मीटिंग होती है और एक खेल के जरिए वो बाकी के तीन लड़कों को चुनता है। कोमल- हाँ खन्ना का नाम सुना है.. वो तो बहुत पैसे वाला है और वहाँ कैसी मीटिंग होती है.. और कैसे चुनते हैं? विवेक- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..
अब आगे..
कोमल- अच्छा यह तो बता.. कोई लड़की इस खेल के लिए कैसे राज़ी होती है? विवेक- अरे मेरी जान.. पैसा चीज ही ऐसी होती है… कि इंसान ना चाहते हुए भी वो सब काम कर लेता है.. जो उसको ठीक ना लगे.. समझी, वहाँ पर हर बार 1 लाख का इनाम होता है। कोमल- ओ माय गॉड.. 1 लाख.. मगर फिर भी कोई लड़की अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के सामने सब कैसे करती होगी?
विवेक- अरे आजकल लड़की को पटा कर लड़का पहले चोद कर उस लड़की को लौड़े की आदी बनाता है.. और पैसे का लालच देकर उसको बड़े-बड़े सपने दिखाता है। बस इस तरह वो लड़की को मना लेता है और वैसे भी गेम शुरू होने के पहले वहाँ लड़की को इतना नशा करवा देते हैं कि उनको अच्छे-बुरे का पता ही नहीं होता यार.. और एक बात और भी समझ ले कि अधिकतर वे ही लड़कियाँ चूत चुदवाने को राजी होती हैं जिन्हें चुदने की ज्यादा भूख होती है, आजकल तो इसे मस्ती के नाम पर खुला खेल माना जाता है।
कोमल- चल सब समझ गई.. मगर पैसे कौन देता है? विवेक- अरे पुनीत और कौन यार..? कोमल- अरे उसको क्या फायदा.. और वो भी तो हारता होगा.. तो पैसे भी जाते है और गर्ल-फ्रेण्ड भी?
विवेक- मेरी जान.. वो एक ठरकी लड़का है.. उसको ऐसे गेम में मज़ा आता है.. नई-नई लड़कियों को चोदना उसका शौक है। वैसे वो चाहे तो ऐसे भी रोज नई लड़की उसके पास हो.. मगर उसको ऐसे खेल का शौक है बस.. पैसा देने के बहाने सबको बुलाता है और उसको एकाध लाख से क्या फ़र्क पड़ता है.. इतने पैसे तो वे लोग रोज ही उड़ा देते हैं। हाँ.. दोनों भाई इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं. उनको आसानी से हराना मुश्किल है। सालों का नसीब भी बहुत साथ देता है।
कोमल- अच्छा.. ये बात है.. तो अब तुम्हारा बॉस मेरे को गर्लफ्रेण्ड बना कर लेकर जाएगा.. यही ना? सुनील- तू साली बहुत समझदार है.. जल्दी समझ गई.. हा हा हा हा.. कोमल- चल हट.. साला कुत्ता.. गर्ल-फ्रेण्ड के बहाने हम जैसी लड़कियों को ले जाते हैं वहाँ.. साले झूटे कहीं के..
विवेक- अरे तू गलत समझ रही है.. ऐसा कुछ नहीं है.. ज़्यादातर असली गर्लफ्रेण्ड ही होती हैं। इस बार बॉस का प्लान कुछ अलग है एक लड़की है पायल.. उसे उसको चोदना है.. तो वो एक नया गेम बना रहे हैं. जिसमें सिर्फ़ तू हमारी मदद कर सकती है। कोमल- कैसा नया गेम रे.. ज़रा ठीक से बता मेरे को?
विवेक ने जब बोलना शुरू किया तो कोमल की आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि विवेक ने बात ही ऐसी कहीं थी। दोस्तो, मैंने इन दोनों की ये लंबी बात आपके लिए करवाई है.. ताकि आपको कहानी समझने में आसानी हो। अब आखिरी में क्या बात हुई थी.. वो तो फार्म पर पता लगेगी.. तो आप यहाँ क्या कर रहे हो.. चलो वापस वहीं चलते हैं।
अरे रूको रूको.. पहले पूजा के पास चलो.. वहाँ हम लोग कब से नहीं गए।
पूजा ने अपने कपड़े पहने और चुपके से वापस अपने कमरे की तरफ जाने लगी। तभी उसको ऐसा लगा कि वहाँ से कोई गया है.. वो उसके पीछे चुपके से चल दी। आगे जाकर उसको साफ-साफ दिखाई दिया कि वो बबलू ही है.. उसने उस समय कुछ कहना ठीक नहीं समझा और वहाँ से अपने कमरे में आ गई।
तब तक पायल भी सो गई थी और पूजा सोचने लगी कि उसने बबलू के साथ चुदाई की या किसी और के साथ? बस इसी उलझन में वो काफ़ी देर जागती रही और कब उसको नींद आ गई.. पता भी नहीं चला।
दोस्तो, यहाँ का हो गया.. अब मुनिया के पास चलते हैं मगर आपसे एक बात कहूँगी कि कहानी को अच्छी तरह से ध्यान लगा कर पढ़िएगा.. हर बात जो पॉइंट की है.. उसे नोटिस करना.. क्योंकि आगे सब कड़िया एक साथ जुड़ेंगी और कहानी का रोमांच भी बढ़ेगा.. ओके।
अब देखिए.. मुनिया के साथ आगे क्या हुआ..
पुनीत के लौड़े को चाटने के बाद मुनिया को बड़ा अजीब लग रहा था.. उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और पुनीत इस बात को अच्छी तरह जानता था.. तो बस उसने मुनिया का हाथ पकड़ा और उसको बिस्तर पर बैठा दिया। पुनीत- तूने बहुत अच्छी तरह मालिश की है.. अब देख एक तरीका मैं बताता हूँ.. अगली बार वैसे करना.. ठीक है.. मुनिया- ठीक है.. आप बता दो बाबूजी कैसे करना है.. मैं सब सीख जाऊँगी।
पुनीत ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जाँघों पर अपने हाथ रख दिए.. जिससे मुनिया सिहर गई। मुनिया- इसस्सस्स.. आह.. ये आप क्या कर रहे हो बाबूजी? पुनीत- अरे डर मत.. तुझे सिखा रहा हूँ.. अगली बार ऐसे करना..
इतना कहकर पुनीत बड़े सेक्सी अंदाज में मुनिया की जाँघों को सहलाने लगा। मुनिया के जिस्म में तो बिजली दौड़ने लगी थी। मुनिया- ककककक.. ठ..ठ..ठीक है.. मैं समझ गई.. आह्ह.. अब बस करो न.. पुनीत- अरे चुप.. अभी कहाँ.. आराम से सीख.. अब बिल्कुल भी बोलना मत.. पुनीत थोड़ा गुस्से में बोला.. तो मुनिया डर गई और उसने चुप्पी साध ली।
अब पुनीत धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहला रहा था.. कभी-कभी उसकी उंगली चूत को भी टच करती जा रही थी.. बस यही वो पल था.. जब मुनिया जैसी भोली-भाली लड़की वासना के भंवर में फँसती चली गई।
अब मुनिया को बड़ा मज़ा आ रहा था.. उसकी चूत फड़फड़ा रही थी और उसने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
पुनीत ने जब ये देखा कि मुनिया मज़े ले रही है.. तो उसने अपना हाथ सीधे उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया और धीरे से चूत को रगड़ने लगा।
मुनिया- इसस्सस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. नहीं.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मेरे बदन का खून.. उफ्फ.. लगता है सारा वहीं जमा हो गया.. आह्ह.. नहीं इससस्स.. उफ़फ्फ़..
दोस्तो.. मुनिया पहले से ही बहुत गर्म थी और जब पुनीत ने चूत पर हाथ रखा और हल्की मालिश की.. बस बेचारी अपना संतुलन खो बैठी..। उसकी कच्ची चूत अपना पहला कामरस छोड़ने लगी। उस वक़्त मुनिया का बदन अकड़ गया.. उसने पुनीत के हाथ को अपने हाथ से दबा लिया और अजीब सी आवाजें निकालने लगी और झड़ने लगी।
मुनिया- इसस्स्सस्स.. आह.. उऊहह.. उउओह.. बब्ब..बाबूजी आह्ह.. मुझे क्या हो रहा है.. आआह्ह.. सस्सस्स.. जब मुनिया की चूत शांत हुई.. तब उसके दिमाग़ की बत्ती जली.. वो झट से बैठ गई और सवालिया नजरों से पुनीत को देखने लगी कि ये क्या हुआह्ह.. पुनीत- अरे घबरा मत.. तेरा भी कामरस निकल गया.. जैसे मेरा निकाला था.. अब तू ठीक है और सच बता.. तुझे मज़ा आया कि नहीं.. मुनिया- बाबूजी.. ये सब मेरी समझ के बाहर है.. आप मेहरबानी करके अभी यहाँ से चले जाओ.. मुझे अभी बाथरूम जाना है। पुनीत- अरे तू यहाँ मेरी सेवा करने आई है या मुझ पर हुकुम चलाने आई है.. हाँ तेरी माँ ने यही सिखाया क्या तेरे को?
मुनिया- अरे नहीं नहीं.. बाबूजी.. आप गलत समझ रहे हो.. मैं तो बस ये कह रही थी.. कि मुझे जोरों से पेशाब आ रही है। पुनीत- तो जाओ.. मैं यहीं बैठा हूँ.. आकर मेरा सर दबाना ओके..
मुनिया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी.. शायद अभी जो हुआ.. वो उसको सब अच्छा लगा था।
पुनीत अभी भी नंगा ही था और अपने लौड़े को सहलाता हुआ बोल रहा था- बेटा आज कई दिनों बाद तुझे कच्ची चूत का मज़ा मिलेगा..
कुछ देर बाद मुनिया वापस बाहर आ गई तो पुनीत लौड़े को सहला रहा था.. जिसे देख कर मुनिया थोड़ा मुस्कुरा दी।
पुनीत- अरे आओ मुनिया.. देखो तुमने अभी इसका दर्द निकाला था.. मगर इसमें दोबारा दर्द होने लगा। मुनिया- कोई बात नहीं बाबूजी.. मैं फिर से इसका दर्द निकाल दूँगी। पुनीत- ये हुई ना बात.. आओ यहाँ आओ.. पहले मेरे पास बैठो.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मुनिया धीरे-धीरे चलकर आई और बिस्तर पर पुनीत के पास बैठ गई.. मगर उसकी नज़र लौड़े पर थी। ना जाने क्यों.. उसको ऐसा लग रहा था.. जैसे जल्दी से पहले की तरह वो उसको मुँह में लेकर चूसे और उसका रस पी जाए।
उसकी नज़र को पुनीत ने ताड़ लिया और उसको अपने से चिपका कर उसके कंधे पर हाथ रख दिए। पुनीत- देख मुनिया.. अब तू मेरे साथ रहेगी.. तो खूब मज़े करेगी.. बस तू मेरी हर बात मानती रहना.. तुझे पैसे तो मैं दूँगा ही.. साथ ही साथ मज़ा भी दूँगा.. जैसे अभी दिया.. तेरा रस निकाल कर दिया था.. तू सही बता मज़ा आया ना?
मुनिया थोड़ा शर्मा रही थी.. मगर उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। पुनीत- गुड.. अब सुन.. तुझे ज़्यादा मज़ा लेना है.. तो उस वीडियो की तरह अपने कपड़े निकाल दे.. फिर देख कितना मज़ा आता है। मुनिया- ना बाबूजी.. मुझे शर्म आती है। पुनीत- अरे पगली.. शर्म कैसी.. देख मैं भी तो नंगा हूँ और मैं बस तुझे सिखा रहा हूँ.. तू डर मत.. मुनिया- बाबूजी मैं जानती हूँ.. जब लड़की नंगी हो जाती है.. तो लड़का उसके साथ क्या करता है.. मगर मुझे ऐसा-वैसा कुछ नहीं करना।
आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है। कहानी जारी है। [email protected]
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